धारा 3 3 के अनुसार कितने दस्तावेजों को द्विभाषी रूप में जारी करना अनिवार्य है? - dhaara 3 3 ke anusaar kitane dastaavejon ko dvibhaashee roop mein jaaree karana anivaary hai?

Skip to content

  • Home
  • About CEERI
    • Profile
    • Director
    • Mission
    • History
    • Maps & Location
  • Departments
    • Advanced Information Technologies Group
    • Integrated Circuits and Systems Group
    • Vaccum Electron Devices Group
    • High-Frequency Devices and System Group
    • High-Power Microwave Systems Group
    • Semiconductor Sensors and Microsystems Group
    • Semiconductor Process Technology Group
    • Institute R and D Facility Group
  • Facility
    • Institute Network Management Facility
    • Mechanical Design and Fabrication Facility
    • NABL Accredited Testing Facility
    • Semiconductor Device Fabrication Facility
    • Vacuum Electron Devices Fabrication Facility
  • Research
    • R&D Division
    • Technology
    • Research Projects
    • IP Unit
    • µWave-THz Tech & Applications
  • Contact Us
  • Mail

धारा 3 3 के अनुसार कितने दस्तावेजों को द्विभाषी रूप में जारी करना अनिवार्य है? - dhaara 3 3 ke anusaar kitane dastaavejon ko dvibhaashee roop mein jaaree karana anivaary hai?

राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 3(3) के अंतर्गत उल्लिखित दस्तावेजों को द्विभाषी (हिन्दी-अंग्रेजी) रूप में जारी करने की अनिवार्यता

राजभाषा नीति तथा उपलब्धियाँ

1.परिचय –
भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी वैज्ञानिकों की एक अखिल भारतीय संस्था है, जिसकी स्थापना 7 जनवरी, 1935 को हुई। अकादमी का उद्देश्य भारत में विज्ञान को बढ़ावा देना और मानवता तथा राष्ट्रीय कल्याण के लिए वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग सुनिश्चित करना है।

2. राजभाषा नीति का कार्यान्वयन -
अकादमी में राजभाषा नीति को लागू करने के पूर्ण प्रयास किए जाते हैं।जिसका विवरण निम्नलिखित है –

राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 3(3) का अनुपालन - 
 अकादमी में राजभाषा के अधिनियम की धारा 3(3) का पूर्ण रूप से पालन किया जाता है जिसके तहत सामान्य आदेश, ज्ञापन, संकल्प, अधिसूचनाएँ, नियम, करार, संविदा, टेंडर नोटिस, संसदीय प्रश्न आदि द्विभाषी रूप में जारी किए जाते हैं।

राजभाषा नियम 1976 का अनुपालन - 
राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 3(4) और धारा 8 में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए राजभाषा विभाग द्वारा बनाए गए सभी नियमों का पालन करने के पूर्ण प्रयास किए जाते हैं –

नियम 5 का अनुपालन –
अकादमी में हिन्दी में प्राप्त सभी पत्रों का उत्तर अनिवार्य रुप से हिन्दी में ही दिया जाता है। इस प्रकार राजभाषा नियम 5 का नियमित रुप से पालन किए जाने के पूर्ण प्रयास किए जाते हैं।

नियम 8(4) का अनुपालन –
अकादमी में राजभाषा नियम 8 (4) का पूर्ण रूप से अनुपालन किया जाता है जिसके तहत प्रतिवर्ष अकादमी के अध्यक्ष द्वारा हिंदी में प्रवीणता प्राप्त सभी स्टाफ सदस्यों को कुछ विनिर्दिष्ट कार्य हिंदी में ही करने के आदेश जारी किए जाते हैं तथा अन्य कार्य हिंदी में करने का प्रयास करने के लिए लिए आदेश जारी किए जाते हैं।

नियम 10 (4) का अनुपालन –
केंद्रीय सरकार की अधिसूचना सं. ई-11012/1/94-हिंदी 29 अप्रैल, 1994 के माध्यम से राजभाषा संघ के शासकीय प्रयोजनों के प्रयोग के लिए नियम, 1976 के नियम 10 के उप नियम (4) के अनुसरण में अकादमी के 80 % स्टाफ सदस्यों के उक्त नियम के प्रयोजनों के लिए हिंदी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त करने के लिए इसे राजपत्र में अधिसूचित किया गया है।

नियम 11 का अनुपालन –
अकादमी में सभी प्रकार के फार्म, नामपट्ट, बैनर, निमंत्रण पत्र, मोहरें इत्यादि द्विभाषी रूप में छपवाई जाती है। अतः राजभाषा नियम 11 को अनुपालन  करने के पूर्ण प्रयास किए जाते हैं।

3. अन्य कार्य एवम् उपलब्धियाँ -
राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अकादमी द्वारा किए जाने वाले अन्य कार्य एवम् उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं –

(क) राजभाषा कार्यान्वयन समिति की तिमाही बैठकें –
वर्ष के दौरान राजभाषा कार्यान्वयन समिति की चार तिमाही बैठकें आयोजित की जातीं हैं तथा इन बैठकों में राजभाषा नीति लागू करने के बारे में समीक्षा करके इन्हें कड़ाई से लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।

(ख)  राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग संबंधी तिमाही प्रगति रिपोर्ट का निर्धारित समय पर मंत्रालय को भेजना-
अकादमी में राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग से संबंधित रिपोर्ट तैयार की जाती है जिसे प्रत्येक तिमाही की समाप्ति के 15 दिनों के अंदर मंत्रालय को भेजना होता। अकादमी में यह रिपोर्ट समय पर तैयार करली जाती है और तिमाही की समाप्ति के बाद 15 दिनों के अंदर मंत्रालय को भेज दी जाती है।

(ग)  हिंदी प्रोत्साहन योजना का कार्यान्वयन -
वर्ष के दौरान, गृह मंत्रालय (राजभाषा विभाग) द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन सं०- 11/12013/3/87-o.l. (K-2) दिनांक- 16.12.1988 तथा 6.3.1998 के अनुसार हिन्दी में मूल टिप्पण, आलेखन आदि की वार्षिक प्रोत्साहन योजना को अकादमी में नियमित रुप से लागू किया जाता है और हिंदी प्रोत्साहन योजना मूल्यांकन समिति की सिफारिशों के अनुरुप अधिकारियों व कर्मचारियों को हिन्दी पखवाड़े के दौरान नगद पुरस्कार प्रोत्साहन से पुरस्कृत किया जाता है।

(घ)  हिंदी पखवाड़े का आयोजन –
अकादमी में प्रति वर्ष 14 सितंबर से हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया जाता है। इसके अंतर्गत पखवाड़े के प्रथम दिन हिंदी दिवस एवम् उदघाटन समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमें राजभाषा के क्षेत्र की किसी प्रसिद्ध हस्ती को बुला कर व्याख्यान का आयोजन किया जाता है तथा हिंदी पुस्तकों की प्रदर्शनी का उदघाटन किया जाता है। हिंदी पखवाड़े के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताएँ यथा – सुलेख, निबंध, श्रुतलेख, शाब्दिक अनुवाद, हिंदी टंकण तथा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएँ एवम् व्याख्यान इत्यादि कार्यक्रम चलते रहते हैं। हिंदी पखवाड़े के अंति दिन समाप्न एवम् पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमें किसी माननीय को आमंत्रित किया जाता है। माननीय अतिथि के व्याख्यान के बाद उक्त प्रतियोगिताओं के विजेताओं, हिंदी प्रोत्साहन योजना के विजेताओं और हिंदी शिक्षण योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को नकद पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

(ड.)  हिंदी कार्यशालाओं का आयोजन –
अकादमी में प्रत्येक तिमाही में एक हिंदी कार्यशाला आयोजित करवाई जाती है जिसमें राजभाषा हिंदी क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ अतिथि वक्ता को आमंत्रित किया जाता है। वर्ष में लगभग सभी स्टाफ सदस्यों को एक बार हिंदी कार्यशाला में नामित अवश्य किया जाता है। कार्यशाला में स्टाफ सदस्य उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं तथा अपना अधिक से अधिक कार्य हिंदी में करने के लिए प्रेरित होते हैं।

(च)  हिंदी पुस्तकों की खरीद -
अकादमी में एक पुस्तकालय है। यद्यपि अकादमी एक वैज्ञानिक संस्थान है तथापि यहाँ पर राजभाषा नियमों के अनुसार हिंदी पुस्तकें भी खरीदी जाती हैं। वर्ष के दौरान पुस्तकों की खरीद का 50 प्रतिशत खर्च हिंदी पुस्तकों की खरीद (सीडी, डीवीडी, डाक्यूमेंट्री व ई-बुक सहित) किया जाता है जिसमें जरनल इत्यादि छपवाने का खर्च शामिल नहीं है। अतः अकादमी हिंदी पुस्तकों की खरीद के मामले में राजभाषा नियम का पूरा पालन करती है।

(छ)  राजभाषा विभाग द्वारा बनाए गए वार्षिक कार्यक्रम में दिए गए लक्ष्यों की प्राप्ति -
अकादमी में राजभाषा विभाग द्वारा बनाए गए वार्षिक कार्यक्रम में दिए गए लक्ष्यों को पूरा करने के पूरे प्रयास किए जाते हैं।

(ज)  कंप्यूटरों का द्विभाषीकरण -
अकादमी के कंप्यूटरों में हिंदी का यूनिकोड फोंट मंगल इन्स्टॉल किया गया है। जिससे स्टाफ सदस्य अपना कार्य हिंदी या अंग्रेजी में कर सकें।

(झ)  हिंदी वेबसाइट का द्विभाषीकरण -
अकादमी की वेबसाइट अंगेजी के साथ-साथ हिंदी में भी तैयार की गई है।

(ञ)  हिंदी/द्विभाषी प्रकाशन-
अकादमी की वार्षिक रिपोर्ट/इन्सा समाचार पत्र द्विभाषी रूप में प्रकाशित किए जाते हैं। इसके अलावा अकादमी ने पीछे प्लैटिनम जयंती मनाई थी जिसकी सभी गतिविधियों को प्लैटिनम जयंती नाम की पुस्तिका मे प्रकाशित किया था यह पुस्तिका द्विभाषी रूप में प्रकाशित की गई थी। इन्सा के प्रशासन एवम् प्रबंधन के लिए इन्सा उपनियम द्विभाषी रूप में उपलब्ध हैं। अभी हाल ही में दो महत्त्वपूर्ण पुस्तकें द्विभाषी (डिग्लॉट) रूप में प्रकाशित की गई हैं जिनके नाम हैं –

  1. भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी
    INDIAN NATIONAL SCIENCE ACADEMY
                                     
    एक रूपरेखा
    A Profile
  1. भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्यक्षगण
    PRESIDENTS OF THE INDIAN NATIONAL SCIENCE ACADEMY

(ट)  नराकास की बैठकों में अकादमी का प्रतिनिधित्व -
राजभाषा विभाग द्वारा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास) का गठन किया है। अकादमी नराकास की एक सदस्य है। इसकी बैठकों में अकादमी के प्रतिनिधि नियमित रूप से भाग लेते हैं। अकादमी ने इस बैठक के आयोजन के लिए 1000 रुपये का अंशदान भी दिया है तथा अकादमी अपनी छमाही प्रगति रिपोर्ट भी भेजती है।

(ठ)  हिंदी पत्राचार की स्थिति -
अकादमी का प्रत्येक तिमाही का हिंदी पत्राचार का औसत 75-80 प्रतिशत के बीच रहता है इसके साथ-साथ हिंदी में प्राप्त पत्रों का जवाब हिंदी में ही दिया जाता है तथा अंग्रेजी में प्राप्त पत्रों का जवाब भी हिंदी में दिए जाने के प्रयास किए जाते हैं।

(ड)  अकादमी का संसदीय राजभाषा निरीक्षण-
राजभाषा नियमों के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन हेतु संसदीय राजभाषा समिति की दूसरी उप समिति द्वारा दिनांक 8.4.2010 को अकादमी का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के उच्चस्थ अधिकारियों की उपस्थिति में निरीक्षण किया गया। जिसमें राजभाषा की उत्तरोत्तर प्रगति हेतु जॉच की गई। समिति के माननीय उपाध्यक्ष डॉ. प्रसन्न कुमार पाटसानी, संसद सदस्य ने कार्यालय द्वारा राजभाषा संबंधी प्रयासों के लिये हार्दिक शुभकामनाएँ व्यक्त की। संसदीय समिति द्वारा कार्यालय द्वारा किए गए कार्यों और प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई ।

****************


Back
Verified...

धारा 3 3 के अनुसार कितने दस्तावेजों को द्विभाषी रूप में जारी करना अनिवार्य होता है?

अधिनियम की धारा 3 की उपधारा ( 3 ) में निर्दिष्ट सभी दस्तावेजों के लिए हिंदी और अंग्रजी- दोनों का प्रयोग किया जाएगा और ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों का यह उत्तरदायित्व होगा कि वे यह सुनिश्चित कर लें कि ऐसी दस्तावेजें हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही में तैयार की जाती हैं, निष्पादित की जाती हैं और जारी की ...

राजभाषा अधिनियम 1963 के धारा 3 3 तहत कितने दस्तावेज़ होते है?

इस समिति में तीस सदस्य होंगे जिनमें से बीस लोक सभा के सदस्य होंगे तथा दस राज्य सभा के सदस्य होंगे, जो क्रमशः लोक सभा के सदस्यों तथा राज्य सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे।

राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 3 3 कब से प्रवृत्त हुई?

1) यह अधिनियम राजभाषा अधिनियम, 1963 कहा जा सकेगा। (2) िारा 3, जिवरी, 1965 के 26 वें ददि को प्रवृत्त होगी और इस अधिनियम के शेष उपबन्द्ि उस तारीि को प्रवृत्त होंगे जजसेकेन्द्रीय सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचिा द्वारा नियत करे और इस अधिनियम के ववलभन्द्ि उपबन्द्िों के ललए ववलभन्द्ि तारीिें नियत की जा सकेंगी।

राजभाषा अधिनियम 1963 में कुल कितनी धाराएं हैं?

संविधान सभा ने हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। इस दिन को अब हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान लागू हुआ। तदनुसार उसमें किए गए भाषायी प्रावधान (अनुच्छेद 120, 210 तथा 343 से 351) लागू हुए।