1857 की क्रांति के असफल होने का क्या कारण था class 8 - 1857 kee kraanti ke asaphal hone ka kya kaaran tha chlass 8

    Jharkhand Board Class 8 History Notes | 1857 की क्रांति  

 JAC Board Solution For Class 8TH (Social Science) History Chapter 6

□ आइए जानें:

प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) 1857 ई० की क्रांति को .......... विद्रोह भी कहा जाता है।

(ख) भारतीय सैनिक ............जाना धर्म के विरूद्ध समझते थे।

(ग) नीलांबर-पीतांबर ............. के दो महान स्वतंत्रता सेनानी

थे।

(घ) कंपनी सरकार ने 1856 में ................ राइफल के प्रयोग

की अनुमति दी थी।

(ङ) ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को ............. में फाँसी दी गई।

उत्तर―(क) सिपाही   (ख) समुद्र पार   (ग) पलामू   (घ) इनफील्ड

(ङ) 16 अप्रैल, 1856 ई०

प्रश्न 2. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए―

(क) लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के विरुद्ध क्यों लड़ी?

उत्तर―लॉर्ड डलहौजी ने हड़पो नीति के तहत गोद लेने की प्रथा को

अवैध घोषित कर दिया। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को अंग्रेजों

ने राजा मानने से इन्कार कर दिया और झाँसी को ब्रिटिश राज्य में मिला

लिया । अतः लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी।

(ख) भारतीय सैनिकों ने नई राइफल का प्रयोग करने से क्यों

मना किया था?

उत्तर― नई एनफील्ड राइफल में कारतूस के ऊपरी भाग को मुँह से

काटकर बंदूक में भरना पड़ता था। जनवरी 1857 ई० में बंगाल की सेना

में यह अफवाह फैल गई कि चर्बी वाले कारतूस में गाय एवं सूअर की

चर्बी है, जो हिन्दू तथा मुसलमान दोनों की धार्मिक आस्था पर चोट थी।

इसी वजह से भारतीय सैनिकों की नई राइफल का प्रयोग करने से मना

किया था।

(ग) 1857 की क्रांति कब और कैसे शुरू हुई ?

उत्तर―चर्बी वाले कारतूस की अफवाह सभी छावनियों में तेजी से

फैल गयी। सैनिकों ने इन कारतूसों का प्रयोग करने से मना कर दिया।

29 मार्च, 1857 ई० को अपनी रेजीमेंट बैरकपुर (मुर्शिदाबाद) छाबनी में

मंगल पाण्डे ने अपने साथियों के साथ विद्रोह कर दिया। अंग्रेजों ने मंगल

पाण्डे को फाँसी दे दी। यह सूचना जंगल में आग की तरह फैल गई।

10 मई, 1857 ई० में मेरठ में सिपाहियों ने खुले तौर पर विद्रोह कर दिया ।

(घ) नाना साहेब कौन थे?

उत्तर― नाना साहेब मराठा पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र और

सिपाही विद्रोह के समय के स्वतंत्रता सेनानी थे।

(ङ) झारखंड में 1857 की क्रांति की शुरूआत कब और कैसे

हुई?

उत्तर― दानापुर कैंट में हुए विद्रोह की सूचना से प्रेरित होकर 12 जून,

1857 में रोहिणी गाँव (वर्तमान देवघर और तत्कालीन हजारीबाग) से

क्रांति की शुरूआत हुई। इसका नेतृत्व अमानत अली, सलामत अली तथा

सेख हारूण ने किया जिन्हें फाँसी दे दी गई। 30 जुलाई को हजारीबाग और

2 अगस्त को राँची डोरंडा छावनी, और 31 जुलाई को चुटपाली घाटी में

विद्रोह हुआ।

(च) चुटुपाली घाटी में झारखंड के किन स्वतंत्रता सेनानियों

को फाँसी दी गयी थी?

उत्तर― चुटुपाली घाटी में झारखंड के माधव सिंह, नादिर अली,

डुमराँव सिंह, शेख भिखारी आदि स्वतंत्रता सेनानियों को फाँसी दी गई थी।

□ आइए चर्चा करें:

प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) देशी राजाओं ने 1857 की क्रांति में भारतीय सैनिकों की

मदद क्यों की थी?

उत्तर― लॉर्ड डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार के लिए विलय

या हड़प नीति अपनाई। उसने गोद लेने की प्रथा को अवैध घोषित कर

दिया और सतारा, नागपुर, संथालपुर, झाँसी और बरार आदि राज्यों पर

अधिकार कर लिया था। कुशासन का आरोप लगाकर अबध को ब्रिटिश

राज्य में मिला लिया। मुगल बादशाह को नाजनाराना बंद कर दिया। सिक्कों

पर से बादशाह का नाम हटा दिया गया। इन कारर्वाइयों से कमजोर हो चुके

शासक परिवार परेशान हो गए तथा अन्य शासकों में भी भय फैल गया।

देशी राजाओं की सेनाओं को भंग कर दिया गया। इन सब कारणों से देशी

राजा अंग्रेजों के घोर विरोधी हो गए और 1857 की क्रांति में न केवल

भारतीय सैनिकों की मदद की बल्कि कई राजाओं ने विद्रोह में खुलकर भाग

लिया।

(ख) 1857 की क्रांति के बाद भारत में क्या बदलाव हुआ ?

उत्तर―1857 की क्रांति असफल रही, फिर भी अंग्रेजों को अपनी

नीतियों को बदलना पड़ा। कुछ बदलाव निम्न थे―

(i) कंपनी से भारत पर शासन करने का अधिकार छिन गया और

ब्रिटिश महारानी के हाथ में चला गया।

(ii) भारतीय सिपाहियों की संख्या घटा दी गई। यूरोपीय सिपाहियों की

संख्या बढ़ाई गई। सिपाही के लिए गोरखा, सिक्खों और पठानों की भर्तियाँ 

की गयीं।

(iii) भारत के शासन के लिए एक भारतीय मंत्री या सचिव तथा 16 

सदस्यों वाली इंडिया काउंसिल बनाई गई।

(iv) विलय या हड़प की नीति समाप्त कर दी गई। साम्राज्य विस्तार

की नीति तो समाप्त हो गई पर आर्थिक शोषण का युग प्रारम्भ हो गया।

(v) अंग्रेजों ने भारतीयों के धर्म एवं सामाजिक रीति-रिवाजों का

सम्मान करने का फैसला किया।

(vi) भारतीयों में राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास हुआ।

(ग) भारतीय ऐसा क्यों सोचते थे कि अंग्रेज उन्हें ईसाई बनाने

आए हैं?

उत्तर― कम्पनी सरकार ने समाज सुधार के कई काम किये। सती-प्रथा,

नरबलि को बंद करना, विधवा विवाह को बढ़ावा देना आदि के लिए कानून

बनाया गया। हालाँकि ये कानून भारतीयों के लिए हितकर थे, लेकिन

रूढ़िवादिता के कारण भारतीयों को लगने लगा कि अंग्रेज भारत में अंग्रेजी

सभ्यता का प्रचार चाहते हैं। अंग्रेजी-शिक्षा, स्त्री-शिक्षा, रेल, डाक व तार

आदि का विस्तार होने से उनकी आशंका बढ़ती गई। 1850 ई० में पारित

विधेयक ने उनकी आशंका को और बल दिया जिसमें ईसाई धर्म स्वीकार

करनेवाले व्यक्ति को अपनी पैतृक संपत्ति का हकदार माना गया। इन्हीं

कारणों से भारतीय सोचते थे कि अंग्रेज उन्हें ईसाई बनाने आए हैं।

(घ) 1857 की क्रांति को दबाने के लिए अंग्रेजों ने क्या किया

था?

उत्तर― 1857 की क्रांति को कंपनी ने पूरी ताकत लगाकर कुचलने

का फैसला किया। उन्होंने इंगलैण्ड से और अधिक सैनिक मँगवाए। विद्रोह

के मुख्य केन्द्रों पर धावा बोल दिया गया। विद्रोहियों को सजा जल्दी देने

के लिए नए कानून बनाए। दिल्ली पर कब्जा कर अंतिम मुगल बादशाह

बहादुरशाह द्वितीय पर मुकदमा चलाकर और आजीवन कारावास की सजा

देकर रंगून जेल भेज दिया गया। सैकड़ों सैनिकों, विद्रोहियों नवाबों और

राजाओं को फाँसी पर लटका दिया गया।

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1857 की क्रांति की असफलता के क्या कारण थे?

1857 की क्रांति में आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण क्रांतिकारी आधुनिक शस्त्रों के उपयोग से वंचित रह गए थे जो उनकी असफलता का कारण था। इस क्रांति में क्रांतिकारियों ने तलवारों एवं भालों का उपयोग किया था इसके विपरीत विरोधी ब्रिटिश सेना ने आधुनिक तोपों एवं बंदूकों का इस्तेमाल किया जिससे क्रांतिकारी कमजोर पड़ गए।

1857 की क्रांति का मुख्य कारण क्या था?

1857 के विद्रोह का प्रमुख राजनीतिक कारण ब्रिटिश सरकार की 'गोद निषेध प्रथा' या 'हड़प नीति' थी। यह अंग्रेजों की विस्तारवादी नीति थी जो ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के दिमाग की उपज थी। कंपनी के गवर्नर जनरलों ने भारतीय राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने के उद्देश्य से कई नियम बनाए।

एटीन 57 के विद्रोह के प्रमुख कारण क्या थे?

चर्बीयुक्त कारतूसों के प्रयोग और सैनिकों से सम्बंधित मुद्दों को इस विद्रोह का मुख्य कारण माना गया लेकिन वर्त्तमान शोध द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि कारतूसों का प्रयोग न तो विद्रोह का एकमात्र कारण था और न ही मुख्य कारण | वास्तव में यह विद्रोह सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-धार्मिक आदि अनेक कारणों का सम्मिलित परिणाम था.