ऋ देवनागरी वर्णमाला का सातवाँ स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह मूर्धन्य, ह्रस्व, अग्र, अवृत्तमुखी, स्वर है तथा घोष ध्वनि है।
ऋ अक्षर वाले शब्द
ऋ की मात्रा ृ का प्रयोग
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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‘ऋ’ की मात्रा वाले शब्दों से बने वाक्य
कौन से शब्द में ऋ की मात्रा का प्रयोग नहीं है?'ऋ' का दीर्घ रूप 'ऋ' है जो हिंदी के शब्दों में नहीं, संस्कृत के कुछ शब्दों में ही प्रयुक्त होता है। ऋ की मात्रा 'ृ' व्यंजनों के नीचे जुड़कर लगती है (जैसे- कृ, गृ, मृ, पृ)। 'र' में 'ऋ' की मात्रा नहीं लगती।
ऋषि की मात्रा क्या है?ऋ की मात्रा वाले शब्दों से बने वाक्यों के उदाहरण
कृषक कृषि कर रहा है। अमृत जैसा बोलो। घृणा नहीं करो। मेने मृग देखा।
ऋ कैसे बनता है?“ऋ” एक स्वर है और “री" व्यंजन है जो ,र+ ई मात्रा मिलाकर पूरा होता है ।
र से क्या क्या शब्द बनते हैं?'र' में प्राय: सभी मात्राएँ और चिह्न सामान्य रूप से जुड़ते हैं। परंतु 'र्' में 'ऋ' की मात्रा नहीं लगती तथा 'उ' और 'ऊ' मिलने पर क्रमश: विशेष रूप 'रु' और 'रू' बनते हैं (रुपया, रूप, रुष्ट, रूठा)। र देवनागरी वर्णमाला में अंत:स्थ वर्ग का दूसरा व्यंजन है।
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