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सरदार पटेल के बारे में कितना जानते हैं आप15 दिसंबर 2017 अपडेटेड 15 दिसंबर 2018 इमेज स्रोत, PHOTO DIVISON भारत के लौह पुरुष और पहले उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की शनिवार को 68वीं पुण्यतिथि है. उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में हुआ था. उन्होंने अपनी अंतिम सांस 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में ली. किसान परिवार में जन्मे पटेल अपनी कूटनीतिक क्षमताओं के लिए भी याद किए जाते हैं. आज़ाद भारत को एकजुट करने का श्रेय पटेल की सियासी और कूटनीतिक क्षमता को ही दिया जाता है. जानते हैं उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलू22 साल में पास की 10वीं की परीक्षासरदार पटेल को अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने में काफी वक्त लगा. उन्होंने 22 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास की. परिवार में आर्थिक तंगी की वजह से उन्होंने कॉलेज जाने की बजाय किताबें लीं और ख़ुद ज़िलाधिकारी की परीक्षा की तैयारी करने लगे. इस परीक्षा में उन्होंने सर्वाधिक अंक प्राप्त किए. 36 साल की उम्र में सरदार पटेल वकालत पढ़ने के लिए इंग्लैंड गए. उनके पास कॉलेज जाने का अनुभव नहीं था फिर भी उन्होंने 36 महीने के वकालत के कोर्स को महज़ 30 महीने में ही पूरा कर दिया.
इमेज स्रोत, Photo division जब पत्नी के निधन की ख़बर मिलीसरदार पटेल की पत्नी झावेर बा कैंसर से पीड़ित थीं. उन्हें साल 1909 में मुंबई (उस समय बंबई) के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान ही झावेर बा का निधन हो गया. उस समय सरदार पटेल अदालती कार्यवाही में व्यस्त थे. कोर्ट में बहस चल रही थी. तभी एक व्यक्ति ने कागज़ में लिखकर उन्हें झावेर बा की मौत की ख़बर दी. पटेल ने वह संदेश पढ़कर चुपचाप अपने कोट की जेब में रख दिया और अदालत में जिरह जारी रखी और मुक़दमा जीत गए. जब अदालती कार्यवाही समाप्त हुई तब उन्होंने अपनी पत्नी की मृत्यु की सूचना सबको दी. पासपोर्ट में बड़ेभाई जैसा नाम साल 1905 में वल्लभ भाई पटेल वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड जाना चाहते थे. लेकिन पोस्टमैन ने उनका पासपोर्ट और टिकट उनके भाई विठ्ठल भाई पटेल को सौंप दिया. दोनों भाइयों का शुरुआती नाम वी जे पटेल था. ऐसे में विठ्ठल भाई ने बड़ा होने के नाते उस समय खुद इंग्लैंड जाने का फ़ैसला लिया. वल्लभ भाई पटेल ने उस समय न सिर्फ बड़े भाई को अपना पासपोर्ट और टिकट दिया, बल्कि उन्हें इंग्लैंड में रहने के लिए कुछ पैसे भी भेजे. सरदार पटेल और सोमनाथ मंदिरआज़ादी से पहले जूनागढ़ रियासत के नवाब ने 1947 में पाकिस्तान के साथ जाने का फ़ैसला किया था. लेकिन भारत ने उनका फ़ैसला स्वीकार करने के इनकार करके उसे भारत में मिला लिया. भारत के तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री सरदार पटेल 12 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ पहुंचे. उन्होंने भारतीय सेना को इस क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने के निर्देश दिए और साथ ही सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया. सरदार पटेल, केएम मुंशी और कांग्रेस के दूसरे नेता इस प्रस्ताव के साथ महात्मा गांधी के पास गए. इमेज स्रोत, PRAMOD KAPOOR ऐसा बताया जाता कि महात्मा गांधी ने इस फ़ैसले का स्वागत किया, लेकिन ये भी सुझाव दिया कि निर्माण के खर्च में लगने वाला पैसा आम जनता से दान के रूप में इकट्ठा किया जाना चाहिए, ना कि सरकारी ख़ज़ाने से दिया जाना चाहिए. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.) (प्रत्येक 2 अंक) प्रश्न 1. जज को पटेल की सजा के लिए आठ पंक्तियों का फैसला लिखने में डेढ़ घण्टा क्यों लगा ? ‘दिए जल उठे’ पाठ के आधार पर लिखिए। प्रश्न 2. ‘दिए जल उठे’ पाठ के द्वारा लेखक क्या प्रेरणा देना चाहता है ? प्रश्न 3. "इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें" गांधी जी ने यह किसके लिए और किस सन्दर्भ में कहा ? प्रश्न 4. ”यह धर्म यात्रा है, चलकर पूरी करूँगा।“ गाँधी जी ने ऐसा कब और क्यों कहा ? पठित पाठ के आधार पर लिखिए। प्रश्न 5. गांधी जी के पार उतरने के बाद भी लोग तट पर क्यों खड़े थे ? प्रश्न 6. सरदार पटेल की गिरफ्तारी का देश
पर क्या असर हुआ ? प्रश्न 7. रघुनाथ काका कौन थे? उन्हें लोगों ने निषादराज क्यों कहना शुरू कर दिया ? ‘दिए जल उठे’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। प्रश्न 8. ‘मैं चलता हूँ अब आपकी बारी है’ सरदार पटेल के इस कथन का पाठ के सन्दर्भ में आशय स्पष्ट
कीजिए।
व्याख्यात्मक हल: प्रश्न 9. किस कारण से प्ररित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल के गिरफ्तार करने का आदेश दिया ? (प्रत्येक 3 अंक) प्रश्न 1. महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था?
व्याख्यात्मक हल: प्रश्न 2. पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि कैसी भी
कठिन परिस्थिति हो, उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है? अपने शब्दों में लिखिए। प्रश्न 3. गांधी जी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गांधी कोई काम
अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए? प्रश्न 4. इस पाठ से सरदार पटेल की कौन सी
विशेषताएँ पता चलती हैं? सरदार पटेल के जीवन के बारे में कुछ वाक्य लिखिए। प्रश्न 5. जनता ने किस प्रकार गांधी का साथ दिया? पाठ के आधार पर लिखिए
। प्रश्न 6. गांधी जी द्वारा अपनाए गए विभिन्न मूल्यों को
लिखिए। प्रश्न 7. सरकारी कानून को तोड़कर सत्याग्राही नमक क्यों बनाना चाहते थे? क्या किसी कानून को तोड़ना उचित है? उत्तर दीजिए। प्रश्न 8. पाठ में गांधीजी ने ‘ब्रितानी कुशासन’ का जिक्र किया है। इस विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए। प्रश्न 9. अंग्रेजों के भारत आने से पहले भारत की विश्व में क्या स्थिति थी? प्रश्न 10. गांधी जी ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए त्याग, दृढ़निश्चय और साहस अहिंसा को अपना हथियार बनाया। आज की स्थिति में देश के चहुँमुखी विकास के लिए कौन से जीवन मूल्य
अनिवार्य हैं? प्रश्न 11. ‘रास’ नामक स्थान पर पहुँचने के बाद गाँधी जी ने अपने भाषण में क्या-क्या बातें कहीं? प्रश्न 12. ”इनसे आप त्याग और हिम्मत सीखें“
गांधी जी ने यह पंक्ति किसके लिए और क्यों कहीं? इससे हमें क्या प्रेरणा मिलती है? प्रश्न 13. ‘दिए जल उठे’ पाठ के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए। वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी पर लोिों ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?उन्हें वहाँ भाषण नहीं देना था लेकिन आए लोगों ने सरदार को दो शब्द भाषण में बोलने के लिए कहा। उन्होंने लोगों से सत्याग्रह के लिए तैयार होने के लिए कहा। इस कार्य को शासन के विरूद्ध माना गया। यही कारण था कि कलेक्टर ने उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया।
सरदार वल्लभभाई पटेल को किसने गिरफ्तार करवाया और क्यों?जहाँ कलेक्टर शिलिडी सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा किए जा रहे आंदोलन को दबाने के लिए आया था। वहाँ से भगाये जाने को वह अपमान के रूप में देख रहा था और इसी अपमान का बदला लेने के लिए कलेक्टर शिलिडी ने सरदार वल्लभभाई पटेल को मनाही के आदेश को भंग करने के आरोप में गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर हमला है यह कथन किसका है?मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा, “सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर हमला है।
जेल जाते समय पटेल जी गांधी जी से मिलने कौन से आश्रम आए?इसके लिए उन्हें अहमदाबाद की साबरमती जेल में लाया जा रहा था। जेल का रास्ता आश्रम से होकर जाता था। गांधी जी उनसे मिलने आश्रम से बाहर सड़क पर आ गए थे, जहाँ दोनों नेताओं की मुलाकात हुई।
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