लघु – उत्तरीय प्रश्न 1. पोषी -स्तर क्या है ? एक आहार श्रृंखला द्वारा समझाइए | उत्तर – आहार श्रृंखला का प्रत्येक चरण या स्तर पोषी – स्तर कहलाता है | आहार श्रृंखला कई पोषी – स्तरों की बनी होती है |
घास के मैदान वाले पारिस्थितिक तंत्र में निम्नलिखित आहार
श्रृंखला हो सकती है –
घास ⇒ ग्रासहॉपर ⇒ गिरगिट
⇒ बाज
( प्रथम पोषी – स्तर ) ( द्वितीय पोषी – स्तर ) ( तृतीय पोषी – स्तर ) ( चतुर्थ पोषी – स्तर ) 2. पारितंत्र में अपमार्जकों की
क्या भूमिका होती है ? उत्तर – प्राकृतिक पारितंत्र में जीवाणु और कवक-जैसे सूक्ष्मजीव मृत जैव अवशेषों का अपघटन कर जटिल कार्बनिक पदार्थो को सरल अकार्बनिक पदार्थो में बदल देते हैं, जो पौधों के द्वारा पुन: उपयोग में आते हैं | इनके द्वारा प्रदुषण पर नियंत्रण होता है | 3. पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण कैसे होता है ? उत्तर – जीवमंडल के जीवों का
एक-दुसरेसे तथा अजैव भौतिक वातावरण से गहरा संबंध है | किसी क्षेत्र के सभी जीव ( पौधे, जंतु, सूक्ष्मजीव एवं मानव ) तथा वातावरण के अजैव कारक संयुक्त रूप में पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं | यह जीवमंडल की एक स्वपोषित संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई होती है | 4. ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ? उत्तर – ओजोन ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना एक अणु है
जिसका रासायनिक सूत्र O3 है यह 15 km से 50 km की ऊँचाई पर वायुमंडल की ऊपरी सतह पर एक सुरक्षात्मक छतरी का निर्माण करता है | यह सूर्य-प्रकाश में मौजदू घातक पराबैंगनी विकिरणों को अवशोषित कर त्वचा-कैंसर जैसे अनेक घातक रोगों से हमारी रक्षा करता है | 5. पर्यावरण की सुरक्षा कैसे की जा सकती है ? उत्तर – निम्नलिखित बातों पर अम्ल करने से पर्यावरण की सुरक्षा संभव है |
6. उपभोक्ता किसे कहते हैं ? उत्तर – ऐसे जीव जो अपने पोषण के लिए पूर्णरूप से उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं | सभी परपोषी उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं | 7. पर्यावरण-मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-कौन से परिवर्तन ला सकते हैं ? उत्तर – पर्यावरण की सुरक्षा ही पर्यावरण-मित्र बनना है | मूलतः वनों की सुरक्षा पर्यावरण की सुरक्षा है | अतः वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना चाहिए | पर्यावरण-मित्र बनने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग, अनुपयोगी वस्तुओं का पुन: उपयोग एवं वस्तुओं के पुनार्चालन की आदत डालनी चाहिए | ऊर्जा के उपयोग के लिए गैर-परंपरागत स्त्रोतों का उपयोग भी पर्यावरण-मित्र बनना ही है | 8. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक का क्या कार्य है ? उत्तर – उत्प्पदक पारिस्थितिक तंत्र का महत्त्वपूर्ण घटक है | हरे पौधे एकमात्र उत्पादक हैं | यह प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनते हैं | प्रकाश संश्लेषण क्रिया के फलस्वरूप कार्बनिक यौगिक ( कर्बोहाइड्रेट ) का निर्माण करते हैं जो हरे पौधे में विभिन्न रूपों में ऊतकों में संचित रहता है | पौधे पर ही पारिस्थितिक तंत्र के सारे सजीव निर्भर करते हैं अर्थात् यह सभी सजीवों को पोषण प्रदान करते हैं | दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1. आहार श्रृंखला से आप क्या समझते हैं ? उत्तर – आहार श्रृंखला पारिस्थितिक तंत्र का महत्त्वपूर्ण तरीका है | इसमें ऊर्जा का श्रृंखलाबद्ध संचार होता है | एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का एकपथीय प्रवाह उसमें स्थित श्रृंखलाबद्ध तरीके से जुड़े जीवों के द्वारा होता है | जीवों की इस श्रृंखला कोआहार श्रृंखला कहते हैं | अर्थात् आहार श्रृंखला, श्रृंखलाबद्ध तरीके से एकपथीय दिशा में व्यवस्थित वैसे जीवों के समूह हैं जिसमें एक जीव श्रृंखला में अपने से ठीक निचे स्थित जीव को खाता है तथा स्वयं उसी श्रृंखला में अपने से ठीक ऊपर स्थित जीव द्वारा खाया जाता है | उदाहरण: घास ( पौधे ) → बकरी → बाघ शैवाल → छोटे जंतु → छोटी मछली → बड़ी मछली घास → ग्रासहॉपर → मेढ़क → सर्प → गिद्ध इस श्रृंखला में घास ( पौधे ) उत्पादक, बकरी, छोटे-जंतु, ग्रासहॉपर प्राथमिक उपभोक्ता तथा उनके बाद वाले द्वितीय उपभोक्ता कहलाते हैं | इस तरह आहार की श्रृंखला बनाती है | 2. पारिस्थितिक तंत्र क्या है? पारिस्थितिक तंत्र की संरचना का संक्षिप्त वर्णन करें | उत्तर – पारिस्थितक तंत्र, जीवमंडल की एक स्व-संपोषित संरच्यानात्मक एवं कार्यात्मक इकाई है | एक पारिस्थितिक तंत्र की रचना दो मुख्य अवयवों द्वारा होती है – ( क ) अजैव अवयव एवं ( ख ) जैव अवयव | ( क ) अजैव अवयव – इन्हें दो वर्गों में बाँटा गया है
(ख) जैव अवयव – इन्हें तीन वर्गों में बाँटा गया है –
3. जैव आवर्धन किसे कहते हैं ? उत्तर – बहुत-से रासायनिक पदार्थो; जैसे कीटनाशक, उर्वरक आदि का उपयोग फसलों की उत्पादकता बढ़ाने एवं इन्हें रोगों से बचने के लिए किया जाता है | आहार श्रृंखला द्वारा ये रसायन विभिन्न पोषी स्तरों से अंततः मानव शरीर में प्रविष्ट हो जाता है | मिट्टी या जल से पौधों के शरीर में सर्वप्रथम इन हानिकारक रसायनों का प्रवेश होता है जो जन्तुओं से होता हुआ मनुष्य के शरीर में आता है; क्योंकि आहार श्रृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ जीव हैं | इस क्रिया के दौरान जैव अनिम्निकरानीय ( non-biodegradable ) पदार्थो की मात्रा पहले पोषी स्तर से अगले पोषी स्तर में क्रमशः बढ़ती जाती है | इस क्रिया को जैव-आवर्धन ( bio-magnification ) कहते हैं | इसी क्रिया के चलते हमारे खाद्य-पसर्थों ( फल, सब्जी, माँस मछली तथा खाद्यान्नों ) में हानिकारक रसायन एकत्रित हो जाते हैं जिसे पानी से धोने या अन्य तरीकों से भी अलग नहीं किया जा सकता है | इनके सेवन से मनुष्य में विभिन्न प्रकार के बीमारियाँ पैदा होती हैं | 4. जैव अनिम्निकरण अपशिष्टों से पर्यावरण को क्या हानि पहुँचती है ? उतर – जैव अनिम्निकरण अपशिष्टों से पर्यावरण को निम्नलिखित हानि पहुँचती है –
5. ओजोन क्या है ? इसके स्तर में अवक्षय होने से हमें क्या नुकसान हो सकता है ? उत्तर – ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना यह एक गैस है | जो वायुमंडल में 15 किलोमीटर से लेकर 50 किलोमीटर ऊँचाई वाले क्षेत्र के बीच एक स्तर के रूप में पर्य जाता है | यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकता है | कुछ रसायन गैसे क्लोरोफ्लोरो कार्बन ( CFC ), फ्लोरोकार्बन ( FC ) ओजोन से अभिक्रिया कर आण्विक ( O2 ) एवं परमाण्विक ( O ) ऑक्सीजन के रूप में विखंडित कर ओजोन स्तर को अवक्षय कर रहे हैं | इसके अवक्षय होने से सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणें सीधे पृथ्वी पर पहुँच जायेंगे | इससे सभी जीव-जन्तुओं को हानि पहुँच सकता है | अंटार्टिका के ऊपर ओजोन के स्तर में इतनी कमी आई है की इसे ओजोन छिद्र तक कहा जा रहा है | ऐसा होने से हिमालय का बर्फ पिघल सकता है और समुद्र का जल स्तर अधिक ऊपर उठ जायेगा जिससे बड़े समुद्र के किनारे बसे शहर पानी से डूबा सकते हैं | 6. पिड़कनाशी अगर अपधटित न हो तो आहार श्रृंखला में उसका क्या प्रभाव पड़ेगा ? उत्तर -आहार श्रृंखला का एक आयाम यह है कि हमारी जानकारी के बिना ही कुछ हानिकारक रासायनिक पदार्थ आहार श्रृंखला से होते हुए हमारे शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं | हम जानते हैं की जल प्रदुषण किस प्रकार होता है | इसका एक कारण है की विभिन्न फसलों को रोग एवं पिड़कों से बचने के लिए पिड़कनाशक एवं रसायनों का अत्यधिक प्रयोग करना है | ये रसायन बहकर मिट्टियों में अथवा जल स्रोत में चले जाते हैं | मिट्टी से इन पदार्थों का पौधे द्वारा जल एवं खनिजों के साथ-साथ अवशोषण हो जाता है तथा जलाशयों से यह जलीय पौधों एवं जन्तुओं में प्रवेश कर पते हैं | यह केवल एक तरीका है जिससे यह आहार श्रृंखला में प्रवेश करते हैं | क्योंकि यह पदार्थ अजैव निम्नीकृत हैं, यह प्रत्येक पोषी-स्तर पर उत्तरोत्तर संगृहीत होते जाता हैं क्योंकि किसी भी आहार श्रृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ है, अतः हमारे शरीर में यह रसायन सर्वाधिक मात्र में संचित हो जाते हैं | इसे जैव आवर्धन कहते हैं | यही कारण है की हमारे खाद्यान्न गेहूँ तथा चावल, सब्जियाँ, फल तथा मांस में पिड़क रसायन के अवशिष्ट विभिन्न मात्रा में उपस्थित होते हैं | वास्तव में पिड़कनाशी का अपघटन आहार श्रृंखला में नहीं होता है | ये पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर जनक होते जाते हैं | जिसके कारण हमारे खाद्यान्न में ये उपस्थित रहते हैं | जिन्हें हम इसे धोकर या किसी अन्य प्रकार से अलग नहीं कर सकते हैं | 7. आहार श्रृंखला क्या है ? इसे एक उदाहरण द्वारा समझाएँ | उत्तर – एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का एकपथीय प्रवांह उसमें स्थित श्रृंखलाबद्ध तरीके से जुड़े जीवों के द्वारा होता है | जीवों की इस श्रृंखला को आहार श्रृंखला ( food chain ) कहते हैं | आहार श्रृंखला का प्रत्येक चरण एक पोषी-स्तर बनता है | उत्पादक ( हरे पौधे ) सौर-ऊर्जा का प्रग्रहण करते हैं | उत्पादक को प्राथमिक उपभोक्ता ( शाकाहारी जंतु ) खाते हैं, फिर शाकाहारी जन्तुओं को द्वितीयक उपभोक्ता ( मांसाहारी जंतु ) खाते हैं और फिर इन्हें उच्चतम श्रेणी के मांसाहारी जंतु तृतीयक उपभोक्ता के रूप में खा सकते हैं | इस प्रकार, भोजन के रूप में ऊर्जा का प्रवाह एक जीव से दुसरे जीवों में सदा एकपथीय दिशा में होता है और यही आहार श्रृंखला कहलाता है | Learn More Chapters Download PDF 5 पारिस्थितिक तंत्र में अपघटन कर्ता की क्या भूमिका होती है?Solution : पारिस्थितिक संतुलन को कायम रखने में अपघटन की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह पौधे तथा जन्तुओं के मृत शरीर तथा अन्य वर्ज्य पदार्थों का जीवाणुओं और कवकों के द्वारा अपघटन करता है। ये जीवाणु मृत जीवों के शरीर में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्वों में मुक्त कर देते हैं।
किसी पारिस्थितिक तंत्र में अपघटक की क्या भूमिका होती है?Solution : अपघटक जीवों के अपशिष्ट पदार्थों को और आमतौर पर मृत जीवों के शरीर के भागों को सरल पदार्थों में तोड़कर अपना भोजन प्राप्त करते हैं। ये तत्वों के प्राकृतिक चक्रीकरण में अहम भूमिका निभाते हैं।
पारितंत्र में अपघटन का काम कौन करता है?<br> (iii) कुछ जीवाणु तथा कवक मृत पौधों और जन्तुओं के शरीरों का अपघटन करते हैं, जिससे वे पुन: पृथ्वी के पोषक भंडार (मृदा, वायु व जल) में पहुँच जाते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र से आप क्या समझते हैं इस तंत्र के विभिन्न घटकों का वर्णन कीजिए?उपर्युक्त परिभाषा से स्पष्ट होता है कि पारिस्थितिक-तंत्र एक क्षेत्र विशेष में विकसित एक इकाई है जिसमें विभिन्न जीवों का समूह विकसित होता है इसमें विभिन्न प्रकार के पादप, वनस्पति, जल, जीव, स्थलीय जीव सम्मिलित होते हैं । ये जीव प्राथमिक उत्पादक, द्वितीय उत्पादक या उपभोक्ता एवं अपघटक के रूप में होते हैं ।
पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादन की क्या भूमिका है?उत्पादक की भूमिका होती है की वह अपने से ऊपर के स्तर वाले प्राणियों और जीवों को खाना प्रदान करे। उत्पादक से ऊपर के स्तर के प्राणी उत्पादकों द्वारा बनाए गए खाने को खाते हैं और फिर उन प्राणियों को उनसे श्रेष्ठ स्तर के जीव अपना भोजन बनाते हैं। पारिस्थितिक तन्त्र ऐसे ही कार्य करता है।
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