संसाधन नियोजन क्या है संसाधन नियोजन की आवश्यकता क्यों है? - sansaadhan niyojan kya hai sansaadhan niyojan kee aavashyakata kyon hai?

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संसाधन नियोजन क्या है?

संसाधनों का नियोजन वर्तमान एवं भावी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। संसाधनों का दीर्घ अवधि तक उपयोग करने के लिए नियोजन एक सर्वमान्य रणनीति है। विशेष रूप से भारत जैसे देश में जहां संसाधनों की उपलब्धता में बहुत अधिक विविधता है वहां देश के संतुलित विकास के लिए प्रांतीय और स्थानीय स्तर पर संसाधन नियोजन की आवश्यकता और भी अधिक है।

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भारत में संसाधन नियोजन क्या है

संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें निम्नलिखित 3 सोपान महत्वपूर्ण माने जाते हैं-

  1. देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान एवं आकलन करना। इस कार्य के लिए क्षेत्रीय सर्वेक्षण, मानचित्रण तथा गुणात्मक और मात्रात्मक मूल्यांकन किया जाता है।
  2. संसाधन विकास योजना लागू करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल तथा संस्थागत ढांचा तैयार करना।
  3. संसाधन विकास योजनाओं मैं राष्ट्रीय स्तर से स्थानीय स्तर तक समन्वय में स्थापित करना।

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संसाधन

संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल

संसाधन हमारे लिये अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन हम संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे कई समस्याएँ खड़ी हो रही हैं। कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।

कुछ संसाधन कुछ सीमित लोगों के हाथों में है। इससे दूसरे लोगों को तकलीफ होती है।

संसाधन के अंधाधुंध इस्तेमाल से पूरी दुनिया में पर्यावरण की समस्या उत्पन्न हो गई है, जैसे कि ग्लोबल वार्मिंग, पारितंत्र पर खतरा, ओजोन लेयर में सुराख, आदि।

संसाधन का समान रूप से वितरण और सही इस्तेमाल इसलिये जरूरि है ताकि सतत पोषणीय विकास हो सके।



सतत पोषणीय विकास: जब विकास होने के क्रम में पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे और भविष्य की जरूरतों की अनदेखी न हो तो ऐसे विकास को सतत पोषणीय विकास कहते हैं।

संसाधनों के सही इस्तेमाल और सतत पोषणीय विकास के मुद्दे पर 1992 में रियो डे जेनेरो में अर्थ समिट का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में एक सौ राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए थे। वे सभी एजेंडा 21 पर सहमत हुए थे। इस एजेंडा का मुख्य मुद्दा था सतत पोषणीय विकास और संसाधन का सही इस्तेमाल। इस एजेंडा मे समान हितों, पारस्परिक जरूरतों और सम्मिलित जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए विश्व सहयोग की बात की गई है ताकि पर्यावरण की क्षति, गरीबी और रोगों से मुकाबला किया जा सके।

संसाधन नियोजन:

संसाधन नियोजन के द्वारा हम संसाधनों का विवेकपूर्ण इस्तेमाल कर सकते हैं। भारत में संसाधनों का वितरण समुचित नहीं है। ऐसे में संसाधन नियोजन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। कई राज्यों के पास प्रचुर मात्रा में खनिज तो अन्य संसाधनों का अभाव है। झारखंड में खनिजों के प्रचुर भंडार हैं लेकिन वहाँ पेय जल और अन्य सुविधाओं का अभाव है। मेघालय में जल की कोई कमी नहीं है लेकिन वहाँ अन्य संसाधनों का अभाव है। इसलिए इन क्षेत्रों का सही विकास नहीं हो पाया है। ऐसे में होने वाली समस्या को हम संसाधनों के विवेकपूर्ण इस्तेमाल से ही कम कर सकते हैं।



भारत में संसाधन नियोजन:

संसाधनों की मदद से समुचित विकास करने के लिये यह जरूरी है कि योजना बनाते समय टेक्नॉलोजी, कौशल और संस्थागत बातों का ध्यान रखा जाये। प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही भारत में संसाधन नियोजन एक प्रमुख लक्ष्य रहा है। भारत में संसाधन नियोजन के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • पूरे देश के विभिन्न प्रदेशों के संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना।
  • उपयुक कौशल, टेक्नॉलोजी और संस्थागत ढाँचे का सही इस्तेमाल करते हुए नियोजन ढ़ाँचा तैयार करना।
  • संसाधन नियोजन और विकास नियोजन के बीच सही तालमेल बैठाना।

संसाधनों का संरक्षण:

संसाधनों के दोहन से कई सामाजिक और आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। गांधीजी का मानना था कि आधुनिक टेक्नॉलोजी की शोषणात्मक प्रवृत्ति ही पूरी दुनिया में संसाधनों के क्षय का मुख्य कारण है। गांधीजी अत्यधिक उत्पादन के खिलाफ थे और उसकी जगह जनसमुदाय द्वारा उत्पादन की वकालत करते थे।

पृथ्वी पर संसाधन सीमित मात्रा में ही हैं। यदि उनके अंधाधुंध इस्तेमाल पर रोक नहीं लगती है तो भविष्य में मानव जाति के लिये कुछ भी नहीं बचेगा। फिर हमारा अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि हम संसाधनों का संरक्षण करें।



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संसाधन नियोजन क्या है इसकी आवश्यकता क्यों है?

संसाधनों के विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने के लिये संसाधन नियोजन जरूरी है। भारत जैसे देश में संसाधन नियोजन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जहाँ संसाधनों का वितरण समुचित नहीं है। उदाहरण के लिए झारखंड में प्रचुर मात्रा में खनिज है लेकिन पेय जल और अन्य सुविधाएँ नहीं हैं।

संसाधन का नियोजन क्या है?

संसाधनों का विवेकपूर्ण इस्तेमाल ही संसाधन नियोजन में निहित है। भारत जैसे देश में; जहाँ संसाधनों का समुचित वितरण नहीं है; संसाधन नियोजन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उदाहरण के लिए, कई राज्यों के पास खनिजों के प्रचुर भंडार हैं लेकिन अन्य संसाधनों की कमी है।

संसाधन नियोजन क्या है संसाधन नियोजन की प्रक्रिया के सोपानों चरणों का उल्लेख कीजिए?

संसाधन नियोजन से तात्पर्य संसाधनों के नियोजित और विवेकपूर्ण उपयोग की रणनीति से है। (i) संसाधनों की सूची तैयार करना। (ii) विकास की उपलब्धता के संदर्भ में मूल्यांकन। पहले चरण में संसाधनों की विशेषताओं और गुणों का सर्वेक्षण, मानचित्रण और माप शामिल है।

संसाधन से आप क्या समझते हैं?

Solution : कोई वस्तु या तत्व तभी संसाधन कहलाता है जब उससे मनुष्य की किसी आवश्यकता की पूर्ति होती है, जैसे जल एक संसाधन है क्योंकि इससे मनुष्यों व अन्य जीवों की प्यास बुझती हैं, खेतो मे फसलों की सिंचाई होती है और यह स्वच्छता प्रदान करने, भोजन बानने और भी आदि मानव की बहुत सी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।