भारत ने रूस यूक्रेन संकट में किसी का पक्ष नहीं लिया है। भारत के इस फैसले की आलोचना भी हो रही है, लेकिन हमें उस इतिहास को याद रखना चाहिए जब रूस ने भारत की मदद की थी। 1957 से 1971 तक रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 6 बार वीटो पावर का इस्तेमाल कर भारत की मदद की थी। Show New Delhi, First Published Mar 3, 2022, 3:18 PM IST नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Ukraine War) का आज आठवां दिन है। इस हमले से यूक्रेन को भारी जानमाल का नुकसान हो रहा है। अमेरिका समेत अधिकतर पश्चिमी देश रूस के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। रूस के खिलाफ सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र में भी रूस के खिलाफ प्रस्ताव लाए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में रूस का साथ चंद देश ही दे रहे हैं। इसमें एक भारत है। भारत ने रूस यूक्रेन संकट में किसी का पक्ष नहीं लिया है। अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के बीच भी भारत अपने पुराने दोस्त रूस के खिलाफ नहीं गया है। भारत के इस फैसले की आलोचना भी हो रही है, लेकिन हमें उस इतिहास को याद रखना चाहिए जब रूस ने भारत की मदद की थी। भारत जब भी संकट में पड़ा रूस ने साथ दिया था। अब जब रूस के खिलाफ प्रस्ताव लाए जा रहे हैं तो भारत कैसे साथ छोड़ सकता था। इसलिए भारत ने मतदान में शामिल न होकर परोक्ष रूप से रूस की मदद की है। रूस ने भारत की इस मदद की सराहना की है। 1957 से 1971 तक रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 6 बार वीटो पावर का इस्तेमाल कर भारत की मदद की थी। आज भारत और अमेरिका के रिश्ते भले अच्छे हों, लेकिन उस समय अमेरिका भारत के विरोध में खड़ा नजर आता था। पाकिस्तान को अमेरिका का समर्थन प्राप्त था। संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के खिलाफ पास हुआ प्रस्ताव रूस ने भारत के लिए किया था 6 बार वीटो पावर का इस्तेमाल यह भी पढ़ें- मोदी के एक फोन कॉल का असर, खारकीव में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने रूस ने 6 घंटे तक नहीं चलने दी एक भी गोली 18 दिसंबर 1961: फ्रांस, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में भारत के खिलाफ संयुक्त प्रस्ताव लाया, जिसमें गोवा और दमन एवं दीव में भारत द्वारा सैन्य बलों के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई गई थी। भारत से फौज हटाकर 17 दिसंबर 1961 से पहले की स्थिति बहाल करने की मांग की गई थी। सोवियत संघ, सिलोन (तब का श्रीलंका), लाइबेरिया और यूएई ने प्रस्ताव के विरोध में भारत का साथ दिया था। 22 जून 1962: अमेरिका के समर्थन से आयरलैंड ने सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाया था, जिसमें भारत और पाकिस्तान की सरकारों से कश्मीर विवाद को सुलझाने की मांग की गई थी। कहा गया कि दोनों सरकारें ऐसा माहौल बनाएं ताकि बातचीत के जरिए समझौते तक पहुंचा जा सके। सोवियत संघ ने फिर से प्रस्ताव के खिलाफ वीटो पावर लगा दिया। रोमानिया ने भी प्रस्ताव के विरोध में मतदान करके भारत का साथ दिया, जबकि घाना और यूएई ने वोटिंग से दूरी बना ली। 4 दिसंबर 1971: अमेरिका के नेतृत्व में प्रस्ताव लाकर भारत-पाकिस्तान सीमा पर युद्धविराम लागू करने की मांग की गई। अर्जेंटिना, बेल्जियम, बुरुंडी, चीन, इटली, जापान, निकारागुआ, सियरा लियोन, सोमालिया, सीरिया और अमेरिका ने प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया। सोवियत संघ ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया। 5 दिसंबर 1971: अर्जेंटिना, बेल्जियम, बुरुंडी, इटली, जापान, निकारागुआ, सियरा लियोन और सोमालिया ने भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर युद्ध विराम लागू करने का प्रस्ताव लाया, ताकि शरणार्थियों की वापसी हो सके। सोवियत संघ ने वीटो पावर के इस्तेमाल से भारत का साथ दिया। 14 दिसंबर 1971: अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाया, जिसमें भारत और पाकिस्तान की सरकारों से युद्धविराम करने और सेनाओं को अपने-अपने इलाकों में वापस बुलाने की मांग की गई। सोवियत संघ ने वीटो कर दिया। पोलैंड ने भी प्रस्ताव के विरोध में वोट डाला, जबकि फ्रांस और ब्रिटेन ने वोटिंग में भाग नहीं लिया। यह भी पढ़ें- Ukraine Update : हम युद्ध रोकने के लिए निर्देश नहीं दे सकते, छात्राओं को निकालने की याचिका पर बोले CJI क्या है वीटो पावर? Last Updated Mar 3, 2022, 3:55 PM IST रूस ने भारत की कब मदद की थी?भारत और रूस के बीच दोस्ती दशकों पुरानी है और इसकी जड़ें काफी गहरी रही हैं. भारत और रूस के बीच दोस्ती का जब भी जिक्र होता है तो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की बात जरूर आती है. तब रूस हर कदम पर भारत के साथ खड़ा था. 16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान को जंग में करारी शिकस्त दी थी और उसके दो टुकड़े कर डाले थे.
रूस भारत की मदद क्यों करता है?भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक दोस्ती
पहले सोवियत संघ और साल 1991 के बाद रूस से भारत के मधुर संबंध रहे हैं। रूस भारत का एक विश्वसनीय मित्र है। चीन के साथ सीमा विवाद में रूस ने हमेशा भारत की मदद की है। इसके साथ ही रक्षा क्षेत्र में रूस और भारत के बीच सहयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है।
रूस ने भारत से क्या मदद मांगी है?रूस चाहता है कि भारत बढ़ाए अपना निवेश
नोवाक ने भारतीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी से कहा कि हम रूसी तेल और गैस क्षेत्र में भारतीय निवेश को और आकर्षित करने और भारत में रूसी कंपनियों के बिक्री नेटवर्क का विस्तार करने में रुचि रखते हैं।
रूस भारत का दोस्त कैसे बना?अमेरिका और सोवियत संघ के बीच बंटी दुनिया में उसने अपना एक पाला खींच रखा था, जहां दोनों तरफ के लोग उसके दोस्त नहीं, तो दुश्मन भी नहीं थे। लेकिन उस साल अगस्त की 9 तारीख को सब बदल गया। भारत और सोवियत संघ के बीच एक संधि हुई, इंडो-सोवियत ट्रीटी ऑफ फ्रेंडशिप एंड कोऑपरेशन। दोनों देशों के लिए इसका बड़ा महत्व था।
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