शिवलिंग पर दूध कैसे चढ़ाना चाहिए? - shivaling par doodh kaise chadhaana chaahie?

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महाशिवरात्रि 2021 (Mahashivratri 2021) के मौके पर रुद्राभिषेक किया जाता है जिसमें दूध का विशेष प्रयोग किया जाता है. कई लोग व्रत भी रखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है ? यहां जानिए इसके बारे में...

शिवलिंग पर दूध कैसे चढ़ाना चाहिए? - shivaling par doodh kaise chadhaana chaahie?

भगवान शिव को क्यों चढ़ाया जाता है दूध

हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है. इस बार महाशिवरात्रि आज 11 मार्च को मनाई जा रही है. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. इस दिन श्रद्धालु सुबह- सुबह उठकर स्नान कर भगवान शिव की पूजा करते हैं. शिवलिंग पर दूध, धतूरा, भांग और बेलपत्र चढ़ाते हैं.

शास्त्रों के अनुसार दूध को मन के दृष्टिकोण से सात्विक समझा जाता है. मान्यता है कि शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. सोमवार के दिन दूध का दान करने से चंद्रमा मजबूत होता है. शिवजी के रुद्राभिषेक में भी दूध का विशेष प्रयोग किया जाता है. कई लोग व्रत भी रखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है.

क्यों किया जाता है शिवलिंग पर दूध का अभिषेक

दूध चढ़ाने की परंपरा सागर मंथन से जुड़ी हुई है. पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन से सबसे पहले जो हलाहल विष निकला था. उस विष की ज्वाला से सभी देवता और दैत्य जलने लगे. इस पर सभी ने भगवान शिव से प्रार्थना की. देवाताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव ने उस विष को हथेली पर रखकर विषपान किया. लेकिन उन्होंने विष को कंठ से नीचे नहीं उतरने दिया. इसलिए उनका कंठ नीला पड़ गया और उन्हें नीलकण्ठ भी कहा जाता है.

इस विष का प्रभाव भगवान शिव और उनकी जटा में बैठी देवी गंगा पर पड़ने लगा. विष के ताप को कम करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव से दूध ग्रहण करने का आग्रह किया. भगवान शिव ने जैसे ही दूध ग्रहण किया उनके शरीर से विष का असर कम होने लगा. इसके बाद से ही शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई.

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‌‌‌‌‌‌यदि आप शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं तो आपको शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे के बारे मे इस लेख मे हम विस्तार से जानते हैं।जब कभी आप शिव मंदिर गए होंगे तो आपने भी वहां पर शिवलिंग देखा होगा ।बहुत से अज्ञानी यह समझते हैं कि वे शिव लिंग की पूजा करते हैं लेकिन शविलिंग एक प्रतीक का नाम होता है। माना जाता है कि ह्रमांड की संरचना कुछ शिवलिंग के जैसी ही है। सिवाया सुब्रमण्युस्वामी के अनुसार, लिंगम शिव के तीन सिद्धों को दर्शाता है । शिवलिंगम का ऊपरी अंडाकार हिस्सा पाराशिव का प्रतिनिधित्व करता है और शिवलिंगम का निचला हिस्सा जिसे पिष्टा कहते हैं, पराशक्ति का प्रतिनिधित्व करता है ।

‌‌‌सिंधु घाटी की सभ्यता के अंदर शिवलिंग मिले हैं।हड़प्पा के कालीबंगन स्थल में भी शविलिंग मिले हैं और कुछ इतिहासकारों ने कहा है कि यह सभ्यता भी शिव की पूजा करती थी।

शिवलिंग पर दूध कैसे चढ़ाना चाहिए? - shivaling par doodh kaise chadhaana chaahie?

Gudimallam लिंगम सबसे पुराने शिवलिंग मे से एक है। तिरुपति में आंध्र प्रदेश मे मंदिर बना हुआ है जहां पर आज भी इसकी पूजा होती है।यह शिवलिंग 3 शताब्दी के बीच का माना जाता है। सामने की ओर शिव की आकृति अंकित है, जिसके हाथ में एक मृग और कुल्हाड़ी है जो एक राक्षस पर खड़ा है। और स्तंभ पर चार दिशात्मक चेहरे हैं और सबसे नीचे एक ब्राह्मी लिपि शिलालेख है। चार मुखों के ऊपर, भीटा लिंग में एक पुरुष का वक्ष होता है, जिसके बाएं हाथ में कलश और दाहिने हाथ में अभय मुद्रा होती है

प्रमुख शिव मंदिरों में पारंपरिक लिंगम अनुष्ठानों में फूल, घास, सूखे चावल, फल, पत्ते, पानी और दूध चढ़ाया जाता है। इस दौरान भगत गण भजन गाते हैं व गर्भग्रह की परिक्रमा करते हैं।गर्भगृह की दीवारों पर, आमतौर पर दक्षिणामूर्ति, ब्रह्मा और विष्णु के चित्र बने होते हैं। यही पास मे पार्वती ,गणेश और कार्तिक ‌‌‌के मंदिर भी होते हैं।

हिंदू परंपरा में, विशेष तीर्थ स्थलों में वे शामिल हैं जहां प्राकृतिक लिंगम बेलनाकार चट्टानों या बर्फ या चट्टानी पहाड़ी के रूप में पाए जाते हैं। इन्हें स्वयंभूवा कहा जाता है।

‌‌‌आपने देखा होगा कि जब कोई शिवमंदिर के अंदर जाता है तो वह शिवलिंग पर दूध चढ़ाता है और यह उसकी भक्तिभावना होती है। असल मे शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे पर अब हम चर्चा करने वाले हैं। बहुत से लोग शिवरात्री के उपर यह ज्ञान देते हैं कि शिवलिंग पर दूध चढ़ाना दूध की बरबादी ही होती है।

‌‌‌इससे अच्छा होता कि आप इसे किसी को दान कर देते । लेकिन इस प्रकार के नास्तिक लोगों से हम सिर्फ इतना ही कहना चाहेंगे कि आप जिस द्रष्टि से इस चीज को देख रहे हैं वह जरूरी नहीं कि सही ही हो । क्योंकि जो चीज आपके लिए कोई फायदेमंद नहीं है वह दूसरे के लिए फायदेमंद हो सकती है।

‌‌‌जैसे कि आप अपने घर मे आम खाकर उसके कचरे को बाहर फेंक देते हैं और उसे कोई जानवर खा लेता है। इसका अर्थ यह हुआ कि जो आपको गलत लगता है वह दूसरों के लिए सही भी हो सकता है।‌‌‌दूध को शिवमंदिर पर चढ़ाना फायदेमंद हो सकता है।

वैसे तो युद्ध करना भी फायदेमंद नहीं होता लेकिन सच मायने मे युद्ध विनाश लेकर आता है लेकिन इसके पीछे भी एक बड़ा फायदा छिपा होता है। चलो मान लेते हैं कि यह कार्य फायदेमंद नहीं है। उसके बाद भी लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं ? आप बिना फायदे वाले काम ‌‌‌ कितने दिन तक करेंगे ?

‌‌‌क्योंकि दूध आपका है आप चाहे तो गरीबों को दे सकते हैं या फिर आप उसे चढ़ा सकते हैं फैसला भी आपका होगा । हां यदि नास्तिक लोगों के पास दूध था तो उन्होंने कितनी बार गरीबों की मदद की ?

‌‌‌असल मे शिवलिंग पर दूध चढ़ाना आपको एक द्रष्टि से बुरा लग सकता है लेकिन दूसरी द्रष्टि से यह सही भी है । अब यदि आप एक ही पहलू को देखते हैं तो इसमे कोई कुछ नहीं कर सकता है।

‌‌‌तो आइए अब जानते हैं शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे के बारे में ।

  • 1.शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
  • ‌‌‌2.मानसिक शांति और चिंता दूर होती है
  • ‌‌‌3.महादेव को प्रसन्न करने के लिए
  • ‌‌‌4.एक चेतावनी के रूपमे
  • ‌‌‌5.व्यवसाय मे प्रगति
  • ‌‌6.बीमारियों से छूटकारा पाने के लिए
  • 7.नौकरी और व्यवसाय की समस्या को दूर करता है
  • ‌‌‌8.अशुभग्रहों का प्रभाव नष्ट करने के लिए
  • ‌‌‌9.शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे बीमारी को दूर करता है
  • ‌‌‌10.गुरू के अशुभ प्रभाव को नष्ट कर देता है
  • 11.दुर्घटना के भय को दूर करता है
  • ‌‌‌12.शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे पुत्र प्राप्ति
  • ‌‌‌13.शिवलिंग पर दूध चढ़ाना आपके अंदर भक्ति पैदा करता है
  • ‌‌‌14.आपके मन की गंदगी को दूर करता है शिवलिंग पर दूध चढ़ाना
  • ‌‌‌15.शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे धन प्राप्ति
  • ‌‌‌16.आपकी सेहत के लिए फायदेमंद
  • ‌‌‌शिवलिंग की पूजा
  • ‌‌‌देवराज ब्रहा्रमण की कथा
  • ‌‌‌बिंदुग ब्राह्राण की कथा
  • ‌‌‌बिंदुग का पिशाच योनी से उद्धार

1.शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं

हर इंसान की मनोकामनाएं तो होती ही हैं। और हर कोई चाहता है कि उसकी मनोकामनाएं पूर्ण हो तो इसके लिए वह कई तरीकों का प्रयोग करता है। यह दुनिया के हर धर्म के अंदर अलग अलग तरीके हो सकते हैं। इसी प्रकार से हिंदु धर्म के अंदर यह कहा गया है कि ‌‌‌शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से हर तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

‌‌‌2.मानसिक शांति और चिंता दूर होती है

शिवलिंग पर दूध चढ़ाना आपको मानसिक शांति देता है और आपकी चिंता को दूर करता है। आमतौर पर कुछ लोग यह बताते हैं कि जब हम रोजाना दूध चढ़ाने शिवमंदिर के अंदर जाते हैं तो मन के अंदर मौजूद सभी चिंताएं दूर होकर मन शांत हो जाता है।

इस बात का आप खुद भी अनुभव कर ‌‌‌कर सकते हैं। जब आप किसी मंदिर वैगरह के अंदर जाते हैं तो वहां पर आपको जो मानसिक शांति मिलती है वह सचमुच अदभुत होती है। ‌‌‌लेकिन जब आप शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के लिए रोजाना जाते हैं तो यह आपके दिमाग के लिए काफी अच्छा होता है।

‌‌‌3.महादेव को प्रसन्न करने के लिए

शिवलिंग पर दूध कैसे चढ़ाना चाहिए? - shivaling par doodh kaise chadhaana chaahie?

शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का एक फायदा यह भी है कि इससे महादेव प्रसन्न होते हैं। यदि आपके पास अधिक दुध नहीं है तो मामूली दूध आप चढ़ा सकते हैं । महादेव के भगत महादेव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं।

‌‌‌4.एक चेतावनी के रूपमे

वैसे आपको बतादें कि सनातन धर्म की रह परम्परा का कोई ना कोई वैज्ञानिक आधार ही है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर के अंदर सारे रोग वात ,पित और कफ के असंतुलन की वजह से ही होते हैं।श्रावण मास महिने के अंदर जब लोग दूध को शिवलिंग पर चढ़ाते हैं तो समझ जाते हैं कि अब दूध ‌‌‌वायरल इन्फेक्सन को बढ़ाने वाला है। इसलिए दूध पीना कम कर देना चाहिए ।

‌‌‌5.व्यवसाय मे प्रगति

यदि आप शिवलिंग पर प्रत्येक सोमवार को तांबे के बर्तन से दूध चढ़ाते हैं तो आपके व्यवसाय मे लाभ होगा । यदि आपका व्यवसाय नहीं चल रहा है तो आप ऐसा कर सकते हैं। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिनके बिजनेस के अंदर कोई ना कोई रूकावट आती रहती है। ‌‌‌यदि आप चाहते हैं कि बिजनेस तेजी से सक्सेस हो तो  आपको तांबे के पात्र के अंदर दूध लेकर सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए ।

‌‌6.बीमारियों से छूटकारा पाने के लिए

बीमारियों से आज बहुत से लोग परेशान हैं। ऐसा नहीं है कि देवी देवता बीमारियों को दूर नहीं करते हैं लेकिन उसके बाद भी कुछ लोगों की बीमारियां दूर नहीं हो पाती हैं।यदि आप शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं तो आपकी भयंकर से भयंकर बीमारी भी दूर हो जाती है। ‌‌‌यदि कोई बीमारी आपको लंबे समय से परेशान कर रही है तो आप रोजाना शिवलिंग पर दूध अर्पित करें और भोलेनाथ से कष्ट को दूर करने की प्रार्थना करें ।

7.नौकरी और व्यवसाय की समस्या को दूर करता है

यदि आपके नौकरी और व्यवसाय के अंदर समस्याएं आ रही हैं तो हर सोमवार के दिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाकर रूद्राक्ष की माला से ओम सोमेश्वराय नम: मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए । फिर ‌‌‌हर माह के अंदर पूर्णिमा को जल और पानी को मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए । ऐसा करने से आपकी समस्याएं दूर होगी और आपका व्यवसाय अच्छा चलेगा और नोकरी के अंदर तरक्की होगी ।

‌‌‌8.अशुभग्रहों का प्रभाव नष्ट करने के लिए

कुछ लोगो की कुंडली के अंदर अशुभ ग्रह का प्रभाव होता है। यदि आपकी कुंडली मे भी कोई अशुभ ग्रह है और आप उसके प्रभाव को नष्ट करना चाहते हो तो आपको चाहिए कि आप ‌‌‌सात सोमवार सुबह जल्दी उठे और नहाधोकर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं । ऐसा करने से आपके अशुभ ग्रहों का प्रभाव नष्ट हो जाएगा ।

‌‌‌आमतौर पर अशुभ ग्रहों के बारे मे जानने के लिए आप किसी भी ज्योतिषी से संपर्क कर सकते हैं। वह आपको इस बारे मे बेहतर जानकरी देगा ।

‌‌‌9.शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे बीमारी को दूर करता है

यदि आपको कोई भयंकर बीमारी हो चुकी है। और आप उससे नीजात नहीं पा सकते हैं तो आप शिवलिंग पर दूध चढ़ा सकते हैं। इसके लिए रात को 9 बजे किसी शिवलिंग के अंदर कच्चा दूध चढ़ाएं और वहीं पर बैठकर ऊँ जूं सः मंत्र का जाप रूद्राक्ष की माला से 108 ‌‌‌रोजाना जपे । यदि आप रोजाना ऐसा करते हैं तो कुछ ही दिनों मे आप भयंकर बीमारी से मुक्त हो जाएंगे ।

‌‌‌10.गुरू के अशुभ प्रभाव को नष्ट कर देता है

कुछ लोगों की कुंडली के अंदर गुरू का अशुभ प्रभाव होता है। ‌‌‌तो इसके लिए एक सरल तरीका प्रयोग मे लिया जा सकता है। दूध के अंदर केसर और चीनी को मिलाएं और उसके बाद रोजाना शिवलिंग पर यह दूध चढ़ाएं । ऐसा करने से गुरू अशुभ प्रभाव देना बंद कर देगा ।

11.दुर्घटना के भय को दूर करता है

कुछ लोगों की बार बार दुर्घटना होने की वजह से उनमे काफी भय बन जाता है यदि ऐसा है तो सबसे पहले शिवलिंग के उपर 41 दिन तक लगातार दूध चढ़ाएं और उसके साथ ही 400 ग्राम चावल को दूध से धोलें और शुक्लपक्ष को उन चावल को नदी के अंदर बहा दें।और ऐसा 7 मंगलवार तक करने से समस्या ‌‌‌से छूटकारा मिल जाता है।

‌‌‌12.शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे पुत्र प्राप्ति

यदि आप शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं तो ऐसा करने से पुत्र प्राप्ति होती है। यदि किसी को पुत्र नहीं हो रहा है या वह निसंतान है तो उसे शिवलिंग पर दूध चढ़ाकर महादेव से अपनी इच्छा पूर्ण करने की प्रार्थना करनी चाहिए ।महादेव दयालू हैं वे अपने ‌‌‌भगतों का ध्यान रखते हैं।

‌‌‌13.शिवलिंग पर दूध चढ़ाना आपके अंदर भक्ति पैदा करता है

दोस्तों आप जब अपने घर से शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के लिए जाते हैं तो धीरे धीरे आपके अंदर भक्तिभाव पैदा होता है। और छोटे बच्चों के अंदर भी भक्तिभाव पैदा होता है। भक्ति योग ऐसा ही एक तरीका है जिसके अंदर आप सब कुछ भगवान को सर्पित कर ‌‌‌देते हैं और खुद पूरी तरह से खाली हो जाते हैं। आमतौर पर कुछ पाखंडी बाबा चिल्लाते हैं कि मूर्ति पूजा करना व्यर्थ है लेकिन यह भक्ति योगी के लिए सबसे जरूरी है। यदि आप पूर्ण भक्तियोगी बनेंगे उससे पहले आपको मंदिरों मे जाना होगा आधार यही है।

‌‌‌14.आपके मन की गंदगी को दूर करता है शिवलिंग पर दूध चढ़ाना

‌‌‌जब हम मंदिर जाना छोड़ देते हैं शास्त्र पढ़ना भी छोड़ देते हैं सिर्फ भोग विलास के अंदर डूबे रहते हैं तो मन के अंदर मलिनता आना स्वाभाविक ही है। आपने देखा होगा कि बहुत से हिंदु लड़के लड़कियां भगवान के चरित्र को नहीं जानते हैं वे बस फिल्मी दुनिया के हीरो की तरह बनना चाहते हैं जिनके लिए ‌‌‌पैसे से बड़ी कोई चीज नहीं है तो फिर वे उन्हीं के जैसा करने लगेगे। लेकिन जब आप शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं तो आपके मन मे कहीं ना कहीं भगवान की तरह दिखने का विचार पैदा होता है और आप वही नियम फोलो करते हैं जो भगवान ने बताएं । ऐसा करने से आपके मन की गंदगी अपने आप ही दूर हो जाती है।

‌‌‌15.शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे धन प्राप्ति

दोस्तों यदि आप गरीब हैं और चाहते हैं कि आपका भी जीवन आराम से गुजरे गरीबी दूर हो तो रोजाना शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं । यदि आपके पास अधिक दूध नहीं है तो आप कुछ दूध ही चढ़ा सकते हैं और महादेव से प्रार्थना करें कि वह आपकी गरीबी को दूर करें और आपको ‌‌‌सुख प्रदान करें ।

आमतौर पर जो लोग शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं वे सुबह जल्दी उठते हैं और जल्दी उठने के बाद नहाते धोते हैं। सुबह जल्दी उठने के अनेक फायदे होते हैं। ‌‌‌यदि आप सुबह जल्दी उठते हैं तो आपका मूड पूरे दिन फ्रेस रहेगा आप तनाव मुक्त महसूस करेंगे ।

‌‌‌जो लोग सूर्य की पहली किरण के साथ ही उठ जाते हैं वे खुद को तरोताजा महसूस करते हैं और पूरे दिन उर्जा से भरपूर भी रहते हैं।इसी प्रकार से सुबह जल्दी उठना ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करता है। ‌‌‌इस प्रकार से सुबह जल्दी उठने का फायदा यह है कि आप दिनभर खुद को उर्जावान बनाए रखते हैं और खुद को सकारात्मकता से भरे हुए रखते हैं।

‌‌‌सुबह की धूप भी आपके लिए काफी फायदेमंद होती है। हड्डी व जोड़ों से संबंधित समस्या नहीं आएगी। और सुबह अच्छी आक्सीजन आपके फेफड़ों के लिए उपयोगी होगी ।

‌‌‌शिवलिंग की पूजा

पार्थिव लिंग सभी लिंगों से क्षेष्ठ है।और इसकी पूजा से मनोवाछित फल की प्राप्ति होती है। दैत्य ,देवता और गंधर्व इसकी उपासना करके अनेक सिद्धियां प्राप्त कर चुके हैं।पार्थिव लिंग का कलयुग के अंदर बहुत अधिक महत्व बताया गया है।और शिव की मूर्ति की पूजा करके भी फल को ‌‌‌प्राप्त किया जा सकता है।जिस प्रकार से गंगा नदी सबसे उत्तम नदी है उसी प्रकार से पार्थिव लिंग भी सबसे उत्तम है।पार्थिव लिंग की पूजा से मोक्ष धन और वैभव और आयु मिलती है। जो रोज पार्थिव लिंग की पूजा करता है उसे शिवलोक प्राप्त होता है लेकिन जो लोग अच्छे कुल के अंदर पैदा होने के बाद ‌‌‌ भी पूजा नहीं करते हैं उनको घोर नरक मिलता है ऐसा शिव पुराण मे लिखा गया है।

‌‌‌वैदिक कर्मों के प्रति क्ष्रद्धा भाव रखने वाले मनुष्यों के लिए यह पद्धति सबसे अच्छी मानी गई है। और यह भोग और मोक्ष देने वाली है।सबसे पहले स्नान करें फिर ब्रह्रायज्ञ करें फिर देवताओं और मनुष्यो और पितरों का तर्पण करें उसके बाद भस्म को धारण करें और पूर्ण भक्ति भाव से पार्थिव लिंग की ‌‌‌की पूजा करें ।शिवलिंग का पूजन नदी ,तालाब , और शिवालय आदि किसी पवित्र स्थान पर करना चाहिए ।

शिवलिंग पर दूध कैसे चढ़ाना चाहिए? - shivaling par doodh kaise chadhaana chaahie?

और शिवलिंग बनाने के लिए भी अच्छी मिट्टी का प्रयोग करना चाहिए ।इसके लिए सबसे पहले मिट्टी को एकत्रित करें और उसके बाद उसकी मदद से धीरे धीरे शिवलिंग का निर्माण करें ।इस संसार के सभी भोगों ‌‌‌को पाने के लिए व मुक्ति के लिए शिवलिंग की पूजा पूरे भक्तिभाव से करनी चाहिए ।ओम नम शिवाय मंत्र को बोलते हुए ।सारी सामग्री को जल से शुद्ध करना चाहिए । उसके बाद जल का  संस्कार करें और स्फटीक शिला का घेरा बनाएं और उसके बाद शविलिंग को प्रतिस्थापित करें और पूजा करें ।

‌‌‌अब भगवान शिव का आवाहन करें और स्वयं उनके सामने एक आसन पर बैठ जाएं।उसके बाद शिवलिंग को दूध दही और घी से स्नान करवाएं ।दूध ,दही ,शहद और शक्कर व घी इनसे भी आप लिंग को स्नान करवा सकते हैं।उसके बाद चार ऋचाओं को पढ़ें और भगवान शिव को वस्त्र समर्पित करें ।

‌‌‌सुगंधित चंदन और बेलपत्र भी चढ़ाएं ।और उनकी आरती करें । उसके बाद प्रणाम करें ।उसके बाद प्रार्थना करें हे भूतनाथ आप मेरे प्राणों मे बसते हैं आपके गुण ही मेरे प्राण हैं।आप मेरे सब कुछ हैं मेरा मन आपका चिंतन करता है।मैं महापापी हूं पतित हूं आप मुझ पर क्रपा करें । अभी तक आपके दिव्य रूप को कोई नहीं ‌‌‌जानता है। आपकी लिला अपरम्पार है।हे नाथ मुझ पापी पर दया कीजिए और मेरे सभी संकटों को दूर करने का प्रयास करें ।

‌‌‌पार्थिव लिंग की पूजा करोड़ों यज्ञों के बराबर फल देने वाली है।और कुल युग के अंदर तो शिवलिंग मनुष्यों के लिए सबसे क्षेष्ठ है। यही है जो भोग और मोक्ष देने वाला है।शिवलिंग को मुख्य रूप से तीन प्रकारों के अंदर बांटा गया है। उत्तम ,मध्यम और अधम । इस धरती पर मौजूद सभी इंसानों को शिवलिंग की ‌‌‌पूजा करनी चाहिए ।बुद्धि प्राप्त करने के लिए एक हजार शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए और धन पाने के लिए डेढ हजार शिवलिंग की पूजा करें । वस्त्र पाने के लिए 500 शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए । इसी प्रकार से जो  मोक्ष पाना चाहते हैं उनको एक करोड़ शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए ।शिवलिंग की पूजा ‌‌‌सभी प्रकार की कामनाओं को पूर्ण करती है और भोग व मोक्ष देने वाली है।शिवलिंग की पूजा करने वाला इंसान भवसागर से तर जाता है।

‌‌‌देवराज ब्रहा्रमण की कथा

‌‌‌बहुत प्राचीन समय की बात है किरातो नगर के अंदर देवराज ब्राह्राण रहा करता था।वह ज्ञान के अंदर दुर्बल और रस बेचने वाला और वैदिक मार्ग का अनुसरण नहीं करता था।वह अपने भगतों को ठगता था और उसने अनेक भगतों को मारकर उनका धन हड़प लिया था। वह पूरी तरह से अपने पथ से भ्रष्ट हो चुका था।

‌‌‌एक दिन वह इसी प्रकार से घूमता हुआ प्रयाग जा पहुंचा ।उसने वहां पर एक शिवालय देखा । वह वहीं पर रात को रूक गया । रात मे उसे बुखार हो गया । वहीं पर एक अन्य ज्ञानीजन शिव की कथा सुना रहे थे तो देवराज भी उसी के अंदर ध्यान लगाने लगा ।‌‌‌एक महिने के बाद वहीं पर देवराज की मौत हो गई। और उसको यमराज के दूत यमपास के अंदर बांध कर ले गए ।लेकिन तभी वहां पर शिवलोंक के पार्षद गण आए । उनके हाथ मे त्रिशुल था । उनके गले के अंदर रूद्राक्ष की माला थी और पूरे शरीर के उपर भस्म लपेटा हुआ था।

‌‌‌उसके बाद उन्होंने यमदूतों को मारा पीटा और फिर देवराज को छूटाकर एक अदभुत विमान मे बैठाकर शिवलोक की तरफ ले जाने लगे । तभी हाहाकार मच गया जिसको सुनकर यमराज बाहर आए और शिवलोक के दूतों को देखकर सारा मामला समझ गए ।‌‌‌और यमराज कुछ नहीं बोले ।उसके बाद शिवदूत देवराज को शिवलोक लेकर चले गए और शिवजी को सौंप दिया । इस प्रकार से कथा सुनने से भी दुष्ट इंसान को शिवलोक मिल गया ।

‌‌‌बिंदुग ब्राह्राण की कथा

समुद्र के निकट वाष्कल नामक एक गांव पड़ता है।जहां पर वैदिक धर्म से पतित महापापी मनुष्य रहते हैं।उनका मन सदैव दूषित विषय भोगों के अंदर लगा रहता है।वे देवताओं पर विश्वास नहीं करते हैं और कुटली हैं। अनेक प्रकार अस्त्र शस्त्र रखते हैं।वे ज्ञान ,धर्म और सदभावना से

‌‌‌अनजान हैं।और अन्य समुदाय भी उसी प्रकार से कुकर्म करने वाले हैं ।और सदा विषय भोगों के अंदर डूबे रहते हैं। और वहां की स्त्री भी दुराचारिणी और पतित हैं। वहां पर सिर्फ दुष्ट लोगों का ही निवास है।इसी गांव के अंदर एक बिंदुग नाम ब्राह्राण भी रहता था। वह दुराचारी और कामी था।और उसकी एक बहुत ही ‌‌‌सुंदर स्त्री थी जिसका नाम चुंचला था।वह काफी अच्छी थी और सदा उत्तम धर्म का पालन करती थी। वह काम से परेशान होकर भी अपने धर्म से भ्रष्ट नहीं हुई । इसी प्रकार से रहते उसे काफी समय बीत गया ।लेकिन आगे चलकर वह दूराचारी पति के आचरण से प्रभावित होकर दूराचारी बन गई। ‌‌‌और अपने धर्म से विमुख हो गई ।

‌‌‌इसी प्रकार से भोग विलास और पतित कर्म करते हुए बिंदुग का सारा जीवन निकल गया और एक दिन वह मरकर नरक को प्राप्त हो गया ।बहुत समय तक दुख भोगकर बिंदुग एक भयंकर पिशाच बन गया ।उसके बाद दुराचारी बिंदूग के मर जाने के बाद उसकी स्त्री चुंचला कुछ समय तक अपने पुत्रों के साथ रहती रही लेकिन उसके बाद ‌‌‌भी वह अपने धर्म से गिरकर पर पुरूषों का संग करने लगी । ठीक ही है सत्य कड़वा होता है लेकिन इसका फल मीठा होता है।

‌‌‌और एक बार वह स्त्री अपने बेटों के साथ यत्र तत्र घूमने गई और वहां पर एक शिवालय के अंदर गई जहां पर ज्ञानी जन एक कथा सुना रहे थे । वे कह रहे थे कि जो स्त्री  व्यभीचारिणी होती है। मरने के बाद यमदूत उसे ले जाते हैं और उसके गुप्तांगों के अंदर लौहे की रोड़ दागते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं उसके साथ ‌‌‌एक ऐसा पुरूष संबंध बनाता है जोकि लौहे का लिंग लिए हुए होता है। इस दौरान उनको बहुत अधिक दर्द होता है। लेकिन वहां पर उनकी कोई भी नहीं सुनने वाला होता है।कर्मों का फल सबको भोगना पड़ता है। इस कर्म के फल से कोई भी बच नहीं सकता है। यह सब सुनकर चुंचला बहुत अधिक दुखी हो गई ।

‌‌‌सब सारे लोग वहां से चले गए तो वह उस ज्ञानीजन के पास गई और बोली धर्म से भ्रष्ट होने के बाद मैंने बहुत ही गलत काम किये और आपके वचन सुनकर मैरे मन मे संसार के प्रति वैराग्य हो गया है। आप मेरा उद्धार करें । मैं बहुत पापीनी हुं आप मेरा कल्याण करें । आप मेरे गुरू माता पिता और सब कुछ हैं।

‌‌‌और इस प्रकार से वह कहती हुई उस ज्ञानी के चरण मे गिर पड़ी।और उसके बाद उस ज्ञानी ने स्त्री को उठाया और बोला …हे स्त्री तुम सौभाग्यशाली हो की तुमने सही समय पर सही फैसला लिया। तुम भगवान शिव की शरण के अंदर जाओ बस वेही तुम्हारा कल्याण कर सकते हैं।‌‌‌जिससे तुम्हारी बुद्धि शुद्ध हो जाएगी । मैं तुमको वह मार्ग बताउंगा जिससे तुमको उत्तम गति प्राप्त होगी ।जो इंसान अपनी गलती से पाप करता है और उसके बाद उसे अपनी गलती का एहसास हो जाता है वही तो  उसके लिए सच्चा पश्चाताप होता है।

शिवलिंग पर दूध कैसे चढ़ाना चाहिए? - shivaling par doodh kaise chadhaana chaahie?

‌‌‌शिव पुराण की कथा सुनने से ही इंसान का चित्त निर्मल हो जाता है।इस कथा को सुनना सभी मनुष्यों के लिए कल्याण कारी होता है।यह कथा सभी रोगों का नाश करने वाली है। इससे चित के अंदर भगवान बस जाते हैं।और एक बार जब चित्त शुद्ध हो जाता है तो फिर चित्त के अंदर अनेक प्रकार के अच्छे भाव उभरने लग ‌‌‌जाते हैं।और इसके बाद संसार से वैराग्य प्रकट होता है। जिस इंसान का मन विषयों के प्रति आशक्त है वह भला मुक्ति को  कैसे प्राप्त कर सकता है ?

‌‌‌हे स्त्री तुम अपने मन को विषयों से हटाकर उसे भगवान शिव की कथा के अंदर लगाओ ।जिससे चित्त शुद्धी होगी और एक ही जन्म मे मोक्ष मिल जाएगा ‌‌‌। ज्ञानी जन का यह उपदेश सुनकर चुंचला का ह्रदय करूणा से भर गया और वह ज्ञानीजन के पैरों मे गिरकर बोली …मैं धन्य हो गई शिवभक्तों के अंदर क्षेष्ठ आप धान्य हैं।आप सदा परोपकारी हैं और मैं नरक के समुद्र मे गिर रही हूं । मुझ अभागिनी पर दया करें ।आप जिस कथा के बारे मे बात कर रहे हैं आप मुझे उस ‌‌‌कथा को सुनाने की क्रपा करें ।‌‌‌उसके बाद चुंचला वहीं पर रहने लगी और दिन रात शिव की कथा सुनती और शिव का चिंतन करने लगी ऐसा करने से उसके सारे पाप नष्ट हो गए ।और उसको संसार के प्रति भी वैराग्य हो गया ।जब उसने शरीर का त्याग किया तो उसको एक दिव्य विमान लेने के लिए पहुंचा जो देखने मे काफी सुंदर था।

‌‌‌और उसके अंदर शिवगण सवार थे ।वहां पहुंच कर चुंचला ने देखा कि वह शिवपुरी पहुंच गई है और वहां पर अनेक देवता भगवान शिव और माता पार्वती की सेवा मे लगे हुए हैं। वह भी उनको हाथ जोड़कर प्रणाम किया ।उसके बाद उसने देखा कि महादेव आराम से अपने आसन पर बैठे हुए हैं और उनके पास माता पार्वती बैठी हुई है।‌‌‌यह देखकर चुंचला के आंखों से आंसूओं की धारा बह निंकली और उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले ?उसके बाद माता ने उनको पास बुलाया और उसे अपनी सखी बना लिया ।

‌‌‌बिंदुग का पिशाच योनी से उद्धार

‌‌‌बिंदुग एक महापापी इंसान था।और अपने कर्मों की वजह से पिशाच बन गया था। उधर चुंचला चाहती थी उसके पति का भी उद्धार हो जाए तो वह माता पार्वती के पास गई और उनकी स्तुति की । जिससे माता प्रसन्न हुई और कहा बोलो सखी क्या वर चाहती हो ?

‌‌‌……….हे माता बताओं कि इस समय मेरा पति बिंदुग किसी योनी मे है ?

………हे सखी तुम्हारा पति बिंदुग बड़ा पापी था। उसकी गति बड़ी भयानक हुई । सबसे पहले उसने अनेक वर्षों तक नरक का दुख भोगा अब वह पिशाच बनकर विंध्याचल पर्वत पर रहता है और वहीं पर वायु को पीता है।और इसी प्रकार से बहुत सारे ‌‌‌कष्ट सहता है।

उसके बाद चुंचला ने पूछा ………माता क्या आप उनके उद्धार का कुछ उपाय बता सकती हैं। ?

………..तुम्हारे पति के उद्धार का एक ही उपाय है कि तुम उनको शिव की कथा सुनाओ । और उसके बाद चुंचला की रिक्वेस्ट पर माता ने बिंदुग के लिए कथा सुनाने की व्यवस्था करदी।

‌‌‌उसके बाद माता ने गंधर्वराज को कथा सुनाने के लिए भेजा । गंधर्वराज अपने विमान के अंदर सवार होकर विंध्याचल पर पहुंचा तो उन्होंने देखा कि वहां पर एक विशाल शरीर वाला पिशाच रहता है। और उसका बड़ा बड़ा मुख है। वह कभी हंसता है कभी खेलता है।

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और कभी रोता है। फिर गंधर्वराज ने उसको अपने पास मे बांधा ‌‌‌फिर एक स्थान पर बैठा दिया और तभी लोगों को यह पता चला कि माता पार्वति ने गंधर्वराज को कथा सुनाने के लिए भेजा है तो सभी लोग भी कथा सुनने के लिए वहां पर आ गए । सभी को स्थान दिया गया । उसके बाद सभी ने कथा सुनी । और फिर कथा सुनते ही बिंदुग का पिशाच शरीर वहीं पर गिर गया फिर  ‌‌‌उसके पास एक दिव्य शरीर प्रकट हुआ और वह भी भगवान शिव का गुणगान करने लगा ।इस प्रकार से बिंदुग अपनी पत्नी के साथ शिवलोक के अंदर लौट आया और दोनों वहां पर सुख पूर्वक रहने लगे ।

शिवलिंग पर कौन सा दूध चढ़ाना चाहिए?

शिवजी को जल्द ही प्रसन्न के लिए शिव पर प्रतिदिन कच्चा गाय का दूध अर्पित करें। गाय को माता माना गया है अत: गौमाता का दूध पवित्र और पूजनीय है। इसे शिव पर चढ़ाने से महादेव श्रद्धालु की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

शिवलिंग पर दूध कब चढ़ाना चाहिए?

अगर आपकी कुंडली में कोई भी ग्रह अशुभ प्रभाव डाल रहा है तो इसके लिए सोमवार के दिन सुबह शीघ्र उठकर स्नान आदि से निवृत होकर शिवालय जाकर शिवलिंग पर कच्चा दूध अर्पित करें। लगातार सात सोमवार तक इस उपाय को करने से न सिर्फ अशुभ ग्रहों की पीड़ा खत्म होती है बल्कि इससे आपकी सारी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।

शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से क्या फायदा होता है?

शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे क्या है ?.
शिव जी के रुद्राभिषेक में दूध का विशेष महत्व माना जाता है ऐसा माना जाता है कि दूध से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से आपकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है..
सोमवार के दिन दूध का दान करने से आपका चंद्रमा मजबूत धार्मिक मान्यता के अनुसार जी ने चंद्रमा को अपने सर पर धारण किया हैं..

तांबे के लोटे से दूध चढ़ाने से क्या होता है?

पूजा के दौरान तांबे के बर्तन में दूध, दही या चरणामृत को नहीं रखना चाहिए। तांबे में रखे गए ये पदार्थ मदिरा तुल्य होते हैं। खासकर दूध, दूध से बनी चीजें और खट्टी चीजें। ये विषाक्त हो सकती हैं।