यूपी के उपमुख्यमंत्री कौन है 2022 - yoopee ke upamukhyamantree kaun hai 2022

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh News) की नई सरकार को नए डेप्युटी सीएम (UP Deputy CM) मिल सकते हैं। बताया जा रहा है कि स्वतंत्रदेव सिंह या फिर बेबीरानी मौर्य को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

यूपी के उपमुख्यमंत्री कौन है 2022 - yoopee ke upamukhyamantree kaun hai 2022
स्वतंत्रदेव सिंह के साथ योगी

लखनऊः उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव संपन्न हो गया है। गुरुवार को घोषित हुए नतीजों में भारतीय जनता पार्टी ने दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना ली है। अब यह तय है कि योगी आदित्यनाथ दोबारा प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। एक लंबे अंतराल के बाद उत्तर प्रदेश में पहली बार ऐसा मौका होगा जब कोई नेता लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार का मुख्यमंत्री बनेगा। इस बीच यह सवाल भी उठने लगा है कि नई सरकार में सीएम योगी के आसपास कौन लोग होंगे? उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में क्या उन्हें दोबारा उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा?विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद यह तय किया गया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी चुनाव लड़ेंगे। योगी आदित्यनाथ के लिए गोरखपुर की सीट तय की गई। वहीं केशव मौर्य को सिराथू विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा गया। गुरुवार को घोषित हुए नतीजों में सीएम योगी तो एक लाख से ज्यादा मतों के अंतर से चुनाव जीत गए लेकिन केशव मौर्या की सीट फंस गई।

अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल ने केशव मौर्य को 7000 वोटों के अंतर से चुनाव हरा दिया। ऐसे में माना जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री पद पर केशव मौर्य की दावेदारी थोड़ी कमजोर हुई है। देखना यह होगा नई योगी सरकार में केशव मौर्य को क्या ओहदा दिया जाता है?

अरविंद शर्मा का क्या होगा?
इसके साथ ही सवाल यह भी है कि अफसर से नेता बने अरविंद शर्मा का क्या होगा? अरविंद शर्मा को भारतीय जनता पार्टी ने विधान परिषद भेजा था तब ऐसी चर्चा थी कि उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। ऐसे में यह भी हो सकता है कि नई सरकार में अरविंद शर्मा को केशव मौर्य की जगह दी जाए। हालांकि, भाजपा की ओर से स्पष्ट नहीं किया गया है कि केशव मौर्या दोबारा डिप्टी सीएम बनेंगे या नहीं?

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो नए उपमुख्यमंत्री के लिए दो नाम चर्चा में चल रहे हैं। पहला बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह का है। वहीं दूसरा नाम पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य का है। बताया जा रहा रहा है कि स्वतंत्रदेव सिंह को डेप्युटी सीएम बनाकर उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी जातीय समीकरण साधने की कोशिश कर रही है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी से ब्राह्मणों के नाराज होने की चर्चा थी। ऐसे में दिनेश शर्मा को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर लोकसभा चुनाव के लिए ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की जा सकती है।

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Web Title : Hindi News from Navbharat Times, TIL Network

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में 36 सालों का रिकॉर्ड तोड़कर लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद अब सीएम योगी आदित्यनाथ ही दोबारा मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे, ये लगभग तय है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी के पास अब यह अहम सवाल है कि अब उनका सेकेंड हैंड यानी नंबर दो, उपमुख्यमंत्री कौन होगा, क्योंकि पहले कार्यकाल में उनके डिप्टी रहे केशव प्रसाद मौर्या अपनी सीट सिराथू से हार गए हैं. यूपी में बीजेपी की बड़ी जीत के बीच डिप्टी सीएम का हार जाना जरूर बड़ा झटका रहा. सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य लगभग 7,000 वोटों से हारे, उन्हें समाजवादी पार्टी की गठबंधन की सहयोगी अपना दल (कमेरावादी) पल्लवी पटेल ने हराया है.

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दिलचस्प है कि केशव प्रसाद मौर्य के लिए चुनावी कैंपेन में पीएम मोदी, अमित शाह, नितिन गडकरी, जेपी नड्डा के साथ-साथ खुद पल्लवी पटेल की बहन अनुप्रिया पटेल ने प्रचार किया था. अनुप्रिया पटेल बीजेपी की गठबंधन सहयोगी अपना दल की नेता हैं. कल मतगणना के दौरान शुरुआती रुझानों में मौर्य आगे चल रहे थे, उस दौरान उन्होंने ट्वीट करके लिखा था, 'जनता जीत रही है, गुंडागर्दी हार रही है.'

बता दें कि यूपी के चुनावी नतीजों में केशव मौर्य के अलावा, 10 और ऐसे योगी के मंत्री रहे, जो अपनी सीट भी नहीं बचा पाए. वहीं, दूसरे डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने इस बार चुनाव ही नहीं लड़ा.

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हालांकि, सूत्रों का कहना है कि केशव मौर्या को फिर भी विधान परिषद का सदस्य बनाया जा सकता है, और वह मंत्री या उपमुख्यमंत्री बन सकते हैं, जहां उन्हें छह माह के भीतर विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता हासिल करनी होगी, लेकिन अभी पार्टी ने ये स्पष्ट नहीं किया है कि वो डिप्टी सीएम बने रहेंगे या नहीं, या फिर कोई दूसरा नेता इसकी जगह लेगा.

खुद योगी आदित्यनाथ विधानसभा परिषद में पार्षद थे, इन चुनावों में पहली बार उन्होंने गोरखपुर शहरी क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत गए.

बता दें कि इन चुनावों में बीजेपी पिछले तीन दशकों में पहली बार लगातार दूसरी बार सत्ता में आने वाली पार्टी बन गई है. इसे 403 विधानसभा सीटों में से 255 पर जीत मिली है. वहीं, मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने 135 सीटों पर जीत हासिल की है.