18 विश्व की पहली फिल्म कौन थी - 18 vishv kee pahalee philm kaun thee

आलमआरा (विश्व की रौशनी) 1931 में बनी हिन्दी भाषा और भारत की पहली सवाक (बोलती) फिल्म है। इस फिल्म के निर्देशक अर्देशिर ईरानी हैं। ईरानी ने सिनेमा में ध्वनि के महत्व को समझते हुये, आलमआरा को और कई समकालीन सवाक फिल्मों से पहले पूरा किया। आलम आरा का प्रथम प्रदर्शन मुंबई (तब बंबई) के मैजेस्टिक सिनेमा में 14 मार्च 1931 को हुआ था।[1] यह पहली भारतीय सवाक इतनी लोकप्रिय हुई कि "पुलिस को भीड़ पर नियंत्रण करने के लिए सहायता बुलानी पड़ी थी"।[2]

आलमआरा एक राजकुमार और बंजारन लड़की की प्रेम कथा है। यह जोसफ डेविड द्वारा लिखित एक पारसी नाटक पर आधारित है। जोसफ डेविड ने बाद में ईरानी की फिल्म कम्पनी में लेखक का काम किया।। फिल्म में एक राजा और उसकी दो झगड़ालू पत्नियां दिलबहार और नवबहार है। दोनों के बीच झगड़ा तब और बढ़ जाता है जब एक फकीर भविष्यवाणी करता है कि राजा के उत्तराधिकारी को नवबहार जन्म देगी। गुस्साई दिलबहार बदला लेने के लिए राज्य के प्रमुख मंत्री आदिल से प्यार की गुहार करती है पर आदिल उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा देता है। गुस्से में आकर दिलबहार आदिल को कारागार में डलवा देती है और उसकी बेटी आलमआरा को देशनिकाला दे देती है। आलमआरा को बंजारे पालते हैं। युवा होने पर आलमआरा महल में वापस लौटती है और राजकुमार से प्यार करने लगती है। अंत में दिलबहार को उसके किए की सजा मिलती है, राजकुमार और आलमआरा की शादी होती है और आदिल की रिहाई।

फिल्म और इसका संगीत दोनों को ही व्यापक रूप से सफलता प्राप्त हुई, फिल्म का गीत "दे दे खुदा के नाम पर" जो भारतीय सिनेमा का भी पहला गीत था और इसे अभिनेता वज़ीर मोहम्मद खान ने गाया था, जिन्होने फिल्म में एक फकीर का चरित्र निभाया था, बहुत प्रसिद्ध हुआ।[3] उस समय भारतीय फिल्मों में पार्श्व गायन शुरु नहीं हुआ था, इसलिए इस गीत को हारमोनियम और तबले के संगीत की संगत के साथ सजीव रिकॉर्ड किया गया था।[4]

फिल्म ने भारतीय फिल्मों में फिल्मी संगीत की नींव भी रखी, फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने कहा फिल्म की चर्चा करते हुए कहा है, "यह सिर्फ एक सवाक फिल्म नहीं थी बल्कि यह बोलने और गाने वाली फिल्म थी जिसमें बोलना कम और गाना अधिक था। इस फिल्म में कई गीत थे और इसने फिल्मों में गाने के द्वारा कहानी को कहे जाने या बढा़ये जाने की परम्परा का सूत्रपात किया।"

तरन ध्वनि प्रणाली का उपयोग कर, अर्देशिर ईरानी ने ध्वनि रिकॉर्डिंग विभाग स्वंय संभाला था। फिल्म का छायांकन टनर एकल-प्रणाली कैमरे द्वारा किया गया था जो ध्वनि को सीधे फिल्म पर दर्ज करते थे। क्योंकि उस समय साउंडप्रूफ स्टूडियो उपलब्ध नहीं थे इसलिए दिन के शोरशराबे से बचने के लिए इसकी शूटिंग ज्यादातर रात में की गयी थी। शूटिंग के समय माइक्रोफ़ोन को अभिनेताओं के पास छिपा कर रखा जाता था।[3]

भारत में फ़िल्म इंडस्ट्री की शुरुआत 20वीं सदी की शुरुआत में ही हो गया था। भारत की पहली फ़िल्म बनाने का श्रेय दादा साहब फाल्के को दिया जाता है। भारत में पहली फ़िल्म 1913 में बनी थी लेकिन विश्व के दूसरे हिस्सों में फ़िल्म बनने की तकनीक 19वीं सदी के अंत तक आ गया था और यह इंडस्ट्री काफी तेजी से बढ़ता जा रहा था।

18 विश्व की पहली फिल्म कौन थी - 18 vishv kee pahalee philm kaun thee
18 विश्व की पहली फिल्म कौन थी - 18 vishv kee pahalee philm kaun thee

इतिहास में देखें तो Film Industry काफी अधिक पुरानी नही हैं। विश्व की पहली फ़िल्म 1888 मे हुई थी। यह वह दौर था जब नए-नए आविष्कार जन्म ले रहे थे तथा विज्ञान तेज़ी से अपने पांव पसार रहा था। इसी समय ही विश्व में फ़िल्म बनने की कला भी  आई। 1888 में पहली फ़िल्म बनी इस लिहाज से फ़िल्म इंडस्ट्री लगभग 130 साल पुरानी हो चुकी है। इतने समय में यह पूरी तरह बदल कर आर्थिक रूप से भी काफी बड़ी इंडस्ट्री बन चुकी है। विश्व के पहले फ़िल्म की बात करें तो यह फ़िल्म Roundhay Garden Scene थी। इस फ़िल्म का निर्माण 1888 में किया गया था।

Rounhay Garden Scene – विश्व की पहली फ़िल्म

  • संक्षिप्त परिचय

ऐसी मान्यता है कि Rounhay Garden Scene ही पहली फ़िल्म हैं। इस फ़िल्म का निर्माण 1888 में एक French आविष्कारक Louis Le Prince ने किया था। यह एक Mute ( मूक ) फ़िल्म थी। इस फ़िल्म की लंबाई सिर्फ 2.11 सेकंड है। इस फ़िल्म की Shooting, उत्तरी England के एक जगह Roundhay, Leeds के Oakwood Garden में हुई थी।

  • Rounhay Garden Scene फ़िल्म अभिनेता

Louis Le Prince इस फ़िल्म के डायरेक्टर थे। इस फ़िल्म को Produce भी Louis Le Prince ने ही किया था। इस फ़िल्म में अभिनय करने वाले कलाकार Annie Hartley, Adolphe Le Prince, Joseph Whitley और Sarah Whitley थे। इस फ़िल्म को Produce और Direct करने के अलावा इस फ़िल्म की Cinematography तथा Editing की भी ज़िम्मेदारी Louis Le Prince ने ही सँभली थी। इस फ़िल्म को 14 अक्टूबर 1888 को रिलीज किया गया था। इसे दो देशों, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस में रिलीज़ किया गया था।

  • फ़िल्म के बाद कि घटनाएं

इस फ़िल्म की Shooting के चंद दिन बाद ही इससे जुड़े लोगों के साथ अजीब घटना हुई और कुछ लोगों की मौत बेहद ही रहस्यमयी तरीक़े से हो गयी थी। स फ़िल्म की Shooting के 10 दिन बाद ही इससे जुड़े एक कलाकार Sarah Whitley की मृत्यु 72 साल की उम्र में हो गयी थी। इस फ़िल्म के डायरेक्टर, प्रोड्यूसर रहे Louis Le Prince अपने इस नए खोज को दुनिया के सामने लाते की उससे पहले ही उनके साथ भी अजीब घटना हुई और वह भी रहस्यमय तरीके से गायब हो गए।

इसके बाद भी इस फ़िल्म से जुड़े लोगों के साथ रहस्मयी घटनाओं का दौर जारी रहा। इस फ़िल्म के डायरेक्टर प्रोड्यूसर रहे Louis Le Prince के एक बेटे तथा इस फ़िल्म के कलाकारों में शामिल रहे Adolphe Le Prince की भी गोली मार कर हत्या कर दी गयी। इनकी हत्या उस समय की गई जब यह अपने पिता के इस नए खोज को लेकर एक कोर्ट में Thomas Edison के खिलाफ गवाही देने की तैयारी में थे।

18 विश्व की सबसे पहली फिल्म कौन सी थी?

Roundhay Garden Scene दुनिया कि सबसे पहली फिल्म थी जोकि 1888 में आई एक शॉट फिल्म हैं। और इसी के साथ भारत की पहली फिल्म आलम आरा थी जोकि 1931 में आई थी

दुनिया की सबसे पहली फिल्म का नाम क्या है?

आलमआरा (1931 फ़िल्म).

विश्व की पहली रंगीन फिल्म कौन सी है?

पहली रंगीन फिल्म कौन सी थी? दुनिया की पहली रंगीन फिल्म " cupid angling". जो कि एक silent फिल्म थी, कैलिफोर्निया हॉलीवुड मे बनी थी। यह मूवी 1918 मे रिलीज की गयी जबकि भारत मे पहली रंगीन फिल्म इसके 19 वर्ष बाद 1937 मे " kisan kanya" बनकर रिलीज हुई थी।

हिंदी की पहली फिल्म कौन सी है?

भारतीय सिनेमा के प्रवर्तक : दादा साहब फालके राजा हरिश्चंद्र (१९१३) भारत में बनी पहली हिंदी फिल्म थी। इसे दादासाहेब फाल्के ने निर्देशित किया था।