शब्दांश या अव्यय जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ बनाते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। उपसर्ग = उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का अर्थ है- किसी शब्द के साथ जुड़कर नया शब्द बनाना। जो शब्दांश शब्दों के अंत में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ मतलब लाते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं। चलिए उपसर्ग और प्रत्यय ( Upsarg Pratyay ) विस्तार से जानते हैं। Show
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उपसर्ग और प्रत्यय में अंतर
उदाहरण हिन्दी में मुख्यतः चार प्रकार के उपसर्ग होते है:-
संस्कृत के उपसर्ग (तत्सम)संस्कृत के 22 मूल उपसर्ग हैं:-
हिन्दी के उपसर्ग (तद्भव)हिन्दी के उपसर्ग ज्यादातर संस्कृत उपसर्गों के अपभ्रंश (aberration) हैं, ये विशेषकर तद्भव शब्दों के पहले आते हैं:-
उर्दू के उपसर्गउर्दू भाषा के निम्न उपसर्गों का प्रयोग किया जाता है:-
अंग्रेजी के उपसर्गअंग्रेजी भाषा के निम्न उपसर्गों का प्रयोग किया जाता है:-
प्रत्ययप्रत्यय = प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है,पीछे चलना। जो शब्दांश शब्दों के अंत में विशेषता या परिवर्तन ला देते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे- दयालु= दया शब्द के अंत में आलु जुड़ने से अर्थ में विशेषता आ गई है। अतः यहाँ ‘आलू’ शब्दांश प्रत्यय है। प्रत्ययों का अपना अर्थ कुछ भी नहीं होता और न ही इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जाता है। प्रत्यय के दो भेद हैं- कृत् प्रत्ययवे प्रत्यय जो धातु में जोड़े जाते हैं, कृत प्रत्यय कहलाते हैं। कृत् प्रत्यय से बने शब्द कृदंत (कृत्+अंत) शब्द कहलाते हैं।जैसे- लेख् + अक = लेखक। यहाँ अक कृत् प्रत्यय है, तथा लेखक कृदंत शब्द है। उदाहरण
तद्धित प्रत्ययवे प्रत्यय जो धातु को छोड़कर अन्य शब्दों- संज्ञा, सर्वनाम व विशेषण में जुड़ते हैं, तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। तद्धित प्रत्यय से बने शब्द तद्धितांत शब्द कहलाते हैं। चलिए देखते हैं उपसर्ग और प्रत्यय के इस ब्लॉग में जैसे- सेठ + आनी = सेठानी। यहाँ आनी तद्धित प्रत्यय हैं तथा सेठानी तद्धितांत शब्द है। उदाहरण
उपसर्ग और प्रत्यय PDF Download 50 उपसर्ग के उदाहरण
50 प्रत्यय के उदारहण
उपसर्ग और प्रत्यय WorksheetFAQउपसर्ग और प्रत्यय क्या होते हैं? शब्दांश या अव्यय जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ बनाते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। उपसर्ग = उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का अर्थ है- किसी शब्द के साथ जुड़कर नया शब्द बनाना। जो शब्दांश शब्दों के आदि में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ मतलब लाते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं। उपसर्ग और प्रत्यय को कैसे पहचानें? उपसर्ग के सामान प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के शब्द उपसर्ग के कितने प्रकार होते हैं? संस्कृत के उपसर्ग – तत्सम शब्दों में प्रयोग किये जाने वाले उपसर्ग संस्कृत के उपसर्ग होते हैं। हिंदी के उपसर्ग – तद्भव शब्दों में प्रयोग किये जाने वाले उपसर्ग को हिंदी के उपसर्ग कहते हैं। आगत उपसर्ग – हिंदी में प्रयोग किये जाने वाले विदेशी भाषाओं (अरबी, फारसी, उर्दू, अंगेजी) के उपसर्ग आगत उपसर्ग कहलाते हैं। प्रत्यय कैसे लगाते हैं? अक = लेखक , नायक , गायक , पाठक अक्कड = भुलक्कड , घुमक्कड़ , पियक्कड़ आक = तैराक , लडाक आलू = झगड़ालू आकू = लड़ाकू , कृपालु , दयालु आड़ी = खिलाडी , अगाड़ी , अनाड़ी इअल = अडियल , मरियल , सडियल एरा = लुटेरा , बसेरा ऐया = गवैया आदि उपसर्ग कैसे लिखते हैं? संस्कृत के उपसर्ग तथा उनसे बने शब्द यदि आपको हमारा यह ब्लॉग, उपसर्ग और प्रत्यय (Upsarg Pratyay) पसंद आया हो और आपको ब्लाॅग्स पढने में रुचि हो तो Leverage Edu पर ऐसे कई और ब्लाॅग्स मौजूद हैं। अगर आप विदेश में पढ़ना चाहते हैं तो हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800 572 000 पर कांटेक्ट कर आज ही 30 मिनट का फ्री सैशन बुक करें। उपसर्ग मूल रूप में क्या है?शब्दांश या अव्यय जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ बनाते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। उपसर्ग = उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का अर्थ है- किसी शब्द के साथ जुड़कर नया शब्द बनाना। जो शब्दांश शब्दों के अंत में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ मतलब लाते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं।
प्रत्यय मूल रूप से क्या होते हैं?प्रत्यय वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – प्रति + अय। प्रति का अर्थ होता है 'साथ में, पर बाद में" और अय का अर्थ होता है "चलने वाला", अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला।
उपसर्ग और मूल शब्द का अर्थ क्या है?उपसर्ग उस शब्दांश को कहते हैं जो किसी शब्द के पहले लगकर एक नए शब्द की रचना करता है और मूल शब्द के अर्थ को व्यक्त करता है। जैसे 'मान' शब्द में अभि' उपसर्ग लगाने पर एक नया शब्द 'अभिमान' बना। मान रूठने के अर्थ में जबकि 'अभिमान' घमण्ड के अर्थ में प्रयुक्त होता है।
उपसर्ग मूल शब्द के कहाँ लगाते हैं?उपसर्ग(Upsarg) शब्द के पहले आते हैं। जैसे - अन उपसर्ग बन शब्द के पहले रख देने से एक शब्द अनबन बनता है, जिसका विशेष अर्थ मनमुटाव है। कुछ उपसर्गों के योग से शब्दों के मूल अर्थ में परिवर्तन नहीं होता, बल्कि तेजी आती है। जैसे - भ्रमण शब्द के पहले परि उपसर्ग लगाने से अर्थ में अंतर न होकर तेजी आई।
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