सुयोग्यता का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

11 Class Physical Education Chapter 3 शारीरिक पुष्टि , सुयोग्यता और जीवनशैली Notes In Hindi Physical Fitness, Wellness and Lifestyle

Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Physical Education
Chapter Chapter 3
Chapter Name शारीरिक पुष्टि , सुयोग्यता और जीवनशैली
Physical Fitness, Wellness and Lifestyle
Category Class 11 Physical Education Notes in Hindi
Medium Hindi

Class 11 Physical Education Chapter 3 शारीरिक पुष्टि , सुयोग्यता और जीवनशैली Notes In Hindi जिसमे हम शारीरिक पुष्टि , सुयोग्यता एवं जीवनशैली का अर्थ व महत्त्व ,  शारीरिक पुष्टि एवं जीवनशैली के घटक , स्वास्थ्य सम्बन्धि पुष्टि के घटक आदि के बारे में पड़ेंगे ।

Class 11 Physical Education Chapter 3 शारीरिक पुष्टि , सुयोग्यता और जीवनशैली Physical Fitness, Wellness and Lifestyle Notes In Hindi

📚 अध्याय = 3 📚
💠 शारीरिक पुष्टि , सुयोग्यता और जीवनशैली 💠

❇️ शारीरिक पुष्टि का अर्थ :-

🔹 एक साधारण व्यक्ति की शारीरिक पुष्टि का अर्थ उसकी दैनिक कार्य करने की क्षमता से है , जिसे वह थकावट का अनुभव किए बिना कर सकता है । इसके साथ – साथ कार्य समाप्त करने के बाद भी उसमें अतिरिक्त कार्य करने की पुनः शक्ति की क्षमता भी होनी चाहिए । 

❇️ सुयोग्यता :-

🔹 सुयोग्यता एक व्यक्ति की वह क्षमता होती है , जिसके द्वारा वह एक अच्छा संतुलित जीवन व्यतीत करता है । 

❇️ जीवन शैली :-

🔹 जीवन शैली जीने का एक तरीका है जो व्यक्ति के नैतिक मूल्यों और दृष्टिकोणों को प्रतिबिंबित करता है ।

❇️ शारीरिक पुष्टि का महत्त्व :-

🔹 शारीरिक पुष्टि या स्वस्थ शरीर अच्छे स्वास्थ्य की पहली निशानी है । जीवन में शारीरिक पुष्टि को स्वस्थ रखना क्यों जरूरी है , ये हम निम्नलिखित बिन्दुओं के आकलन से जान सकते हैं :-

🔶 मजबूत एवं सुदृढ़ पेशीय अस्थि तंत्र के लिए :-

🔹 शारीरिक पुष्टि के कारण व्यक्ति कोई भी शारीरिक क्रिया हो , उसे आसानी से कर सकता है , आसन ठीक रहता है , माँसपेशियाँ व हड्डियाँ मजबूत रहती हैं , जोड़ो व माँसपेशियों में लचीलापन आता है तथा शारीरिक संरचना सुडौल और आकर्षक दिखाई देती है । 

🔶 एक लम्बा और स्वस्थ जीवन जीने के लिए :-

🔹 शारीरिक रूप से पुष्ट ने केवल स्वस्थ जीवन होता है बल्कि अधिक समय तक जीवित रहता है । 

🔶 ऊर्जा , शक्ति और क्षमता बढ़ाने के लिए :- 

🔹 शारीरिक रूप से पुष्ट व्यक्ति अपने दैनिक कार्य को थकावट का अनुभव किए बिना पूरा कर सकता है । आंतरिक ऊर्जा के कारण , उसकी शक्ति व क्षमता बढ़ जाती है जिसके कारण वह कार्य समाप्त होने पर अतिरिक्त कार्य कर सकता है , जैसे- मनोरंजन , एरोबिक्स नृत्य , बागवानी आदि का आनंद उठा सकता है । 

🔶 शरीर से अतिरिक्त वसा को दूर रखने के लिए :-

🔹 शारीरिक पुष्टि के कारण व्यक्ति हमेशा सक्रिय रहता है । शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के कारण वसा ऊर्जा में परिवर्तित होती रहती है जिससे शरीर में अतिरिक्त वसा भी नहीं जमने पाती है । 

🔶 आनंददासी जीवन जीने के लिए :-

🔹 शारीरिक पुष्टि जीवन में आनंद और मन की प्रसन्नता के लिए भी आवश्यक है । स्वस्थ व्यक्ति प्रसन्न एवं आनंदित रहता है जिससे उसके आत्मविश्वास और सकारात्मक आत्म – छवि में भी विकास होता है ।

🔶 मनःस्थिति में सुधार के लिए :-

🔹 शारीरिक पुष्टि व्यक्ति की मनःस्थिति में भी सुधार लाती है । शारीरिक पुष्टि के कारण व्यक्ति की आत्म – छवि एवं आत्मविश्वास में वृद्धि होती है । 

🔶 दिमाग व स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए :-

🔹 शारीरिक पुष्टि व्यक्ति के मस्तिष्क को भी प्रभावित करती है । शारीरिक रूप से पुष्टि आत्म – छवि एवं आत्मविश्वास में वृद्धि होती है । 

🔶 रोगों की संभावनाओं में कमी के लिए :-

🔹 शारीरिक पुष्टि के कारण शरीर के महत्त्वपूर्ण अंग , जैसे- हृदय फेकड़े तथा मस्तिष्क मजबूत रहते हैं तथा इसकी कार्य – प्रणाली नियमित रहने से बीमारियों की संभावनाओं में कमी आ जाती है ।

❇️ सुयोग्यता का महत्त्व :-

🔶 स्वास्थ्य में सुधार के लिए :-

🔹 शारीरिक , मानसिक और सामाजिक स्वस्थता की दशा ही स्वास्थ्य ‘ कहलाती है । सुयोग्यता के कारण ही व्यक्ति शारीरिक , मानसिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ रह सकता है । व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार के लिए व्यक्ति में सुयोग्यता का होना महत्त्वपूर्ण है । 

🔶 अच्छा नागरिक बनने के लिए :-

🔹 सुयोग्य व्यक्ति अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बीच संतुलन स्थापित करना जानता है , इसी कारण वह देश का अच्छा नागरिक बन सकता है ।

🔶 तनाव – रहित जीवन जीने के लिए :-

🔹 यदि मनुष्य शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हो तो तनाव , कुंठा , दुश्चिता , अवसाद आदि नकारात्मक भाव उस पर हावी नहीं हो सकते । यदि नकारात्मक भाव आ भी जाते हैं तो वह उनका प्रबंधन कुशलता पूर्वक कर लेता है । सुयोग्य व्यक्ति ही संतुलित जीवन जीने के योग्य होता है । 

🔶 जीवन का आनंद प्राप्ति के लिए :-

🔹 एक सुयोग्य व्यक्ति को शारीरिक , मानसिक , आध्यात्मिक , सामाजिक , क्षमताओं का पूरा ज्ञान होता है । इसलिए सुयोग्य व्यक्ति अपना जीवन आनंद से व्यतीत करता है । जीवन के आनंद व मन की खुशी के लिए सुयोग्यता महत्त्वपूर्ण है ।

🔶 समाज का सक्रिय सदस्य बनने के लिए :-

🔹 सुयोग्यता व्यक्ति को समाज एवं पर्यावरण के साथ जुड़ने के अवसर प्रदान करती है । एक सुयोग्य व्यक्ति समाज व सामाजिक कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाता है । सुयोग्यता व्यक्ति के नैतिक व्यवहार को प्रोत्साहित करती है जो समाज में रहने के लिए अति आवश्यक है ।

🔶 उच्च गुणवत्ता युक्त जीवन हेतु :-

🔹 सुयोग्यता से व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार आता है । एक सुयोग्य और स्वस्थ व्यक्ति खेल – कूद से भाग लेकर , अन्य व्यक्तियों के साथ मिल – जुलकर जीवन में अधिक आनंद का अनुभव कर सकता है । 

🔶 उच्चतम वृद्धि और विकास की प्राप्ति के लिए :-

🔹 सुयोग्ता व्यक्ति की वृद्धि और विकास में भी सहायक होती है । एक स्वस्थ व्यक्ति की वृद्धि और विकास बिना रोग के आसानी से हो सकता है ।

❇️ जीवन – शैली की महत्त्व :-

🔶 दीर्घ आयु हेतु :-

🔹 स्वस्थ जीवन – शैली से व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहता है , जिसके कारण बुढ़ापा देरी से आता है । इससे बीमारियों का खतरा कम हो जाता है , जिसके कारण व्यक्ति की आयु लम्बी हो जाती है । 

🔶 अवसाद को कम करने में सहायक :-

🔹 स्वस्थ जीवन – शैली के कारण शरीर की मनोदशा को नियमित करने वाले हार्मोन के स्तर में वृद्धि होती है , जिससे व्यक्ति के डिप्रेशन में जाने का खतरा कम हो जाता है ।

🔶 ऊर्जा स्तर में वृद्धि :-

🔹 स्वस्थ जीवन – शैली के कारण व्यक्ति स्वयं को अधिक ऊर्जावान महसूस करता है , जिससे व्यक्ति अधिक से अधिक कार्यों को कुशलतापूर्वक कर सकता है । 

🔶 आत्मविश्वास में बढ़ोतरी :-

🔹 स्वस्थ जीवन – शैली से व्यक्ति और अधिक आत्मविश्वासी और आत्मसचेत हो जाता है तथा पुष्टि में भी बढ़ोतरी होती है । 

🔶 तनाव से लड़ने में सहायक :-

🔹 स्वस्थ जीवन – शैली से व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक शक्ति में वृद्धि होती है , जिससे तनाव , दबाव और चिंता से मुकाबला करने में सहायता मिलती है और व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में भी उन्नति होती है ।

🔶 हृदय सम्बन्धी रोगों के बचाव :-

🔹 स्वस्थ जीवन – शैली हृदय संबंधी बीमारियों से हमारे शरीर की रक्षा करती है । इससे शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने में सहायता मिलती है , जिसके कारण हृदय शक्तिशाली बनता है और शरीर में अधिक रक्त तथा ऑक्सीजन का प्रवाह होने लगता है । 

🔶 शारीरिक पुष्टि के स्तर में वृद्धि :-

🔹 स्वस्थ जीवन – शैली से पेशीय समन्वयन ( तालमेल ) अच्छा होता है , जिसके कारण शरीर में लचक , सहनशक्ति आदि में वृद्धि होती है । इससे व्यक्ति का जीवन सरल बन जाता है तथा जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार आता है । 

🔶 शारीरिक स्थिति में सुधार :-

🔹 स्वस्थ जीवन – शैली से व्यक्ति के आसन को सुधारने में सहायता मिलती है । चोट लगने के खतरे कम हो जाते हैं । स्वस्थ जीवन – शैली से शारीरिक पुष्टि में भी बढ़ोतरी होती है । 

नोट :- संक्षेप में कहें तो स्वस्थ्य जीवन – शैली द्वारा कैंसर , मधुमेह ( शुगर ) , ब्लड प्रेशर आदि बीमारियों के खतरों की सम्भावनाएँ कम हो जाती हैं , जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है ।

❇️ शारीरिक पुष्टी और जीवन :-

🔹 शैली के घट सर्वांगीण विकास के लिये शारीरिक पुष्टि का होना आवश्यक है जिसके लिये उसके प्रकार का ज्ञान होना चाहिए जो कि निम्न प्रकार से है :- 

  • कौशल सम्बन्धित पुष्टि 
  • स्वास्थ्य सम्बन्धित पुष्टि 
  • सौन्दर्य सम्बन्धित पुष्टि

❇️ कौशल सम्बन्धित पुष्टि :-

🔹 गामक कार्यशीलता को महत्त्व दिया जाता है । 

🔹 इस पुष्टि में विभिन्न खेलों से सम्बन्धित गामक कौशलों को ध्यान में रखते हुए शारीरिक पुष्टि होती है जैसे गति , शक्ति ।

❇️ स्वास्थ्य सम्बन्धित पुष्टि :-

🔹 स्वास्थ्य सम्बन्धित कार्यशीलता को महत्त्व दिया जाता हैं । इसमें स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए पुष्टि होती है एवं बीमारियों से शरीर का बचाव होता है जिससे व्यक्ति अपना जीवन बेहतर रूप से व्यापित कर सके ।

❇️ सौन्दर्य सम्बन्धित पुष्टि :-

🔹 शारीरिक सौन्दर्य को महत्त्व दिया जाता है इसमें व्यक्ति अपने शरीर को सुन्दर बनाने के लिये कार्य करता है अतः विभिन्न मांसपेशियों पर कार्य करता है ।

❇️ शारीरिक पुष्टि के घटक :-

🔶 शक्ति

🔹 गतिशील शक्ति

  •  *अधिकतम शक्ति
  • *विस्फोटक शक्ति
  • *शक्ति सहन – क्षमता

 🔹 स्थिर शक्ति

🔶 गति

🔶 सहन – समता

🔹 छोटी अवधि की सहन – क्षमता

🔹 लंबी अवधि की सहन – क्षमता

🔶 लचक

🔹 अक्रिया लचक

🔹 सक्रिय लचक

  • स्थिर लचक
  • गतिशील लचक

🔶 तालमेल संबंधी योग्यता

❇️ कल्याण या सुयोग्यता के घटक :-

  • सामाजिक योग्यता लोगों के साथ सफलता से बातचीत करने की क्षमता ।
  • अध्यात्मिक सुयोग्यता जीवन को अर्थ व दिशा प्रदान करता है ।
  • भौतिक सुयोग्यता दैनिक कार्यों को पूरा करने की क्षमता ।
  • व्यावसायिक कल्याण काम और आराम के बीच संतुलन ।
  • पर्यावरण सुयोग्यता स्वास्थ्य उपायों और जीवन स्तर को बढ़ावा देने की क्षमता ।
  • बौद्धिक सुयोग्यता जानना और कुशलता से जानकारी के उपयोग की क्षमता ।
  • भावनात्मक कल्याण पूरी तरह से तनावों , भावनाओं पर नियंत्रण करने की क्षमता ।

❇️ स्वास्थ्य संबंधी पुष्टि के घटक एवं बढ़ाने वाले उपाय :-

  • हृदय – वाहिका सहनशीलता ( दौड़ , तैराकी साइकिल चलाना )
  • मांसपेशीय शक्ति ( प्रतिरोधक प्रशिक्षण )
  • मांसपेशीय सहनशीलता ( प्रतिरोधक प्रशिक्षण )
  • लोच ( स्थिर खिंचाव , गतिशील खिंचाव वाले व्यायाम )
  • शारीरिक संरचना ( संतुलित आहार , हृदय – वाहिका संबंधी व्यायाम )
Legal Notice
 This is copyrighted content of INNOVATIVE GYAN and meant for Students and individual use only. Mass distribution in any format is strictly prohibited. We are serving Legal Notices and asking for compensation to App, Website, Video, Google Drive, YouTube, Facebook, Telegram Channels etc distributing this content without our permission. If you find similar content anywhere else, mail us at . We will take strict legal action against them.

सुयोग्यता से आप क्या समझते हैं?

शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ होने की दशा या तथ्य को सुयोग्यता कहा जाता है। अथवा सुयोगिता एक व्यक्ति की वह योग्यता है जिसके द्वारा वह सन्तुलित जीवन का यापन करता है।

सुयोग्यता के मुख्य लाभ क्या है?

यह मानसिक स्वास्थ्य तथा चेतना में सुधार करती है और मानसिक क्षमता में वृद्धि करती है। यह तनाव व दवाब को दूर करने में सहायक होती है। यह हृदय और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों को दूर करती है। यह कार्य की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में वृद्धि करती है।

शारीरिक सयोग्यता व आरोग्यता का क्या अर्थ है इसका हमारे दैनिक जीवन में क्या महत्त्व है?

Explanation: शरीर से जो पुष्ट एवं सुयोग्य व्यक्ति होते हैं उनमें क्रोध को सहने और तनाव को दूर करने की क्षमता होती है, अर्थात् शारीरिक सुयोग्य उस व्यक्ति को हम कह सकते हैं जो अपना जीवन उत्तम और संतुलित तरीके से व्यतीत करता हैशारीरिक आरोग्यता से तात्पर्य है शरीर को व्याधि अर्थात रोग से मुक्त रखना।

शारीरिक पुष्टि और सुयोग्यता को प्रभावित करने वाले कारक क्या है?

शारीरिक पुष्टि एवं सुयोग्यता को अन्य कारण जैसे नशा, नशीली दवाइयां या पदार्थ रहन-सहन का स्तर वंशानुक्रम तथा आराम आदि भी प्रभावित करते हैं.