स्वर और व्यंजन क्या होते हैं बताइए? - svar aur vyanjan kya hote hain bataie?

स्वर और व्यंजन किसे कहते है :: आज hindivaani आप सभी के लिए लेकर आया है। ध्वनि टॉपिक , यह हिंदी भाषा का काफी महत्वपूर्ण टॉपिक हैं। तो आज हम आपको इस टॉपिक से सम्बंधित सभी प्रकार के चीजो को आपको बताएगा। तो आइए शुरू करते है।

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  • स्वर और व्यंजन किसे कहते है?
  • स्वर किसे कहते है ?
  • स्वरों का वर्गीकरण –
  • 1.मात्रा या उच्चारण – काल के आधार पर
  • 1.ह्रस्व स्वर –
  • 2.दीर्घ स्वर –
  • 3.प्लुत स्वर –
  • 2.जीभ के प्रयोग के आधार पर ध्वनियों का वर्गीकरण –
  • 3.मुख – द्वार के खुलने के आधार पर
  • 4.ओठो की स्तिथि के आधार पर –
  • 5.हवा के नाक व मुह से निकलने के आधार पर –
  • 6 .घोषत्व के आधार पर –
  • व्यंजन किसे कहते है। (Consonant)
  • व्यंजनों का वर्गीकरण –
  • फाइनल वर्ड –

स्वर और व्यंजन किसे कहते है?

स्वर और व्यंजन क्या होते हैं बताइए? - svar aur vyanjan kya hote hain bataie?

स्वर किसे कहते है ?

ऐसी ध्वनियां जो अपने आप मे स्वतन्त्र होती हैं। साथ ही साथ जिन्हें बोलने के लिए किन्ही अन्य ध्वनियों की सहायता नही लेनी पड़ती हैं। उन्हें स्वर कहा जाता हैं। मूल रूप से स्वर ध्वनियों की संख्या 13 मानी जाती हैं। उच्चारण की दृष्टि से इनमे केवल 10 ही स्वर हैं।

जैसे – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ,औ आदि।

स्वरों का वर्गीकरण –

स्वरों का वर्गीकरण निम्नलखित हैं।

1.मात्रा या उच्चारण – काल के आधार पर

मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर ध्वनियां तीन प्रकार की होती हैं।

  • ह्रस्व स्वर
  • दीर्घ स्वर
  • प्लुत स्वर

1.ह्रस्व स्वर –

जिनके उच्चारण में केवल एक मात्रा का बोध होता हैं। उन ध्वनियों को ह्रस्व श्वर कहते है।

जैसे – अ, इ,उ आदि

2.दीर्घ स्वर –

जिन ध्वनियों को बोलने में ह्रस्व स्वर से अधिक समय लगता हैं। उन ध्वनियों को दीर्घ स्वर कहते है।

जैसे – आ, ई ,ऊ, ए,ऐ, ओ, औ,ऑ आदि।

3.प्लुत स्वर –

जिन ध्वनियों के उच्चारण में दीर्घ स्वर से अधिक समय लगता हैं। उन ध्वनियो को प्लुत स्वर कहते है।

जैसे – रोsम, ओsम आदि।

2.जीभ के प्रयोग के आधार पर ध्वनियों का वर्गीकरण –

अग्र स्वर :: जिन ध्वनियों के उच्चारण में जीभ के अग्र भाग प्रयोग में लाया जाता हैं।

जैसे – इ,ई, ए,ऐ आदि।

मध्य स्वर :: जिन ध्वनियो के उच्चारण में जीभ का मध्य भाग प्रयोग में लाया जाता हैं।

जैसे – ओ

पश्च स्वर :: जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का पश्च भाग प्रयोग में लाया जाता हैं।

जैसे – आ, उ, ऊ, ओ, औ, ऑ आदि।

3.मुख – द्वार के खुलने के आधार पर

विवृत :: जिन स्वरों के उच्चारण में मुख्य द्वार पूरा खुलता हैं। जैसे – आ

अर्ध – विवृत :: जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार आधा खुलता हैं। जैसे – अ , ऐ, औ, ऑ आदि।

अर्ध – संवृत :: जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार आधा बन्द रहता हैं। जैसे – ए, ओ आदि।

संवृत :: जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार बंद रहता हैं। जैसे – इ, ई, उ,ऊ आदि।

4.ओठो की स्तिथि के आधार पर –

अवृतमुखी :: जिन स्वरों के उच्चारण में ओठ गोलाकार नही होते है। जैसे – अ ,आ, इ,ई,ए,ऐ आदि

वृतमुखी :: जिन स्वरों के उच्चारण में ओठ वृतमुखी या गोलाकार होते है। जैसे – उ, ऊ, ओ,औ, ऑ आदि।

5.हवा के नाक व मुह से निकलने के आधार पर –

निरनुनासिक स्वर :: जिन स्वरों के उच्चारण से हवा केवल मुह से निकलती हैं। जैसे – अ, आ, इ आदि

अनुनासिक स्वर :: जिन स्वरों के उच्चारण में हवा मुह के साथ साथ नाक से निकलती हैं। जैसे – अं, आँ,इँ आदि।

6 .घोषत्व के आधार पर –

जिन ध्वनियों में स्वरतन्त्री में कम्पन उतपन्न होता हैं।सघोष ध्वनियां कहलाती हैं। सभी स्वर ध्वनियां सघोष ध्वनियां हैं।

व्यंजन किसे कहते है। (Consonant)

जिन ध्वनियों के उच्चारण में स्वर ध्वनियां का सहारा लेना पड़ता हैं। उन ध्वनियों को व्यजन कहते है। व्यंजनों की संख्या 33 होती हैं।

व्यंजनों का वर्गीकरण –

व्यंजनों का वर्गीकरण निम्नलखित हैं।

  • स्पर्श व्यंजन।
  • अन्तस्थ व्यंजन।
  • उष्ण व्यंजन।
  • सयुक्त व्यंजन।

स्पर्श व्यंजन – जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा फेफड़ों से निकलते हुए ,मुख के किसी स्थान विशेष भाग जैसे कंठ ,तालु ,मूर्धा आदि को स्पर्श करते हुए निकले ,उच्चारण के आधार पर उन ध्वनियों को स्पर्श व्यंजन कहते हैं।

जैसे – कवर्ग- क् ख् ग् घ् ङ
चवर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्
टवर्ग- ट् ठ् ड् ढ् ण्
तवर्ग- त् थ् द् ध् न्
पवर्ग- प् फ् ब् भ् म्

अन्तस्थ व्यंजन – जिन वर्णो का उच्चारण वर्णमाला के बिवः अर्थात स्वरों व व्यंजनों के बीच स्थित हो ।

जैसे – य, र, ल , व

उष्ण व्यंजन – जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु मुख में किसी स्थान विषेश पर घर्सण करे। उष्ण व्यंजन कहते है।

जैसे – श, ष, स, ह ।

संयुक्त व्यंजन – दो व्यंजनों के सहयोग से मिल कर बने व्यंजनों को संयुक्त व्यंजन कहते है।
जैसे – क्ष – क् + ष + अ
त्र – त् + र् + अ
ज्ञ – ज् + ञ + अ
श्र – श् + र् + अ

उपयोगी लिंक –सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया

फाइनल वर्ड –

आशा हैं कि हमारे द्वारा बताई गई स्वर व्यंजन किसे कहते है। कि जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि आपको स्वर और व्यंजन किसे कहते है ? की जानकारी आपको पसन्द आयी हो तो इसे अपने दोस्तों से जरूर शेयर करे। साथ ही साथ हमें कॉमेंटबॉक्स में लिख कर जनाकारी जरूर प्रदान करे। धन्यवाद

स्वर क्या है और व्यंजन क्या है?

स्वर : जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कण्ठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उन्हें 'स्वर' कहा जाता है। व्यंजन : जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस कण्ठ, तालु आदि स्थानों से रुककर निकलती है, उन्हें 'व्यंजन' कहा जाता है। प्राय: व्यंजनों का उच्चारण स्वर की सहायता से किया जाता है।

हिंदी में स्वर क्या है?

स्वर (vowel) उन ध्वनियों को कहते हैं जो बिना किसी अन्य वर्णों की सहायता के उच्चारित किये जाते हैं। स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण,स्वर कहलाते हैं। हिन्दी भाषा में मूल रूप से ग्यारह स्वर होते हैं। ग्यारह स्वर के वर्ण : अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ आदि।

व्यंजन कितने होते हैं और कौन कौन से होते हैं?

व्यंजन कितने होते हैं (vyanjan kitne hote hain) हिंदी में मुख्य रूप से व्यंजनों की संख्या 33 होती है। परंतु इसमें द्विगुण व्यंजन ड़, ढ़ को जोड़ देने पर इनकी संख्या 35 हो जाती है । इनके अलावा चार संयुक्त व्यंजन – क्ष, त्र, ज्ञ, श्र भी होते हैं

41 व्यंजन कौन कौन से हैं?

स्पर्श व्यंजनों की कुल संख्या = 27 (क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म तथा ड़, ढ़ (ड़, ढ़ को उच्छिप्त व्यंजन (Uchchhipt Vyanjan) और द्विगुण व्यंजन (Dwigun Vyanjan) भी कहते हैं)).
अंतःस्थ व्यंजनों की कुल संख्या = 4 (य, र, ल, व).
ऊष्म व्यंजनों की कुल संख्या = 4 (श, ष, स, ह).