विकिरण विधि क्या है उदाहरण सहित समझाइए? - vikiran vidhi kya hai udaaharan sahit samajhaie?

भौतिकी में प्रयुक्त विकिरण ऊर्जा का एक रूप है जो तरंगों या किसी परमाणु या अन्य निकाय द्वारा उत्सर्जित गतिशील उपपरमाणुविक कणों के रूप में उच्च से निम्न ऊर्जा अवस्था की ओर चलती है। विकिरण को परमाणु पदार्थ पर उसके प्रभाव के आधार पर या विआयनीकारक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। विकिरण जो अणु या परमाणु का आयनीकरण करने मे सक्षम होता है उसमे उर्जा का स्तर विआयनीकारक विकिरण से अधिक होता है। रेडियोधर्मी पदार्थ वो भौतिक पदार्थ है जो कि आयनीकारक विकिरण उत्सर्जित करती है। और दृश्य - विकिरण की खोज न्यूटन ने किया

विकिरण विधि क्या है उदाहरण सहित समझाइए? - vikiran vidhi kya hai udaaharan sahit samajhaie?

तीन भिन्न प्रकार के विकिरण और उनका भेदन

विकिरण के प्रकार[संपादित करें]

मुख्यत: विकिरण तीन प्रकार के होते हैं: अल्फा, बीटा और गामा विकिरण। ये सभी एक अस्थिर परमाणु के नाभिक से उत्सर्जित होते हैं। स्वतःस्फूर्त होने वाले परमाणु विखंडन, पोजीट्रान उत्सर्जन और न्यूट्रॉन उत्सर्जन सामान्यतः कम देखने मे आते हैं। इलेक्ट्रॉन ग्रसन के परिणाम से स्वतःस्फूर्त क्ष-किरण (एक्स रे) का उत्सर्जन होता है। रेडियम के कुछ आइसोटोप क्षय विधा मे होते हैं जहाँ वे एक संपूर्ण 12C6 नाभिक का उत्सर्जन करते हैं।

खोज[संपादित करें]

विल्हेम राँन्टजेन को एक्स किरणों की खोज का श्रेय जाता है। ट्रिडियम के आइसोटोप के साथ विभिन्न प्रयोगों के दौरान, निर्वात मे विद्युत आवेश को मापते हुये उन्होंने फोटोनीय उत्सर्जन मे एक बड़ा परिवर्तन अनुभव किया। जब उन्होंने ट्रिडियम की तस्वीरें ली तब उन्होंने पाया कि एक ठोस टुकड़े की अवस्था बड़ी तेजी से बिगड़ती है। हेनरी बेक्युरेल ने पाया कि यूरेनियम लवण के कारण एक बिना खुली फोटो प्लेट धुंधला गयी और मेरी क्युरी ने पाया कि केवल कुछ तत्वों ने इन ऊर्जा किरणों को रोका। उन्होंने इस व्यवहार को रेडियोधर्मिता कह कर पुकारा। दिसंबर 1898 में मेरी क्युरी और पियरे क्युरी ने पिचब्लेंडी में रेडियम की खोज की। यह नया तत्व था और यूरेनियम की तुलना में दो लाख गुना अधिक रेडियोधर्मी था।

इन्हें भी देखे[संपादित करें]

प्रतिदीप्ति Fluorescence

स्फुरदीप्ति Phosphorescent

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • मानव स्वास्थ्य और रेडिएशन (मदन जैड़ा)

ऊष्मा संचरण की इस विधि में माध्यम कोई भाग नहीं लेता है। इस विधि में ऊष्मा, गरम वस्तु से ठण्डी वस्तु की ओर बिना किसी माध्यम की सहायता के (अर्थात् निर्वात में भी) तथा बिना माध्यम को गरम किए प्रकाश की चाल में सीधी रेखा में संचरित होती है। 

उदाहरण

पृथ्वी पर सूर्य से ऊष्मा विकिरण विधि द्वारा ही प्राप्त होती है। सूर्य तथा पृथ्वी के बीच बहुत अधिक स्थान में कोई भी माध्यम नहीं है तथा निर्वात फैला हुआ है, अत: चालन अथवा संवहन की विधि से ऊष्मा पृथ्वी तक नहीं आ सकती है (क्योंकि इनके लिए माध्यम आवश्यक है)। माध्यम की अनुपस्थिति में ऊष्मा पृथ्वी तक विकिरण द्वारा प्रकाश तरंगों के साथ पहुंचती है। विकिरण में ऊष्मा, तरंगों के रूप में चलती है जिन्हें ‘विद्युत-चुम्बकीय तरंगे’ कहते हैं। 

उपयोग

  • चाय की केतली की बाहरी सतह चमकदार बनायी जाती है: चमकदार सतह न तो बाहर से ऊष्मा का अवशोषण करती है और न भीतर की ऊष्मा बाहर जाने देती है। अत: चाय देर तक गर्म बनी रहती है।
  • प्रयोगशाला में ऊष्मामापी की बाहरी सतह को, इंजन में भाप की नलियों को तथा गर्म जल ले जाने वाले पाइपों की बाहरी सतहों को पॉलिश द्वारा चमकदार बनाकर विकिरण द्वारा होने वाले ऊष्मा-ह्रास (Heat-loss) को घटाया जाता है। 
  • पॉलिश किए हुए जूते धूप में शीघ्र गर्म नहीं होते क्योंकि वे अपने ऊपर गिरने वाली ऊष्मा का अधिकांश भाग परावर्तित कर देते हैं।
  • रेगिस्तान दिन में बहुत गरम तथा रात में बहुत ठण्डे हो जाते हैं: रेत ऊष्मा का अवशोषक है, अत: दिन में सूर्य की ऊष्मा को अवशोषित करके गर्म हो जाता है। रात में वह अपनी ऊष्मा को विकिरण द्वारा खोकर ठण्डा हो जाता है।
  • बादलों वाली रात, स्वच्छ आकाश वाली रात की अपेक्षा गर्म होती है: दिन में सूर्य की गरमी से पृथ्वी गर्म हो जाती है तथा रात को विकिरण द्वारा ठण्डी होती है। जब आकाश स्वच्छ होता है, तो ऊष्मा विकिरण द्वारा पृथ्वी से आकाश की ओर चली जाती है। परन्तु जब आकाश में बादल छाए रहते हैं, तो ऊष्मा के विकिरण बादलों से टकराते हैं। परन्तु बादल ऊष्मा के बुरे अवशोषक है, अत: ऊष्मा के विकिरण पृथ्वी की ओर वापस आ जाते हैं जिससे पृथ्वी गर्म ही बनी रहती है।

विकिरण विधि क्या है?

By Brajendra|Updated : August 1st, 2022

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ऊष्मा संचरण की वह विधि जिसमें न तो पदार्थ के कणों का स्थानांतरण होता है और ना ही पदार्थ के बीच पड़ने वाला माध्यम गर्म होता है। इसमें ऊष्मा संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। बल्कि ऊष्मा, सीधे ही स्रोत से प्राप्त होती है। ऊष्मा संचरण की इस प्रक्रिया को विकिरण कहते हैं।

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Summary:

विकिरण विधि क्या है?

विकिरण ऊष्मा संचरण की एक विधि है। ऊष्मा संचरण की तीन विधियां होती है चालान, संवहन और विकिरण। विकिरण द्वारा ऊष्मा का संचरण बिना माध्यम के होता है। इस विधि में ऊष्मा सीधे स्रोत से प्राप्त होती है। सूर्य का प्रकाश विकिरण विधि द्वारा ही पृथ्वी पर आता है।

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विकिरण क्या है उदाहरण सहित?

वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार: विकिरण ऊर्जा का वह प्रकार है जो अंतराल मे यात्रा करते समय तरंग जैसा व्यवहार करता है। इस परिभाषा के अंतर्गत विकिरण मे साधारण दृश्य प्रकाश किरणे, अवरक्त प्रकाश(टी वी के रीमोट से उत्सर्जित) किरणे, रेडीयो तरंग(मोबाईल, रेडीयो, टीवी द्वारा प्रयुक्त), पराबैंगनी किरणे, एक्स रे आ जाती है।

विकिरण विधि क्या है?

ऊष्मा संचरण की वह विधि जिसमें न तो पदार्थ के कणों का स्थानांतरण होता है और ना ही पदार्थ के बीच पड़ने वाला माध्यम गर्म होता है। इसमें ऊष्मा संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। बल्कि ऊष्मा, सीधे ही स्रोत से प्राप्त होती है।

विकिरण क्या है विकिरण के विभिन्न रूपों का वर्णन करें?

मुख्यत: विकिरण तीन प्रकार के होते हैं: अल्फा, बीटा और गामा विकिरण। ये सभी एक अस्थिर परमाणु के नाभिक से उत्सर्जित होते हैं। स्वतःस्फूर्त होने वाले परमाणु विखंडन, पोजीट्रान उत्सर्जन और न्यूट्रॉन उत्सर्जन सामान्यतः कम देखने मे आते हैं। इलेक्ट्रॉन ग्रसन के परिणाम से स्वतःस्फूर्त क्ष-किरण (एक्स रे) का उत्सर्जन होता है।

विकिरण के स्रोत क्या है?

प्राकृतिक पार्श्वपृष्ठीय विकिरण के स्रोत हैं; अंतरिक्ष किरणें तथा भौमिक स्रोत, जमीन, इमारतों की दीवारों व फर्श से उत्सर्जित होने वाले रेडियो सक्रिय पदार्थ जैसे कि रेडॉन, तथा भोज्य एवं पेय पदार्थों में प्राकृतिक रूप से उपस्थित रेडियोसक्रिय पदार्थ ।