भारतीय सशस्त्र सेनाएँ भारत की तथा इसके प्रत्येक भाग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी हैं। भारतीय शस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमान भारत के राष्ट्रपति के पास है। भारतीय सेना के प्रमुख कमांडर भारत के राष्ट्रपति हैं। राष्ट्र की रक्षा का दायित्व मंत्रिमंडल के पास होता है। इसका निर्वहन रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है, जो सशस्त्र बलों को देश की रक्षा के संदर्भ में उनके दायित्व के निर्वहन के लिए नीतिगत रूपरेखा और जानकारियां प्रदान करता है। भारतीय शस्त्र सेना में तीन प्रभाग हैं भारतीय थलसेना, भारतीय वायुसेना, भारतीय जलसेना, भारतीय तटरक्षक बल और इसके अतिरिक्त, भारतीय सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक संगठनों [12] (असम राइफल्स, और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स) और विभिन्न अंतर-सेवा आदेशों और संस्थानों में इस तरह के सामरिक बल कमान अंडमान निकोबार कमान और समन्वित रूप से समर्थन कर रहे हैं डिफेंस स्टाफ। भारत के राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर है। भारतीय सशस्त्र बलों भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय (रक्षा मंत्रालय) के प्रबंधन के तहत कर रहे हैं। 14 लाख से अधिक सक्रिय कर्मियों की ताकत के साथ,[13]यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य बल है।[14] अन्य कई स्वतंत्र और आनुषांगिक इकाइयाँ जैसे:भारतीय सीमा सुरक्षा बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, असम राइफल्स, राष्ट्रीय राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, इत्यादि। यह दुनिया के सबसे बड़ी और प्रमुख सेनाओं में से एक है। सँख्या की दृष्टि से भारतीय थलसेना के जवानों की सँख्या दुनिया में चीन के बाद सबसे अधिक है। जबसे भारतीय सेना का गठन हुआ है, भारत ने दोनों विश्वयुद्ध में भाग लिया है। भारत की आजादी के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ तीन युद्ध 1948, 1965, तथा 1971 में लड़े हैं जबकि एक बार चीन से 1962 में भी युद्ध हुआ है। इसके अलावा 1999 में एक युद्ध कारगिल युद्ध पाकिस्तान के साथ दुबारा लड़ा गया। भारतीय सेना परमाणु लैपटॉप, उन्नत तकनीक परमाणु हथियार से लैस है और उनके पास उचित ट्रायड मिसाइल अस्त्र-शस्त्र भी उपलब्ध है। हलांकि भारत ने पहले परमाणु हमले न करने का संकल्प लिया हुआ है। भारतीय सेना की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र है। इतिहास[संपादित करें]प्राचीनकालीन भारत[संपादित करें]भारत का सैन्य इतिहास कई हज़ार वर्ष पुराना है। भारतीय सेना के सब से पहले उल्लेख वेद, रमायण और महाभारत में मिलते हैं। यजुर्वेद का धनुर्वेद धनुर्विद्या या सैन्य विज्ञान का प्रथम ग्रंथ माना जाता है, जिस के अंतर्गत धनुष चलाने की विद्या का वर्णन दिया गया। मध्यकालीन भारत[संपादित करें]ब्रिटिश राज[संपादित करें]भारतीय अधिराज्य[संपादित करें]भारतीय गणराज्य[संपादित करें]परमाणु सिद्धांत[संपादित करें]भारतीय सिद्धान्तो(2003) के अनुसार - भारत किसी भी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा परन्तु भारत इसके लिए प्रतिबद्ध नही है। रक्षा सिद्धांत[संपादित करें]भारतीय सशष्त्र सेना की विन्गें स्वयं की खुफ़िया विभागों से सुसज्जित है। जो अपने मे ही दुनिया की उम्दा खुफिया एजंसियों मे से एक हैं। सैन्य सिद्धांत[संपादित करें]सेना का व्यय[संपादित करें]वित्त वर्ष 2014-15 के केन्द्रीय अंतरिम बजट में रक्षा आवंटन में 10 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करते हुए 224,000 करोड़ रूपए आवंटित किए गए। 2013-14 के बजट में यह राशि 203,672 करोड़ रूपए थी।[15] 2012-13 में रक्षा सेवाओं के लिए 1,93,407 करोड़ रुपए[16] का प्रावधान किया गया था, जबकि 2011-2012 में यह राशि 1,64,415 करोइ़[17] थी।
रक्षा उत्पादन के आधुनिकीकरण में 2007-2008 में 944.95 करोड़ खर्च किया गया जो कि बढ़ कर 2008-2009 में 1370.99 तथा 2009-2010 में 1243.47 करोड़ हो गया।[17] भारतीय सेना की शाखाएँ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
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