समानता पाठ के प्रश्न-उत्तर कक्षा 11 - samaanata paath ke prashn-uttar kaksha 11

● वर्तमान में समानता व्यापक रूप से एकीकृत आदर्श है, इसे विभिन्न देशों के संविधान एवं कानूनों में सम्मिलित किया गया है।

● समानता के 3 आयाम- राजनीतिक , सामाजिक तथा आर्थिक है।

● सामाजिक समानता में समान अवसर शिक्षा , स्वास्थ्य तथा पोषक आधार इत्यादि पर बल दिया है।

● आर्थिक समानता में रोजगार के समान अवसर व धनी एवं निर्धन के बीच की दूरी को कम करने आदि पर जोर दिया जाता है।

● स्वतंत्रता तथा समानता परस्पर पूरक हैं तथा एक दूसरे के बिना दोनों ही धारणाएं महत्वहीन हो जाती है।

● जब तक समाज में आर्थिक समानता नहीं होगी, तब तक राजनीतिक स्वतंत्रता महत्वपूर्ण रहेगी

● सही रूप से राजनीतिक समानता को स्थापित करने हेतु आर्थिक समानता का होना परम आवश्यक है।

● वर्तमान में 'नारीवाद' भी समानता के संबंध एवं एक प्रमुख धारणा बन चुकी है, जो महिला एवं पुरुषों के समान अधिकारों की पक्षधर है।

● राजनीतिक समानता में समान नागरिकता, मताधिकार तथा स्वतंत्रता इत्यादि सम्मिलित है।



★ परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर ★ 


◆ अति लघु उत्तरीय प्रश्न ◆


प्रश्न 1. समानता का अर्थ समझाइए।

उत्तर -समानता का तात्पर्य ऐसी परिस्थितियों के अस्तित्व से होता है, जिनके कारण सभी व्यक्तियों को अपने अस्तित्व के विकास हेतु समान अवसर प्राप्त हो सके तथा सामाजिक विषमता के कारण पैदा होने वाली असमानताओं का अंत हो जाए।

प्रश्न 2. समानता की उपयुक्त परिभाषा दीजिए।

उत्तर - लॉस्की के अनुसार , "समानता प्रत्येक व्यक्ति को अपनी शक्तियों का उपयोग करने का यथाशक्ति समान अवसर प्रदान करने का प्रयास है।"


प्रश्न 3. समानता के प्रकार लिखिए।

उत्तर- समानता के प्रकारों में -

(1) प्राकृतिक समानता,

(2) धार्मिक समानता,

(3) सामाजिक समानता,

(4) राजनीतिक समानता,

(5) सांस्कृतिक एवं शिक्षा संबंधी समानता,

(6) नागरिक समानता,

(7) आर्थिक समानता,

(8) नैतिक समानता तथा,

(9) राष्ट्रीय समानता का उल्लेख किया जा सकता है।


प्रश्न 4. कानूनी समानता क्या है?

उत्तर- कानूनी समानता का आशय है कि बिना किसी भेदभाव के नागरिकों को कानून के सामने समान समझा जाए तथा सभी के लिए एक जैसे कानून हो।


प्रश्न 5. सामाजिक समानता से क्या आशय समझते हैं?

उत्तर - सामाजिक समानता का तात्पर्य यह है, कि सामाजिक जीवन में सभी को समान समझा जाए तथा धर्म , जाति एवं नस्ल के आधार पर कोई भेदभाव ना किया जाए।


प्रश्न 6 आर्थिक असमानता क्या है?

उत्तर - आर्थिक असमानता भय है जहां व्यक्ति को योगतानुसार काम नहीं मिलता है, जबकि अयोग्य व्यक्ति अनाप-शनाप धन कमाते हैं। जहां एक ओर लोगों की न्यूनतम जरूरतों पूर्ण नहीं होती वहीं दूसरी तरफ लोग विलासिता का जीवन यापन करते हैं।


प्रश्न 7. प्राकृतिक असमानता से क्या आशय है?

उत्तर- प्राकृतिक असमानता से आशय है कि प्रकृति सभी को समान नहीं बनाती है। रंग, रूप, बुद्धि, शक्ति तथा नस्ल के आधार पर उन में असमानता पाई जाती है।


प्रश्न 9. नागरिक समानता का अर्थ बताइए।

उत्तर- नागरिक समानता का तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को राज्य की तरफ से समान रुप में व्यक्तिगत सुरक्षा, विचार अभिव्यक्ति , संघ अथवा समुदाय बनाने तथा इच्छा अनुसार कोई भी धर्म पालन करने से संबंधित अधिकार समान रूप से मिले हो।

प्रश्न 10. क्या समानता से शोषण का अंत संभव है?

उत्तर - जब समाज में आर्थिक तथा सामाजिक विषमता विद्यमान होती है तब अमीर, गरीब का तथा उच्च वर्ग, निम्न वर्ग के लोगों का शोषण करते हैं। लेकिन समानता की स्थापना होने से शोषण का अंत हो जाता है।

प्रश्न 11. स्वतंत्रता एवं समानता में क्या संबंध है?

उत्तर- दोनों परस्पर एक दूसरे के पूरक है तथा स्वतंत्रता के अभाव में समानता का कोई अर्थ नहीं होता है।


प्रश्न 12. तुलनात्मक दृष्टि से समानता के किन्ही दो रूपों पर 20 वीं सदी में अधिक बल दिया गया?

उत्तर- (1) सामाजिक समानता तथा (2)आर्थिक समानता।



◆ लघु उत्तरीय प्रश्न ◆



प्रश्न 1. समानता का अर्थ व प्रकार लिखिए।

उत्तर- समानता का अर्थ एवं परिभाषा- समानता का अर्थ उन परिस्थितियों के अस्तित्व से है जिनमें सभी लोगों को अपने व्यक्तित्व के विकास हेतु समान अवसर प्राप्त हो सके तथा और असमानता का अंत हो जाए जिसका मूल सामाजिक विषमता है। लॉस्की के शब्दों में,  "समानता प्रत्येक व्यक्ति को अपनी शक्तियों का उपयोग करने का यथाशक्ति समान अवसर प्रदान करने का प्रयास है।"


समानता के भेद व प्रकार - समानता के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

(1) नागरिक समानता- सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार सुरक्षित हो तथा कानून के समक्ष सभी व्यक्ति समान हो।

(2) राजनीतिक समानता- सभी व्यक्तियों को समान राजनीतिक अधिकार एवं समान अवसर प्राप्त होना ही राजनीतिक समानता है।

(3) सामाजिक समानता- इसका आशय है कि सामाजिक जीवन में सभी को समान समझा जाए।

(4) आर्थिक समानता- इसका तात्पर्य है कि समाज में धन के वितरण की समुचित व्यवस्था हो तथा लोगों की आय में अत्याधिक असमानता नहीं हो।


प्रश्न 2. आर्थिक समानता का क्या अर्थ है ?

उत्तर- आर्थिक समानता का व्यावहारिक अर्थ यह है कि जब तक सभी नागरिकों के जीवन की न्यूनतम जरूरत पूरी ना हो तब तक कुछ लोगों को विलासिता का जीवन बिताने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। अतः आर्थिक जीवन का संगठन इस प्रकार से होना चाहिए कि सर्वप्रथम प्रत्येक व्यक्ति को मानव की तरह रहने के लिए आर्थिक साधन उपलब्ध हो सके। प्रत्येक व्यक्ति को उसके परिश्रम का उचित पारिश्रमिक मिलना चाहिए। यह लॉस्की का यह कथन उल्लेखनीय है कि , "जब मेरे पड़ोसी को रोटी प्राप्त नहीं होती तो मुझे केक खाने का अधिकार नहीं है।" पूंजीवादी राष्ट्रों में आर्थिक समानता का लोक पाया जाता है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति अपनी राजनीतिक समानता का उपयोग नहीं कर पाते हैं।


प्रश्न 3. "आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक समानता अधूरी है।" स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक समानता अधूरी अथवा निरर्थक है, क्योंकि-

(1) गरीब व्यक्ति अपने मत का उचित प्रकार से प्रयोग नहीं कर सकता तथा लालच में आकर अपने मत को बेच सकता है।

(2) साधारणतया यह देखने में आया है ही गरीब व्यक्ति अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करते हैं।

(3) चूंकि गरीबों के पास चुनाव लड़ने के लिए साधनों की कमी होती है अतः वह पअपने इस राजनीतिक अधिकार को आर्थिक समानता के अभाव में त्याग देते हैं ।

(4) प्रायः राजनीतिक दलों एवं प्रेस अर्थात मीडिया पर गरीबों की अपेक्षा पूंजीपतियों का ही नियंत्रण होता है।


उक्त आधार पर हम यह कैसे कह सकते हैं कि आर्थिक समानता का लोप होने पर व्यक्ति अपनी राजनीतिक समानता का उपयोग नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 4. आर्थिक असमानता को दूर करने के 3 उपाय लिखिए।

उत्तर- आर्थिक समानता को निम्न प्रकार से दूर किया जा सकता है

(1) जब तक समस्त नागरिकों के जीवन की न्यूनतम जरूरतें पूरी ना हो तब तक किसी भी व्यक्ति को विलासिता का जीवन बिताने का अधिकार नहीं होना चाहिए।

(2) प्रत्येक व्यक्ति को उसकी योग्यता अनुसार काम दिया जाए तथा उसके कार्य के अनुरूप ही वेतन एवं सुविधाएं दी जाएं।

(3) आर्थिक संगठन कुछ इस तरह का होना चाहिए कि सबसे पहले प्रत्येक व्यक्ति को मानवीय जीवन जीने के लिए आर्थिक साधन मिल सके।

प्रश्न 5. नागरिक समानता का महत्व लिखिए।

उत्तर - मानवीय जीवन में स्वतंत्रता बहुत ही उपयोगी है। स्वतंत्रता की रक्षा एवं व्यक्तियों के व्यक्तित्व का विकास तभी संभव है जब समानता हो । राज्य का सदस्य होने की वजह से राज्य के प्रत्येक नागरिक को विकास हेतु सामान अफसर एवं समान नागरिक सुविधाएं हासिल होती है। शिक्षा, संपत्ति, विचार अभिव्यक्ति ,समुदाय का निर्माण, आवास एवं भ्रमण इत्यादि नागरिक अधिकार हमें राज्य ही प्रदान करता है। इन्हें प्रदान करते समय राज्य जाति, वर्ण, धर्म, लिंग तथा संपत्ति इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता हैं। उक्त सभी सभी बातें नागरिक समानता के अंतर्गत आती है तथा यह नागरिक समानताएं प्रजातंत्र का आधार है। वही प्रजातंत्र श्रेष्ठ होता है, जिसमें व्यक्ति के मूलभूत अधिकारों एवं कर्तव्यों की समानता हो। अंतः कहा जा सकता है कि नागरिक समानता का काफी महत्व है और इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती।

प्रश्न 6. समानता के महत्व को समझाइए।

उत्तर- व्यक्ति एवं समाज दोनों के लिए ही समानता की अत्याधिक उपयोगिता है। यदि समाज में समानता तथा भेदभाव है तो अशांति तथा अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाएगी। समानता के बिना स्वतंत्रता भी निरर्थक होती है। उदाहरणार्थ आर्थिक असमानता बने रहने पर राजनीतिक स्वतंत्रता का कोई मूल्य नहीं रहता। आर्थिक समानता होने पर ही राजनीतिक स्वतंत्रता का सही अर्थ में उपयोग किया जा सकता है। समानता के बिना कोई भी व्यक्ति अपनी प्रतिभा को विकसित नहीं कर सकता । अंतः समानता का होना बहुत ही जरूरी है।



◆ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ◆



प्रश्न 1.  समानता का अर्थ व परिभाषा लिखते हुए उसके विभिन्न प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर-

 समानता एक अत्यंत लोकप्रिय संकल्पना है, लेकिन इसके अर्थ के संबंध में विद्वानों के विचारों मैं एकजुटता नहीं है। समानता के अर्थ को निम्न दो रूपों में समझा जा सकता है-


(1) संकुचित अर्थ- आम बोलचाल की भाषा में समानता का असर सभी लोगों के एक समान होने से लगाया जाता है। लेकिन समानता का अर्थ अनुपयुक्त एवं भ्रामक है क्योंकि प्रकृति ने भी सभी लोगों को एक जैसा नहीं बनाया है। अतः समानता का यह आशा नहीं है कि सभी लोग समस्त बातों में एक समान हो

(2) वास्तविक अथवा सही अर्थ- समानता का वास्तविक अर्थ समाज के अंतर्गत प्राप्त होने वाली जीवन की उन सुविधाओं से है जो समान रूप से समाज के लोगों को उपलब्ध होती है। इन सुविधाओं के समान रूप से प्राप्त होने पर ही व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकता है। अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि समानता का आशय ऐसी परिस्थितियों के अस्तित्व से होता है जिसके कारण सभी व्यक्तियों को अपने अस्तित्व के विषय हेतु समान अवसर प्राप्त हो सके तथा सामाजिक विषमता की वजह से पैदा होने वाली आशा मान्यताओं का अंत हो जाए।


समानता के भेद व प्रकार-

मुख्यतः समानता के प्रमुख भेद निम्न प्रकार है-

(1) धार्मिक समानता- इसका तात्पर्य यह है कि सभी धर्म समान है तथा सभी व्यक्तियों को समान रूप से अपने अपने धर्म का पालन करने की पूरी आजादी है । राज्य द्वारा धार्मिक आधार पर किसी व्यक्ति अथवा संप्रदाय के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है । यहां यह उल्लेखनीय है कि धार्मिक समानता सिर्फ धर्मनिरपेक्ष राज्य में ही संभव होती है।

(2) सामाजिक समानता- इसका तात्पर्य है कि समाज में विशेष अधिकारों का अंत हो जाना चाहिए तथा सामाजिक दृष्टि से सभी व्यक्ति समान समझे जाने चाहिए। समाज में वंश, जाति, नस्ल ,संप्रदाय तथा लिंग इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

(3) आर्थिक समानता- इसका तात्पर्य है कि व्यक्तियों की आय में बहुत अधिक असमानता नहीं होनी चाहिए। उनकी पारिश्रमिको मैं प इतना अधिक अंतर नहीं होना चाहिए कि एक व्यक्ति अपने धर्म के आधार पर दूसरे का शोषण करें । अर्थात समाज में धन का उचित वितरण होना चाहिए तथा समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की न्यूनतम जरूरतें पूरी होनी चाहिए।

(4) राजनीतिक समानता- इसका तात्पर्य है कि सभी लोगों को समान राजनीतिक अधिकार हासिल होने चाहिए। मत देने, संसद तथा विधान मंडलों में निर्वाचित होने तथा सरकारी पद प्राप्त करने आदि क्षेत्रों में सभी को समान अवसर एवं सुविधाएं प्राप्त होनी चाहिए।

(5) सांस्कृतिक एवं शिक्षा संबंधी समानता- इसका तात्पर्य है कि सांस्कृतिक दृष्टि से समाज के सभी वर्गों को अपनी भाषा, लिपि तथा संस्कृति को सुरक्षित बनाए रखने का अधिकार मिला होना चाहिए । इसी तरह सभी लोगों को बिना किसी भेदभाव के शिक्षा के अवसर प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए।


प्रश्न 2. समानता का महत्व लिखिए।

उत्तर- समानता के महत्व को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है

(1) लोकतांत्रिक व्यवस्था की आधारशिला- समानता लोकतांत्रिक व्यवस्था की आधारशिला है पूर्णब्रह्म समानता के बिना लोकतांत्रिक व्यवस्था की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती है।

(2) विभिन्न  क्रांतियों की प्रेरक- समानता विभिन्न क्रांतियों की प्रेरक भी रही है। 1668 की इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति का इसी आधार पर समर्थन किया गया था । यह 1776 कि अमेरिका क्रांति तथा 1789 की फ्रेंच की क्रांति का मूलाधार भी रही है।

(3) आर्थिक एवं सामाजिक भेदभाव का अंत- आर्थिक विषमता विभिन्न बुराइयां लेकर आती है। नागरिकों को राज्य की तरफ से जो सुविधाएं दी जाती है उनका उचित उपभोग तभी हो सकता है जब आर्थिक समानता की स्थापना की जाए । इसी तरह समाज में जाति, धर्म, भाषा, लिंग तथा संप्रदाय इत्यादि के भेदभाव की समाप्ति भी समानता द्वारा ही संभव है।

(4) व्यक्ति के विकास एवं स्वतंत्रता के लिए जरूरी-

व्यक्ति को समान अवसर मिलने पर सीधे अपनी रूचि तथा प्रतिभा के अनुरूप कार्य करेगा, जिसके द्वारा उसका स्वाभाविक विकास होगा । इसी तरह समानता के द्वारा ही मानव की स्वतंत्रता स्थापित होगी।


प्रश्न 3. समानता एवं स्वतंत्रता के संबंधों का वर्णन कीजिए ।

अथवा

"स्वतंत्रता एवं समानता एक दूसरे के पूरक है।" स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- समानता एवं स्वतंत्रता के संबंध में दो विचारधाराएं है। लार्ड एक्टन तथा  डी. टाकविले की मान्यता है कि समानता एवं स्वतंत्रता परस्पर विरोधी है। प्रकृति में  भी मानव में असमानता स्थापित की है तो योग्य एवं आयोग, सक्षम एवं असक्षम तथा कमजोर एवं शक्तिशाली व्यक्तियों के बीच समानता कैसे स्थापित हो सकती है। इस विचारधारा के समर्थकों की मानता है कि यह एक कृतिम एवं अव्यावहारिक विचार है और समानता एक स्वतंत्रता में से किसी एक को ही हासिल किया जा सकता है


उक्त विचारधारा को गलत बताते हुए रूसो आशीर्वादम तथा पोलार्ड इत्यादि विद्वानों ने समानता एवं स्वतंत्रता को परस्पर पूरक माना है। व्यक्ति के चहुमुखी विकास हेतु दोनों ही जरूरी है। समानता एवं स्वतंत्रता ही सही व्याख्या परस्पर दूसरे के संदर्भ में ही की जा सकती है । जहां राजनीतिक स्वतंत्रता हेतु आर्थिक समानता जरूरी है, वहीं सामाजिक एवं आर्थिक समानता की स्थापना के बिना शोषण का अंत भी संभव नहीं है । अंत में परिणाम स्वरुप कहा जा सकता है कि । एवं स्वतंत्रता परस्पर विरोधी ना होकर एक दूसरे की पूरक है।