तातुश के परिवार ने बेबी कि जिंदगी को सँवारने में कैसे सहायता की? - taatush ke parivaar ne bebee ki jindagee ko sanvaarane mein kaise sahaayata kee?

बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन कैसा होता, कल्पना करें और लिखें।


बेबी की जिंदगी में तातुश के परिवार ने आकर उसकी जिंदगी ही बदलकर रख दी। यदि यह परिवार उसकी जिंदगी में न आता तो बेबी भी अन्य घरेलू नौकरों की तरह नारकीय जीवन बिता रही होती। तब न उसके बच्चे पड़ रहे होते और न उन्हें सही खाना ही मिल रहा होता। शायद वे आवारा बन गए होते। बेबी को भी शारीरिक तथा मानसिक शोषण का शिकार होना पड़ सकता था। उसे गंदी बस्ती में रहने को विवश होना पड़ता।

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अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफर में बेबी के सामने रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?


अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफर में बेबी के सामने रिश्तों की यह सच्चाई सामने आई कि मुसीबत की घड़ी में कोई किसी का साथ नहीं देता। यदि विवाहिता लड़की किसी कारण से पति का घर छोड्कर पिता के घर आ जाए तो उसे वहाँ भी सम्मान नहीं मिलता। लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। सभी रिश्ते स्वार्थ पर टिके हैं। पर इसी समाज में तातुश जैसे व्यक्ति भी हैं जो परोपकारी स्वभाव के हैं। वे बेबी को अपनी बेटी मानकर उसके सभी तरह के दुख-दर्दो को दूर करते हैं तथा उसे लेखिका के रूप में प्रतिष्ठित करने का हरसंभव प्रयास करते हैं।

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पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है? क्या वर्तमान समय में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।


पाठ के निम्नलिखित अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है-

1. जब वह (लेखिका) काम ढूँढ़ने जाती है तब लोग उससे तरह-तरह के प्रश्न पूछते हैं:

“घर में अकेले रहते देख आस-पास के सभी लोग पूछते, तुम यहाँ अकेली रहती हो? तुम्हारा स्वामी कहाँ रहता है? तुम कितने दिनों से यहाँ हो? तुम्हारा स्वामी वहाँ क्या करता है? तुम क्या यहाँ अकेली रह सकोगी? तुम्हारा स्वामी क्यों नहीं आता? ऐसी बातें सुन मेरी किसी के पास खड़े होने की इच्छा नहीं होती, किसी से बात करने की इच्छा नहीं होती। बच्चों को साथ ले मैं उसी समय काम खोजने निकल पड़ती।”

2. काम से देर से लौटने पर भी प्रश्न उठते थे-

उसके यहाँ से लौटने में कभी देर हो जाती तो सभी मुझे ऐसे देखते जैसे मैं कोई अपराध कर आ रही हूँ। बाजार-हाट करने भी जाना होता तो वह बूढ़ी, मकान-मालिक की स्त्री, कहती, कहाँ जाती है रोज़-रोज़? तेरा स्वामी है नहीं, तू तो अकेली ही है! तुझे इतना घूमने-घामने की क्या दरकार?

मैं सोचती, मेरा स्वामी मेरे साथ नहीं है तो क्या मैं कहीं घूम-फिर भी नहीं सकती! और फिर उसका साथ में रहना भी तो न रहने जैसा है! उसके साथ रह कर भी क्या मुझे शांति मिली! उसके होते हुए भी पाड़े के लोगों की क्या-क्या बातें मैंने नहीं सुनी! जब उसी ने उन बातों को लेकर उनसे कभी कुछ नहीं कहा तो मैं आँख-मूँद कर किए चुप न रह जाती तो क्या करती!

3. उसके स्वामी के न होने पर दूसरे लोग उससे छेड़खानी करते थे।

आस-पास के लोग एक-दूसरे को बताते कि इस लड़की का स्वामी यहाँ नहीं रहता है, यह अकेली ही भाड़े के घर में बच्चों के साथ रहती है। दूसरे लोग यह सुनकर मुझसे छेड़खानी करना चाहते। वे मुझसे बातें करने की चेष्टा करते और पानी पीने के बहाने मेरे घर आ जाते। मैं अपने लड़के से उन्हें पानी पिलाने को कह कोई बहाना बना बाहर निकल आती। इसी तरह मैं जब बच्चों के साथ कहीं जा रही होती तो लोग जबरदस्ती न जाने कितनी तरह की बातें करते।

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इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? इस पर विचार कीजिए।


इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की निम्नलिखित जटिलताओं का पता चलता है-

1. इन लोगों को जीवन में कभी आर्थिक सुरक्षा नहीं मिल पाती है। जब चाहे, इन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है।

2. इन लोगों को रहने के लिए गंदे और सस्ते मकान मिलते हैं क्योंकि ये किराए के नाम पर बहुत कम दे पाते हैं।

3. इन लोगों का शारीरिक शोषण भी किया जाता है। बेबी को भी ऐसी स्थिति से गुजरना पड़ता है।

4. बेबी की तरह इन्हें सुबह से देर रात तक काम में खटना पड़ता है।

अन्य समस्याएँ

1. इनके बच्चे प्राय: अनपढ़ और असभ्य ही रह जाते हैं। अधिकतर आवारा बन जाते हैं।

2. ये लोग प्राय: अस्वस्थ रहते हैं। इनकी ठीक प्रकार से चिकित्सा नहीं हो पाती।

3. ये सदा आर्थिक संकट में फँसे रहते हैं।

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‘तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो’ -जेठू का यह कथन रचना-संचार के किस सत्य को उद्घाटित करता है?


जेठू का यह कथन रचना-संसार के इस सत्य को उद्घाटित करता है कि किसी का प्रोत्साहन किसी के अंदर छिपे रचनात्मक गुण को उभारकर सामने ला सकता है। बेबी के लिए जेठू द्वारा कहा गया यह कथन उसके लिए सत्य सिद्ध होकर रहा। वह आगे चलकर वास्तव में दूसरी आशापूर्णा देवी ही बन गई।

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‘आलो-आँधारि’ रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे है।’ किन्हीं दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए।


इस रचना में बेबी की व्यक्तिगत समस्याएँ भी उठी हैं। उसके बच्चों का भविष्य, स्वयं के खाने-पीने और रहने की समस्या, एकाकीपन का अहसास आदि। इसके साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दे भी समेटे गए हैं।

निराश्रित महिला के साथ समाज कैसा व्यवहार करता है? उसे समाज में सम्मान क्यों नहीं मिलता? समाज का आम आदमी गरीब स्त्रियों के प्रति कैसा भाव रखता है? ये सब सामाजिक मुद्दे हैं जो इस रचना में उठाए गए हैं।

दो मुख्य समस्याएं-

1 . पहली समस्या गरीब-असहाय स्त्री के सामने अपना पेट भरने तथा अपने बच्चों के पालन-पोषण की समस्या आती है। कोई भी उसकी मदद करने को तैयार नहीं होता।

2. दूसरी समस्या है-एक अपरिचित व्यक्ति के घर में रहकर अपने चरित्र की पवित्रता को बनाए रखना। बेबी इसमें कामयाब रहती है। सौभाग्य से उसे तातुश जैसा नेक आदमी मिला, पर सभी तातुश जैसे चरित्रवान नहीं होते।

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तातुश के परिवार ने बेबी की जिंदगी को संवारने में कैसे सहायता की?

बेबी की जिंदगी में तातुश के परिवार ने आकर उसकी जिंदगी ही बदलकर रख दी। यदि यह परिवार उसकी जिंदगी में न आता तो बेबी भी अन्य घरेलू नौकरों की तरह नारकीय जीवन बिता रही होती। तब न उसके बच्चे पड़ रहे होते और न उन्हें सही खाना ही मिल रहा होता।

अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफर में बेबी के सामने रिश्तों की कौन सी सच्चाई उजागर होती है?

Answer: अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की यह सच्चाई उजागर हुई कि कोई अपना रक्त के संबंधों से नहीं मनुष्य के हृदय से होता है। बेबी के परिवार में माता-पिता तथा भाई थे। इनके होते हुए भी उसे कठिन जीवन जीना पड़ा।

तातुश ने बेबी हालदार को लेखन के लिए क्यों और कैसे बाध्य किया?

तातुश उसे लिखने के लिए प्रोत्साहित करते थे। उन्होंने अपने कई मित्रों के पास बेबी के लेखन के कुछ अंश भेज दिए थे। उन्हें यह लेखन पसंद आया और वे भी लेखिका का उत्साह बढ़ाते रहे। तातुश के छोटे लड़के अर्जुन के दो मित्र वहाँ आकर रहने लगे, परंतु उनके अच्छे व्यवहार से लेखिका बढ़े काम को खुशी-खुशी करने लगी।

तातुश ने बेबी को क्या दिया उस पर बेबी की क्या प्रतिक्रिया थी?

उस पर बेबी की क्या प्रतिक्रिया थी? तातुश ने बेबी की पढ़ने-लिखने में रुचि देखी तो उसने उसे पेन व कॉपी दी तथा लिखने को कहा। उसने कहा कि होश सँभालने के बाद से अब तक की जितनी भी बातें तुम्हें याद आएँ, सब इस कॉपी में रोज थोड़ा-थोड़ा लिखना।