स्थायी बंदोबस्त और महालवाड़ी व्यवस्था में आप क्या प्रमुख अंतर पाते हैं? - sthaayee bandobast aur mahaalavaadee vyavastha mein aap kya pramukh antar paate hain?

महालवाड़ी व्यवस्था, ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा सन १८२२ में उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश में लागू की गयी भू-राजस्व की प्रणाली थी। यह भू राजस्व भारत के 30% भूभाग पर लागू किया गया। इसके पहले कम्पनी बंगाल में स्थायी बन्दोबस्त (सन १७९३ ई में) तथा बम्बई, मद्रास आदि में रैयतवाड़ी (सन १८२० में ) लागू कर चुकी थी।

इस व्यवस्था में भूमि राजस्व बंदोबस्त कंपनी ने एक एक गांव को 'महल' मान कर गांव के मुखिया के साथ किया। गांव के मुखिया को 'नम्बरदार' कहा जाता था जिसका कार्य गांव से लगान वसूल कर कंपनी को देना था। गांव को महाल कहे जाने के कारण इस व्यवस्था का नाम महालवाड़ी व्यवस्था पड़ा इस व्यवस्था की अवधारणा सर्वप्रथम होल्ड मैकेन्जी ने 1819 ईसवी में दिया। 1822 के रेग्यूलेशन के अनुसार कुल भूभाग का 95% निश्चित किया गया था तथा इसे वसूलने के अत्यधिक कठोरता बनाई गई थी। अतः यह व्यवस्था असफल रही। 1833 ईस्वी में मार्टिन बर्ड के देखरेख में उत्तर भारत में कई सुधारों के साथ महालवाड़ी व्यवस्था पुनः लागू हुई। मार्टिन बर्ड को उत्तर भारत में भूमि का व्यवस्था का प्रवर्तक माना जाता था। भूमि कर कुल उपज का 66% तय किया गया। यह व्यवस्था 30 वर्षों के लिए कि ग‌ई । इसके बाद में लॉर्ड डलहौजी द्वारा कम कर के 50% कर दिया गया। परंतु कर वास्तविक उपज के स्थान पर अनुमानित किया गया था। इससे किसानों को कोई राहत नहीं मिली। साथ ही लम्बदर अधिकांशत भूमि पर अधिकार में रख लेते थे। वह राजस्व वसूलने के लिए छोटे किसानों पर अत्याचार करता था।[1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "THE MAHALWARI SYSTEM" (PDF). मूल से 29 मार्च 2018 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 2 जुलाई 2020.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • स्थायी बन्दोबस्त
  • रैयतवाड़ी

स्थाई बंदोबस्त और महालवाड़ी व्यवस्था में क्या अंतर है?

स्थाई बंदोबस्ती में राज्य वित्त करने का अधिकार जमींदार को दिया गया था, जबकि महालवाड़ी व्यवस्था में राजस्व जमा करने की जवाबदेही गाव के मुखिय को सौंप दिया गया था। इसके साथ ही स्थाई बंदोबस्ती का क्षेत्र बंगाल बिहार और ओडिशा था जबकि महालवाड़ी का क्षेत्र उत्तर प्रदेश महा प्रांत और पंजाब था।

महालवाड़ी व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं क्या थी?

महालवाड़ी व्यवस्था के अंतर्गत भू-राजस्व प्रति खेत के स्थान पर प्रतिग्राम या जागीर के आधार पर निर्धारित किया गया। इसमें गाँव का मुखिया भू-पति गाँव के सभी कृषकों से भू-राजस्व की रकम वसूलकर कोष में जमा कराता था। समस्त महाल या ग्राम सम्मिलित रूप से राजस्व जमा कराने हेतु उत्तरदायी थे।

स्थायी बंदोबस्त से आप क्या समझते हैं?

स्थायी बंदोबस्त अथवा इस्तमरारी बंदोबस्त ईस्ट इण्डिया कंपनी और बंगाल के जमींदारों के बीच कर वसूलने से सम्बंधित एक स्थाई व्यवस्था हेतु सहमति समझौता था जिसे बंगाल में लार्ड कार्नवालिस द्वारा 22 मार्च, 1793 को लागू किया गया।

स्थायी बंदोबस्त से आप क्या समझते हैं इसके गुण और दोषों की जांच करें?

स्थायी बन्दोबस्त की हानियाँ या दोष (sthai bandobast ke dosh) इसलिए उपच मे वृद्धि होने पर भी वह लगान मे वृद्धि नही कर सकती थी। ऐसे मे सरकार की आय रूक गयी। 2. शुरू मे जमींदार वर्ग भी इस व्यवस्था से प्रभावित हुए, क्योंकि ऊंची बोली लगाकर वे भूमि तो ले लेते थे, पर सरकार को निश्चित राशि नही दे पाते थे।