विसर्ग का प्रयोग किन शब्दों में होता है - visarg ka prayog kin shabdon mein hota hai

नमस्कार दोस्तों आज कि इस लेख में आप सभी का स्वागत है| allhindi.co.in के इस नए लेख में आप सभी विसर्ग के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। इस लेख में आप विसर्ग की परिभाषा विसर्ग के उदाहरण तथा विसर्ग को पूरी तरह से समझ जाएंगे। उम्मीद करता हूं कि आपको इस लेख से विसर्ग की पूरी जानकारी प्राप्त होगी|

विसर्ग किसे कहते हैं

जब भी हम किसी किसी वर्ण या अक्षर की उच्चारण करते हैं तो उनकी कुछ अलग प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। इसी प्रकार से जब विसर्ग का उच्चारण करते हैं तो इनकी उच्चारण  ध्वनि ह् के रूप में होती है। इसका प्रयोग अक्सर हमें संस्कृत में ज्यादा देखने को मिलता है। इसका चिन्ह (:) कुछ इस प्रकार का होता है। संस्कृत में बहुवचन शब्दों का प्रयोग करने के लिए लिंग का प्रयोग करते हैं। जैसे-अतः, प्रातः, छात्रः, बालकः, धावकः इत्यादि।

विसर्ग का प्रयोग किन शब्दों में होता है - visarg ka prayog kin shabdon mein hota hai

इसके अलावा जब विभक्तियों का बोध होता है तो विसर्ग का प्रयोग होता है। विभक्तियों में विसर्ग का प्रयोग सूत्रानुसार प्रत्येक लिंग में होता है।  विभक्ति तथा वचन के अनुसार ही शब्दों में विसर्ग का प्रयोग नियमो के अनुसार किया जाता है। 

जैसे- अगर वाक्य है- “राम एक बालक है।” तो इसका संस्कृत अनुवाद होगा – रामः एकः बालकः अस्ति। अगर वाक्य है- सीता एक बालिका है।। तो इसका संस्कृत अनुवाद इस प्रकार होगा – सीता एका बालिका अस्ति।

उपर्युक्त दोनो वाक्यों में भेद है। क्योंकि तीनों क्रमशः पुल्लिंग स्त्रीलिंग तथा नपुंसकलिंग हैं।पुल्लिंग में विसर्ग का प्रयोग है, किंतु शेष में विसर्ग का प्रयोग नही है। स्त्रीलिंग तथा नपुंसकलिंग शब्दों में भी विभक्तियों तथा वचनों के अनुसार विसर्ग का प्रयोग होता है। अतः कह सकते हैं कि विशेष रूप से पुल्लिंग में विसर्ग का प्रयोग होता है, लेकिन ये आवश्यक नही की प्रत्येक पुल्लिंग शब्द या वाक्य में विसर्ग हो। विसर्ग के प्रयोग के विषय में नियम होतें हैं।

विसर्ग का प्रयोग किन शब्दों में होता है - visarg ka prayog kin shabdon mein hota hai

| विसर्ग का प्रयोग प्रायः किन शब्दों में होता है?

C. हिन्दी में प्रचलित संस्कृत शब्दों के साथ

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SOLUTION

विसर्ग का प्रयोग हिन्दी में प्रचलित संस्कृत शब्दों के साथ होता है|

विसर्ग का लोप समझने से पहले हमें लोप किसे कहते हैं यह समझना जरूरी है।  लोप की व्याख्या अष्टाध्यायी में दी गई है – अदर्शनं लोपः।१।१।६०॥ 

यह सूत्र कहता है कि  और दर्शन यानी लोप है।  और दर्शन यानी न दिखना।  गायब हो जाना। इसे ही लोप कहा जाता है।

परंतु इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि जिसका भी लोग हुआ है वह नष्ट हो गया है।  बल्कि इसका तात्पर्य यह है कि  वह केवल गायब हुआ है,  वह नहीं दिख रहा है। अर्थात वह अस्तित्व में है केवल दिख नहीं रहा है।

हम विसर्ग का लोग सीख रहे हैं। इसका मतलब यह है कि विसर्ग का लोप होने के  बाद भी वह वही पर रहेगा केवल दिखेगा नहीं।

उदाहरण –

अर्जुन : + उवाच।

इस उदाहरण में यदि किसी नियम से विसर्ग  का लोप हो जाए तो हमें उत्तर ऐसे मिलेगा –

 अर्जुन  उवाच।

इस हालात में गुण संधि के नियम से – अर्जुनोवाच।  ऐसा अगला उत्तर हो सकता है। परंतु यहां हमें एक बात ध्यान में रखनी है कि विसर्ग  केवल गायब हुआ है उसका और दर्शन हुआ है।  यानी वह दिख नहीं रहा है। वह वहीं पर है  जहां पहले था। इसीलिए बीच में मौजूद विसर्ग गुण संधि को होने नहीं देखा। 

विसर्ग का प्रयोग किन शब्दों में होता है - visarg ka prayog kin shabdon mein hota hai
विसर्ग का प्रयोग किन शब्दों में होता है - visarg ka prayog kin shabdon mein hota hai

 

हम इसका निचोड़ इस तरह से  निकाल सकते हैं –

एक बार विसर्ग संधि होने के बाद  फिर से संधि नहीं होगा तथा पूर्व पद और उत्तर पद में अंतर बना रहेगा।

हम विसर्ग  संधि के तीन नियम सीखने वाले हैं –

  1. अ + विसर्गः + अभिन्नस्वरः
  2. आ + विसर्गः + मृदुवर्णः
  3. सः/एषः + अभिन्नवर्णः

उपर्युक्त स्थितियों में विसर्ग का लोप हो जाता है। हम बारी-बारी सभी को सीखने वाले हैं।

१. अ + विसर्गः + अभिन्नस्वरः

उपर्युक्त नियम को ध्यान से समझे। 

  • विसर्ग से पहले – अ यह स्वर होना चाहिए।  जैसे कि – रामः। देवः। चन्द्रः। विनायकः।  इन शब्दों में : से पहले अ  यह स्वर है। 
  • और  विसर्ग  के बाद अभिन्नस्वर  होना चाहिए। भिन्न शब्द का मतलब होता है अलग। अतः अभिन्नस्वरः  इसका मतलब है वह अ छोड़कर दूसरा कोई भी स्वर।
  •  ऐसी स्थिति होने पर विसर्ग  का लोप हो जाएगा।

उदाहरण

  • अर्जुनः + उवाच = अर्जुन उवाच। (ध्यान रखिए कि फिर से गुण संधि नहीं होगा)
    • न् + अ + : + उ
      • यहां विसर्ग से पहले अ है।
      • विसर्ग के बाद उ  यह स्वर है। यानी अभिन्नस्वर है।

अन्य उदाहरण

  • अतः + एव = अत एव
  • बालकः + इच्छति = बालक इच्छति।

२. आ + विसर्गः + मृदुवर्णः

इस नियम में बताया गया है कि –

  • विसर्ग से पहले – आ  यह स्वर होना चाहिए। जबकि इससे पहले संधि में बताया गया था कि विसर्ग से पहले आ होना चाहिए।
  •  तथा विसर्ग  के बाद कोई भी मृदुवर्ण होना चाहिए। (मृदु वर्ण के बारे में समझने के लिए इस कड़ी पर जाए।) 
  • ऐसी स्थिति होने पर विसर्ग का लोप हो जाएगा।

 उदाहरण

  • देवाः + गच्छन्ति = देवा गच्छन्ति।
    • व् + आ + : + ग
      • यहाँ विसर्ग से पहले आ है।
      •  और विसर्ग  के बाद ग है। जो कि एक मृदु वर्ण है।

अन्य उदाहरण

  • देवाः + आगच्छन्ति = देवा आगच्छन्ति।
  • ताः + बालिकाः = ता बालिकाः।
  • शिक्षकाः + वदन्ति = शिक्षका वदन्ति।
  • खगाः + उत्पतन्ति = खगा उत्पतन्ति।

३. सः/एषः + अभिन्नवर्णः

 इस नियम को जरा सावधानी से पढ़िए। 

  • सः अथवा एषः इन दोनों शब्दों के लिए ही खास तौर पर यह नियम बनाया गया है। यहाँ सः तत् शब्द का पुँल्लिङ्ग प्रथमा एकवचन है। तथा एषः एतत् शब्द का पुँल्लिङ्ग प्रथमा एकवचन है। 
  • यदि इन शब्दों के बाद कोई भी अभिन्नवर्ण आता है,  तो विसर्ग  का लोप हो जाता है।
    • अभिन्नवर्ण  क्या है?
      • अ से भिन्न वर्ण। भिन्न यानी अलग। हमारी वर्णमाला में स्वर और व्यंजन मिलाकर बहुत सारे वर्ण होते हैं।  उनमें से पहला वर्ण अ  को छोड़कर बाकी सभी वर्ण अभिन्नवर्ण हैं। फिर चाहे वह मृदु हो या कठोर हो इस से कोई फर्क नहीं पडता।
      • पहले नियम में अभिन्नस्वर का उल्लेख किया गया है। जिसका अर्थ है अ से अलग कोई भी स्वर। जैसे – आ इ उ ऋ इत्यादि। परन्तु अभिन्नवर्ण में अ को छोड कर स्वर और व्यञ्जनों सहित पूरी वर्णमाला समाहित है।

        विसर्ग का प्रयोग कौन से शब्द में होता है?

        'विसर्ग ( ः ) महाप्राण सूचक एक स्वर है। ब्राह्मी से उत्पन्न अधिकांश लिपियों में इसके लिये संकेत हैं। उदाहरण के लिये, रामः, प्रातः, अतः, सम्भवतः, आदि में अन्त में विसर्ग आया है।

        विसर्ग का प्रयोग कहाँ होता है Tatsam?

        विसर्ग का प्रयोग हिन्दी में सीमित है। विसर्ग की मूल अवधारणा और प्रयोग संस्कृत में बहुतायात में देखा जा सकता है। कुछ ही स्वरों और स्वरवाले व्यंजनों में इसका प्रयोग किया जाता है, जैसे — अत: ,स्वत:, दुःख, दुःस्वप्न, दुःसाध्य, प्रातः, पय:पान, मुख्यतः, वस्तुतः , अंशतः आदि।

        विसर्ग संधि का उदाहरण कौन सा है?

        विसर्ग संधि के उदाहरण : अंतः + करण : अन्तकरण अंतः + गत : अंतर्गत अंतः + ध्यान : अंतर्ध्यान अंतः + राष्ट्रीय : अंतर्राष्ट्रीय

        विसर्ग संधि की पहचान कैसे करें?

        विसर्ग संधि विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन मेल से जो विकार होता है उसे विसर्ग संधि कहते है। दूसरे शब्दों में- स्वर और व्यंजन के मेल से विसर्ग में जो विसर्ग होता है उसे विसर्ग संधि कहते है। हम ऐसे भी कह सकते हैं- विसर्ग ( : ) के साथ जब किसी स्वर अथवा व्यंजन का मेल होता है तो उसे विसर्ग-संधि कहते हैं।