(सम्प्रदायवाद में निम्न में से कौन सा तत्व नहीं होता है?) - (sampradaayavaad mein nimn mein se kaun sa tatv nahin hota hai?)

सम्प्रदायवाद का अर्थ ‘‘दूसरे समुदाय के लोगो के प्रति धार्मिक भाषा अथवा सांस्कृतिक आधार पर असहिष्णुता की भावना रखना तथा धार्मिक सांस्कृतिक भिन्नता के आधार पर अपने समुदाय के लिए राजनीतिक अधिकार, अधिक सत्ता, प्रतिष्ठा की मांगे रखना और अपने हितो को राष्ट्रीय हितो से ऊपर रखना है। अपने हितों के लिए इसको सभी धार्मिक संगठन द्वारा बढ़ावा देना

सम्प्रदायवाद की प्रमुख विशेषताएं -[संपादित करें]

सम्प्रदायवाद की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है।

  1. यह अंधविश्वास पर आधारित है। उदाहरण के लिये रूढीबाद
  2. यह असहिष्णुता पर आधारित है। यहाँ असहिणुता का अर्थ अन्य जाति, धर्म और परंपरा से जुड़े व्यक्ति के विश्वासों, व्यवहार व प्रथा को मानने की अनिच्छा हैं।
  3. यह दूसरे धर्मो के प्रति दुष्प्रचार करता है।
  4. यह दूसरो के विरूद्ध हिंसा सहित अतिवादी तरीको को स्वीकार करता है।

सम्प्रदायिकता की समस्या के मुख्य कारण -[संपादित करें]

  1. धर्म की संकीर्ण व्याख्या- धर्म की संकीर्ण व्याख्या लोगो को धर्म के मूल स्वरूप से अलग कर देती है धर्म की संकीर्ण व्याख्या साम्प्रदायिकता का कारण है |
  2. सामाजिक मान्यताएं- विभिन्न सम्प्रदायवादी धर्मिक मान्यताएं एक दूसरे से भिन्न है जो परस्पर दूरी का कारण बनती है। छूआछूत व ऊंचनीच की भावना सम्प्रदायवाद को फैलाती है।
  3. राजनीतिक दलो द्वारा प्रोत्साहन- भारत के विविध राजनीतिक दल चुनाव के समय वोटो की राजनीति से साम्प्रदायिकता को प्रोत्साहन देते है।
  4. साम्प्रदायिक संगठन- कुछ सामप्रदायिक संगठन अपनी संकीर्ण राजनीति से लोगो के बीच साम्प्रदायिकता की भावना को भड़काकर अपने आपको सच्चा राष्ट्रवादी
  5. प्रशासनिक अक्षामता- सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण भी कभी कभी साम्पद्रायिक दंगे हो जाते है।

सम्प्रदायवाद का लोकतंत्र पर प्रभाव-[संपादित करें]

देश में सम्प्रदायिकता के निम्न दुष्परिणाम देखने को मिलते है-

  1. राष्ट्रीय एकता बाधित- राष्ट्रीय एकता का अर्थ कि देश के सभी लोग एक होकर रहे जबकि साम्प्रदायिकता देश की जनता को समूहो तथा साम्प्रदायिकता में बांट देती है।
  2. राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा प्रभावित- साम्प्रदायिक तत्वो द्वारा फैलार्इ जाने वाली अफवाहों व गडब़ ड़ी से देश की शांति भंग हो जाती है।
  3. वैनस्यता को बढ़़ावा- साम्प्रदायिकता से विभिन्न वर्गो में द्वेष को बढ़ावा मिलता है।
  4. विकास में बाधक- साम्प्रदायिक दुर्भावना के कारण समाज में पारस्परिक सहयोग की भावना समाप्त हो जाती है। देश के विभिन्न स्थानो पर साम्प्रदायिक दंगे होने से वहां का जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है और समस्त विकास कार्य ठप्प हो जाते है।
  5. भ्रष्टाचार में वृद्धि- उच्चाधिकारी और राजनेता साम्प्रदायिक आधार पर अनुचित एवं अवैधानिक कार्यवाहीयो में संलग्न व्यक्ति का ही पक्ष लेते है। इतना ही नही नौकरियां एवं अन्य प्रकार की सुविधा देने में भी साम्प्रदायिक आधार पर विचार करते है। इससे उनका नैतिक पतन होता है और भ्रष्टाचार में वृद्धि होती है।

(सम्प्रदायवाद में निम्न में से कौन सा तत्व नहीं होता है?) - (sampradaayavaad mein nimn mein se kaun sa tatv nahin hota hai?)

यह सुझाव दिया जाता है कि सम्प्रदायवाद का इस लेख में विलय कर दिया जाए। (वार्ता) अगस्त 2018 से प्रस्तावित

संछिप्तता से आप क्या समझते हैं

(सम्प्रदायवाद में निम्न में से कौन सा तत्व नहीं होता है?) - (sampradaayavaad mein nimn mein se kaun sa tatv nahin hota hai?)

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कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (मई 2019)
स्रोत खोजें: "साम्प्रदायिकता" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR)

आपसी मत भिन्नता को सम्मान देने के बजाय विरोधाभास का उत्पन्न होना, अथवा ऐसी परिस्थितियों का उत्पन्न होना जिससे व्यक्ति किसी अन्य धर्म के विरोध में अपना व्यक्तव्य प्रस्तुत करे, साम्प्रदायिकता कहलाता है। जब एक सम्प्रदाय के हित दूसरे सम्प्रदाय से टकराते हैं तो सम्प्रदायिक्ता का उदय होता है यह एक उग्र विचारधारा हैै जिसमे दूसरे सम्प्रदाय की आलोचना की जाती हैै इसमे एक सम्प्रदाय दूसरे सम्प्रदाय को अपने विकास में बाधक मान लेता है

सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं[स्रोत सम्पादित करें]

मुख्य लेख: भारत में धार्मिक हिंसा , भारत में जाति से संबंधित हिंसा , और भारत में आतंकवाद

नाम तारीख परिणाम
कलकत्ता दंगा कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है
१९७१ का बांग्लादेश का नरसंहार कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है
1984 सिख विरोधी दंगे कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है
बंबई के दंगे कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है
वंधामा नरसंहार कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है
चित्तसिंहपुरा के नरसंहार कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है
गोधरा ट्रेन जलती हुई कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है
2002 के गुजरात दंगे कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है
मराड के नरसंहार कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है
2010 देगंगा दंगे कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है
2012 असम के हिंसा कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है
कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है कुयपटिकिटकोडा--है

संप्रदायवाद में कौन कौन से तत्व होते हैं?

सम्प्रदायवाद की प्रमुख विशेषताएं - यह असहिष्णुता पर आधारित है। यहाँ असहिणुता का अर्थ अन्य जाति, धर्म और परंपरा से जुड़े व्यक्ति के विश्वासों, व्यवहार व प्रथा को मानने की अनिच्छा हैं। यह दूसरे धर्मो के प्रति दुष्प्रचार करता है। यह दूसरो के विरूद्ध हिंसा सहित अतिवादी तरीको को स्वीकार करता है।

सांप्रदायिकता से आप क्या समझते हैं इसके मुख्य तत्व बताएं?

सांप्रदायिकता से अर्थ उस विचारधारा से है, जिसमें व्यक्ति अपने धर्म को ही श्रेष्ठ समझता है और दूसरे धर्म को अपने धर्म से कमतर आंकता है। अपने धर्म के प्रति कट्टरता का भाव अपनाना तथा अपने धर्म को अन्य धर्म को धर्मों से ऊंचा मानना ही सांप्रदायिकता है।

संप्रदायवाद से आप क्या समझते हैं?

सम्प्रदायवाद का अर्थ ''दूसरे समुदाय के लोगो के प्रति धार्मिक भाषा अथवा सांस्कृतिक आधार पर असहिष्णुता की भावना रखना तथा धार्मिक सांस्कृतिक भिन्नता के आधार पर अपने समुदाय के लिए राजनीतिक अधिकार, अधिक सत्ता, प्रतिष्ठा की मांगे रखना और अपने हितो को राष्ट्रीय हितो से ऊपर रखना है।

भारत में साम्प्रदायिकता की क्या समस्या है?

भारत में दो तरह के धर्म हैं, एक तो वे जिनका उद्भव भारत की धरती पर हुआ तथा दूसरे वे जो अरब, फारस एवं यूरोप से भारत में आए। साम्प्रदायिकता की समस्या सामान्यतः एक धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों के बीच होती है किंतु आधुनिक भारत में इसका संकुचित अर्थ मुख्यतः हिन्दुओं, मुस्लिमों और ईसाइयों के बीच होने वाले संघर्ष से है।