तुम कब जाओगे अतिथि पाठ के लेखक कौन हैं? - tum kab jaoge atithi paath ke lekhak kaun hain?

Question 4: दोपहर के भोजन को कौन सी गरिमा प्रदान की गई?

उत्तर: दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गई।

Question 5: तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

उत्तर: तीसरे दिन सुबह अतिथि ने कहा कि वह धोबी को कपड़े देना चाहता है।

Question 6: सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?

उत्तर: सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर अतिथि के लिए खिचड़ी बनने लगी।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 25 – 30 शब्दों में लिखिए:

Question 1: लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?

उत्तर: लेखक चाहता था कि अतिथि दूसरे दिन ही चला जाता तो अच्छा होता। फिर वह अतिथि को भावभीनी विदाई देता। वह अतिथि को स्टेशन तक छोड़ने भी जाता।

पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए:

Question 1: अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।

उत्तर: यह प्रसंग तब का है जब अतिथि का अभी अभी आगमन हुआ था। अतिथि के आने से उसके स्वागत सत्कार के खर्चे बढ़ जाते हैं। इससे एक मध्यम वर्गीय परिवार का पूरा बजट बिगड़ सकता है। इसलिए लेखक उस अनावश्यक खर्चे को लेकर चिंतित हो रहा था।

Question 2: अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।

उत्तर: एक कहावत है, “अतिथि देवो भव”। इसका मतलब होता है कि अतिथि देवता के समान होता है। लेकिन जब लेखक के अतिथि ने तीसरे दिन कपड़े धुलवाने के बहाने यह इशारा कर दिया कि वह अभी और दिन रुकेगा तो लेखक की समझ में आया कि अतिथि हमेशा देवता नहीं होता। लेखक को लगने लगा कि अतिथि एक मानव होता है जिसमें राक्षस की प्रवृत्ति भी दिखाई देती है। इसी राक्षसी प्रवृत्ति के कारण अतिथि लंबे समय तक टिक जाता है और अलग-अलग तरीकों से मेजबान को दुखी करता रहता है।

Question 3: लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।

उत्तर: लेखक का अतिथि ऐसा व्यक्ति है जिसे दूसरे का घर बड़ा अच्छा लगता है। दूसरे के घर ठहरने पर एक व्यक्ति खर्चे जोड़ने की चिंता से मुक्त रहता है और अपनी सारी परेशानियों को भूलकर आतिथ्य का आनंद लेता है। लेकिन यह व्यावहारिक नहीं है क्योंकि इससे मेजबान के सुखी जीवन में खलल पड़ने लगता है। इसलिए लेखक का मानना है कि अपने घर की मधुरता का आनंद लेना चाहिए लेकिन किसी दूसरे के घर की सुख शांति में खलल नहीं डालना चाहिए।


विषयसूची

  • 1 पाठ तुम कब जाओगे अतिथि में लेखक का बटुआ अंदर ही अंदर क्यों काँप गया *?
  • 2 मैं अपने कपड़े धोबी को देना चाहता हूं अतिथि द्वारा बोले गए इस वाक्य ने लेखक को परेशानी में क्यों डाल दिया?
  • 3 तुम कब जाओगे अतिथि पाठ के लेखक का नाम क्या है?
  • 4 तुम कब जाओगे अतिथि क्लास ९?
  • 5 आतिथ्य का क्या अर्थ है?
  • 6 लेखक क्या चाहता है?

पाठ तुम कब जाओगे अतिथि में लेखक का बटुआ अंदर ही अंदर क्यों काँप गया *?

इसे सुनेंरोकेंलेखक का बटुआ अन्दर ही अन्दर क्यों काँपने लगा था। Answer: लेखक अतिथि के आने से भयभीत हो गए। लेखक ने सोचा था कि अब अतिथि के लिए खर्च करना पड़ेगा। खर्च करने से बटुआ जवाब दे रहा था अत: बटुए का काँपना स्वाभाविक ही था।

मैं अपने कपड़े धोबी को देना चाहता हूं अतिथि द्वारा बोले गए इस वाक्य ने लेखक को परेशानी में क्यों डाल दिया?

इसे सुनेंरोकेंऐसा नहीं किया। सुबह उठते ही उसने जब लेखक से अपने कपड़े धोबी को देने की बात कही तब लेखक को इस बात को सुनकर जो आघात लगा वह अप्रत्याशित था। इसका प्रभावलेखक पर ऐसा पड़ा कि वह सोचने पर मजबूर हो गया कि अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।

आतिथ्य से लेखक का क्या तात्पर्य है *?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – लेखक का अतिथि ऐसा व्यक्ति है जिसे दूसरे का घर बड़ा अच्छा लगता है। दूसरे के घर ठहरने पर एक व्यक्ति खर्चे जोड़ने की चिंता से मुक्त रहता है और अपनी सारी परेशानियों को भूलकर आतिथ्य का आनंद लेता है।

लेखक और उसके बड़े भाई कहाँ रहते थे *?

इसे सुनेंरोकेंलेखक और उसके बड़े भाई कहाँ रहते थे? बड़े भाई साहब ने छोटे भाई पर रौब जमाने के लिए किस बात की दुहाई दी? जब कभी लेखक कहीं से आते थे तो बड़े भाई साहब उनसे क्या पूछते? लेखक के लिए क्या लेकर बैठना पहाड़ के समान था?

तुम कब जाओगे अतिथि पाठ के लेखक का नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकें’तुम कब जाओगे, अतिथि’ व्यंग्यात्मक कहानी के लेखक ‘शरद जोशी’ हैं।

तुम कब जाओगे अतिथि क्लास ९?

इसे सुनेंरोकें’तुम कब जाओगे, अतिथि’—यह प्रश्न लेखक के मन में तब घुमड़ने लगा जब लेखक ने देखा कि अतिथि को आए आज चौथा दिन है पर उसके मुँह से जाने की बात एक बार भी न निकली। लेखक अपने अतिथि को दिखाकर दो दिनों से तारीखें बदल रहा था। ऐसा करके वह अतिथि को यह बताना चाह रहा था कि उसे यहाँ रहते हुए चौथा दिन शुरू हो गया है।

तुम कब जाओगे अतिथि पाठ में पति पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?

इसे सुनेंरोकेंपति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया? उत्तर:- पति ने स्नेह से भीगी मुस्कान के साथ गले मिलकर और पत्नी ने आदर से नमस्ते करके उनका स्वागत किया।

कैलेंडर की फड़फड़ाती तारीखों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही हैं। लेखक कैलेंडर के द्वारा अतिथि को यह बताना चाहता है कि उसे लेखक के घर आए हुए 4 दिन हो चुके हैं इसलिए अब उसे यहां से चले जाना चाहिए। यदि अतिथि कैलेंडर को ध्यान से देखता तो उसे महसूस हो जाता कि उसे वहां आए 4 दिन हो गए हैं अब उसे जाना चाहिए।

आतिथ्य का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंआतिथ्य एक मेहमान तथा मेजबान के मध्य संबंध अथवा सत्कारशीलता का कृत्य अथवा प्रचलन है। जोकि मेहमान, आगंतुक अथवा अजनबियों; आश्रयस्थल, सदस्यता क्लब, कन्वेंशन, आकर्षणों, विशेष घटनाओं का स्वागत तथा मनोरंजन तथा यात्रियों तथा पर्यटकों के लिये अन्य सेवाये हैं।

लेखक क्या चाहता है?

Students can practice free MCQs as have been added by CBSE in the new Exam pattern….प्रश्न 10 – लेखक अंत में दुखी हो कर अतिथि से क्या कहता है?

Question no.Answer
10 D

लेखक के भाई साहब उनसे कितने बड़े थे *?

इसे सुनेंरोकेंExplanation: लेखक के भाई साहब उनसे उम्र में पाँच साल बड़े थे। वे नौवीं कक्षा में पढ़ते थे।

बड़े भाई में क्या गुण थे *?

इसे सुनेंरोकेंक- गंभीर प्रवृत्ति ख- हितैषी ग- वाककला में निपुण

तुम कब जाओगे अतिथि पाठ के लेखक कौन?

"तुम कब जाओगे अतिथि" के रचनाकार शरद जोशी है।

अतिथि तुम कब जाओगे पर लेख?

तुम्हारे आने के चौथे दिन, बार-बार यह प्रश्न मेरे मन में उमड़ रहा है, तुम कब जाओगे अतिथि! तुम कब घर से निकलोगे मेरे मेहमान! तुम जिस सोफ़े पर टांगें पसारे बैठे हो, उसके ठीक सामने एक कैलेंडर लगा है, जिसकी फड़फड़ाती तारीख़ें मैं तुम्हें रोज़ दिखा कर बदल रहा हूं.

तुम कब जाओगे अतिथि व्यंग्य लेख के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता है?

उत्तर – लेखक चाहता था कि अतिथि दूसरे दिन ही चला जाता तो अच्छा होता। फिर वह अतिथि को भावभीनी विदाई देता। वह अतिथि को स्टेशन तक छोड़ने भी जाता।

तुम कब जाओगे अतिथि पाठ का सारांश?

पाठ का सार लेखक के घर पर एक अतिथि चार दिनों से रह रहा है जिसे देखते हुए वे कहते हैं कि हे अतिथि ! तुम्हें देखते ही मेरा बटुआ काँप गया था। फिर भी हमने भरसक मुस्कान के साथ तुम्हारा स्वागत किया था। रात के भोजन को मध्यम- वर्गीय डिनर जैसा भारी-भरकम बना दिया था।