आजादी से पहले भारत का नाम क्या था?

75th Independence Day of India: 15 अगस्त, 1947 को हम अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुए थे और इस महीने की 15 तारीख यानी 15 अगस्त को हमारे देश की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे. 125 करोड़ की मौजूदा जनसंख्या वाले हिंदुस्तान को यूं ही अंग्रेजों से आजादी नहीं मिली थी, देश की आजादी के लिए लाखों हिंदुस्तानियों ने देश की मिट्टी को अपने खून से सींचा था. इस देश को आजाद कराने वाले सच्चे देशभक्तों के संघर्ष, हौसले और जुनून की जितनी तारीफ की जाए, वो हमेशा कम ही रहेगी. आज हम यहां आपको देश की आजादी के उन संघर्षों के बारे में बताएंगे, जिन्हें जानने के बाद आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे.

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1757 से लेकर 1947 तक अंग्रेजों का गुलाम रहा भारत

भारत में अंग्रेजों की हुकूमत साल 1858 में शुरू हुई और 1947 तक चली. इससे पहले, 1757 से लेकर 1857 तक भारत पर ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी का कंट्रोल था. देश के वीर स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान के आगे आखिरकार अंग्रेजों ने घुटने टेक दिए और करीब 200 साल तक अंग्रेजों की गुलामी करने के बाद भारत को 15 अगस्त, 1947 के दिन आजादी मिली.

1857 में उठी थी हिंदुस्तान की आजादी की पहली चिंगारी

अंग्रेजी हुकूमत से आजादी की लड़ाई की पहली चिंगारी साल 1857 में निकली थी. उस वक्त का विद्रोह, सिपाही विद्रोह या 1857 के भारतीय विद्रोह के नाम से प्रसिद्ध है. उस विद्रोह का नेतृत्व किसी और ने नहीं बल्कि मंगल पांडे ने किया था. मंगल पांडेय के अलावा झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, बहादुर शाह जफर, तात्या टोपे और नाना साहिब ने भी 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लिया था.

बाल गंगाधर तिलक और जेआरडी टाटा ने शुरू किया था स्वदेशी आंदोलन

साल 1900 के आसपास देश में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई. उस वक्त बाल गंगाधर तिलक और जेआरडी टाटा ने बॉम्बे स्वदेशी को-ऑप स्टोर्स कंपनी लिमिटेड की स्थापना कर विदेशी सामानों का बहिष्कार कर स्वदेशी सामानों का समर्थन करना शुरू किया. महात्मा गांधी ने इस आंदोलन को स्वराज की आत्मा बताया था.

साल 1921 में डिजाइन किया गया था भारत का मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज

7 अगस्त, 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वैर पर भारत का झंडा फहराया गया. उस झंडे में लाल, पीला और हरे रंग की 3 पट्टियां थीं. साल 1921 में पिंगली वेंकैया ने हमारे मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज का पहला वैरिएंट डिजाइन किया. ऊपर भगवा, बीच में सफेद जिसमें 24 तीलियों वाला अशोक चक्र मौजूद है और नीचे हरे रंग की पट्टी वाले झंडे को 22 जुलाई, 1947 को  राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया. इस तिरंगे को 15 अगस्त, 1947 को फहराया गया.

महात्मा गांधी ने 1942 में शुरू किया था भारत छोड़ो आंदोलन

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई, इस आंदोलन को अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है. इस आंदोलन के माध्यम से भारत में ब्रिटिश शासन को खत्म करने की मांग की गई थी.

आजादी के वक्त भारत का नहीं था कोई राष्ट्रीय गान

आजादी के समय भारत का कोई राष्ट्रीय गान नहीं था. मौजूदा राष्ट्रीय गान 'भारत भाग्य विधाता', साल 1911 में रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था. जिसका नाम बाद में बदलकर 'जन गण मन' कर दिया गया था. फिर इसके बाद 24 जनवरी, 1950 में भारत की संविधान सभा ने जन गण मन को राष्ट्रीय गाम के रूप में स्वीकार कर लिया था.

रेडक्लिफ लाइन के नाम से भी जानी जाती है भारत-पाकिस्तान की सीमा रेखा

भारत और पाकिस्तान के बीच बनी सीमा रेखा को रेडक्लिफ लाइन के रूप में भी जाना जाता है. जिसे ब्रिटिश बैरिस्टर सर सिरिल रैडक्लिफ ने 3 अगस्त, 1947 को सीमांकित किया था. इसकी जानकारी आधिकारिक तौर पर भारत की आजादी के दो दिन बाद यानी 17 अगस्त, 1947 को प्रकाशित की गई थी.

सिंधु नदी के नाम पर रखा गया हमारे देश का नाम

हमारे देश का नाम सिंधु नदी से लिया गया था. सिंधु नदी, महान सिंधु घाटी सभ्यता की गवाह है. भारत को 15 अगस्त, 1947 की आधी रात को स्वतंत्रता मिली थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि कोरिया, कांगो, बहरीन और लिकटेंस्टीन भी 15 अगस्त को ही अपना स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं.

बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखे गए उपन्यास 'आनंदमठ' का एक हिस्सा है वंदे मातरम

बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखित भारत का राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' 1880 के दशक में लिखा गया था. वंदे मातरम, बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखे गए उपन्यास 'आनंदमठ' का एक हिस्सा था. वंदे मातरम को 24 जनवरी, 1950 को राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता दी गई थी.

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवानी अवस्थी Updated Mon, 15 Aug 2022 12:24 AM IST

Independence Day 2022: आजादी का मतलब भारत से बेहतर कौन समझ सकता है। कई सालों तक अंग्रेजों के गुलाम बनकर रहने के बाद जब भारत को स्वतंत्रता मिली तो ये दिन इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। आजादी को पाना आसान नहीं था। भारत के कई वीर सपूतों, बेटियों ने अपनी जान तक देश के लिए न्यौछावर कर दी। आजादी के लिए सालों संघर्ष हुआ। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से लेकर मंगल पांडे तक और महात्मा गांधी से लेकर चंद्रशेखर आजाद व भगत सिंह जैसे हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन आजाद भारत के सपने को पूरा करने में बिता दिया। आखिरकार 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया। भारत के पहले प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण किया। आजादी के 75 साल पूरे होने पर देश में काफी बदलाव आया लेकिन नहीं बदली तो आजादी के जश्न की परंपरा। हर साल 15 अगस्त को लाल किले से ध्वजारोहण किया जाता है। गुलाम भारत के दौर में हम नहीं थे, लेकिन उस समय के नजारा कैसा होगा इसकी सिर्फ कल्पना कर सकते हैं। अगर आप जानना चाहते है कि आजादी के वक्त का नजारा क्या था, तो यहां 1947 की कुछ दुर्लभ तस्वीरें दी जा रही हैं। साथ ही कुछ और भी तस्वीरें हैं, जिनसे आप जान पाएंगे कि आजादी के बाद से भारत कितना बदला है।

यहां एक तस्वीर में भारत के अंतिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन हैं, जो भारत के नेताओं के साथ बैठक कर सत्ता हस्तांतरण की तैयार कर रहे हैं। यह तस्वीर भारत की आजाद होने के 11 दिन पहले की है। दूसरी तस्वीर में आजाद भारत के प्रधानमंत्री कैबिनेट बैठक कर रहे हैं। उनके साथ गृहमंत्री और रक्षामंत्री हैं। 

इस तस्वीर में आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिखाई दे रहे हैं। पहली तस्वीर में पंडित जवाहरलाल नेहरू घोड़े पर बैठकर जा रहे हैं। वह भारत की आजादी के बाद हुई कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में भाग लेने के लिए जा रहे हैं। उस दौरान प्रधानमंत्री की सुरक्षा आज के समय जैसी नहीं थी। दूसरी तस्वीर में पीएम मोदी हैं, जिनकी सुरक्षा के लिए एसपीजी, बुलेट प्रूफ गाड़ी है। 

इस तस्वीर में एक तरफ देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 14 अगस्त की शाम को संविधान सभा को संबोधित कर रहे हैं। ये स्वतंत्र भारत के नाम पहला संबोधन था। वहीं दूसरी तस्वीर में भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को दिल्ली के लाल किले के प्राचीर से ध्वजारोहण कर रहे हैं। 

इन दोनों तस्वीरों का नजारा और अर्थ एक ही है, बस समय अलग अलग है। पहली तस्वीर भारत की आजादी के बाद तिरंगा फहराए जाने की है। आजादी के जश्न में भारतीय बड़ी संख्या में शामिल हुए हैं। लोग तिरंगे को सलामी दे रहे हैं। भारत की स्वतंत्रता की पहली सुबह लोग बड़ी संख्या में इंडिया गेट पहुंचे और आजादी का जश्न मनाया। दूसरी तस्वीर आजादी मिलने के कई सालों बाद की है। स्वतंत्रता दिवस पर लोग आजादी का जश्न मनाने पहुंचे हैं। लाल किले के सामने परेड हो रही है और ध्वजारोहण किया गया है।  

भारत के 7 नाम कौन कौन से हैं in English?

भारत के 7 नाम और उनकी सूची :.
हिंदुस्तान जब भारत में अँग्रेजों का आगमन हुआ उस समय हमारे देश को 'हिंदुस्तान' कहा जाता था. ... .
इंडिया भारत को इंग्लिश में इंडिया (अंग्रेजी : India) कहा जाता है. ... .
हिन्द ... .
आर्यावर्त ... .
जंबूद्वीप ... .
भारतखण्ड ... .

भारत का नाम भारत कब पड़ा?

भारतवर्ष नाम ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा है। अनेक पुराणों के अनुसार नाभिराज के पुत्र भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। हिन्दू ग्रन्थ, स्कन्द पुराण (अध्याय ३७) के अनुसार "ऋषभदेव नाभिराज के पुत्र थे, ऋषभ के पुत्र भरत थे, और इनके ही नाम पर इस देश का नाम "भारतवर्ष" पड़ा"।

भारत का पहला नाम क्या है?

आइए जानते हैं कि भारत को कितने अलग-अलग नामों से जाना जाता रहा है और उनके पीछे की कहानी क्या है. प्राचीनकाल से भारतभूमि के अलग-अलग नाम रहे हैं मसलन जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया.

आजादी से पहले भारत में किसका राज था?

ब्रिटिश शासन (1858 ईस्वी -1947 ईस्वी) हालांकि आधिकारिक तौर पर भारत में ब्रिटिश शासन 1858 में आखिरी मुगल सम्राट को निर्वासित करने के बाद शुरू हुआ था। ब्रिटिश राज 15 अगस्त 1947 तक चला जब वर्षों के संघर्ष के बाद भारत को आजादी मिली।