वस्तु की मांग व पूर्ति का संतुलन - vastu kee maang va poorti ka santulan

अर्थशास्त्र में माँग और आपूर्ति की सहायता से पूर्णतः प्रतिस्पर्धी बाजार में बेचे गये वस्तुओं कीमत और मात्रा की विवेचना, व्याख्या और पुर्वानुमान लगाया जाता है। यह अर्थशास्त्र के सबसे मुलभूत प्रारुपों में से एक है। क्रमश: बड़े सिद्धान्तों और प्रारूपों के विकास के लिए इसका विशद रूप से प्रयोग होता है।

माँग किसी नियत समयकाल में किसी उत्पाद की वह मात्रा है, जिसे नियत दाम पर उपभोक्ता खरीदना चाहता है और खरीदने में सक्षम है। माँग को सामान्यतः एक तालिका या ग्राफ़ के रूप में प्रदर्शित करते हैं जिसमें कीमत और इच्छित मात्रा का संबन्ध दिखाया जाता है।

आपूर्ति वस्तु की वह मात्रा है जिसे नियत समय में दिये गये दाम पर उत्पादक या विक्रेता बाजार में बेचने के लिए तैयार है। आपूर्ति को सामान्यतः एक तालिका या ग्राफ़ के रूप में प्रदर्शित करते हैं जिसमें कीमत और आपूर्ति की मात्रा का संबन्ध दिखाया जाता है।

मांग आपूर्ति और संतुलन क्या है?

मांग और आपूर्ति वक्रों का प्रयोग बाज़ार की प्रक्रियाओं के निरूपण के लिए किया जाता है । बाज़ार की ये दोनों शक्तियाँ संतुलन निर्धारण के माध्यम से यह निश्चित करती हैं कि बाज़ार में किसी वस्तु की कीमत क्या होगी तथा उसकी कुल कितनी मात्रा का उत्पादन कर उसकी आपूर्ति की जाएगी।

मांग और पूर्ति में परिवर्तन का संतुलन मूल्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

Solution : माँग एवं पूर्ति दोनों के परिवर्तन के मूल्य पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है- <br> (i) यदि माँग पूर्ति की तुलना में अधिक बढ़ती है तो संतुलन कीमत बढ़ेगी। <br> (ii) यदि माँग तथा पूर्ति में बराबर की वृद्धि होती है तो संतुलन कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

संतुलन कीमत से आप क्या समझते हैं मांग और पूर्ति संतुलन कीमत को किस प्रकार प्रभावित करती है?

जहाँ p* संतुलन कीमत को तथा qP (p) और q (p), p कीमत पर क्रमशः वस्तुओं के बाज़ार माँग तथा बाज़ार पूर्ति को दर्शाते हैं। यदि किसी कीमत पर बाज़ार पूर्ति, बाज़ार माँग से अधिक है, तो उस कीमत पर बाज़ार में अधिपूर्ति कहलाती है तथा यदि उस कीमत पर बाज़ार माँग बाज़ार पूर्ति से अधिक है, तो उस कीमत पर बाज़ार में अधिमाँग कहलाती है।

वस्तु की मांग क्या है?

किसी दिये गये समय में दिये हुए मूल्य पर कोई उपभोक्ता, बाजार में किसी वस्तु की जो विभिन्न मात्रायें क्रय करता है, उसे वस्तु की माँग कहते हैं।