1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का कारण क्या था

जानें भारत ‌- पाकिस्तान के बीच कितने युद्ध हुए और उनके क्या कारण थे

वर्ष 1947 में ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्र होने के बाद भारत से अलग कर पाकिस्तान बनाया गया था । भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की श्रृंखला को भारत– पाकिस्तान युद्ध का नाम दिया जाता है । सबसे हिंसक युद्ध 1947-48, 1965, 1971 और 1999 में हुए। युद्ध के अन्य कई कारणों में सीमा विवाद, कश्मीर समस्या, जल विवाद और आतंकवाद के मुद्दे पर विवाद रहे हैं।

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का कारण क्या था

वर्ष 1947 में, पाकिस्तान, भारत से ब्रिटिश शासन से आजाद होने के बाद बना था. भारत और पाकिस्तान के बीच की युद्ध श्रृंखला को भारत-पाकिस्तान युद्ध का नाम दिया गया है. क्या आप जानते हैं कि 1965 में कच्छ के रण में पकिस्तान ने अपनी झड़प शुरू की थी और इस ऑपरेशन का नाम 'डेजर्ट हॉक' रखा था. जंग की जड़ें हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच दुश्मनी और शुरुआत में स्वराज्य रियासतों के स्वभाव में ही थीं. इसके अलावा, युद्ध के अन्य कई कारणों में सीमा विवाद, कश्मीर समस्या, जल विवाद और आतंकवाद के मुद्दे पर विवाद रहे हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे पहला युद्ध कब और क्यों हुआ था. बाकी युद्ध कब हुए और उसके क्या परिणाम थे. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

भारत– पाकिस्तान युद्धों के कारण और उनके प्रभाव इस प्रकार हैं–

1. भारत – पाकिस्तान युद्ध 1947- 48

कारण

– भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का केंद्र कश्मीर समस्या थी।

– वर्ष 1947में जब भारत का विभाजन हुआ था, मुस्लिम बहुल कश्मीर के हिन्दू शासक महाराजा हरि सिंह ने स्वतंत्र कश्मीर राज्य का सपना देखा था। हालांकि सितंबर 1947 में जब कश्मीर के पश्चिमी हिस्से में मुसलमानों की हत्या की गई, तब राज्य में विभाजन के दंगे भड़क गए। इसकी वजह से राज्य की जनता ने महाराजा के खिलाफ विद्रोह कर दिया और खुद के आजाद कश्मीर सरकार की घोषणा कर दी।

– इस मौके को अवसर के तौर पर लेते हुए पाकिस्तान ने कश्मीर में पाकिस्तानी कबायली (tribal) सेनाओं को भेजा जो राज्य की राजधानी श्रीनगर से सिर्फ पंद्रह मील दूर थी ।

– इस घुसपैठ से चिंतित होकर महाराजा ने भारत से सहायता मांगी। हालांकि, भारत ने उन्हें भारत में विलय करने के संबंधी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को कहा। महाराजा हरि सिंह ने उस पर हस्ताक्षर किए और नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ कश्मीर के नेता शेख अब्दुल्ला ने इस पर अनुमति दी, भारत ने जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय को स्वीकारा । आखिरकार, भारत ने कश्मीर में अपनी सेना भेजी जबकि पाकिस्तान ने आजाद कश्मीर आंदोलन की सहायता के लिए सैन्य सहायता को भेजा।

प्रभावः

– भारत– पाकिस्तान युद्ध गतिरोध के साथ समाप्त हुआ क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नेहरू ने पाकिस्तान को जम्मू और कश्मीर से अपनी अनियमित सेना को वापस बुलाने हेतु कोशिश करने और उसे मजबूर करने के लिए नव निर्मित संयुक्त राष्ट्र संगठन के माध्यम से राजनयिक साधनों का उपयोग कर आदर्शवादी मार्ग अपनाया। यूएनएससी प्रस्ताव 39 और 47 भारत के पक्ष में नहीं थे और पाकिस्तान ने इन प्रस्तावों को मानने से इनकार कर दिया था।

– इसलिए, पाकिस्तान के नियंत्रण में भारत में जम्मू और कश्मीर का एक हिस्सा है जिसे "पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके)"कहते हैं और पाकिस्तान में भारतीय कश्मीर को "भारत अधिकृत कश्मीर" कहा जाता है।

यह समस्या दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दे में से एक रही है।

2. 1965 का भारत– पाकिस्तान युद्ध

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का कारण क्या था

1965 का भारत– पाकिस्तान युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच कई विवादों की वजह से हुआ था ।

कारणः

– भारत के विभाजन में नदी जल बंटवारेको लेकर भी विवाद हुआ था । लगभग सभी नदियों – सिंधु, चिनाब, सतलुज, ब्यास और रावी का पानी भारत से होकर गुजरता है। वर्ष 1948में भारत ने इन नदियों के पानी को बंद कर दिया था।

– वर्ष 1960 में नेहरू और अयूब खान के बीच हुए सिंधु जल संधि द्वारा इस विवाद का अंत हुआ। इसके बाद पाकिस्तान झेलम, चेनाब और सिंधु नदी का पानी इस्तेमाल कर सकता था जबकि भारत सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का।

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Source: www.media.licdn.com

– इसके बाद सीमा आयोग ने सीमा विवादको सुलझाने की कोशिश की। वर्ष 1965 में पाकिस्तान के कच्छ सीमा के पास हमला किया जिससे विवाद शुरु हो गया। भारत ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र में उठाया। इसे भारत की कमजोरी समझते हुए पाकिस्तान ने कश्मीर में उपद्रव मचाने की कोशिश की। 5 अगस्त 1965 को पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LOC) पर सेना को तैनात कर दिया था।

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प्रभावः

– पाकिस्तान के जिब्राल्टर अभियान जिसे जम्मू और कश्मीर में भारत के शासन के खिलाफ अनियमित "जिहादी" बलों की घुसपैठ के लिए डिजाइन किया गया था, की वजह से युद्ध शुरु हुआ।

– संयुक्त राष्ट्र के निर्दिष्ट संघर्ष विराम के बाद युद्ध समाप्त हुआ और ताशकंद घोषणा को जारी किया गया।

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का कारण क्या था

नोटःताशकंद घोषणापत्रपर पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान और भारत के प्रधानमंत्री शास्त्री ने सभी विवादों का द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हल निकालने और शांति से जीवन जीने के प्रयास हेतु हस्ताक्षर किया था। इस समझौते पर 10 जनवरी 1966को हस्ताक्षर किया गया था।

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का कारण क्या था

हालांकि, युद्ध के समाप्त होने पर, कई पाकिस्तानी नागरिकों ने सेना के प्रदर्शन को सकारात्मक माना। 6 सितंबर का दिन पाकिस्तान में भारतीय सेना के खिलाफ लाहौर में सफल सुरक्षा की याद में रक्षा दिवसके तौर पर मनाया जाता है।

ताशकंद घोषणा के बाद दोनों ही देशों का मोहभंग हो गया था और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जेड. ए. भुट्टो ने कहा था कि 'इस्लामिक संस्कृति' को नष्ट करने के लिए 'हिन्दू संस्कृति' को निर्धारित किया गया है।  

– कश्मीर विवाद का हल पर पाकिस्तान ने सख्त रवैया दिखाया।

– पाकिस्तान ने चीन को पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित (Gilgit) में सड़क का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी।

– विवाद गंगा के पानी के इस्तेमाल और फरक्का बांध के निर्माण को लेकर भी हुआ था।

– इन कारणों से 1971 में दोनों देशों के बीच आपसी संबंध सबसे नीचले स्तर पर पहुंच गए, जिसका नतीजा हुआ पूर्वी पाकिस्तान में बेहद अराजकता के बीच आपातकालीन गृहयुद्ध। इसलिए पाकिस्तान के साथ एक और युद्ध की शुरुआत होने को थी ।

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3. वर्ष 1971 का भारत– पाकिस्तान युद्धः

कारणः

– विभाजन के बाद बंगाल का पूर्वी हिस्सा, पूर्वी पाकिस्तान के तौर पर, पाकिस्तान से जुड़ गया और पाकिस्तान के इन दो हिस्सों के बीच भारत की 1200 मीलोंकी सीमा पड़ती थी । इसके अलावा, पाकिस्तान की सैन्य सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान पर अधिक ध्यान नहीं दिया और उन पर उर्दू भाषा को थोप दिया।

– संघर्ष की वजह पूर्व बंगाल के शेख मुजीबुर रहमान को प्रमुख न बनाया जाना रहा था। रहमान की पार्टी ने 1970 में हुए चुनावों में 300 सीटों में से 160 सीटें जीती थीं।

– पाकिस्तानी नेता जेड.ए. भुट्टो और राष्ट्रपति याहया खान ने पूर्व बंगाल को अधिकार देने से इनकार कर दिया था।

प्रभाव

– जब पाकिस्तान ने कश्मीर में भारतीय हवाईअड्डों पर हमला किया, तब भारत ने पूर्व और पश्चिम दोनों ही पाकिस्तान पर हमला बोल दिया।

– भारत ने पूर्वी हिस्से पर कब्जा कर लिया जिसे 6 दिसंबर 1971 को बांग्लादेशनाम के नए देश के नाम से स्वतंत्र घोषित किया गया।

– दोनों ही देश संघर्ष विराम के लिए सहमत हुए और 1972 में जेड.ए.भुट्टो पाकिस्तान के नेता के तौर पर उभरे और मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने।  

– बातचीत भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जेड.ए. भुट्टो के बीच हुई। परिणामस्वरूप जून 1972 में दोनों देशों के बीच शांति और व्यवस्था बहाली हेतु शिमला समझौतेपर हस्ताक्षर किया गया।

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Source: 12th NCERT

शिमला समझौते के उद्देश्य हैं–

– भारत द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से विवादों और समस्याओं का शांतिपूर्ण समाधान तलाशेगाऔर न तो भारत और न ही पाकिस्तान मौजूदा परिस्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश करेंगे।

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का कारण क्या था

दोनों ही देश एक दूसरे के खिलाफ सेना का प्रयोग नहीं करेंगे, न ही सीमा की अखंडता का उल्लंघन करेंगे और न ही एक दूसरे की राजनीतिक स्वतंत्रता में दखल देंगे।

नोटः1971 की जंग 13 दिनों तक चली थी और इसे इतिहास के सबसे छोटे जंगों में से एक माना जाता है। इससे छोटी जंग अरबों और इस्राइलियों के बीच हुई थी जो सिर्फ छह दिनों तक चली थी।

4. वर्ष 1999 का भारत– पाकिस्तान युद्धः

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का कारण क्या था

Source: NCERT

कारणः

– जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले र नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान के सैनिकों और कश्मीरी आतंकवादियों की घुसपैठ इस युद्ध की वजह थी।

– लद्दाख की भारतीय सीमा को राज्य के उत्तरी इलाके से अलग करने वाले इस इलाके में घुसपैठ ने भारतीय सेना को चौंका दिया और कारगिल क्षेत्र से दुश्मनों को निकाल बाहर करने के लिए तत्काल ऑपरेशन विजयचलाया गया।

– राज्य के द्रास– कारगिल क्षेत्र की सबसे उंची चोटियों में से एक टाइगर हिलयुद्ध के दौरान केंद्र बिन्दु बना था ।

– भारतीय वायु सेना ने अभियान में हिस्सा लिया और अंततः 60 से अधिक दिनों तक चले इस युद्ध में भारत ने टाइगर हिल पर अपना कब्जा जमाया और पाकिस्तानी सेना को उनकी सीमा में वापस भेज दिया।

प्रभावः

– दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता बनाए रखने एवं अपनी जनता की उन्नति एवं समृद्धि के लिए भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ 21 फरवरी 1999 को लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया।

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1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के क्या कारण थे?

7 सितंबर को भारतीय फौजों ने सियालकोट सेक्टर में बढ़त लेनी शुरू की। इधर अमृतसर पर कब्ज़े के इरादे से 7 सितंबर को पाकिस्तान ने खेमकरण पर हमला बोला आैर 8 सितंबर तक असल उत्तर गांव तक आ पहुंचा आैर यहां लड़े गए टैंक युद्ध को सबसे भीषण युद्ध में से एक कहा गया।

1965 का युद्ध क्यों हुआ था?

इस लड़ाई की शुरूआत पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को घुसपैठियों के रूप में भेज कर इस उम्मीद में की थी कि कश्मीर की जनता भारत के खिलाफ विद्रोह कर देगी। इस अभियान का नाम पाकिस्तान ने युद्धभियान जिब्राल्टर रखा था। पांच महीने तक चलने वाले इस युद्ध में दोनों पक्षों के हजारों लोग मारे गये।

भारत और पाकिस्तान की लड़ाई क्यों हुई थी?

दरअसल, पूर्वी मोर्चे पर पाकिस्‍तान को भारत का मुकाबला करने में काफी परेशानी हो रही थी। ध्‍यान भटकाने के लिए उसने पश्चिमी सेक्‍टर में मोर्चा खोला। मकसद था, युद्ध को लंबा खींचना। भारतीय सेना ने चौंकाने की नीयत से जरपाल इलाके में पाकिस्‍तानी चौकियों पर हमला किया।

1965 में भारत में क्या हुआ था?

वर्ष 1965 में दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध हुआ और संयुक्त राष्ट्र की पहल पर 23 सितंबर के दिन युद्ध विराम हुआ। दोनों देशों के बीच यह लड़ाई मुख्य रूप से पैदल सेना और टैंक डिविजन के बीच लड़ी गई, लेकिन नौसेना ने भी अपना योगदान दिया। यह पहला मौका था जब दोनों देशों की वायु सेना जंग के मैदान में उतरी।