इस लेख में हम विद्युत आवेश (Electric charge) के बारे में पढ़ेंगे। यहाँ इस टॉपिक से सबंधित विभिन जानकारी प्राप्त करेंगे जैसे विद्युत आवेश किसे कहते हैं? विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है, SI मात्रक, गुण, सूत्र Electric charge in hindi Show
विद्युत आवेश से क्या तात्पर्य(अर्थ) है?हमारा यह सामान्य अनुभव है कि जब किसी शुष्क दिन एक प्लास्टिक के स्केल या कंधे को सूखे बालो से रगड़कर मेज पर पड़े छोटे-छोटे कागज के टुकड़ों के पास लाते है तब कागज के टुकड़े स्केल अथवा कंघे की और आकर्षित होते हैं। इस प्रकार दो वस्तुओं को परस्पर रगड़ने पर उनमें कभी-कभी ऐसा गुण आ जाता है जिससे वे अपने समीप स्थित हल्की वस्तुओं को आकर्षित करने लगती है। यह विद्युत आवेश के उत्पन्न होने के कारण होता है। लगभग 600 ईसा पूर्व यूनानी वैज्ञानिक थेल्स (Thales) ने ज्ञात किया कि ऐम्बर
(Ambai) नामक पदार्थ (ऐम्बर पीले रंग का एक रेजिनी पदार्थ (Resinous Substance) है ऐम्बर को यूनानी भाषा में इलेक्ट्रॉन (electron) कहते हैं अतः उपर्युक्त घटना के कारण को इलेक्ट्रिसिटी नाम दिया गया। विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है :-आवेश किसी भी पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण पदार्थ में विद्युत एवं चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न एवं महसूस किए जा सकते है। किसी भी वस्तु में इलेक्ट्रॉन की अधिकता या कमी होना आवेश को प्रदर्शित करती है। आवेश के प्रकार (Types of Charges)Avesh दो प्रकार के होते है । 1) धनात्मक आवेश (Positive Charge) 2) ऋणात्मक आवेश (Nagative Charge) (1) धनात्मक आवेश (Positive Charge) क्या होता है :- यह प्रोटॉनों की तुलना में इलेक्ट्रोनों की न्यूनता है। (2) ऋणात्मक आवेश (Nagative Charge) क्या होता है :- यह प्रोटॉनों की तुलना में इलेक्ट्रोनों की अधिकता है। विद्युत आवेश का मात्रक क्या है? :-विद्युत आवेश का एस आई (SI) मात्रक :- एम्पियर × सेकंड अर्थात कूलाम विमीय सूत्र :- [AT] विद्युत आवेश के मूलभूत गुण(Properties of Electric Charge In Hindi):-यहां विद्युत आवेशो के कुछ महत्वपूर्ण गुणों के बारे में बताया गया है :- (1) आवेश एक अदिश राशि है :- यह इलेक्ट्रॉन की कमी या अधिकता को प्रदर्शित करता है। (2) आवेश का स्थानांतरण किया जा सकता है : यदि एक आवेशित वस्तु को अनावेशित वस्तु के सम्पर्क में लाया जाता है तो दूसरी वस्तु को आवेशित किया जा सकता है। (3) आवेश सदैव द्रव्यमान के साथ सम्बद्ध होता है :-
(4) हम जानते है की आवेश दो प्रकार के होते है – धनावेश तथा ऋणावेश । दोनों प्रकार के आवेशों में एक दूसरे को निरस्त करने की प्रवृति होती है। (5) विद्युत आवेश की योज्यता (Additivity of Electric Charge) :- किसी
भी निकाय में कुल आवेश उसमें उपस्थित सभी आवेशों के बीजीय योग के तुल्य होता है। उदाहरण के लिए, किसी निकाय में कुछ धनावेश +pe तथा कुल ऋणावेश –ne हो तो उस पर कुल आवेश (+pe) + (-ne) = (p-n)e होगा, जहाँ (p-n) धनावेश की ऋणावेश पर अधिकता को प्रदर्शित करता है। यदि p>n होगा तब पदार्थ धनावेशित जबकि p<n होने पर पदार्थ ऋणावेशित होगा। यदि किसी पदार्थ पर आवेशों का योग शून्य हो तो वह पदार्थ उदासीन कहा जाता है। (6) विद्युत आवेश का संरक्षण (Conservation of Electric
charge) इस प्रकार धनावेश एवं ऋणावेश का बीजीय योग शून्य होता है जो वास्तव में रगड़ने के पूर्व था। इसका उदाहरण एक इलेक्ट्रॉन तथा एक पॉजिट्रॉन को एक दूसरे के अत्यन्त समीप लाने पर मिलता है। (7) विद्युत आवेश का क्वान्टीकरण (Quantization of Electric charge) किसी वस्तु पर धन अथवा ऋण आवेश, इलेक्ट्रॉनों की कमी अथवा इलेक्ट्रॉनों की अधिकता आवेश के क्वाण्टीकरण के सिद्धान्त के अनुसार किसी भी वस्तु पर आवेश इलेक्ट्रॉन पर आवेश का पूर्ण
गुणज होता है अतः ऐसा आवेश न तो किसी चालक को दिया जा सकता है और न ही लिया जा सकता है जो इलेक्ट्रॉन पर आवेश का पूर्ण गुणज नहीं है इलेक्ट्रॉन पर आवेश की मात्रा 1.6 x 10-1″ कूलॉम होती है। नोट-आवेश के क्वांटीकरण की खोज राबर्ट ए मिलिकन ने तेल बिन्दु प्रयोग से की थी। आवेशन करने की विधियाँ (Methods of Charging)घर्षण (Friction)वस्तु को दूसरी रबर, अम्बर, प्लास्टिक धनावेश ऋणावेश कांच की छड़ रेशम का कपड़ा स्थिर वैद्युत प्रेरण (Electrostatic induction) :-यदि एक आवेशित वस्तु को एक उदासीन वस्तु के पास लाया जाए तो वह उदासीन वस्तु के विपरीत आवेशों समान आवेशों को प्रतिकर्षित करती है। परिणामस्वरुप उदासीन
वस्तु की एक सतह ऋणावेशित और दूसरी सतह धनावेशित हो जाता है यह स्थिर वैद्युत प्रेरण कहलाता है। चालन (Conduction)दो वस्तुओं को सम्पर्कित करने पर आवेश के स्थानांतरण की प्रक्रिया चालन कहलाती है। यदि एक आवेशित वस्तु को अनावेशित वस्तु के सम्पर्क में रखा जाता है तो इलेक्ट्रॉनों के एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानांतरण के कारण अनावेशित वस्तु, आवेशित हो जाती है। आवेशित वस्तु में कुछ आवेश की कमी हो जाती है। (यह कमी अनावेशित वस्तु द्वारा प्राप्त किये गये विद्युत आवेश से सम्बंधित अन्य लेख :-✔️⚫
विद्युत धारा किसे कहते हैं? What is Electric Current In Hindi Faqविद्युत आवेश का मात्रक क्या है? कूलाम विद्युत आवेश से क्या तात्पर्य है? हमारा यह सामान्य अनुभव है कि जब किसी शुष्क दिन एक प्लास्टिक के स्केल या कंधे को सूखे बालो से रगड़कर मेज पर पड़े छोटे-छोटे कागज के टुकड़ों के पास लाते है तब कागज के टुकड़े स्केल अथवा कंघे की और आकर्षित होते हैं। इस प्रकार दो वस्तुओं को परस्पर रगड़ने पर उनमें कभी-कभी ऐसा गुण आ जाता है जिससे वे अपने समीप स्थित हल्की वस्तुओं को आकर्षित करने लगती है। यह विद्युत आवेश के उत्पन्न होने के कारण होता है। आवेश कितने प्रकार होते हैं ? Avesh दो प्रकार के होते है । वस्तुओं को रगड़ने से कितने प्रकार के आवेश होते हैं?विद्युत आवेश: जब दो वस्तुओं को रगड़ा जाता है, तो दोनों आवेश प्राप्त करते हैं। विद्युत आवेश दो प्रकार के होते हैं, धनात्मक और ऋणात्मक। जब दो वस्तुओं को रगड़ा जाता है, तो एक धनात्मक आवेश प्राप्त करती है और दूसरी ऋणात्मक आवेश प्राप्त करती है।
कितने प्रकार के आवेश प्राप्त होते हैं?Solution : आवेश दो प्रकार के होते हैं इन्हें धनात्मक आवेश एवं ऋणात्मक आवेश के नाम से जाना जाता है।
रगड़ द्वारा उत्पन्न आवेश को क्या कहते हैं?मान्यता के अनुसार रेशम से रगड़ने पर काँच की छड़ द्वारा अर्जित आवेश को धनावेश कहते हैं। अन्य प्रकार के आवेश को ऋणावेश कहते हैं।
वस्तु को कितने प्रकार से आवेशित किया जा सकता है?एक वस्तु को घर्षण , चालन , प्रेरण , ऊष्मीय उत्सर्जन , प्रकाश वैद्युत प्रभाव और क्षेत्र उत्सर्जन आदि विधियों द्वारा आवेशित किया जा सकता है।
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