तिब्बत में यात्रियों के लिए आराम की बात क्या है? - tibbat mein yaatriyon ke lie aaraam kee baat kya hai?

Lahasa ki aur Class 9 Hindi | ल्हासा की ओर : फरी- कलिङपोङ का रास्ता जब नहीं खुला था, तो नेपाल ही नहीं हिंदुस्तान की भी चीजें इसी रास्ते तिब्बत जाया करती थीं।

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Lahasa ki aur Class 9 Hindi | ल्हासा की ओर

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

वह नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता है। फरी- कलिङपोङ का रास्ता जब नहीं खुला था, तो नेपाल ही नहीं हिंदुस्तान की भी चीजें इसी रास्ते तिब्बत जाया करती थीं। यह व्यापारिक ही नहीं सैनिक रास्ता भी था, इसीलिए जगह-जगह फौजी चौकियों और किले बने हुए हैं, जिनमें कभी चीनी पलटनरहा करती थी। आजकल बहुत से फ़ौजी मकान गिर चुके हैं।

दुर्ग के किसी भाग में जहाँ किसानों ने अपना बसेरा बना लिया है, वहाँ पर कुछ आबाद दिखाई पड़ते हैं। ऐसा ही परित्यक्त एक चीनी किला था। हम वहाँ चाय पीने के लिए ठहरे। तिब्बत में यात्रियों के लिए बहुत सी तकलीफें भी हैं और कुछ आराम की बातें भी। वहाँ जाति-पाँति, छुआछूत का सवाल ही नहीं है और न औरतें परदा ही करती हैं।

बहुत निम्नश्रेणी के भिखमंगों को लोग चोरी के डर से घर के भीतर नहीं आने देते; नहीं तो आप बिलकुल घर के भीतर चले जा सकते हैं। चाहे आप बिलकुल अपरिचित हों, तब भी घर की बहू या सासु को अपनी झोली में से चाय दे सकते हैं। वह आपके लिए उसे पका देगी। मक्खन । और सोडा-नमक दे दीजिए, वह चाय चोडी में कूटकर उसे ।

दूधवाली चाय के रंग की बना के मिट्टी के टोटीदार बरतन (खोटी) में रखके आपको दे देगी। यदि बैठक की जगह चूल्हे से दूर है और आपको डर है कि सारा मक्खन आपकी चाय में नहीं पड़ेगा, तो आप खुद जाकर चोडी में चाय मथकर ला सकते हैं। चाय का ग तैयार हो जाने पर फिर नमक-मक्खन डालने की जरूरत होती है।

(क) नेपाल-तिब्बत मार्ग किस-किस काम आता था?

(ख) तिब्बत में यात्रियों के लिए आराम की बातें क्या थी?

(ग) नेपाल-तिब्बत मार्ग पर फौजी चौकियों और किले क्यों बने

(क) नेपाल-तिब्बत मार्ग व्यापारिक मार्ग होने के साथ-साथ । सैनिक रास्ता भी था। साथ ही यह आम आवागमन का भी मार्ग भी था।

(ख) तिब्बत में यात्रियों के लिए कई आराम की बातें थीं, जैसे । वहाँ जाति-पाँति, छुआछूत का सवाल ही नहीं है और न औरतें परदा ही करती हैं। चाहे आप बिलकुल अपरिचित हों, तब भी घर की बहू या सासू को अपनी झोली में से चाय दे सकते हैं। वह आपके लिए उसके पका देगी।

(ग) नेपाल-तिब्बत मार्ग पर अनेक फौजी चौकियों और किले बने हुए हैं क्योंकि पहले कभी यह सैनिक मार्ग था। इसलिए इसमें चीनी सैनिक रहा करते थे। आजकल इन किलों का । उपयोग किसान करते हैं।

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

अब हमें सबसे विकट डॉडा थोड्ला पार करना था। डॉडे तिब्बत में सबसे खतरे की जगहें हैं। सोलह-सत्रह हजार फीट की ऊँचाई होने के कारण उनके दोनों तरफ़ मीलों तक कोई गाँव- गिरॉव नहीं होते। नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण बहुत दूर तक आदमी को देखा नहीं जा सकता। डाकुओं के लिए यही सबसे । अच्छी जगह है।

तिब्बत में गाँव में आकर खून हो जाए, तब तो खूनी को सज़ा भी मिल सकती है, लेकिन इन निर्जन स्थानों में मरे हुए आदमियों के लिए कोई परवाह नहीं करता। सरकार खुफ़िया-विभाग और पुलिस पर उतना खर्च नहीं करती और वहाँ गवाह भी तो कोई नहीं मिल सकता। डकैत पहिले आदमी को मार डालते हैं, उसके बाद देखते हैं कि कुछ पैसा है कि नहीं।

हथियार का कानून न रहने के कारण यहाँ लाठी की तरह लोग। पिस्तौल, बंदूक लिए फिरते हैं। डाकू यदि जान से न मारे तो खुद उसे अपने प्राणों का खतरा है।

 

(क) तिब्बत के डाँड़े खतरनाक क्यों हैं?

(ख) डॉड़े डाकुओं के लिए सबसे सुरक्षित जगह क्यों हैं?

(ग) तिब्बत में डाकू आदमियों को लूटने से पहले क्यों मार देते

 

(क) तिब्बत के डाँडे सोलह-सत्रह फुट की ऊँचाई पर स्थित हैं. जहाँ दूर-दराज तक कोई गाँव नहीं है। ये डाकुओं के छिपने की अच्छी जगह है, जिसके कारण वे खतरनाक हैं।

(ख) डॉडे डाकुओं के लिए सबसे सुरक्षित जगह हैं क्योंकि यहाँ दूर-दूर तक गाँव नहीं हैं, आबादी नहीं है। नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण बहुत दूर तक आदमी को देखा नहीं जा सकता। यहाँ पुलिस का भी कोई डर नहीं है, यही कारण है। कि डाकू इन्हें अपने लिए सुरक्षित जगह मानते हैं।

(ग) तिब्बत में हथियार रखने या न रखने के संबंध में कोई कानून-व्यवस्था नहीं है। डाकुओं को पता है कि यहाँ लोग पिस्तौल या बंदूक रखते हैं। इसलिए उन्हें अपनी जान का खतरा बना रहता है, इसलिए वे आदमियों को लूटने से पहले मार देते

ल्हासा की ओर (NCERT Solutions)

प्रश्न 1. थोङ्ला के पहले के आखरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय लेखक भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?

थोङ्ला के पहले के आखरी गाँव में पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला क्योंकि उसके साथ मंगोल भिक्षु सुमति था जिनकी वहाँ अच्छी जान पहचान थी। श्रद्धा भाव के कारण लोगों ने उनके ठहरने का उचित प्रबंध किया परंतु पाँच साल बाद वह भद्र वेश में घोड़े पर सवार होकर उसी रास्ते से आए तो लोगों ने उसे लुटेरा होने की आशंका से ठहरने के लिए स्थान नहीं दिया।

प्रश्न 2. उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून में रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?

उस समय में डांडा थोङ्ला 17000 फीट की ऊँचाई पर स्थित एक खतरनाक क्षेत्र था। यहाँ हथियार का कानून नहीं था। यहाँ रहने वाले डाकू हत्या करके लोगों को फेंक देते थे। सरकार खुफिया विभाग और पुलिस पर पैसा नहीं खर्च करती थी। उस निर्जन क्षेत्र में कोई गवाह भी उपलब्ध नहीं हो पाता था। अतः उस क्षेत्र में यात्रियों को डाकुओं के चंगुल में फंसकर मृत्यु का भय बना रहता है।

प्रश्न 3. लेखक लंङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?

लंङ्कोर का मार्ग चढ़ाई वाला था। लेखक का घोड़ा थकावट के कारण धीरे-धीरे चल रहा था। लेखक अपने साथियों से पिछड़ गया। वह अपने घोड़े पर बैठा दोनक्विवस्तो की तरह आगे बढ़ रहा था। आगे चलकर वह दो राहों पर पहुँचा। उनमें से वह बाय रास्ते पर लगभग डेढ़ दो किलोमीटर आगे निकल गया, तब पूछने पर उसे भूल का एहसास हुआ। इसी कारण लेखक अपने साथियों से पिछड़ गया।

प्रश्न 4. लेखक ने शेखर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका परन्तु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?

लेखक का मित्र सुमति अपनी यजमानों के यहाँ हफ़्ता हफ़्ता भर रुक जाता था। लेखक इतने दिनों के ठहराव के कारण ही उसे उनके यजमानों के यहाँ जाने से रोकता था। परंतु शेकर विहार में यात्रा का मकसद पूरा हो गया। शेकर विहार में पहुँचकर लेखक एक मनोहर मंदिर में कंजुर पढ़ने में व्यस्त हो गया। वहाँ एक एक पोथी लगभग 15-15 सेर की थी। लेखक उनको पढ़ने से वंचित नहीं रहना चाहता था। इसलिए सुमति के द्वारा यजमानों के यहाँ जाने के लिए पूछे जाने पर लेखक ने सुमति को इस बार नहीं रोका।

प्रश्न 5.  अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?

अपने तिब्बत की यात्रा के दौरान लेखक को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी इसलिए लेखक को भिक्षु का वेश धारण करना पड़ा  लहासा की ओर जाने वाले ऊँचे रास्तों पर चलना पड़ा। तिब्बत की कड़ी धूप और बर्फ की ठंड का सामना करना और साथ-साथ पीठ पर  सामान भी धोना पड़ा।

प्रश्न 6. प्रस्तुत यात्रा वृतांत के आधार पर  बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?

प्रस्तुत यात्रा वृतांत के आधार पर हमें उस समय के तिब्बती समाज का पता चलता है कि वहाँ सभ्य एवं समर्पित समाज था जाति-पांति छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयाँ नहीं थी। औरतों के लिए पर्दा करने जैसा बंधन नहीं था। कानून व्यवस्था नहीं होने के कारण खुले आम लोग हथियार लेकर घूमते थे और किसी का खून करने में भी नहीं हिचकिचाते थे और जागीरदार स्वयं खेती करते थे। रोजगार ने होने के कारण सस्ते मजदूर मिल जाते थे।

ल्हासा की ओर (Important NCERT Solutions )

1.नेपाल-तिब्बत मार्ग की विशेषताओं का वर्णन करें।

नेपाल-तिब्बत मार्ग व्यापारिक ही नहीं सैनिक रास्ता भी था| इस मार्ग से ही नेपाल और हिंदुस्तान की चीजें तिब्बत जाया करती। थीं। सैनिक मार्ग होने के कारण जगह-जगह फौजी चौकियाँ और किले बने हुए थे। इसमें चीनी सेना रहा करती थी। आजकल । बहुत-से फौजी मकान गिर चुके हैं और किले के कई भागों में किसानों ने अपना बसेरा बना लिया है।

2. लेखक के अनुसार, तिब्बत में यात्रियों के लिए कौन-सी आरामदायक सुविधाएँ हैं?

लेखक के अनुसार, तिब्बत में यात्रियों के लिए कई आरामदायक सुविधाएँ हैं। तिब्बत के समाज में जाति-पॉति, छुआछूत का सवाल ही नहीं है और न औरतें परदा ही करती हैं। चाहे आप बिलकुल अपरिचित हों, तब भी घर की बहू या सासू को अपनी झोली में से चाय दे सकते हैं। वह आपके लिए उसके पका देगी। बस निम्नश्रेणी के भिखमंगों को छोड़कर कोई भी अपरिचित । व्यक्ति घर के अंदर जा सकता है।

3. तिब्बत में हथियार का कानून न होने के कारण यात्रियों को किस खतरे का सामना करना पड़ता था?

लेखक की यात्रा के समय तक तिब्बत में हथियार रखने से संबंधित कोई कानून नहीं था। लोग वहाँ खुलेआम हथियार रखते थे| निर्जन और वीरान जगहों पर डाकुओं का खतरा मंडराता रहता था क्योंकि वहाँ पुलिस का कोई प्रबंध नहीं था। वे यात्रियों को लूटने से पहले मार दिया करते थे।

4. तिब्बत में प्रचलित जागीरदारी व्यवस्था का वर्णन करें।

तिव्वत की जमीन बहुत अधिक छोटे-बड़े जागीरदारों में बंटी है। इन जागीरों का बहुत ज्यादा हिस्सा मठों के हाथ में है। अपनी- अपनी जागीर में हरेक जागीरदार कुछ खेती खुद भी कराता है, जिसके लिए मजदूर बेगार में मिल जाते हैं। खेती का प्रबंध देखने के लिए वहाँ कोई भिक्षु भेजा जाता है, जो जागीर के आदमियों के लिए किसी राजा से कम नहीं होता।

तिब्बत में यात्रियों के आराम के लिए क्या क्या सुविधाएं हैं?

तिब्बत में यात्रियों के आराम के लिए क्या-क्या हैं? उत्तरः नेपात-तिब्बत मार्ग पर अनेक फौजी चैकियाँ और किले बने हुए हैं। पहले कभी यह सैनिक मार्ग था, इसलिए इनमें चीनी सैनिक रहा करते थे। आजकल ये किले किसानों के काम आते हैं।

तिब्बत में यात्रियों के लिए कौन सी अच्छी बातें हैं?

तिब्बत में यात्रियों के लिए कई अच्छी बातें हैं- लोगों का मूड ठीक होने पर आसानी से रहने की जगह मिल जाती हैं। औरतें चाय बनाकर दे देती हैं। वहाँ घर में आसानी से जाकर अपनी आँखों के सामने चाय बनाई जा सकती है। महिलाएँ भी आतिथ्य सत्कार में रुचि लेती हैं।

तिब्बत में भिखमंगों को लोग घरों के अंदर क्यों नहीं आने देते?

उत्तर : थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने पर भी लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका इसका मुख्य कारण था - व्यक्ति के संबंधों का महत्व | दरअसल तिब्बत के इस मार्ग पर यात्रियों के ठहरने के लिए एक जैसी व्यवस्था नहीं थी।