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भारतीय शास्त्रों के अनुसार यह देवताओ तथा असुरों का आपसी युद्ध है। स्वर्ग के राज्य की प्राप्ति के लिये असुर ( दैत्य , दानव और राक्षस को संयुक्त रूप से असुर कहतें हैं ) समय पर देवताओं पर आक्रमण करते है। इस युद्ध में कई बार असुरों और कई बार देवताओं की विजय होती रही है। "https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=देवासुर_संग्राम&oldid=5423035" से प्राप्त श्रेणियाँ:
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देवासुर संग्राम कब हुआ था?भारतीय शास्त्रों के अनुसार यह देवताओ तथा असुरों का आपसी युद्ध है। स्वर्ग के राज्य की प्राप्ति के लिये असुर ( दैत्य , दानव और राक्षस को संयुक्त रूप से असुर कहतें हैं ) समय पर देवताओं पर आक्रमण करते है। इस युद्ध में कई बार असुरों और कई बार देवताओं की विजय होती रही है।
देवासुर संग्राम किसकी रचना है?इस उपन्यास के रचयिता हैं, हिंदी के प्रसिद्ध लेखक, समालोचक एवं विद्वान पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी।
देवासुर संग्राम में वज्र बनाने के लिए देवताओं को अपनी स्थितियों का दान देने वाले कौन थे?इन्द्र ने शिव की आज्ञा के अनुसार दधिचि से हड्डियों का दान मांगा। महर्षि दधिचि ने संसार के हित में अपने प्राण त्याग दिए। देव शिल्पी विश्वकर्मा ने इनकी हड्डियों से देवराज के लिए वज्र नामक अस्त्र का निर्माण किया और दूसरे देवताओं के लिए भी अस्त्र शस्त्र बनाए।
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