15 अप्रैल को कौन सा त्यौहार है? - 15 aprail ko kaun sa tyauhaar hai?

Authored by Parag sharma | नवभारत टाइम्स | Updated: May 1, 2022, 9:45 PM

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डॉ. अश्विनी शास्त्री इस सप्ताह के बारे में विशेष : वर्तमान सप्ताह का शुभारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की दशमी तथा मघा नक्षत्र के साथ हो रहा है। वर्तमान चैत्र शुक्ल पक्ष इसी सप्ताह 19 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा के साथ समाप्त हो जाएगा और उससे अगले ही दिन यानी 20 अप्रैल को वैशाख का कृष्ण पक्ष आरंभ हो जाएगा। चैत्र नवरात्र भी पिछले सप्ताह रामनवमी के साथ ही संपन्न हो चुके हैं। इस सप्ताह कामदा एकादशी, प्रदोष व्रत, अनंग त्रयोदशी, सत्यनारायण व्रत, वैशाख पूर्णिमा, हनुमान जयंती आदि का आयोजन किया जाएगा।

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    कामदा एकादशी (15 अप्रैल, सोमवार)

    चैत्र शुक्ल एकादशी को कामदा एकादशी के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान् नारायण का पूजन, अर्चन और स्तवन करने से वे प्रसन्न होते हैं और उपासक को सभी पापों से मुक्त कर देते हैं। प्राचीन काल में राजा दिलीप ने भी इस एकादशी के व्रत का माहात्म्य अपने गुरु वशिष्ठ से सुना था। गुरु ने उन्हें बताया था कि एक बार राजा पुंडरीक किसी के श्राप से मनुष्य से राक्षस बन गया था। उस राजा की पत्नी ने चैत्र एकादशी का व्रत रखकर भगवान् नारायण से प्रार्थना की थी कि मेरे इस व्रत का फल मेरे पति को प्राप्त हो जाये। भगवान् नारायण ने पत्नी के व्रत का फल उसके राक्षस बन चुके पति राजा पुंडरीक को दे दिया जिससे वह राक्षस से एक बार फिर से राजा बन गया। इस व्रत के विषय में यह भी कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से उपासक ब्रह्म हत्या जैसे पापों से और पिशाच योनि से भी मुक्त हो जाता है।

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    प्रदोष व्रत (17 अप्रैल, बुधवार)

    प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष का व्रत रखा जाता है। प्रदोष का व्रत जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष कहा जाता है। मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष और शनिवार के दिन के प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं। इस दिन रखा जाने वाला व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन व्रती को निरन्तर ‘ओम् नम: शिवाय’ का जाप करना चाहिए। इससे महादेव की कृपा प्राप्त होती है और उपासक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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    अनंग त्रयोदशी (17 अप्रैल, बुधवार)

    चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन अनंग त्रयोदशी के व्रत का विधान है। जिसका अंग न हो उसे अनंग कहा जाता है। और संस्कृत साहित्य में कामदेव को अनंग के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान महादेव ने कामदेव को अपने तप से भस्म कर दिया तो उसने बिना अंग के ही सब प्राणियों में अपना वास बना लिया। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पति और पत्नी में अनुराग उत्पन्न होता है और उन्हें पुत्र के रूप में संतति सुख प्राप्त होता है। भविष्य पुराण में इस व्रत के विषय में कहा गया है कि इस दिन कामदेव और रति का पूजन करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।

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    महावीर जयंती (17 अप्रैल, बुधवार)

    चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन जैन समाज के चौबीस तीर्थकरों में अंतिम तीर्थंकर भगवान् महावीर का जन्म हुआ था, जिस कारण जैन मतावलंबी इस दिन को उनके जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। उन्होंने पूरे समाज को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया। उनका जन्म बिहार में लिच्छिवी वंश के महाराज और मां त्रिशला के यहां हुआ था।

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    सत्यनारायण व्रत (18 अप्रैल, गुरुवार)

    सत्यनारायण का व्रत उत्तर भारत के कई घरों में किया जाता है। सनातनी हिंदुओं के यहां कोई भी पुण्यकार्य का अवसर हो, शादी-विवाह जैसा कोई मांगलिक आयोजन हो तो प्राय: घरों में भगवान सत्यनारायण की कथा करने की परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है। सत्य ही भगवान हैं, नारायण हैं और सबसे बड़े आराध्य हैं। जो लोग रामायण पाठ या भागवत कथा जैसे लंबे आयोजन करने में समर्थ नहीं होते हैं वे सत्यनारायण की कथा कर लेते हैं। इस कथा को प्राय़: एकादशी या पूर्णिमा के दिन किया जाता है। इस व्रत के पीछे मूल उद्देश्य सत्य की पूजा करना है। इस व्रत में भगवान शालिग्राम का पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले को प्रात:काल उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए और फिर सारा दिन निराहार और निर्जल रहकर भगवान का ध्यान करते रहना चाहिए। इस दिन किसी योग्य पंडित से सत्यनारायण की कथा का श्रवण करना चाहिए। फिर भगवान शालिग्राम का अभिषेक, पूजन और अर्चन कर अपने सामर्थ्य के अनुसार दान आदि देना चाहिए।

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    हनुमान जयंती (19 अप्रैल, शुक्रवार)

    चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन रामभक्त हनुमानजी की जयंती का आयोजन किया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन उन्होंने अंजनि की कोख से जन्म लिया था। हनुमानजी के जन्म को लेकर विद्वानों में मतवैभिन्य है। कुछ विद्वान् मानते हैं कि हनुमानजी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन हुआ था और कुछ का मानना है कि उनका जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन हुआ था। एक प्राचीन ग्रंथ में उनके जन्म का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन मंगलवार को मूंज की मेखला से युक्त, कौपीन और जनेऊ धारण करने वाले हनुमान जी का जन्म हुआ। लेकिन यह सत्य है कि हमारे यहां दोनों ही दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। उनका व्रत करने से उपासक को कोई भय नहीं होता और उसके सभी संकट नष्ट हो जाते हैं। वे अपने भक्त को आठ सिद्धियों और नौ निधियों को देने वाले हैं। तभी तो हनुमान चालीसा में भी गया है कि ‘अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता’।

15 अप्रैल 2022 को कौन सा त्यौहार है?

आज के व्रत त्योहार श्रीशिव दमनोत्सव, गुड फ्राईडे (क्रिश्चियन)। आज का शुभ मुहूर्त 15 अप्रैल 2022 : अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।

15 अप्रैल को कौन सा पर्व है?

15 अप्रैल (शुक्रवार) : गुड फ्राइडे। 16 अप्रैल (शनिवार) : चैत्र शुक्ल पूर्णिमा रात्रि 12.25 बजे तक पश्चात् प्रतिपदा।

१४ अप्रैल २०२२ को क्या है?

मेष संक्रांति (Mesha Sankranti 2022) 14 अप्रैल 2022 को सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे. मेष संक्रांति पुण्य काल - प्रात: 05 बजकर 57 मिनट से दोपहर 01 बजकर 12 मिनट तक.

9 अप्रैल को कौन सी जयंती है?

इस वर्ष कुल 102 देशों में आंबेडकर जयंती को मनाया गया था।