These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant & Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 6 अंतिम दौर-एक Questions and Answers Summary are prepared by our highly skilled subject experts. Bharat
Ki Khoj Class 8 Chapter 6 Question and Answers पाठाधारित प्रश्न बहुविकल्पी प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 6 Summary भारत राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से पहली बार एक अन्य देश का पुछल्ला बनता है- इस तरह अंग्रेजों ने ऐसे वर्ग को जन्म दिया जिनके स्वार्थ अंग्रेजों से मिलते-जुलते थे। यह वर्ग ये राजा, जमीनदार सरकार के विभिन्न विभागों के पटवारी, गाँवों के प्रधान व उच्च अधिकारी थे। ये वर्ग भी आम जनता का अंग्रेज़ों की तरह खून चूसने वाले थे। अंग्रेज़ों ने प्रत्येक जिले में कलेक्टर की भी नियुक्ति किए, ये वर्ग आम जनता से मुँह-माँगी टैक्स वसूलकर अंग्रेज़ों का खजाना भरते थे। इस प्रकार भारत की आम जनता को ब्रिटेन के अनेक खर्च उठाने पड़ते थे। उनमें सेना पर किए खर्च जिसे ‘कैपिटेशन चार्ज’ कहा जाता था, देना पड़ता था। इसके अतिरिक्त अन्य खर्चों का बोझ भी भारत के कंधों पर था। भारत में ब्रिटिश शासन के अंतर्विरोध राममोहन राय – बंगाल में अंग्रेज़ी शिक्षा और समाचार पत्र राजा राम मोहन राय ईसाई व मुस्लिम दोनों धर्मों के संपर्क में रहे और इससे वे प्रभावित भी रहे। वे भारतीय धार्मिक कुरीतियों व कुप्रथाओं से भारत को मुक्त करवाना चाहते थे। इसके फलस्वरूप अंग्रेजी सरकार ने सती प्रथा पर रोक लगा दी। वे भारतीय पत्रकारिता के प्रवर्तक भी थे। उनका कहना था कि समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ मनुष्य के विचारों को जागरूक करने का माध्यम हैं। अतः उनके नेतृत्व में 1818 में पहली बार एक अंग्रेज़ी का समाचार पत्र निकला जिसका संपादन भारतीयों ने किया था। इसके अतिरिक्त बंगाली में एक साप्ताहिक व एक मासिक समाचार पत्र प्रकाशित हुआ। धीरे-धीरे देश में, कलकत्ता, मद्रास और मुंबई में तेजी से और भी समाचार पत्र निकलने लगे। उनकी सोच थी कि भारत में पूर्ण जागरण के बिना परिवर्तन लाना असंभव है। बहुत से लोगों ने उनका समर्थन किया जिनमें रवींद्र नाथ का परिवार उनका समर्थक था। वे दिल्ली सम्राट की ओर से इंग्लैंड गए। दुर्भाग्य से उन्नीसवीं शताब्दी की शुरुआती वर्षों में ब्रिस्टल में उनकी मृत्यु हो गई। सन् 1857 की महान क्रांति – जातीयतावाद हिंदुओं और मुसलमानों में सुधारवादी आंदोलन स्वामी विवेकानंद ने गुरु- भाइयों की सहायता से रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। उन्होंने हिंदू धर्म और दर्शन के विविध पक्षों को आपस में जोड़कर जनता के सामने प्रस्तुत किया। 1893 ई. में शिकागो में अंतर्राष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में भाग लिया। विवेकानंद ने भारत के दक्षिणी छोर में कन्याकुमारी से हिमालय तक अपने सिद्धांतों को फैलाया। 1902 ई. में 39 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई। विवेकानंद के समकालीन रवींद्रनाथ ठाकुर थे। टैगोर परिवार ने बंगाल के सुधारवादी आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। उन्होंने जलियाँवाला कांड के विरोध में अपनी ‘सर’ की उपाधि लौटा दी। शिक्षा के क्षेत्र में ‘शांति निकेतन’ उनकी प्रमुख देन थी। वे रूसी क्रांति के प्रशंसक थे विशेष उसमें शिक्षा के प्रसार, संस्कृति, स्वास्थ्य और समानता की चेतना के। उनका मानना था कि यही तत्व व्यक्ति के उसके उददेश्य की पूर्ति में सहायक होता है। टैगोर और गांधी दोनों मानवतावादी थे। इन्होंने लोगों को संकीर्ण विचारधाराओं से बाहर निकालना चाहा। गांधी जी विशेष रूप से आम जनता के आदमी थे, जो भारतीय किसान के रूप में थे। टैगोर मूलतः विचारक थे और गांधी अनवरत कर्मठता के प्रतीक थे। उस समय ऐनी बेसेंट का भी बहुत प्रभाव पड़ा। बहुत-सी बातें मुसलमान जनता में भी समान रूप से प्रचलित थीं। इन दोनों ने अपनेअपने तरीके से जनता में नई विचारधारा का संचार करना चाहा। श्रीमती एनी बेसेंट आयरलैंड की रहने वाली महिला थी। उन्होंने भारत में होम रूल चलाया जिसका उद्देश्य अंग्रेजों से भारतीयों को आंतरिक स्वतंत्रता दिलाया था। 1857 के विद्रोह के बाद भारतीय मुसलमान यह तय नहीं कर पा रहे थे कि घर जाएँ। अंग्रेजों ने उनके साथ अत्यधिक दमनपूर्ण रवैया अपनाया था। सन् 1870 के बाद संतुलन बनाने के लिए अंग्रेजी सरकार अनुकूल हो गई। इसमें सर सैयद अहमद में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें यह विश्वास था कि ब्रिटिश सत्ता के सहयोग से मुसलमानों की स्थिति बेहतर हो सकती है। उन्होंने मुसलमानों में ब्रिटिश विरोधी भावना कम करने की कोशिश की। सर सैयद अहमद खा का प्रभाव मुसलमानों में उच्च वर्ग के कुछ लोगों तक ही सीमित था। 1912 में मुसलमानों के दो नए साप्ताहिक निकले-उर्दू में ‘अल हिलाल’ और अंग्रेज़ी में ‘कामरेड।’ अबुल कलाम आजाद का अलीगढ़ कॉलेज में सर सैयद खाँ से संबंध था। अबुल कलाम आजाद ने पुरातन पंथी और राष्ट्र विरोधी भावना के गढ़ पर हमला किया जिससे बुजुर्ग नाराज हुए पर युवा पीढ़ी में उत्तेजना भर चुकी थी। तिलक और गोखले शब्दार्थ: पृष्ठ
संख्या 92. पृष्ठ संख्या 93. पृष्ठ संख्या 94. पृष्ठ संख्या 95. पृष्ठ संख्या 96. पृष्ठ संख्या 97. पृष्ठ संख्या 98. पृष्ठ
संख्या 99. पृष्ठ संख्या 100. पृष्ठ संख्या 101. पृष्ठ संख्या 102. पृष्ठ संख्या 103. पृष्ठ संख्या 104. पृष्ठ संख्या 105. पृष्ठ संख्या 106. 1857 की क्रांति के असफल होने का क्या कारण था?1857 की क्रांति में आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण क्रांतिकारी आधुनिक शस्त्रों के उपयोग से वंचित रह गए थे जो उनकी असफलता का कारण था। इस क्रांति में क्रांतिकारियों ने तलवारों एवं भालों का उपयोग किया था इसके विपरीत विरोधी ब्रिटिश सेना ने आधुनिक तोपों एवं बंदूकों का इस्तेमाल किया जिससे क्रांतिकारी कमजोर पड़ गए।
1857 की क्रांति का मुख्य कारण क्या था?1857 के विद्रोह का प्रमुख राजनीतिक कारण ब्रिटिश सरकार की 'गोद निषेध प्रथा' या 'हड़प नीति' थी। यह अंग्रेजों की विस्तारवादी नीति थी जो ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के दिमाग की उपज थी। कंपनी के गवर्नर जनरलों ने भारतीय राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने के उद्देश्य से कई नियम बनाए।
एटीन 57 के विद्रोह के प्रमुख कारण क्या थे?चर्बीयुक्त कारतूसों के प्रयोग और सैनिकों से सम्बंधित मुद्दों को इस विद्रोह का मुख्य कारण माना गया लेकिन वर्त्तमान शोध द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि कारतूसों का प्रयोग न तो विद्रोह का एकमात्र कारण था और न ही मुख्य कारण | वास्तव में यह विद्रोह सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-धार्मिक आदि अनेक कारणों का सम्मिलित परिणाम था.
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