कवि बाग-बगीचा धरती को हरा-भरा बनाए रखने के लिए लगाना चाहता है ताकि वहाँ फूल-फल खिलें और अपनी खुशबू फैलाए, चिड़ियाँ चहचहाएँ और ताजी हवा जलाशय से होकर बहे। Show ख. कविता में कवि की क्या विनती है? उत्तर (ii) कब लगाया था? (iii) देखभाल की या नहीं?(iv) क्या वह पेड़/पौधा अब भी मौजूद है? उत्तर व्यक्ति एक (i) अमरुद (ii) चार साल (iii) देखभाल की थी। (iv) नहीं व्यक्ति दो (i) निम्बू (ii) दो साल (iii) देखभाल नहीं की थी। (iv) नहीं व्यक्ति तीन (i) आम (ii) तीन साल (iii) देखभाल की थी। (iv) हाँ व्यक्ति चार (i) नारियल (ii) छ साल (iii) देखभाल की थी। (iv) हाँ पृष्ठ संख्या: 27 6. खोजबीन आज की सभ्यता हम सब को क्या बाँट रही है?आज सभ्यता वहशी बन, पेड़ों को काट रही है ज़हर फेफड़ों में भरकर हम सब को बाँट रही है।
कवि थोड़ी धरती में क्या लगाना चाहता है?कवि बाग-बगीचा धरती को हरा-भरा बनाए रखने के लिए लगाना चाहता है ताकि वहाँ फूल-फल खिलें और अपनी खुशबू फैलाए, चिड़ियाँ चहचहाएँ और ताजी हवा जलाशय से होकर बहे।
थोड़ी धरती पाऊँ कविता के कवि का नाम क्या है?इस कविता के रचयिता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना है। कवि ने इस कविता में पर्यावरण के लिए जंगल के महत्व के बारे में लिखा है। कवि चाहता है कि उसके पास जमीन का एक छोटा टुकड़ा हो जिसपर वह बगीचा लगा सके। उसकी इच्छा है कि उस बगीचे में फूल खिलें, फल लगें और प्यारी खुशबू व्याप्त रहे।
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