भारत में विकलांगताः समस्याएँ एवं समाधान
चर्चा में क्यों? Show प्रधानमंत्री द्वारा अपने ‘मन की बात’ संबोधन में ‘विकलांग’ शब्द के स्थान पर ‘दिव्यांग’ शब्द के प्रयोग के आग्रह एवं इससे जुड़े विमर्श ने विकलांग जनों को चर्चा के केन्द्र में ला दिया है। विकलांगता क्या है? सामान्य अर्थों में विकलांगता ऐसी शारीरिक एवं मानसिक अक्षमता है जिसके चलते कोई व्यक्ति सामान्य व्यक्तियों की तरह किसी कार्य को करने में अक्षम होता है। तकनीकी दृष्टि से विकलांग एवं विकलांगता व्यापक संदर्भ वाले शब्द हैं जिनकी एक से अधिक परिवर्तनशील परिभाषाएँ हैं। भारत में ऐसे व्यक्ति को विकलांग माना गया है जो चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रमाणित 40 प्रतिशत से कम विकलांगता का शिकार न हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जहाँ विश्व की 15 प्रतिशत आबादी किसी-न-किसी रूप में विकलांगता से पीडि़त है वहीं भारत की महज 2.21 प्रतिशत आबादी ही विकलांगता से पीडि़त है। आँकड़ों की ये विसंगति विकलांगता के लिये तय मानकों में भिन्नता के कारण है। भारत में विकलांगता की श्रेणियाँ
नोटः ध्यातवय है कि निःशक्त व्यक्ति अधिकार विधेयक, 2014 में दिव्यांगों की श्रेणियाँ 7 ही थीं। पुनर्वास एवं आत्मनिर्भरता बढ़ाने हेतु प्रयास विकलांग जनों का आर्थिक पुनर्वास उनके सामाजिक पुनर्वास की प्राथमिक शर्त है, जबकि विकलांगों का चिकित्सीय एवं शैक्षिक पुनर्वास उनके आर्थिक पुनर्वास का माध्यम है और उनके सशक्तीकरण के लिये अत्यन्त आवश्यक भी है। विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर यूएन कन्वेंशन का अनुच्छेद 9 राष्ट्रीय सरकारों को सूचना, परिवहन, भौतिक वातावरण, संचार प्रौद्योगिकी और विभिन्न सेवाओं तक विकलांग व्यक्तियों की पहुँच सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपता है। इस दिशा में भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अन्तर्गत विकलांग जन सशक्तीकरण विभाग ने एक राष्ट्रव्यापी फ्लैगशिप अभियान के तौर पर ‘सुगम्य भारत अभियान’ की शुरुआत की है। विकलांग व्यक्तियों को स्वरोज़गार के लिये रियायती ब्याज दरों पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने हेतु 1997 में राष्ट्रीय विकलांग वित्त एवं विकास निगम की स्थापना की गई थी। इसके अलावा उनके कौशल उन्नयन हेतु दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना के अन्तर्गत व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। विकलांगों के सशक्तीकरण की दिशा में सरकारी प्रयास संविधान का अनुच्छेद 41 निःशक्तजनों को लोक सहायता उपलब्ध कराने की व्यवस्था करता है। इसी प्रकार सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का उद्देश्य भी एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहाँ विभिन्न पिछड़े एवं कमजोर तबकों के साथ-साथ विकलांग जनों को एक सुरक्षित सम्मानित और समृद्ध जीवन सुलभ कराया जा सके। विकलांग जनों के कल्याण एवं विकास हेतु सरकार द्वारा किये गए कुछ प्रमुख प्रयास इस प्रकार हैं-
विकलांग जनों के पुनर्वास उपायों को मूलतः तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
कुछ प्रकार की निर्योग्यताओं के प्रतीक निर्योग्यता (disability) एक व्यापक शब्द है जो किसी व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, ऐन्द्रिक, बौद्धिक विकास में किसी प्रकार की कमी को इंगित करता है। इसके लिए 'अशक्तता', 'नि:शक्तता' (विधि), 'अपंगता', अपांगता' आदि शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है। निर्योग्यता के प्रकार[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
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