मनुष्य प्रारंभिक समय से ही अपनी भौतिक व आत्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संसाधनों का उपयोग करता रहा है और यह प्रक्रिया ‘संसाधन उपयोग’ कहलाती है। Show
संसाधन का वर्गीकरणसंसाधन का वर्गीकरण (sansadhan ka vargikaran) हम विभिन्न कारकों के आधार पर, संसाधनों को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत कर सकते हैं। उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरणसंसाधनों को दो श्रेणियों जैविक तथा अजैविक में विभाजित किया गया है। जैविक संसाधनों में सभी जीवित प्राणी और जीवधारी जैसे मनुष्य, वनस्पति और जीव, मत्स्य पालन, पशुपालन आदि शामिल हैं। जबकि अजैविक संसाधनों में सभी अजीवित वस्तुएँ जैसे चट्टानें, मिट्टी और धातुएँ शामिल हैं। खपत के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरणसंसाधनों को दो श्रेणियों, नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय में विभाजित किया गया है। नवीकरणीय संसाधन ऐसे संसाधन हैं जिनका पुन: नवीनीकरण और पुनरुत्पादन किया जा सकता है जबकि अनवीकरणीय संसाधन वे संसाधन हैं जिनका दोबारा नवीनीकरण तथा पुनरुत्पादन नहीं किया जा सकता है। सौर तथा पवन ऊर्जा, जल तथा वन आदि नवीकरणीय संसाधनों के उदाहरण हैं। खनिज, जीवाश्म ईधन आदि अनवीकरणीय संसाधनों के उदाहरण हैं। जिम्मरमैन के अनुसार संसाधनों का वर्गीकरणजिम्मरमैन (1951) में संसाधनों का वर्गीकरण उनके वितरण, मात्रा तथा बारम्बारता के आधार पर किया हैं :-
जिम्मरमैन ने संसाधनों का अन्य वर्गीकरण भी प्रस्तुत किया गया हैं जो उसके इस निरीक्षण पर आधारित हैं कि भिन्न-भिन्न अभिवृत्तियों के कारण लागे विभिन्न संसाधनों के विकास में रुचि रखते हैं। संसाधन निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं :-
ऐसे संसाधनों को उपवर्गों में बाँटा जा सकता हैं :-
अमेण्ड तथा ग्रेशेमर के अनुसार संसाधनों का वर्गीकरणअमेण्ड तथा ग्रेशेमर ने संसाधनों को उनके नव्यकरणीयता व विनाशशीलता के आधार पर 3 वर्गों में विभाजित किया हैं :-
दासमैन के अनुसार संसाधनों का वर्गीकरणदासमैन ने संसाधनों की नव्यकरणीयता के आधार पर उन्हें चार वर्गों में विभक्त किया है :- 1. अनवीकरणीय संसाधन (Non-renewable resources) :- ये संसाधन उस दर से निर्मित नहीं होते जिस दर से उनका प्रयोग किया जाता हैं। जब ऐसे संसाधन समाप्त हो जाते हैं तो इनके पुनस्र्थापना सम्भव नहीं हैं जैसे वन्य जीवन। 2. पुनर्चक्रीय संसाधन (Recyclable resources) :- कुछ संसाधन ऐसे हैं जो प्रयोग में लाने पर भी समाप्त नहीं होते। उन्हें पुनर्चक्रीय (recycling) संसाधन कहते है। ऐसे संसाधन द्वारा बार-बार प्रयोग में लाया जा सकता है जैसे कि धातुएँ
(Metals) 3. पुनर्नवीकरणीय संसाधन (Renewable resources) :- सभी जीवित वस्तुएँ जिनमें पुनरुत्पादन (reproduction) की क्षमता हैं, पुनर्नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। 4. अक्षयशील संसाधन (Inexhaustible resources) :- सौर्य ताप, जल तथा वायु अक्षयशील संसाधन हैं। ये संसाधन मानव अस्तित्व समाप्त होने पर भी मौजूद रहेंगे आधुनिक पर्यावरण के प्राकृतिक, मानवीय तथा सांस्कृतिक पहलुओं का इतना अधिक जटिल अन्तर्मिश्रण (Intermingling) हो गया हैं कि अनेक नये संसाधन विकसित हो गये हैं। इस प्रकार संसाधनों को तीन वर्गों में रखा जा सकता हैं :-
Solution : संसाधनों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है <br> (1) उत्पत्ति के आधार पर-जैव तथा अजैव । <br> (ii) समाप्यता के आधार पर-नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य । <br> (iii) स्वामित्व के आधार पर-व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय । <br> (iv) विकास के स्तर के आधार पर-संभावी, विकसित भंडार और संचित कोष। संसाधनों के वर्गीकरण कितने प्रकार के होते हैं?संसाधनों के प्रकार उत्पत्ति के आधार पर - जैव संसाधन इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल से होती है और इनमें जीवन व्याप्त है, जैसे मनुष्य, वनस्पतिजात, प्राणिजात, मत्स्य जीवन, पशुधन आदि । - - अजैव संसाधन वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं। उदाहरणार्थ, चट्टानें और धातुएँ।
सामान्य संसाधनों को कितने भागों में वर्गीकृत किया गया है?विकास के आधार पर संसाधनों को चार भाग में बाँटा गया है।
संसाधन के प्रकार क्या है?स्वामित्व के आधार पर संसाधनों के प्रकार: व्यक्तिगत संसाधन: जिन संसाधनों का स्वामित्व निजी व्यक्तियों के पास होता है, उन्हें व्यक्तिगत संसाधन कहते हैं। उदाहरण: किसी किसान की जमीन, घर, आदि। सामुदायिक संसाधन: जिन संसाधनों का स्वामित्व समुदाय या समाज के पास होता है, उन्हें सामुदायिक संसाधन कहते हैं।
संसाधन के वर्गीकरण के प्रमुख आधार कौन कौन?Answer: उत्पत्ति के आधार पर, दो संसाधन हैं: जैविक और अजैविक। जैविक संसाधन जीवमंडल से प्राप्त होते हैं जिसमें जीवन होता है जैसे कि, मनुष्य, वनस्पति और जीव, मत्स्य पालन, पशुधन, आदि। अजैविक संसाधन वे सभी चीजें हैं जो चट्टानों और धातुओं जैसी निर्जीव चीजों से बनी होती हैं।
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