सांप्रदायिकता के मार्ग में कौन सी मुख्य बाधा है? - saampradaayikata ke maarg mein kaun see mukhy baadha hai?

      द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, खासतौर पर 1942 के बाद सांप्रदायिक शक्तियों को तेजी से बढ़ने का अवसर मिला। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए भी हुआ कि राष्ट्रवादी नेता जेल में थे और राष्ट्रीयता आंदोलन निष्क्रिय था। 1946 तक मुस्लिम लीग बड़ी संख्या मुसलमानों का समर्थन पाने में सफल हुई तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तरी भारत के एक बड़ी शक्ति बन गया। सांप्रदायिक शक्तियों पर अब भी रोक लगाई जा सकती थी किंतु यह इसलिए संभव न हो सका कि 1947 के दौरान और अगस्त 1947 के बाद में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे कराने में समर्थ  हुईं। ऐसा प्रतीत हुआ कि संपूर्ण देश सांप्रदायिकता की आग की लपटों में झुलस रहा है और देश के विभाजन का एक ही विकल्प हो सकता था और वह था लाखों की संख्या में मासूम लोगों की एक साथ हत्या। राष्ट्रीयतावादी नेतृत्व तथा भारतीय जन-समुदाय को पिछली अर्धशताब्दी के दौरान संप्रदायिकता के प्रादुर्भाव और विकास से सफलतापूर्वक निपटने में अपनी असफलताओं के अवश्यंभावी परिणामों का सामना करना पड़ा। इस तरह अगस्त, 1947  में दो स्वतंत्र राष्ट्र बनकर भारत तथा पाकिस्तान ने दो  जातियों (कौमों) की साझेदारी को गहरी ठेस पहुंचाई।

इसे सुनेंरोकेंसांप्रदायिकता शब्द का अर्थ है – धार्मिक समुदाय में भिन्नता । अर्थात किसी धर्म विशेष को महत्व देकर शेष समुदाय के हृदय में उस धर्म विशेष के प्रति नकरात्मक विचार उत्पन्न करना । परिणाम ये होता है कि धार्मिक समुदायों में तनाव , झगड़े और नकरात्मक प्रतिस्पर्धा का जन्म हो जाता है ।

सांप्रदायिकता के क्या कारण हैं?

इसे सुनेंरोकेंसम्प्रदायिकता की समस्या के मुख्य कारण – छूआछूत व ऊंचनीच की भावना सम्प्रदायवाद को फैलाती है। राजनीतिक दलो द्वारा प्रोत्साहन- भारत के विविध राजनीतिक दल चुनाव के समय वोटो की राजनीति से साम्प्रदायिकता को प्रोत्साहन देते है। प्रशासनिक अक्षामता- सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण भी कभी कभी साम्पद्रायिक दंगे हो जाते है।

सांप्रदायिकता से आप क्या समझते हैं भारत में सांप्रदायिकता के कारण?

इसे सुनेंरोकेंसाम्प्रदायिकता के चार प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं – (i) एक धर्म के अनुयायियों के लौकिक हित दूसरे धर्म के अनुयायियों के लौकिक हित बिल्कुल भिन्न तथा परस्पर विरोधी होना। (ii) एक-दूसरे के धार्मिक व सांस्कृतिक क्रियाकलापों में अंतर तथा विरोध का होना। (iii) अंग्रेजों की . फूट डालों व राज्य करो.

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सांप्रदायिकता से आपका क्या मतलब है इसकी रोकथाम के उपाय बताइये?

साम्प्रदायिकता का अर्थ What Is Communalism Meaning In Hindi

  1. विभाजन की कटु स्मृतियां
  2. राजनीतिक दलों द्वारा निहित स्वार्थों के लिए पृथक्करण की भावना पनपाना
  3. मुसलमानों का आर्थिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ापन
  4. पाकिस्तानी प्रचार और षडयंत्र
  5. सरकार की उदासीनता
  6. दलीय राजनीति गुटीय राजनीति और चुनावी राजनीति
  7. तुष्टीकरण की राजनीति

सांप्रदायिकता के मार्ग में एक मुख्य बाधा कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंविभाजन, घृणा, अविश्वास, तनाव ,संघर्ष आदि से आपसी सहयोग की भावना का ह्रास होता है। इससे अन्ततः सम्पूर्ण देश का राष्ट्रीय चरित्र नहीं बन पाया। साम्प्रदायिकता ने समय समय पर राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दिया है। लोगों ने अपनी ही सरकार के प्रति अविश्वास प्रकट किया है।

भारत में सांप्रदायिकता का मुख्य कारण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंयद्यपि सांप्रदायिकता का संबंध धार्मिक आधार पर अलगाववाद और कट्टरता से है, किंतु भारत में सांप्रदायिक चेतना का जन्म औपनिवेशिक नीतियों (Colonial Policies) तथा उसके विरुद्ध संघर्ष करने की आवश्यकता से उत्पन्न परिवर्तनों के कारण हुआ।

इसे सुनेंरोकेंसम्प्रदायिकता की समस्या के मुख्य कारण – छूआछूत व ऊंचनीच की भावना सम्प्रदायवाद को फैलाती है। राजनीतिक दलो द्वारा प्रोत्साहन- भारत के विविध राजनीतिक दल चुनाव के समय वोटो की राजनीति से साम्प्रदायिकता को प्रोत्साहन देते है। प्रशासनिक अक्षामता- सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण भी कभी कभी साम्पद्रायिक दंगे हो जाते है।

साम्प्रदायिकता को कैसे दूर किया जा सकता है?

Answer

  1. साम्प्रदायिक संगठनो एवं सम्प्रदायवाद का प्रचार प्रसार करने वाले प्रकाशनों पर सरकारी कानून द्वारा प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।
  2. सरकार को ऐसी विधियो का निर्माण करना चाहिए जिनका उद्देश्य किसी सम्प्रदाय विशेष का हित संरक्षण न होकर सार्वजनिक हित हो।

सांप्रदायिकता के मार्ग में एक मुख्य बाधा कौन सी है?

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इसे सुनेंरोकेंविभाजन, घृणा, अविश्वास, तनाव ,संघर्ष आदि से आपसी सहयोग की भावना का ह्रास होता है। इससे अन्ततः सम्पूर्ण देश का राष्ट्रीय चरित्र नहीं बन पाया। साम्प्रदायिकता ने समय समय पर राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दिया है। लोगों ने अपनी ही सरकार के प्रति अविश्वास प्रकट किया है।

सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व क्या है?

इसे सुनेंरोकें16 अगस्त 1932 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री रामसे मैकडोनाल्ड द्वारा भारत में उच्च वर्ग, निम्न वर्ग, मुस्लिम, बौद्ध, सिख, भारतीय ईसाई, एंग्लो-इंडियन, पारसी और अछूत (दलित) आदि के लिए अलग-अलग चुनावक्षेत्र के लिए ये निर्णय दिया, जिससे सभी वर्गों के लोगो को प्रतिनिधित्व मिलता, लेकिन इसे गलत भारत में उच्च जातियों के लोगों ने …

सांप्रदायिकता का क्या अर्थ है इसे रोकने के 2 उपाय बताइए?

इसे सुनेंरोकेंसांप्रदायिकता से तात्पर्य उस संकीर्ण मनोवृत्ति से है, जो धर्म और संप्रदाय के नाम पर पूरे समाज तथा राष्ट्र के व्यापक हितों के विरुद्ध व्यक्ति को केवल अपने व्यक्तिगत धर्म के हितों को प्रोत्साहित करने तथा उन्हें संरक्षण देने की भावना को महत्त्व देती है।

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सांप्रदायिकता से आपका क्या मतलब है इसकी रोकथाम के उपाय बताइए?

इसे सुनेंरोकेंsampradayikta arth karan dushparinam;सांप्रदायिक से अभिप्राय अपने धार्मिक संप्रदाय से भिन्न अन्य संप्रदाय अथवा संप्रदायों के प्रति उदासीनता, उपेक्षा, दयादृष्टि, घृणा विरोधी व आक्रमण की भावना है, जिसका आधार वह वास्तविक या काल्पनिक भय है कि उत्त संप्रदाय हमारे संप्रदाय को नष्ट कर देने या हमे जान-माल की हानि पहुंचाने के …

आपके अनुसार सांप्रदायिकता कैसे एक चुनौती है कोई तीन तर्क लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंसाम्प्रदायिकता के चार प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं – (i) एक धर्म के अनुयायियों के लौकिक हित दूसरे धर्म के अनुयायियों के लौकिक हित बिल्कुल भिन्न तथा परस्पर विरोधी होना। (ii) एक-दूसरे के धार्मिक व सांस्कृतिक क्रियाकलापों में अंतर तथा विरोध का होना। (iii) अंग्रेजों की . फूट डालों व राज्य करो.

सांप्रदायिकता के मार्ग में मुख्य बाधा क्या है?

विभाजन, घृणा, अविश्वास, तनाव ,संघर्ष आदि से आपसी सहयोग की भावना का ह्रास होता है। इससे अन्ततः सम्पूर्ण देश का राष्ट्रीय चरित्र नहीं बन पाया। साम्प्रदायिकता ने समय समय पर राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दिया है। लोगों ने अपनी ही सरकार के प्रति अविश्वास प्रकट किया है।

सांप्रदायिकता की समस्या क्या है?

सांप्रदायिकता संस्कृति का आधार लेकर लोगों को गुमराह करने का कार्य करती है। किसी विशेष प्रकार की संस्कृति और धर्म को दूसरों पर आरोपित करने की भावना या धर्म अथवा संस्कृति के आधार पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार करने की क्रिया सांप्रदायिकता है। सांप्रदायिकता समाज में वैमनस्य उत्पन्न कर एकता को नष्ट करती है।

भारत में सांप्रदायिकता वाद का मुख्य कारण कौन है?

भारत में सांप्रदायिकता के कारण (Reasons for Communalism in India) यद्यपि सांप्रदायिकता का संबंध धार्मिक आधार पर अलगाववाद और कट्टरता से है, किंतु भारत में सांप्रदायिक चेतना का जन्म औपनिवेशिक नीतियों (Colonial Policies) तथा उसके विरुद्ध संघर्ष करने की आवश्यकता से उत्पन्न परिवर्तनों के कारण हुआ।

साम्प्रदायिकता लोकतंत्र के लिए हानिकारक क्यों है?

इसके लिये दो तर्क इस प्रकार है... लोकतंत्र की भावना ही सब के प्रति समान व्यवहार और समानता पर आधारित होती है, जबकि संप्रदायिकता किसी एक पक्ष अथवा किसी विशेष समूह का पक्ष लेने के लिए प्रेरित करती है। इस कारण लोकतंत्र की समानता की अवधारणा खंडित होती है, यही कारण है कि संप्रदायिकता लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।