कैबिनेट मिशन की आवश्यकता ☄कैबिनेट मिशन का भारत आगमन☄ सुझाव ब्रिटिश भारतीय सदस्य तीन भागों में विभक्त होंगे जो निम्न प्रकार
है मुख्य आयुक्त के प्रांत दिल्ली, अजमेर-मारवाड़ और कुर्ग गुट “अ” में शामिल किए जाएंगे प्रांतों को पूर्ण स्वायत्तता का देना एक प्रकार से पाकिस्तान का “सार” था यह स्पष्ट था की गुट “ब” और गुट
“स”मुसलमानों के अाधिपत्य में होंगे ☄संविधान सभा के गठन में कैबिनेट मिशन के सुझाव☄
☄भारतीय रियासतों के संबंध में शिष्टमंडल के विचार☄
☄कैबिनेट मिशन द्वारा पाकिस्तान की मांग को अस्वीकृत करने के
कारण☄ पहला कारण-यह था कि पाकिस्तान बनने से उन अल्पसंख्यकों की समस्या जो मुसलमान नहीं है वह हल नहीं होगी यह लोग उत्तर पश्चिम क्षेत्र में समस्त जनसंख्या का 37.99% होंगे और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 48.3 प्रतिशत होंगे उनके अनुसार बंगाल ,आसाम और पंजाब जैसे मुस्लिम बहुसंख्यक प्रांतों को पाकिस्तान में सम्मिलित करने का कोई तर्क नहीं है वास्तव में वह सभी तर्क जो पाकिस्तान बनाने के पक्ष में दिए जाते थे वही उसके विरुद्ध दिए जो सही है पंजाब और बंगाल का बंटवारा करके एक छोटा सा पाकिस्तान बनाने का कोई लाभ नहीं होगा और यह सब इन प्रांतों के वासियों की इच्छाओं के विरुद्ध होगा दूसरा मुख्य कारण-भारत की संचार और डाक तार व्यवस्था को बांटने का कोई लाभ नहीं होगा तीसरा कारण-सेना को बांटने से देश को बहुत हानि होगी चतुर्थ कारण-रियासतों का एक अथवा दूसरे संघ में सम्मिलित होना बहुत कठिन होगा पाकिस्तान के दो भागों की एक दूसरे से 700 मील की दूरी उसके हित में नहीं होगी और युद्ध तथा शान्ति की स्थिति में संचार व्यवस्था भारत के सद्भाव पर ही निर्भर होगी वास्तव में यह सभी तर्क ठीक थे और देश के बटवारे के विरुद्ध थे अतएव शिष्टमंडल ने यह सुझाव दिया कि केंद्र एक हो जो कुछ कुछ निश्चित विषय पर नियंत्रण रखें संभवत: उनके मन में 1876 में ऑस्ट्रिया-हंगरी में स्थापित दोहरी राजशाही और संघ का विचार था ☄कैबिनेट मिशन योजना के गुण और अवगुण☄
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