शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

Ghar me reh kar vivah ka muhurat nikalne ka tarika kya hai ? भारत में हिंदू धर्म में विवाह को एक संस्कार के रूप में माना जाता है किसी भी व्यक्ति का विवाह जब होता है तो उससे पहले व्यक्ति की राशि नाम कुंडली zodiac sign horoscope जैसी चीजों को देखकर वैवाहिक मुहूर्त matrimonial muhurta निकाले जाते हैं। विवाह से पहले व्यक्ति के सभी तथ्यों को किसी विद्वान ब्राह्मण द्वारा विचार करवाया जाता है जिससे किसी भी प्रकार का ग्रह दोष नक्षत्र दोष या अन्य कोई वादा वैवाहिक संस्कार marriage ceremony में विघ्न न डाल सके।

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विवाह के समय प्रमुख रूप से हिंदू पंचांग में 27 नक्षत्र के आधार पर मुहूर्त निकाला जाता है जिसमें से प्रमुख रूप से मूल,अनुराधा, मृगशिरा, रेवती, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराभाद्रपद, उत्तरा अषाढ़, हस्त, स्वाति,मघा,रोहिणी नक्षत्रों को प्रमुख रूप से विवाह Marriage के लिए अच्छे माने जाते हैं। इन्हीं नक्षत्रों में विवाह की तारीखें marriage dates बनती हैं और वैवाहिक संस्कार संपन्न कराए जाते हैं।

विवाह के मुहूर्त क्यों निकाले जाते हैं इनके पीछे क्या कारण है आखिर कौन है ऐसी जरूरत है जो विवाह के पहले शुभ मुहूर्त को देखा जाता है तो इन प्रश्नों के उत्तर इस तरह से मिलते हैं कि यदि शुभ मुहूर्त और समय ग्रह नक्षत्रों को ध्यान में रखकर वैवाहिक संस्कार संपन्न कराया जाता है |

तो एक पति और पत्नी के जीवन में किसी भी प्रकार की कोई समस्या ना हो बल्कि दांपत्य जीवन में हमेशा तालमेल बना रहे तथा घर परिवार और सदस्य के बीच कभी कोई दिक्कतें ना आए।

शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

किसी भी व्यक्ति के वैवाहिक संस्कार के समय व्यक्ति के अंदर गुणों का मिलान किया जाता है यदि किसी भी व्यक्ति के गुण 18 से 32 के बीच में मिलान करते हैं तो वह वैवाहिक जीवन शुभ माना जाता है |

जबकि कुल गुण 36 होते हैं। परंतु कभी-कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति के गुण 24 से 32 तक मिल जाते हैं जो अच्छा माना जाता है फिर भी जीवन काफी परेशानियों से भरा रहता है |


तो इसका कारण यह है कि उनकी कुंडली में सप्तमेश तथा पंचमेश काफी दूषित होते हैं ।वहीं दूसरी तरफ किसी के गुण 18 से कम होते हैं फिर भी जीवन सुख में होता है क्योंकि सप्तमेश और पंचमेश दूषित नहीं होते हैं।

वैवाहिक मुहूर्त निकालते समय विद्वान ब्राह्मण हमेशा लड़की और लड़के दोनों के गुणों का मिलान करता है जो 18 से 32 गुणों के बीच मिलने पर शुभ माना जाता है।

शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

Table of contents : दिखाएँ

1. विवाह किन महीनों में किया जाता है ? months marriage takes place

2. मुहूर्त में क्या-क्या देखा जाता है ?

3. विवाह मुहूर्त में प्रमुख दोष् कौन से होते है ?

4. कन्या के लिए गुरु बल क्या है ? Guru force for a girl child

5. वर के लिए सूर्य बल क्या है ? Sun force for the bride

6. वर और कन्या के लिए चंद्र बल क्या है ? Moon force for the bride and groom

7. विवाह लग्न का क्या महत्व है ? importance of marriage

8. विवाह लग्न को निर्धारित करते समय कौन सी बातें ध्यान देना जरूरी है ?

9. विवाह मुहूर्त ने अन्धादि लग्न क्या है ? blind wedding ceremony

10. विवाह किस मुहूर्त के समय कौन-कौन से निषेध देखे जाते हैं ? prohibitions observed at which time of marriage

10.1. जन्म माह आदि निषेध क्यों देखा जाता है ? birth month etc. is forbidden

11. ज्येष्ठादि विचार पर विचार करना क्यों आवश्यक है ?

12. ग्राह्य तिथि पर विचार करने से क्या लाभ होता है ?

13. ग्राह्य नक्षत्र पर विचार क्यों आवश्यक है ? necessary to consider Grahya Nakshatra

14. योग विचार की आवश्यकता क्या है ?

15. करण शुद्धि पर विचार क्यों आवश्यक है ?

16. वार शुद्धि पर विचार करने के क्या लाभ होते हैं ?

17. वर्जित काल पर विचार क्यों आक्वश्यक है ?

18. गुरु-शुक्र अस्त पर विचार करने के क्या लाभ है ?

19. ग्रहण काल पर विचार करना क्यों जरुरी है ?

20. विशेष त्याज्य

21. योग पर विचार

  • ज्योतिष के 14 प्रकार जाने | एस्ट्रोलॉजी क्या है? | Type of astrology

जब गुण मिल जाते हैं तो वर और वधू की जन्म राशि के आधार पर या नाम के राशि के आधार पर विवाह संस्कार के लिए उचित समय दिन नक्षत्र और तिथि निकाला जाता है इसी को विवाह के लिए मुहूर्त माना जाता है विवाह मुहूर्त में ग्रह की दशा और नक्षत्र को ध्यान में रखते हुए विवाह मुहूर्त निकाला जाता है।

प्रमुख रूप से यह जरूर देखा जाता है कि किसी के दांपत्य जीवन में किसी प्रकार की परेशानी ना हो घर परिवार हमेशा खुश रहे पति पत्नी एक दूसरे से हमेशा प्यार हो आजीवन एक दूसरे से बंधे रहे तथा अपने दांपत्य जीवन को खुशहाली से व्यतीत कर सकें।

विवाह किन महीनों में किया जाता है ? months marriage takes place

हिंदू धर्म में विवाह शुभ नक्षत्र के साथ-साथ शुभ महीना और तिथि पर विशेष विचार किया जाता है हिंदू धर्म में वैवाहिक संस्कार संपन्न करने के लिए ज्येष्ठ, माघ, फाल्गुन, वैशाख, मार्गशीर्ष और आषाढ़ माह सबसे उत्तम माना जाता है । वैसे तो साल के 12 महीने विवाह होते रहते हैं परंतु उपरोक्त महीनों में विवाह करना सबसे शुभ माना जाता है जबकि अन्य महीनों में अन्य धर्मों के लोग विवाह करते हैं।

शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

हिंदू धर्म पंचांग जेष्ठ मास फागुन वैशाख मार्गशीर्ष और आषाढ़ महीना सबसे उत्तम मानता है। अन्य महीनों को व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए भी बनाए गए हैं जो किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद तेरहवीं संस्कार किया जाता है।

इसके अलावा बहुत से महीने ऐसे होते हैं जो हिंदू धर्म में अन्य क्रियाकलापों के लिए या संस्कारों के लिए निर्धारित किये गए हैं।

मुहूर्त में क्या-क्या देखा जाता है ?

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किसी भी विवाह में कन्या के लिए गुरु बल और वर के लिए सूर्यबल मुख्य रूप से देखा जाता है इसके अलावा दोनों के लिए चंद्रबल देखा जाता है पंचांग में विवाह मुहूर्त लिखे होते हैं यदि आप पंचांग देखते होंगे तो उसमें देखा होगा कि जो खड़ी रेखाएं बनी होती हैं उन्हें शुभ माना जाता है और जो तिरछी रेखाएं बनी होती हैं उन्हें अशुभ माना जाता है |

ज्योतिष शास्त्र में विवाह के 10 दोष बताए गए हैं विवाह मुहूर्त निकालते समय यह देखा जाता है कि जितनी खड़ी रेखाएं हैं वह रेखाएं उनके लिए शुभ हैं और जो तिरछी रेखाएं हैं वह अशुभ हो जाती हैं शुभ मुहूर्त के रूप में 8 से 10 रेखाएं होती हैं यदि 7 से कम रेखाएं हैं तो विवाह के लिए मुहूर्त अच्छा नहीं होता है।

यदि किसी भी विवाह के मुहूर्त में देखा जाए तो 10 सीधी रेखाएं हैं तो वह विवाह सबसे उत्तम माना जाता है इस के अलावा सात से आठ रेखाएं हैं तो यह मध्यम विवाह शुभ होता है यदि 5 रेखाएं सीधी हैं तो यह विवाह बहुत कम शुभ होता है । यदि 5 से कम रेखाएं हैं तो वह विवाह बिल्कुल ही शुभ नहीं है अर्थात खड़ी रेखाएं शुभ विवाह और मुहूर्त के लिए बनी होती है ऐसे में इन रेखाओं पर भी ध्यान देना जरूरी होता है।

विवाह मुहूर्त में प्रमुख दोष् कौन से होते है ? 

विवाह मुहूर्त में 10 रेखाएं खड़ी खींची जाती हैं यदि इनमें से 10 रेखाएं खड़ी है तो विवाह का मुहूर्त शुभ हो जाता है यदि 7 या 8 रेखाएं खींची हैं तो विवाह का मुहूर्त मध्यम होता है। यदि 5 से कम है तो विवाह के लिए शुभ नहीं है इन रेखाओं में व्यक्ति के विवाह मुहूर्त में 10 दोष छिपे होते हैं जो दोस्त होते हैं वह टेढ़ी रेखाओं में खींचे होते हैं 10 दोस्त नीचे दिए जा रहे हैं।

1. लता

2. पात

3. युति

4. वैध

5.यामित्र

6. बाण

7 एकर्गल

8. उपग्रह

9. क्रांतिसाम्य

10. दग्धा तिथि

कन्या के लिए गुरु बल क्या है ? Guru force for a girl child

शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

कन्या के लिए गुरूबल का मतलब यह है कि यदि कन्या की राशि में बृहस्पति नवम पंचम एकादश द्वितीया और सप्तम भाव में है तो विवाह के लिए शुभ माना जाता है। यदि बृहस्पति दशम तृतीयाषष्ठ और प्रथम भाव में है तो कन्या को दान देना शुभ माना जाता है।

इसके अलावा चतुर्थ अष्टम द्वादश भाव में यदि बृहस्पति है तो वैवाहिक संस्कार अशुभ माना जाता है इसे ही ग़ुरूबल कहा जाता है। इस प्रकार गुरूबल को देखकर शुभ मुहूर्त निर्धारित किया जाता है।

वर के लिए सूर्य बल क्या है ? Sun force for the bride

जिस प्रकार से कन्या के लिए गुरु बल देखा जाता है उसी प्रकार से वर के लिए भी सूर्य बल देखा जाता है। वर के लिए सूर्य यदि तृतीय, षष्ठ, दशम, एकादश भाव में है तो यह विवाह के लिए सबसे शुभ माना जाता है |

यदि सूर्य प्रथम, द्वितीय, पंचम, सप्तम और नवम भाव में है तो वर के लिए दान देना शुभ माना जाता है और सूर्य चतुर्थ, अष्टम, द्वादश भाव में है तो यह बिल्कुल अशुभ होता है।

शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

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यदि वर और कन्या दोनों का गुरु बल और सूर्य बल सही भाव में नहीं है तो वैवाहिक जीवन कष्टकारी हो सकता है और वह विवाह के लिए शुभ मुहूर्त नहीं बन सकता है। अतः दोनों का मिलान होना बहुत जरूरी है।

वर और कन्या के लिए चंद्र बल क्या है ? Moon force for the bride and groom

विवाह मुहूर्त निकालते समय कन्या और वह दोनों के लिए चंद्रबल एक साथ देखा जाता है यदि कुंडली में चंद्र बल के अनुसार चंद्रमा वर और कन्या की राशि मेंतीसरे, छठे, सातवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में हेतु विवाह के लिए शुभ मुहूर्त होता है।

यदि चंद्रमा पहले दूसरे पांचवें और नवे भाव में है तो वर और कन्या दोनों के लिए दान देना शुभ माना जाता है तथा चौथे आठवें और बारहवें भाव में है तो यह बिल्कुल अशुभ माना जाता है अर्थात सूर्य बल चंद्र बल और गुरु बल सही भाव में नहीं है तो वैवाहिक मुहूर्त नहीं बनेगा। यदि कोई फिर भी इन को स्वीकार नहीं करता है तो वह और वधू के जीवन में कहीं ना कहीं दिक्कत आएगी।

विवाह लग्न का क्या महत्व है ? importance of marriage

विवाह मुहूर्त बनाते समय लग्न का भी ध्यान दिया जाता है शादी विवाह में लग्न का अर्थ फेरे का समय होता है। विवाह का मुहूर्त निकालने के बाद और विवाह की तारीख बन जाने के बाद लग्न का मुहूर्त निकाला जाता है। विवाह लग्न में किसी प्रकार की गलती होने पर गंभीर दोष उत्पन्न होता है।

शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

( यह लेख आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है अधिक जानकारी के लिए OSir.in पर जाये  )

विवाह संस्कार में तिथि को शरीर चंद्रमा को मंत्र योग और नक्षत्रों को शरीर के अंग और लघु को अपना माना जाता है इसीलिए लग्न के विवाह को अधूरा माना जाता है।

विवाह लग्न को निर्धारित करते समय कौन सी बातें ध्यान देना जरूरी है ?

किसी भी वर वधु के विवाह लग्न मुहूर्त और विवाह की तारीख आदि सभी निर्धारित करते समय कुछ विशेष बातें ध्यान देना जरूरी है जो इस प्रकार हैं –
वर वधु के लग्न राशि में अष्टम राशि का लग्न विवाह के लिए अच्छा माना जाता है इसलिए लग्न राशि में अष्टम रास्ता होना जरूरी है।

  1. जन्म कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी विवाह लग्न में स्थित है नहीं होना चाहिए जिससे किसी भी प्रकार का वैवाहिक विघ्न ना हो
  2. विवाह लग्न निर्धारित करते समय यह ध्यान देना आवश्यक है कि विवाह लग्न से द्वादश भाव में शनि और दशम भाव में शनि स्थित ना हो।
  3. विवाह लग्न से तृतीय भाव में शुक्र और लग्न भाव में कोई दोषी ग्रह स्थित नहीं होना चाहिए
  4. विवाह लग्न में चंद्रमा पर विशेष ध्यान देना जरूरी है कहीं ऐसा ना हो कि चंद्रमा किसी कारणवश ग्रहण की दशा में हो
  5. विवाह लग्न से चंद्र शुक्रवार मंगल अष्टम भाव में स्थित नहीं होना चाहिए
  6. विवाह लग्न से सप्तम भाव में कोई ग्रह विघ्न ना उत्पन्न कर रहा हो।
  7. विवाह लग्न से किसी प्रकार का कर्तरी दोष ना हो।

विवाह मुहूर्त ने अन्धादि लग्न क्या है ? blind wedding ceremony

  • विवाह मुहूर्त में विभिन्न राशियों विभिन्न तरीकों से प्रभाव डालते हैं इसमें कुछ राशियों किस तरह से प्रभावित होती हैं यह जानना आवश्यक होता है |
  • विवाह मुहूर्त निकालते समय यह ध्यान देना आवश्यक है की राशियों में कहां पर दोष उत्पन्न हो रहा है क्योंकि तुला राशि दिन में और वृश्चिक राशि रात्रि में तथा तुला और मकर बधिर राशियां हैं।
  • दिन में सिंह मेष वृष और रात्रि में कन्या मिथुन कर्क अंध होते हैं।
  • दिन में कुंभ और रात्रि में मीन लग्न पंगु होते हैं इसलिए राशियों को मिलान करें अन्यथा वैवाहिक जीवन में कठिनाइयां आएंगी।
  • धनु तुला वृश्चिक दोपहर में बघेल माने जाते हैं जबकि मिथुन कर्क और कन्या रात्रि में अंधे होते हैं
  • सिंघम एक्सप्रेस दिन में अंधे और मकर कुंभ मीन प्रातः काल एवं सायं काल में को बड़े होते हैं
  • इस तरह से लगने विचार करना जरूरी होता है क्योंकि यदि किसी भी वर-वधू का विवाह बधिर लग्न में होता है तो वर और कन्या दोनों में दरिद्रता आ जाती है।
  • इसके अलावा यदि दिवान्ध में लग्न कन्या का विवाह होता है तो कन्या आधी जिंदगी में विधवा हो जाती है इसके अलावा यदि रात्रान्ध में लग्न होता है तो संतान लंगडी हो सकती है और धन का नाश होता है।
  • विवाह मुहूर्त ने विवाह के लिए शुभ लग्न तुला मिथुन कन्या व्रत और धनु होते हैं इसके अलावा सभी लग्न मध्यम माने जाते हैं।
  • किसी भी घर और कन्या का जन्म किस नक्षत्र में होता है तो उस नक्षत्र के चरण में आने वाले अक्षरों को विवाह की तिथि ज्ञात करने के लिए किया जाता है यदि वर और कन्या की राशि विवाह के लिए एक समान है तो विवाह शुभ होता है
  • जेष्ठ माह में प्रथम संतान यदि होती है तो वर और कन्या दोनों का विवाह करना वर्जित है। जेष्ठ माह में प्रथम संतान के रूप में उत्पन्न वर और कन्या का विवाह करने से वैवाहिक जीवन सुख में नहीं रहता।
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विवाह किस मुहूर्त के समय कौन-कौन से निषेध देखे जाते हैं ? prohibitions observed at which time of marriage

जन्म माह आदि निषेध क्यों देखा जाता है ? birth month etc. is forbidden

शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

जब कोई मां पहली बार गर्भधारण करती है तो उसे से उत्पन्न संतान के विवाह में उसका जन्म माह जन्म तिथि तथा जन्म नक्षत्र आदि का त्याग किया जाता है इसके अलावा अन्य संतानों के लिए नक्षत्र छोड़कर माह व स्थिति में विवाह किया जाता है।

ज्येष्ठादि विचार पर विचार करना क्यों आवश्यक है ?  

जेष्ठ पुत्र जेष्ठ पुत्री का विवाह और सौर ज्येष्ठ मास में नहीं किया जाता है केवल इसमें से यदि कोई एक जेष्ठ माह उत्पन्न है तो उसका विवाह जेष्ठ माह में किया जा सकता है।

ग्राह्य तिथि पर विचार करने से क्या लाभ होता है ?

विवाह मुहूर्त में अमावस्या तथा कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी त्रयोदशी और शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को छोड़कर सभी तिथियां शुभ मानी गई

ग्राह्य नक्षत्र पर विचार क्यों आवश्यक है ? necessary to consider Grahya Nakshatra

विवाह मुहूर्त के समय अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, मघा, उ.फा., हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, ऊ.षा.,श्रवण धनिष्ठा, उ.भा. रेवती पर विचार किया जाता है।

योग विचार की आवश्यकता क्या है ?

विवाह मुहूर्त के समय भुजंगपात और विष्कुंभ योग पर विचार किया जाना आवश्यक होता है क्योंकि कभी-कभी अशुभ हो जाते हैं।

शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

करण शुद्धि पर विचार क्यों आवश्यक है ?

विवाह मुहूर्त में अदरा को छोड़कर सभी पर करण शुभ तथा स्थिर करण मध्यम होता है इसलिए विवाह मुहूर्त में इन पर विचार करना जरूरी है

वार शुद्धि पर विचार करने के क्या लाभ होते हैं ?

विवाह मुहूर्त के लिए मंगलवार और शनिवार के दिन मध्यम होते हैं तथा शेष अन्य दिन शुभ माने जाते हैं

वर्जित काल पर विचार क्यों आक्वश्यक है ?

हिंदू धर्म में पितृपक्ष मलमास धनुस्थ और मीनस्थ सूर्य ने विवाह नहीं किया जाता है यह समय वैवाहिक दृष्टि से अशुभ होते हैं

गुरु-शुक्र अस्त पर विचार करने के क्या लाभ है ?

शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

 

 

हिंदू धर्म में शुक्र अस्त होने पर विवाह नहीं होता है तथा बृहस्पति या गुरु के भी अस्त होने पर विवाह नहीं होता है गुरु और शुक्र के उदय होने के दो दिन बाद तथा 2 दिन पहले की तिथियां भी वर्जित होती हैं।

ग्रहण काल पर विचार करना क्यों जरुरी है ?

विवाह मुहूर्त के दौरान यह ध्यान देना आवश्यक है कि विवाह के मुहूर्त के 1 दिन पहले और 3 दिन बाद तक किसी ग्रहण का दोष ना हो।

विशेष त्याज्य 

शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

विवाह मुहूर्त निकालते समय यह ध्यान देना जरूरी है कि संक्रांति, मासांत, अयन प्रवेश, गोल प्रवेश, युति दोष, पंचशलाका वैद्य दोष, मृत्यु बाण दोष, सूक्ष्म क्रांतिसाम्य, सिंहस्थ गुरु, सिंह नवांश में तथा नक्षत्र गंडांत तो नहीं है।

योग पर विचार 

प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, सुकर्मा, धृति, वृद्धि, ध्रुव, सिद्धि, वरीयान, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, हर्षण, इंद्र एवं ब्रह्म योग विवाह के लिए शुभ हैं।

-: चेतावनी disclaimer :-

शुभ मुहूर्त कैसे देखा जाता है? - shubh muhoort kaise dekha jaata hai?

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    शुभ मुहूर्त कैसे निकाला जाता है?

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ मुहूर्त निकालने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है- तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, नवग्रहों की स्थिति, मलमास, अधिकमास, शुक्र और गुरु अस्त, अशुभ योग, भद्रा, शुभ लग्न, शुभ योग तथा राहूकाल आदि इन्हीं के योग से शुभ मुहूर्त निकाला जाता है यथा सर्वार्थसिद्धि योग।

    सबसे अच्छा मुहूर्त कौन सा होता है?

    अमृत/जीव मुहूर्त और ब्रह्म मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ होते हैं ; ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से पच्चीस नाड़ियां पूर्व, यानि लगभग दो घंटे पूर्व होता है। यह समय योग साधना और ध्यान लगाने के लिये सर्वोत्तम कहा गया है।

    शुभ मुहूर्त कौन कौन से हैं?

    मुहूर्त दो तरह के होते हैं शुभ मुहूर्त और अशुभ मुहूर्तशुभ को ग्राह्य समय और अशुभ को अग्राह्‍य समय कहते हैंशुभ मुहूर्त में रुद्र, श्‍वेत, मित्र, सारभट, सावित्र, वैराज, विश्वावसु, अभिजित, रोहिण, बल, विजय, र्नेत, वरुण सौम्य और भग ये 15 मुहूर्त है। ...

    शुभ मुहूर्त कितने होते हैं?

    दिन व रात मिलाकर 24 घंटे के समय में, दिन में 15 व रात्रि में 15 मुहूर्त मिलाकर कुल 30 मुहूर्त होते हैं अर्थात् एक मुहूर्त 48 मिनट (2 घटी) का होता है। मुहूर्त संबंधित ग्रंथ : मुहूर्त संबंधित कई ग्रंथ हैं जो वेद, स्मृति आदि धर्मग्रंथों पर आधारित है।