अत्र और तत्र ये दोनों भी संस्कृत अव्यय हैं। यूँ तो इनके खुद के स्वतन्त्र अर्थ भी हैं – Show
अत्र-तत्र का एकसाथ प्रयोगतथापि इन दोनों को अत्र-तत्र ऐसा एकसाथ लिखकर भी कभी कभी एक खास उद्देश्य से लिखा जाता है।
उदाहरण के माध्यम से इस बात को हम समझने वाले हैं – उदाहरणबच्चें मैंदान में यहाँ-वहाँ घूमते हैं।
भौंरा फूलों पर यहाँ-वहाँ घूमता है।
हिरण जंगल में यहाँ-वहाँ भागते हैं।
अत्र और तत्र का दो वाक्यों को जोड़ने के लिए प्रयोग।दो वाक्यों को जोड़ने के लिए भी अत्र और तत्र का प्रयोग करते हैं। इस स्थिति में उन्हे उभयान्वयी अव्यय कहा जा सकता है। उदाहरणअत्र गणेशः पठति, तत्र रमेशः लिखति।
अत्र नदी प्रवहति, तत्र ग्रामः अस्ति।
कासार yadubanshi (assist.prof.)j.v.u.BN Mobil.n-8171851502 ओ३म्'---ईश्वर का निज नाम , ईश्वर का मुख्य नाम , gnmmc Bbnmmजो ईश्वर के अधिकाधिक गुण , कर्म, स्वभावों को प्रदर्शित करे अंतरंग --- आंतरिक शरीर या आंतरिक प्रकृति, भावनाओं, अंदर एषः --- यह अत्र का अर्थ संस्कृत में क्या होता है?- 1. यहाँ से; इस जगह से 2. इस अवस्था से।
यत्र शब्द का अर्थ क्या है?- 1. जगह-जगह; जहाँ-तहाँ; इधर-उधर 2. अनेक स्थानों पर 3.
एव का अर्थ क्या होगा in Sanskrit?प्रयोग त्वम् एव माता - तुम ही मेरी मम्मी हो। त्वम् एव मम मित्रम् असि - तुम ही मेरे मित्र हो। प्राक् एव मया दृष्टम् - मैंने पहले ही देखा था।
|