सिरोही जिले में कितने गांव हैं - sirohee jile mein kitane gaanv hain

सिरोही का नाम सिरानवा पहाड़ी पर। कर्नल टाॅड के अनुसार सिरोही का मुल नाम शिवपुरी था। शिवपुरी की स्थापना शिवभान ने कि तथा उसके पुत्र सहसमल ने शिवपुरी के पास नया नगर बसाया जिसे वर्तमान में सिरोही के नाम से जाना जाता है।

महत्वपुर्ण तथ्य

अंग्रेजों के साथ संधि करने वाली राजस्थान की अन्तिम(सितम्बर 1823) रियासत सिरोही थी(एकीकरण)।

राजस्थान संघ में सिरोही 26 जनवरी 1950 को शामिल हुआ, लेकिन आबू दिलवाड़ा का क्षेत्र 1 नवम्बर 1956 को शामिल किया गया।

सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान माउण्ट आबू।(जलवायु)

राजस्थान का सबसे ठण्डा स्थान सिरोही।

राजस्थान में सर्वाधिक आर्द्रता वाला स्थान माउण्ट आबू।

भोमठ - सिरोही, उदयपुर व डूंगरपूर का वह भाग जो पहाड़ी ढालों से घिरा हुआ हो।(भौगोलिक नाम)

भाकर - सिरोही जिले में अरावली पर्वत माला के तीव्र उबड़- खाबड़ ढालों को भाकर कहते हैं।

चंद्रावती - सिरोही व आबू का क्षेत्र।

देवड़ावाटी(मारवाड़ की उपबोली) - सिरोही में बोली जाती है।

खारी नदी सिरोही की शेर गांव की पहाड़ीयों से निकलती है।

पश्चिमी बनास, अरावली के पश्चिमी ढ़ाल सिरोही के नया सानवारा गांव से निकलती है। गुजरात के बनासकांठा जिले में प्रवेश करती है।

नक्की झील - किवदंती के अनुसार देवताओं ने अपने नाखूनों से इस झील को खोदा था। इस कारण इसे नक्की झील कहते हैं।

माउण्ट आबू - राजस्थान का सर्वोच्च पर्वत शिखर गुरू शिखर(1722 मी.) यहीं स्थित है। इसके अलावा यहां पर अन्य पर्वत चोटियां सेर(1597 मी.), अचलगढ़(1380 मी.), देलवाड़ा(1442 मी.)।

आबू पर्वत - राजस्थान का एकमात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल।

राजस्थान में सर्वाधिक पर्यटक(देशी व विदेशी) के मामले में द्वितीय स्थान है।

गुरू शिखर - अरावली पर्वत श्रंखला की सर्वोच्च चोटी पर भगवान गुरू दत्तात्रेय एवं शिव के मंदिर है। यह हिमालय एवं पश्चिमी घाट की निल गिरी के मध्य सर्वोच्च चोटी है। कर्नल टाॅड ने इसे संतो का शिखर कहा है।

टाॅड राॅक, नेन राॅक - नक्की झील के पश्चिमी तट के ऊपर एक मेंढक के आकार की विशाल शिला है इसे टाॅड राॅक कहते हैं इसी के पास घुंघट निकाले स्त्री के आकार की चट्टान है, जो नेनराॅक कहलाती है।

उड़ीया का पठार(1360 मी.) - सिरोही(राजस्थान का सबसे ऊंचा पठार)।

आबू का पठार(1200 मी.) - सिरोही।

माउण्ट आबू अभ्यारण्य, सिरोही में है।

देलवाड़ा के जैन मंदिर - आबू पर्वत पर देलवाड़ा में पांच श्वेताम्बर तथा एक दिगम्बर जैन मंदिर है।

रसिया बालम का मंदिर - इस मंदिर को कुंवारी कन्या का मंदिर भी कहा जाता है। इसमें युवक-युक्ती की मुर्तियां है।

पांचहजार से अधिक वर्ग किलोमीटर में फैले करीब साढ़े दस हजार की आबादी वाले जिले में सिर्फ पांचों नगर निकाय मुख्यालयों पर ही दमकल की सुविधा उपलब्ध है। जिले के 12 कस्बे और 100 से अधिक ऐसे गांव हैं, जहां 50 किलोमीटर तक कोई दमकल नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली आग की घटनाओं से निपटने के लिए प्रशासन के पास कोई संसाधन नहीं है। दीगर बात यह है कि उपखंड मुख्यालय रेवदर समेत पूरे उपखंड में एक भी दमकल नहीं है। सिरोही, आबूरोड, माउंट आबू, पिंडवाड़ा और शिवगंज में से सिरोही को छोड़कर किसी भी नगर निकाय के पास 5000 से अधिक लीटर पानी की क्षमता वाला दमकल नहीं है। चारों नगर निकायों के छोटे दमकल 50 किमी का लंबा सफर तय करने के बाद भी सिर्फ 5 मिनिट में ही खाली हो जाते हैं। कालंद्री, सरूपगंज, रेवदर, मंडार, दांतराई, सिलदर, रोहिड़ा, अनादरा, पोसालिया, कैलाशनगर जैसे कस्बों में दमकल की सुविधा होनी चाहिए।

जंगलोंमें आग माउंट की दमकल ही खराब

हिलस्टेशन माउंट आबू में नगरपालिका के पास सिर्फ 500 लीटर की क्षमता वाली छोटी दमकल है, लेकिन वो भी पिछले 15 दिन से खराब पड़ी है। पिछले सप्ताह माउंट आबू के जंगल 14 से 17 अप्रैल तक लगातार धधकते रहे। शेष| पेज 15

रेवदर, मंडार

रेवदरतो उपखंड मुख्यालय है। मंडार भी बड़ा कस्बा है। जिला मुख्यालय से रेवदर तक दमकल नहीं है। 50 से भी अधिक गांव हैं। आग लगने पर इंतजार के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

कालंद्री, मोहब्बतनगर

दोनोंही बड़े कस्बे हैं। जिला मुख्यालय से करीब 35 से 40 किमी दूर हैं। इसके बाद जालोर जिले की सीमा तक कई गांव इनसे लगते हैं। आग लगने पर सिरोही से दमकल बुलानी पड़ती है।

सरूपगंज, रोहिड़ा

दोनोंही बड़े कस्बे हैं। इनसे सटा हुआ ग्रामीण क्षेत्र भी लंबा चौड़ा है। कुछ गांव तो ऐसे रास्तों पर हैं जहां जाना बेहद मुश्किल होता है। दोनों ही कस्बों में दमकल नहीं है।

{पिंडवाड़ा: चालू है

300लीटर पानी की क्षमता वाली एक।

{आबूरोड:एक है चालू

3000लीटर पानी की क्षमता वाली एक।

{माउंट:1, वो भी खराब

500लीटर पानी की क्षमता वाली पखवाड़ेभर से खराब।

{सिरोही: 4 में से 1 खराब

4500लीटर क्षमता की दो दमकल में से एक फार्म फाइटर, 14500 लीटर पानी और 550 लीटर फार्म फाइटर। 4500 लीटर पानी वाली दमकल खराब।

{शिवगंज:एक चालू हालत में

5000लीटर पानी की क्षमता वाली एक।

केस-3 :बाड़े में लगी आग 7 भैंस जिंदा जली

15अप्रैल को मंडार के समीपवर्ती गांव रोहुआ में कृषि कुएं पर बने बाड़े में आग लगने से वहां बंधी 7 भैंस जिंदा जल गई। लोगों ने बड़ी मुश्किल से आग पर काबू पाया। यदि मंडार में दमकल की सुविधा होती तो शायद आग पर समय रहते काबू पा सकते थे।

केस-2: चारझोंपड़ों में 40 मुर्गियां जली

15अप्रैल को शिवगंज तहसील के सरदारपुरा गांव में आग लगने से चार झोपड़े समेत 40 मुर्गियां जल गई। शिवगंज से पहुंची फायरब्रिगेड ने डेढ़ घंटे बाद बड़ी मुश्किल से आग पर काबू पाया। यदि पालडीएम में सुविधा होती थी इतना नुकसान नहीं होता।

केस-1 :जिंदा जल गए थे तीन मासूम

15अप्रैल को सरूपगंज के समीप फूलाबाई का खेड़ा गांव में खेत पर बने झोपड़े में आग लगने से तीन मासूम जिंदा जल गए थे। लोगों ने प्रयास किया, लेकिन बचाने में कामयाब नहीं हो पाए। यदि सरूपगंज में दमकल होती तो शायद इनकी जान बच सकती थी।

{कालंद्री, सरूपगंज, रेवदर, मंडार, दांतराई, सिलदर, रोहिड़ा, अनादरा, पोसालिया, कैलाशनगर में होनी चाहिए फायरब्रिगेड

{सिरोही, शिवगंज, आबूरोड, पिंडवाड़ा और माउंट आबू नगर निकायों को छोड़ दिया जाए तो प्रशासन के पास नहीं है दमकल

सिरोही में कुल कितने गांव हैं?

सिरोही जिले में 477 गांव है जो जिले की ५ तहसीलों के अंदर है, इन ग्रामो की संख्या तहसील के नाम के साथ इसप्रकार से है १. आबू रोड तहसील में ८७ गांव है 2.

सिरोही में कौन कौन से गांव हैं?

कालंद्री, सरूपगंज, रेवदर, मंडार, दांतराई, सिलदर, रोहिड़ा, अनादरा, पोसालिया, कैलाशनगर जैसे कस्बों में दमकल की सुविधा होनी चाहिए। रेवदरतो उपखंड मुख्यालय है। मंडार भी बड़ा कस्बा है। जिला मुख्यालय से रेवदर तक दमकल नहीं है।

सिरोही जिला में कितने तहसील हैं?

इसमें पांच तहसील (प्रशासनिक प्रभाग) हैं: आबू रोड, शिवगंज, रेवदर, पिंडवाड़ा और सिरोही स्वयं।

सिरोही कौन सी जाति होती है?

राजपूताने और गुर्जरात्रा की सीमाओं पर चौहानों की एक पुरानी और प्रसिद्ध रियासत सिरोही के नाम से जानी जाती थी। सिरोही का अर्थ होता है- शीश काटने वाली अर्थात् तलवार। सिरोही राज्य का क्षेत्रफल 1,994 वर्ग मील था। सिरोही का राजवंश देवड़ा चौहानों के नाम से प्रसिद्ध था।