इस पोस्ट में हम तुलसीदास जी का पूरा जीवन परिचय पढेंगे। इस पोस्ट में आपको तुलसीदास जी से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी जैसे; तुलसीदास का जीवन परिचय ( Tulsidas ka jeewan parichay ), तुलसीदास का जन्म कब हुआ? ( Tulsidas ka janm kab hua ), तुलसीदास का जन्म कहाँ हुआ? ( Tulsidas ka janm kahan hua ), तुलसीदास का निधन कब हुआ? ( Tulsidas ka nidhan kab hua ) Show
तुलसीदास की रचनाएं ( Tulsidas ki rachnayen ), तुलसीदास के पिता का नाम ( Tulsidas ke pita ka nam ), तुलसीदास की माता का नाम ( Tulsidas ki mata ka nam ), तुलसीदास की पत्नी का नाम ( Tulsidas ki patni ka nam ), तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएं आदि सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी। उम्मीद है आपको हमारी ये पोस्ट काफी पसंद आएगी। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें तथा हमें कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। पोस्ट में किसी भी प्रकार की लेखन गलती हो सकती है। अगर आपको कोई गलती दिखाई दे तो कमेंट में जरूर बताएं।
महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी की जीवनी – Tulsidas Ka Jivan Parichayहिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म ( Tulsidas ka janm ) 1532 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित राजापुर गांव में हुआ था। इनके जन्म का जो विक्रम संवत है वह 1589 माना जाता है। इनके जन्म समय मे काफी मतभेद हैं कई जगह इनका जन्म समय विक्रम संवत 1554 भी लिखा गया है। गोस्वामी तुलसीदास भक्तिकाल के राममार्गी शाखा के प्रतिनिधि कवि रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास को हिंदी साहित्य में वह स्थान प्राप्त हुआ जो स्थान संस्कृत साहित्य में वाल्मीकि और वेदव्यास को हुआ। तुलसीदास जी के पिता का नाम ( Tulsidas ke pita ka naam ) आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। कुछ विद्वान तुलसीदास जी का जन्म स्थान सोरों जिला एटा ( उत्तरप्रदेश ) भी मानते हैं। कहा जाता है कि तुलसीदास जी अभुक्त मूल नक्षत्र में पैदा हुए थे तथा जन्म लेते ही इनकी अवस्था 5 वर्ष के बालक के समान थी। मुंह में दांत भी निकले हुए थे। तुलसीदास जी को उनके माता-पिता ने अनिष्ट की आशंका से त्याग दिया था। इसे भी पढ़ें : सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय तुलसीदास जी का पालन पोषण मुनिया नामक एक दासी ने किया। तुलसीदास जी का बचपन बहुत ही कष्ट पूर्ण व बहुत ही संघर्षपूर्ण बिता। तुलसीदास जी के बचपन का नाम ( Tulsidas ke bachpan ka naam ) राम बोला था। तुलसीदास जी की पत्नी का नाम ( Tulsidas ki patni ka naam ) रत्नावली था जो पंडित दीनानाथ पाठक की पुत्री थी। तुलसीदास जी के दो गुरु ( Tulsidas Ke Guru ) रहे हैं एक तो आध्यात्मिक गुरु और दूसरे हैं उनके शिक्षा गुरु जिन्होंने उन्हें शिक्षा प्रदान की।
इसे भी पढ़ें : महादेवी वर्मा का पूरा जीवन परिचय तुलसीदास जी की पत्नी रत्नावली एक विदुषी महिला थी किंतु किसी कारणवश वैवाहिक जीवन अधिक समय तक ना चल सका और तुलसीदास जी ने गृह त्याग कर दिया। तुलसीदास जी के बारे में कहा जाता है कि एक बार उनकी पत्नी रत्नावली अपने मायके चली गई तो तुलसीदास जी भी उनके पीछे साँप को रस्सी समझकर साँप के सहारे ही उन तक पहुंच गए। तब रत्नावली ने उन्हें झिड़की दी रत्नावली ने कहा कि तुम मेरे प्रेम में इतने पागल हो चुके हो कि तुम सांप को रस्सी समझ कर मुझसे मिलने आ गए। इतना ही प्रेम यदि तुम भगवान
श्री राम से करो तो तुम्हारा उद्धार हो जाए। बस रत्नावली के यह शब्द तुलसीदास जी को चुभ गए और उसी दिन से तुलसीदास जी ने गृह त्याग कर दिया और भगवान राम की भक्ति में लग गए। घूमते – घूमते तुलसीदास जी अयोध्या पहुंच गए वहीं पर संवत 1631 में उन्होंने रामचरितमानस की रचना प्रारंभ की। बाद में यह काशी आकर रहने लगे। जीवन के अंतिम दिनों में पीड़ा शांति के लिए तुलसीदास जी ने हनुमान जी की स्तुति की जो हनुमान बाहुक नाम से प्रसिद्ध है। तुलसीदास जी का निधन – Tulsidas Ka Nidhanराम भक्ति में तीर्थ स्थानों का भ्रमण करते हुए संवत 1680 अर्थात सन 1623 ईस्वी में काशी के गंगा घाट पर श्रावण शुक्ल सप्तमी को तुलसीदास जी का निधन ( Tulsidas ji ka nidhan ) हुआ। तुलसीदास जी की मृत्यु ( tulsidas ki mrityu ) के संबंध में एक दोहा बहुत प्रसिद्ध है जो इस प्रकार से है:-
अर्थात संवत 1680 में गंगा के तट पर श्रावण शुक्ल सप्तमी को तुलसीदास जी ने अपना शरीर त्याग दिया। तुलसीदास जी की रचनाएँ – Tulsidas Ki Rachnayeविद्वानों ने गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित छोटे-बड़े 12 ग्रंथों को प्रामाणिक माना है।
विनय पत्रिका एक गीतिकाव्य है। विनय पत्रिका के माध्यम से तुलसीदास जी ने राम के दरबार में अपनी अर्जी प्रस्तुत की हैं। विनय पत्रिका में विनय व आत्मनिवेदन के पद हैं। विनय पत्रिका की रचना तुलसीदास जी ने ब्रज भाषा में की है।
कवितावली एक मुक्तक काव्य है और कवितावली की रचना भी तुलसीदास जी ने ब्रज भाषा में की है।
दोहावली तुलसीदास जी का एक मुक्तक काव्य है।
गीतावली एक गीतिकाव्य है।
वैराग्य संदीपनी एक प्रबंध काव्य है।
रामाज्ञा प्रश्नावली एक ज्योतिष विषयक ग्रंथ है जो ज्योतिष विषय से संबंधित है।
यह दोनों रचनाएँ तुलसीदास जी के प्रबंध काव्य की रचनाएं है।
बरवै रामायण यह एक मुक्तक काव्य है जो तुलसीदास जी ने रहीम के अनुरोध पर लिखा था।
कृष्ण गीतावली एक गीतिकाव्य है जो वृंदावन की यात्रा के अवसर पर तुलसीदास जी ने लिखा था। तुलसीदास जी की काव्यगत विशेषताएं – Tulsidas Ki Kavyagat Visheshtayenतुलसी साहित्य में लोकहित, लोकमंगल की प्रखर भावना दिखाई देती है। तुलसी ने अपने समय में प्रचलित अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं को अपनाया है। समन्वयवाद तुलसीदास जी की भक्ति भावना का सबसे बड़ा गुण है। उनका सारा काव्य समन्वय की विराट चेष्टा है उसमें केवल लोक और शास्त्र का ही समन्वय नहीं है बल्कि ग्रहस्थ और वैराग्य का, भक्ति और ज्ञान का, भाषा और संस्कृति का, निर्गुण और सगुण तथा पुराण और काव्य का समन्वय भी दिखाई देता है। तुलसीदास जी के राम माननीय मर्यादाओं और आदर्शों के प्रतीक हैं। जिनके माध्यम से तुलसी ने नीति, स्नेह, विनय तथा त्याग जैसे आदर्शों को प्रतिष्ठित किया है। तुलसीदास जी को हिंदी का जातीय कवि कहा जाता है। तुलसीदास जी को समन्वय का कवि भी कहा जाता है। नाभा दास ने तुलसी दास को कलिकाल का वाल्मीकि कहा है। इसे भी पढ़ें : शहीद भगत सिंह का जीवन परिचय आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने तुलसीदास जी को भारतीय जनता का प्रतिनिधि कवि कहा है। तुलसीदास जी का अलंकार विधान भी बड़ा मनोहर है। उन्होंने उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का प्रयोग अधिक से अधिक किया है। तुलसीदास जी को गौतम बुद्ध के बाद सबसे बड़ा लोकनायक माना जाता है। डॉ ग्रियर्सन ने इन्हें एशिया का सर्वोत्कृष्ट कवि कहा है। Download Pdf उम्मीद करता हूँ दोस्तों आपको ये पोस्ट पसन्द आई होगी। अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद। तुलसीदास जी का जीवन परिचय कैसे लिखें?तुलसीदास का जन्म बांदा जिले के 'राजापुर' गांव में माना जाता है। कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान एटा जिले के सोरो नामक स्थान को मानते हैं। तुलसीदास जी सरयूपारीण ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे एवं माता का नाम हुलसी था।
तुलसी जी का जन्म कहाँ हुआ था?गोस्वामी तुलसीदास का जन्म स्थान विवादित है। कुछ लोग मानते हैं की इनका जन्म सोरों शूकरक्षेत्र, वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तर प्रदेश में हुआ था। कुछ विद्वान् इनका जन्म राजापुर जिला बाँदा (वर्तमान में चित्रकूट) में हुआ मानते हैं। जबकि कुछ विद्वान तुलसीदास का जन्म स्थान राजापुर को मानने के पक्ष में हैं।
तुलसी जी का जन्म कब हुआ था?13 अगस्त 1532हनुमान बाहुक / जन्म तारीखnull
तुलसी का बचपन कैसे बीता?राजापुर से प्राप्त तथ्यों के अनुसार भी वे सरयूपारीण थे। तुलसी साहिब के आत्मोल्लेख एवं मिश्र बंधुओं के अनुसार वे कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। जबकि सोरों से प्राप्त तथ्य उन्हें सना ब्राह्मण प्रमाणित करते है, लेकिन "दियो सुकुल जनम सरीर सुंदर हेतु जो फल चारि को' के आधार पर उन्हें शुक्ल ब्राह्मण कहा जाता है।
|