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रावण की बेटी या मृत्यु बनकर प्रकट हुई थीं देवी सीताAuthored by Rakesh Jha| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 2 May 2022, 11:45 am अपना यह राशिफल हर दिन ईमेल पर पाने के लिए क्लिक करें - सब्सक्राइब करेंक्लिक करे रामायण के दो प्रमुख पात्र हैं एक भगवान राम और दूसरी
उनकी अर्धांगिनी देवी सीता। देवी सीता की महिमा ऐसी है कि राम से पहले देवी सीता का नाम लिया जाता है। देवी सीता को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है लेकिन विभिन्न रामायणों और पौराणिक कथाओं में देवी सीता के जन्म को लेकर रहस्यमयी और रोचक कथाएं हैं। इसकी वजह यह है कि देवी सीता के माता पिता भले ही सुनयना और राजा जनक कहलाते हैं लेकिन यह केवल इनके पालक माता-पिता हैं। इनका जन्म भूमि से हुआ है इसलिए इनके जन्म के संदर्भ में कई कथाएं मिलती हैं। इनमें सबसे प्रचलित कथा वाल्मीकि रामायण की है। धरती की बेटी सीता कहलाईं जनक पुत्री महर्षि वाल्मीकि ने अपने रामायण में लिखा है कि मिथिला राज्य में अकाल पड़ गया। ऋषियों ने राजा जनक से यज्ञ का आयोजन करने के लिए कहा ताकि वर्षा हो। यज्ञ की समाप्ति के अवसर पर राजा जनक अपने हाथों से हल लेकर खेत जोत रहे थे तभी उनके हल का नुकीला भाग जिसे सीत कहते हैं किसी कठोर चीज से टकराया और हल वहीं अटक गया। जब उस स्थान को खोदा गया तो एक कलश प्राप्त हुआ जिसमें एक सुंदर कन्या खेल रही थी। राजा जनक ने उस कन्या को कलश से निकाला और उस कन्या को अपनी पुत्री बनाकर अपने साथ ले गए। निःसंतान सुनयना और जनक की संतान की इच्छा पूरी हुए। हल के सीत के टकराने से वह कलश मिला था जिससे सीता प्रकट हुई थीं इसलिए कन्या का नाम सीता रखा गया। रावण की बेटी थी सीता? एक दिन जब ऋषि आश्रम में नहीं थे तब रावण वहां आ पहुंचा और वहां मौजूद ऋषियों को मारकर उनका रक्त कलश में भर लिया। इस कलश को रावण महल में लाकर छुपा दिया। मंदोदरी उस कलश को लेकर बहुत उत्सुक थी कि आखिर उसमें है क्या। एक दिन जब रावण महल में नहीं था तब चुपके से मंदोदरी ने उस कलश को खोलकर देखा। मंदोदरी कलश को उठाकर सारा रक्त पी गई जिससे वह गर्भवती हो गई। यह भेद किसी को पता ना चले इसलिए वह लंका से बहुत दूर अपनी पुत्री को कलश में छुपाकर मिथिला भूमि में छोड़ आई। इस तरह सीता को रावण की पुत्री बताया जाता है। रावण की मृत्यु ने लिया था फिर से जन्म देवी सीता के जन्म की तीसरी कथा वेदवती नाम की एक ब्राह्मण कन्या से संबंधित है जिसका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है। इस कथा में बताया गया है कि एक समय वेदवती भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थीं। हिमालय पर भ्रमण करते हुए रावण की नजर वेदवती पर गई और वह कामांध हो गया। रावण ने वेदवती का हाथ पकड़ लिया और जबरन संबंध बनाना चाहा। लेकिन वेदवती ने रावण से खुद को छुड़ा लिया और पर्वत से खाई में कूद गईं। मरते-मरते वेदवती ने रावण को शाप दिया कि वह फिर से जन्म लेकर उसकी मृत्यु का कारण बनेगी। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें रेकमेंडेड खबरें
देश-दुनिया की बड़ी खबरें मिस हो जाती हैं?धन्यवादसीता असल में किसकी बेटी थी?हिंदुओं के महाग्रंथ रामायण और रामचरित मानस पर कई टीवी सीरियल्स का निर्माण हो चुका है। इन तमाम सीरियल्स और ग्रंथों से हमें यही जानकारी मिलती है कि सीता मिथिला नरेश राजा जनक की बेटी थीं। हालांकि, राजा जनक को वे धरती की गोद से मिली थीं, लेकिन उन्हें राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री होने का दर्जा प्राप्त है।
क्या सीता रावण की पुत्री थी क्या?Ramayan : निसंतान रहे मिथिला नरेश जनक ने धरती से मिलीं सीता को अपनी पुत्री मानकर लालन-पालन किया और स्वयंवर के जरिए वह श्रीराम की अर्धांगिनी बनीं. मगर असल में सीता रावण और मंदोदरी की बेटी थी. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बनीं भगवान विष्णु की उपासक वेदवती.
सीता रावण की पुत्री कैसे बनी?एक दिन जब रावण महल में नहीं था तब चुपके से मंदोदरी ने उस कलश को खोलकर देखा। मंदोदरी कलश को उठाकर सारा रक्त पी गई जिससे वह गर्भवती हो गई। यह भेद किसी को पता ना चले इसलिए वह लंका से बहुत दूर अपनी पुत्री को कलश में छुपाकर मिथिला भूमि में छोड़ आई। इस तरह सीता को रावण की पुत्री बताया जाता है।
रावण की बेटी का नाम क्या था?कहते हैं कि रावण की एक बेटी भी था जिसका नाम सुवर्णमछा या सुवर्णमत्स्य था जो देखने में बहुत ही सुंदर थी। उसे सोने की जलपरी कहा गया है।
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