सुमिरिनी के मनके निबंध के लेखक कौन है? - sumirinee ke manake nibandh ke lekhak kaun hai?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: लेखक ने धर्म का रहस्य जानने के लिए घड़ी के पुर्ज़ें का दृष्टांत दिया है क्योंकि जिस तरह घड़ी की संरचना जटिल होती है, उसी प्रकार धर्म की सरंचना समझना भी जटिल है। हर मनुष्य घड़ी को खोल तो सकता है परन्तु उसे दोबारा जोड़ना उसके लिए संभव नहीं होता है। वह प्रयास तो कर सकता है परन्तु करता नहीं है।

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बालक बच गया मैं बालक किसका पुत्र था?

इसे सुनेंरोकेंमैं भी वहाँ बुलाया गया था । वहाँ प्रधान अध्यापक का एकमात्र पुत्र , जिसकी अवस्था आठ वर्ष की थी , बड़ी लाड़ से नुमाइश में मिस्टर हादी के कोल्हू की तरह दिखाया जा रहा था । उसका मुँह पीला था , आँखें सफेद थीं , दृष्टि भूमि से उठती नहीं थी ।

बालक द्वारा लड्डू मांगने पर लेखक को अच्छा क्यों लगा?

इसे सुनेंरोकेंबालक द्वारा लड्डू मांगने पर लेखक ने सुख की सांस ली क्योंकि लेखक को अब लगा कि बालक में बचपाना अभी जीवित है। लेखक जब बालक से मिला तब लेखक को वह सामान्य बालक ही लगा परन्तु वह अधिक नहीं बोलता था। लेखक समझ गया कि पिता ने उस बालक को उम्र से अधिक समझदार व परिपक्व बना दिया है।

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लेखक के पिता भारत जीवन प्रेस की पुस्तकें छुपाकर क्यों रखते थे?

इसे सुनेंरोकेंउनके पिता फ़ारसी भाषा के अच्छे विद्वान थे। वे प्राचीन हिंदी भाषा के प्रशंसक थे। वे फ़ारसी भाषा में लिखी उक्तियों के साथ हिन्दी भाषा में लिखी गई उक्तियों को मिलाने के शौकीन थे। वे प्रायः रात में सारे परिवार को रामचरितमानस तथा रामचंद्रिका का बड़ा चित्रात्मक ढ़ंग से वर्णन करके सुनाते थे।

घड़ी के पुर्जे निबंध के लेखक लेखक कौन हैं?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. ‘घड़ी के पुर्जे’ शीर्षक वाला लघु निबंध ‘सुमिरिनी के मनके’ शीर्षक के अंतर्गत ‘पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी’ द्वारा रचित एक लघु निबंध है।

बच्चे को देखकर लेखक को क्या चिंता थी *?

इसे सुनेंरोकेंइसके बेटे की मृत्यु के कारण लोग इससे खरबूजे नहीं ले रहे थे। उसे बुरा-भला कह रहे थे। उस स्त्री को देखकर लेखक का मन व्यथित हो उठा। उनके मन में उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई थी।

सुमिरिनी के मनके किसकी रचना है?

इसे सुनेंरोकेंचंद्रधर शर्मा गुलेरी – सुमिरिनी के मनके, घडी के पुर्जे, ढेले चुन लो

सुखमय जीवन किसकी रचना है?

इसे सुनेंरोकेंऔर नागरी प्रचारिणी पत्रिका (1920-22) इन पत्रिकाओं में गुलेरी जी का रचनाकार व्यक्तित्व बहुविध उभरकर सामने आया। उन्होंने उत्कृष्ट निबंधों के अतिरिक्त तीन कहानियाँ-सुखमय जीवन, बुद्ध का काँटा और उसने कहा था-भी हिंदी जगत को दीं।

तुम कैसे कह सकते हो कि बालक बच गया?

इसे सुनेंरोकें“बालक बच गया। उसके बचने की आशा है क्योंकि वह लड्डू की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था, मरे काठ की अलमारी की सिर दुखानेवाली खड़खड़ाहट नहीं” कथन के आधार पर बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।

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* बालक बच गया लघु निबंध के लेखक कौन थे?*?

इसे सुनेंरोकेंहिंदी साहित्य जगत के प्रसिद्ध साहित्यकार पंडित चंद्र शर्मा गुलेरी के निबंध बालक बच गया का मूल प्रतिपाद्य- शिक्षा ग्रहण की सही उम्र।

लेखक के पिता प्रायः रात्रि में घर के सभी सदस्यों को एकत्रित करके क्या पढ़कर सुनाया करते थे?

इसे सुनेंरोकेंक्योंकि उनके पिता फारसी भाषा के अच्छे ज्ञाता थे , तथा पुरानी हिंदी कविता के प्रेमी थे। वह प्रायः रात्रि में घर के सब सदस्यों को एकत्रित करके रामचरितमानस तथा रामचंद्रिका को पढ़कर सुनाया करते थे। भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक उन्हें अत्यंत प्रिय थे।

लेखक को कितने वर्ष की अवस्था तक पहुंचते पहुंचते समवेत हिंदी प्रेमियों की शेख आरती मंडली मिल गई?

इसे सुनेंरोकेंबच्चे के अंदर हिंदी पुस्तकों और लेखकों के प्रति आदरभाव देखकर वह बहुत प्रभावित हुए। उन्हीं के कारण सौलह वर्ष की अवस्था में लेखक को हिंदी प्रेमियों की मंडली से परिचय हुआ।

लेखक ने पाठ के माध्यम से समाज को जागृत करने का प्रयास क्यों किया है?

इसे सुनेंरोकेंइन्होंने समाज में सच्ची भक्ति, मनुष्यता के भाव को स्थान दिया तथा लोगों को इन्हें अपनाने के लिए प्रेरित किया। उनकी रचनाओं ने जनता में आशा, प्रेम, प्रसन्नता, सुख इत्यादि का संचार किया। इस प्रकार समाज मुक्ति की ओर अग्रसर हुआ और लोगों में नई चेतना जागृत हुई।

अरुण उदया चल सजा ने आ रहा हूँ इसका क्या आशय है क नि रा शा के बा द आशा का संचा र ख आलस्य के स्था न पर सक्रि यता अपना?

इसे सुनेंरोकेंप्रस्तुत कविता में यह सन्देश व्यक्त हुआ है कि जीवन में अधिक सुख मिलने पर अधिक उल्लसित और अधिक दुःख मिलने पर व्यथित नहीं होना चाहिए, दोनों स्थितियों में समान रहना चाहिए।

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III लेखक ने सस्ता सौदा किसे कहा है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंलेखक ने सस्ता सौदा’ उस समय के मास्टरों द्वारा की जाने वाली पिटाई को कहा है। इसका कारण यह है कि उस समय के अध्यापक गरमी की छुट्टियों के लिए दो सौ सवाल दिया करते थे। बच्चे इसके बारे में तब सोचते जब उनकी छुट्टियाँ पंद्रह-बीस बचती। वे सोचते थे कि एक दिन में दस सवाल करने पर भी बीस दिन में पूरा हो जाएगा।

क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं अपने उत्तर का कारण भी बताइए?

इसे सुनेंरोकेंक्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए। उत्तर:- “…उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकडे हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते है.. लेखक के इस कथन से हम सहमत हैं क्योंकि मनुष्य स्वभावानुसार अधिक समय तक बंधनों में नहीं रह सकते।

घड़ी के पुर्जे निबंध में घड़ी किसका प्रतीक है *?

इसे सुनेंरोकेंलेखक ने घड़ी के पुर्जों का उदाहरण देकर इसे समझाने का प्रयत्न किया है कि जिस तरह घड़ी को खोलकर ठीक करना कोई कठिन काम नहीं होता। बहुत से लोग घड़ी को आसानी से खोल कर ठीक कर लेते हैं और उसे दूसरों को भी सिखा देते हैं। उसी तरह धर्माचार्यों को चाहिए कि वह आम आदमी को भी धर्म के रहस्य के बारे में बताये।

घड़ी के पुर्जे निबंध में कौन सी शब्द शक्ति है?

इसे सुनेंरोकेंजिस प्रकार घड़ी से केवल समय देखने का काम करो उसके पुर्जे ठीक करने की कोशिश मत करो उसी प्रकार धर्म की भी गहरी छानबीन मत करो। भाषा सरल सुबोध , खड़ी बोली। शब्द भंडार – तत्सम , तद्भव शब्दों का प्रयोग। शब्द शक्ति – लक्षणा शब्द शक्ति।

सुमिरिनी के मनके पाठ के लेखक का नाम क्या है?

प्रसंग - व्याख्या दिया गया यह गद्यांश हिन्दी के सुविख्यात निबंधकार पं ० चन्द्रधर शर्मा गुलेरी द्वारा लिखित लघु निबंध ' बालक बच गया ' से अवतरित है । इसे उनके ' सुमिरिनी के मनके ' शीर्षक से पाठ्य - पुस्तक में संकलित किया गया है । इसमें गुलेरी जी ने शिक्षा पाने की सही उम्र के बारे में बताया है ।

घड़ी के पुर्जे निबंध के लेखक लेखक कौन हैं?

'घड़ी के पुर्जे' शीर्षक वाला लघु निबंध 'सुमिरिनी के मनके' शीर्षक के अंतर्गत 'पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी' द्वारा रचित एक लघु निबंध है।

सुखमय जीवन कहानी के लेखक कौन है?

उत्तर - 'सुखमय जीवन 'चंद्रधर शर्मा गुलेरी' की कहानी है।

गुलेरी जी का मूल नाम कौन सा है *?

चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' (७ जुलाई १८८३ - १२ सितम्बर १९२२) हिन्दी के कथाकार, व्यंगकार तथा निबन्धकार थे।