भारत और पाकिस्तान के बीच क्या समझौता हुआ?

आजादी के पश्चात भारत के विभाजन तथा पाकिस्तान की स्थापना से लेकर अब तक भारत तथा पाकिस्तान के आपसी संबंध तनावपूर्ण ही रहे हैं। इन तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच शांति बनाए रखने के लिए कई समझौते किए गए है जिनमें कुछ निम्नलिखित है:

  1. 'सिंधु जल संधि': 1960 में विश्व बैंक की सहायता से भारत और पाकिस्तान ने 'सिंधु जल संधि' पर हस्ताक्षर किए और यह संधि भारत-पाक के बीच अनेक सैन्य संघर्षों के बावजूद आज भी कायम है। यद्यपि 'सिंधु जल संधि' की व्याख्या और नदी-जल के प्रयोग को लेकर अभी भी कुछ छोटे- मोटे विवाद हैं।
  2. वार्ताओं का दौर: अभी हाल के वर्षों में भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मामलों पर वार्ताएँ चल रही हैं। भारत व पाकिस्तान के संबध कभी खत्म न होने वाले झगड़ों और हिंसा की कहानी बयान करते हैं, फिर भी तनाव को कम करने के लिए और दोनों देशों के बीच शांति बहाली के लिए ये दोनों देश लगातार प्रयास कर रहे हैं।
  3. शिमला समझौता: 3 जुलाई 1972 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद शिमला में एक संधि पर हस्ताक्षर हुए, जिसे शिमला समझौता कहा जाता है। इसमें भारत की तरफ से इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से जुल्फिकार अली भुट्टो शामिल थे। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने यह करार किया कि भारत व पाकिस्तान के बीच डाक तार सेवा फिर से चालू की जाएगी तथा आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में दोनों राष्ट्र एक दूसरे की मदद करें। 
  4. लाहौर-दिल्ली बस सेवा: अभी हाल के वर्षों में भारत व पाकिस्तान के बीच लाहौर-दिल्ली बस सेवा बहाल करने पर सहमति बनी। आतंकवादी घटनाओं के बाद भारत व पाकिस्तान के बीच चल रही बस सेवा को रोक दिया गया, लेकिन आज वह बस सेवा दोनों देशों के नागरिकों के लिए सहायक बन रही है। 
  5. परस्पर विश्वास: दोनों देशों के बीच युद्ध के संकट को कम करने तथा विश्वास बहाली के उपाय करने पर सहमति हुई है। जिसमें अनेक महत्त्वपूर्ण हस्तियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने समय-समय पर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाकर दोनों देशों के बीच दोस्ती का माहौल बनाने का प्रयास किया है, जिसके परिणामस्वरूप कई बार यातायात के लिए भारत व पाकिस्तान ने अपने मार्ग खोले हैं और अब आसानी से वीजा भी प्राप्त हो जाते है। 

स्टोरी हाइलाइट्स

  • सिंधु जल विवाद पर बात करने आ रहा है पाक डेलीगेशन
  • 1960 में हुआ था भारत-पाक समझौता

पाकिस्तान से पांच सदस्यीय डेलीगेशन सिंधु जल विवाद को लेकर बातचीत करने के लिए भारत आ रहा है. यह बातचीत 30-31 मई को नई दिल्ली में हो सकती है. ये डेलीगेशन वाघा बॉर्डर के रास्ते से भारत आएगा. 
पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त सैयद मोहम्मद मेहर अली शाह ने बताया पाक अखबार 'डॉन' को बताया कि इस बैठक में  वार्षिक रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी. इसके अलावा पाकल डल और लोअर कलनई बांध की यात्रा नही की जाएगी, लेकिन अन्य परियोजनाओं पर चर्चा की जाएगी.

जल विवाद भी है बड़ा मुद्दा 

भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के विभिन्न मुद्दों में पानी एक बड़ा मुद्दा है. यह मुद्दा इतना महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के बीच युद्ध हो जाने के बाद भी सिंधु समझौता तोड़ा नहीं गया. हालांकि 2008 मुंबई हमले और 2019 में जब धारा 370 हटाई गई तो इस समझौते को तोड़ने की मांग भी की गई, लेकिन इसको तोड़ना आसान नहीं है. 

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11 लाख किमी में फैला है सिंधु का इलाका 

सिंधु नदी का इलाका करीब 11.2 लाख किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. ये इलाका पाकिस्तान में 47 फीसदी, भारत में 39 फीसदी, चीन में 8 फीसदी और अफगानिस्तान में 6 फीसदी है. एक आंकड़े के मुताबिक करीब 30 करोड़ लोग सिंधु नदी के आसपास के इलाकों में रहते हैं. 

सिंधु जल समझौते की प्रमुख बातें 

1. साल 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. 
2. इसमें सिंधु की सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में बांटा गया. सतलज, ब्यास और रावी नदियों को पूर्वी और झेलम, चेनाब और सिंधु को पश्चिमी नदी बताया गया.
3. पूर्वी नदियों का पानी, कुछ अपवादों को छोड़े दें तो भारत बिना रोकटोक के इस्तेमाल कर सकता है. पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान के लिए होगा, लेकिन समझौते के भीतर इन नदियों के पानी का कुछ सीमित इस्तेमाल का अधिकार भारत को दिया गया. 
4. इस समझौते में एक स्थायी सिंधु आयोग की स्थापना हुई. इसमें दोनों देशों के कमिश्नरों के मिलने का प्रस्ताव था. ये कमिश्नर हर कुछ वक्त में एक दूसरे से मिलेंगे.
5. अगर कोई देश किसी प्रोजेक्ट पर काम करता है और दूसरे देश को उस पर आपत्ति है तो दूसरा देश उसका जवाब देगा. इसके बाद दोनों पक्षों की बैठकें होंगी. अगर आयोग समस्या का निकाल पाता है तो सरकारें सुलझाने की कोशिश करेंगी.
6.इसके अलावा समझौते में विवादों का हल ढूंढने के लिए विशेषज्ञ की मदद लेने या कोर्ट ऑफ आर्ब्रिट्रेशन में जाने का भी रास्ता है.

तुलबुल परियोजना का विरोध 

भारत ने 1987 में पाकिस्तान के विरोध के बाद झेलम नदी पर तुलबुल परियोजना का काम रोक दिया था. इसे लेकर पाकिस्तान कई बार बाधाएं अटका चुका है. यह विवाद अंतरराष्ट्रीय पंचाट में विश्व बैंक के पास जा चुका है. हालांकि भारत के ऐतराज के बाद विश्व बैंक ने कदम पीछे खींच लिए थे. 

क्या है संधु समझौते पर विवाद? 

सिंधु घाटी समझौते के तहत भारत को पाकिस्तान के हिस्से वाली नदियों के जल का इस्तेमाल सिंचाई, परिवहन और बिजली उत्‍पादन में करने की अनुमति है. भारत इस समझौते के मुताबिक, सिंधु नदी के पानी का केवल 20 फीसदी ही इस्तेमाल करता है. हालांकि इसके विवाद की मुख्य वजह यही है कि यह संधि जब हुई थी, उस समय पाकिस्तान के साथ भारत का कोई युद्ध नहीं हुआ था और अब वो सीमापार से लगातार आतंकियों की भारत में घुसपैठ करा रहा है. 
 

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भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में क्या समझौते हुए?

भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच कई साल चली वार्ता के बाद दोनों देशों के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में सिंधु-तास समझौता सितंबर 1960 में हुआ था. उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के उस समय के नेता जनरल अयूब ख़ान ने कराची में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का मूल कारण क्या है?

भारत पाकिस्तान सीमा विवाद ग़ौरतलब है कि सर क्रीक सीमा रेखा विवाद कच्छ और सिंध के बीच समुद्री सीमा रेखा की अस्पष्टता के कारण है। आज़ादी से पहले, ये क्षेत्र ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी का भाग था। 1947 में भारत की आज़ादी के बाद सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बन गया, जबकि कच्छ भारत का ही हिस्सा रहा।

वर्ष 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच कौन सा समझौता हुआ था?

यूं हुआ था शिमला समझौता 2-3 जुलाई 1972 की आधी रात को यह समझौता हुआ। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच 2 जुलाई की रात 10.30 बजे के करीब शुरू हुई बातचीत देर रात 12 बजकर 40 मिनट तक चली। इसी समय भारत-पाकिस्तान के बीच एक समझौते के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए।

भारत और पाकिस्तान के संबंध कैसे हैं?

दोनों देशों के मध्य व्यापारिक रिश्ते पूरी तरफ ढप हैं. प्राणरक्षक दवाइयों के अतिरिक्त अन्य किसी तरह के उत्पादों पर आयात पर पाकिस्तान सरकार द्वारा पूरी तरह से रोक लगाई गई हैं. जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35A की बर्खास्तगी और दो बड़े आतंकवादी हमलों के बाद दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो पाए हैं.