सम्प्रदायवाद का अर्थ ‘‘दूसरे समुदाय के लोगो के प्रति धार्मिक भाषा अथवा सांस्कृतिक आधार पर असहिष्णुता की भावना रखना तथा धार्मिक सांस्कृतिक भिन्नता के आधार पर अपने समुदाय के लिए राजनीतिक अधिकार, अधिक सत्ता, प्रतिष्ठा की मांगे रखना और अपने हितो को राष्ट्रीय हितो से ऊपर रखना है। अपने हितों के लिए इसको सभी धार्मिक संगठन द्वारा बढ़ावा देना Show
सम्प्रदायवाद की प्रमुख विशेषताएं -[संपादित करें]सम्प्रदायवाद की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है।
सम्प्रदायिकता की समस्या के मुख्य कारण -[संपादित करें]
सम्प्रदायवाद का लोकतंत्र पर प्रभाव-[संपादित करें]देश में सम्प्रदायिकता के निम्न दुष्परिणाम देखने को मिलते है-
संछिप्तता से आप क्या समझते हैं
आपसी मत भिन्नता को सम्मान देने के बजाय विरोधाभास का उत्पन्न होना, अथवा ऐसी परिस्थितियों का उत्पन्न होना जिससे व्यक्ति किसी अन्य धर्म के विरोध में अपना व्यक्तव्य प्रस्तुत करे, साम्प्रदायिकता कहलाता है। जब एक सम्प्रदाय के हित दूसरे सम्प्रदाय से टकराते हैं तो सम्प्रदायिक्ता का उदय होता है यह एक उग्र विचारधारा हैै जिसमे दूसरे सम्प्रदाय की आलोचना की जाती हैै इसमे एक सम्प्रदाय दूसरे सम्प्रदाय को अपने विकास में बाधक मान लेता है सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं[स्रोत सम्पादित करें]मुख्य लेख: भारत में धार्मिक हिंसा , भारत में जाति से संबंधित हिंसा , और भारत में आतंकवाद
संप्रदायवाद में कौन कौन से तत्व होते हैं?सम्प्रदायवाद की प्रमुख विशेषताएं -
यह असहिष्णुता पर आधारित है। यहाँ असहिणुता का अर्थ अन्य जाति, धर्म और परंपरा से जुड़े व्यक्ति के विश्वासों, व्यवहार व प्रथा को मानने की अनिच्छा हैं। यह दूसरे धर्मो के प्रति दुष्प्रचार करता है। यह दूसरो के विरूद्ध हिंसा सहित अतिवादी तरीको को स्वीकार करता है।
सांप्रदायिकता से आप क्या समझते हैं इसके मुख्य तत्व बताएं?सांप्रदायिकता से अर्थ उस विचारधारा से है, जिसमें व्यक्ति अपने धर्म को ही श्रेष्ठ समझता है और दूसरे धर्म को अपने धर्म से कमतर आंकता है। अपने धर्म के प्रति कट्टरता का भाव अपनाना तथा अपने धर्म को अन्य धर्म को धर्मों से ऊंचा मानना ही सांप्रदायिकता है।
संप्रदायवाद से आप क्या समझते हैं?सम्प्रदायवाद का अर्थ ''दूसरे समुदाय के लोगो के प्रति धार्मिक भाषा अथवा सांस्कृतिक आधार पर असहिष्णुता की भावना रखना तथा धार्मिक सांस्कृतिक भिन्नता के आधार पर अपने समुदाय के लिए राजनीतिक अधिकार, अधिक सत्ता, प्रतिष्ठा की मांगे रखना और अपने हितो को राष्ट्रीय हितो से ऊपर रखना है।
भारत में साम्प्रदायिकता की क्या समस्या है?भारत में दो तरह के धर्म हैं, एक तो वे जिनका उद्भव भारत की धरती पर हुआ तथा दूसरे वे जो अरब, फारस एवं यूरोप से भारत में आए। साम्प्रदायिकता की समस्या सामान्यतः एक धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों के बीच होती है किंतु आधुनिक भारत में इसका संकुचित अर्थ मुख्यतः हिन्दुओं, मुस्लिमों और ईसाइयों के बीच होने वाले संघर्ष से है।
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