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Published in JournalYear: Dec, 2018 Article Details
वर्ण से आप क्या समझते है प्राचीन काल में विभिन्न वर्णों के कर्त्तव्यों का उल्लेख कीजिए?भारत में वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत समाज को चार भागों में बाँटा गया है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। प्रारम्भ में वर्ण व्यवस्था कर्म-आधारित थी जो उत्तर वैदिक काल के बाद जन्म-आधारित हो गयी। ब्राह्मण– पुजारी, विद्वान, शिक्षक, कवि, लेखक आदि। क्षत्रिय– योध्दा, प्रशासक, राजा।
वर्ण से आप क्या समझते हैं?वर्ण- वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते। जैसे- अ, ई, व, च, क, ख् इत्यादि। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है, इसके और खंड नहीं किये जा सकते। उदाहरण द्वारा मूल ध्वनियों को यहाँ स्पष्ट किया जा सकता है।
वर्ण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं इसकी उत्पत्ति संबंधी सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए?दैविक उत्पत्ति का सिद्धान्त- ऋग्वेद, जो आर्य जाति की प्रथम रचना है, वर्ण-व्यवस्था को ईश्वर द्वारा निर्मित बताता है। इसके अनुसार ब्रह्मा के मुख से ब्राह्मण, भुजाओं से क्षत्रिय, उदर से वैश्य तथा चरणों से शूद्र उत्पन्न हुये।
वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था में विभिन्न वर्णों की स्थिति क्या थी?वर्ण व्यवस्था को पूर्णतः जन्म पर आधारित कर दिया गया था। समाज में खानपान, व्यवसाय ऊँच-नीच का भेदभाव स्थापित हो चुका था। इस काल में ब्राह्मणों और क्षत्रियों की स्थिति मजबूत हुई । वैश्यों से शिक्षा का अधिकार छीन लिया गया।
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