समाज में सहयोग से आप क्या समझते हैं? - samaaj mein sahayog se aap kya samajhate hain?

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सामाजिक सहयोग से हो जाते हैं बड़े-बड़े काम

हर साल परस्पर मिलकर बड़े-बड़े आयोजन किए जाते हैं, समाजबंधुओं का रहता है पूरा सहयोग

भास्करन्यूज | सिरोही

सामाजिकसहयोग एकता के बूते सकारात्मक कार्यों को एक नई दिशा दी जा सकती है। ऐसे ही कई उदाहरण हमें अर्बुदांचल की धरती पर देखने को मिलते हैं। वैसे तो पूरे मारवाड़ में ऐसे आयोजन अक्सर होते रहते हैं, लेकिन बात सिरोही की करें तो अब एक नया बदलाव नजर आने लगा है।

समाज की जाजम पर एक दूसरे के सहयोग से बड़े से बड़े काम किए जा रहे हैं। जिनमें शिक्षा के विकास से लेकर प्रतिभाओं के सम्मान, भामाशाहों के प्रोत्साहन, सामूहिक विवाह और धार्मिक सामाजिक आयोजन शामिल हैं। फिर समाज का कोई भी व्यक्ति बड़ा हो या छोटा। अपनी अपनी क्षमतानुसार उसमें सहयोग करता है। प्रत्येक व्यक्ति को कार्य दिया जाता है और सभी उसमें शामिल होते हैं। अब ऐसे आयोजन परस्पर संपर्क बढ़ाने, मिलने जुलने और वर्ष में एक बार अपने गांव में एकत्रित होने के माध्यम भी बन गये हैं। पिछले दिनों जिले में कुछ ऐसे ही आयोजन हुए। जिनमें बदलाव नजर आया। सबसे बड़ा बदलाव यही कि अब कुरितियों को छोड़कर समाज नई दिशा में बढ़ना चाह रहे हैं। आयोजन कुछ भी हो, लेकिन सबसे अधिक जोर शिक्षा पर ही दिया जाता है।

गौतम ऋषि मेला

मीणासमाज का पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा मेला। इस तीन दिवसीय मेले में मीणा समाज के लाखों लोग शामिल है, लेकिन कोई भी समाज की परंपरा को कोई नहीं तोड़ता। मेले की पूरी व्यवस्था समाज ही संभालता है। मेले में पुलिस की नो एंट्री होती है।

{ऐसे आयोजनों से सबसे अधिक फायदा सामाजिक आर्थिक बदलाव का है। समाज का ताना बाना और भी अधिक मजबूत होता है और आर्थिक रुप से एक व्यक्ति पर भार भी नहीं होता। साथ ही अपव्यय रुकता है।

{सकारात्मक कार्यों को बढ़ावा मिलता है। कुरीतियों को छोड़ने पर जोर दिया जाता है।

{सामूहिक विवाह जैसे आयोजनों को बढ़ावा मिल रहा है। जिससे विवाह आपसी सहयोग सादगी के साथ संपन्न होता है।

{धार्मिक स्थल, धर्मशाला, स्कूल, अस्पताल, सामुदायिक भवन, छात्रावासों और अन्य समाजोपयोगी भवनों का निर्माण होता है।

{प्रतिभाओं, भामाशाहों और समाज के गणमान्य नागरिकों के सम्मान समारोह से उन्हें प्रेरणा मिलती है।

{प्रवासियों को जुड़ने का अवसर मिलता है। पैतृक गांवों में उनके सहयोग से विकास की संभावनायें बनती हैं। वे सहयोग के लिए आगे आते हैं।

{सबसे पहले सामाजिक स्तर पर किसी भी कार्यक्रम की रुपरेखा तय होती है। मंदिर, अस्पताल, स्कूल या अन्य किसी भवन का निर्माण करना हो तो समाज के प्रत्येक व्यक्ति से सहयोग राशि एकत्रित की जाती है। इसके लिए चढ़ावे बोले जाते हैं। जिसकी जितनी क्षमता और इच्छा हो वह उसी के अनुरुप अपना कार्य चुन लेता है।

{ ऐसे आयोजनों में बड़े से बड़े कार्य से लेकर चाय, पानी नाश्ते और भोजन तक के चढ़ावे बोले जाते हैं। ऐसे हर काम आसान हो जाता है। एक व्यक्ति पर भार भी नहीं आता। सभी व्यक्तियों की सहभागिता भी हो जाती है।

{ आयोजन से पूर्व एक समिति बनाई जाती है। जो पूरे कार्यक्रम का संचालन करती है। व्यवस्थाओं की देखरेख का जिम्मा इसी समिति पर होता है। खासियत यह होती है कि इसमें युवाओं को अधिक जिम्मेदारियां दी जाती हैं।

{ कोई भी निर्णय लेने हो सभी की सहमति से ही लिये जाते हैं।

{प्रयास किया जाता है कि समाज के कार्यक्रम में सभी लोग शामिल हो। इसके लिए प्रवासियों को भी बुलाया जाता है। इस प्रकार प्रत्येक समाज की ओर से वर्ष में एक बार ऐसा कार्यक्रम अवश्य होता है। जिसके माध्यम से सभी एक साथ एक जगह पर जुटते हैं।

प्रजापति समाज

सिरोहीमें मारू प्रजापति समाज का सामुहिक विवाह समारोह। पिछले 8 सालों से यह आयोजन हो रहा है। पूरा समाज इस आयोजन में जुटता है और अधिकतर जोड़े सामुहिक विवाह में ही परिणय सूत्र में बंधते है।

कुंभकार समाज

सिरोहीमें प्रजापति कुंभकार समाज भी सामुहिक विवाह का आयोजन करता है। इस साल दूसरा आयोजन था और 23 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे थे। सामाजिक सहयोग की बदौलत बड़ा आयोजन आसानी से निपट जाता है।

माली समाज

शिवगंजमें पिछले आठ साल से यह आयोजन हो रहा है। हर दूसरे साल होने वाले सामुहिक विवाह समारोह में जोड़ों की संख्या बढ़ रही है। अब तक चार आयोजन हो चुके है। आयोजन में समाज का हर व्यक्ति शामिल होता है।

भागीरथेश्वर का मेला

सगरवंशीमाली समाज का दो दिवसीय वार्षिक मेला। सिरोही, पाली और गुजरात मध्यप्रदेश के प्रवासी समाजबंधु शामिल होते हैं। शोभायात्रा, प्रतिभाओं का सम्मान और बैठक। चढ़ावों में हरेक की सहभागिता। क्रिकेट मैच आदि आयोजन।

ठाकुरजी का मेला

खंडेलवालसमाज का दो दिवसीय मेला। सिरोही, जालोर, पाली समेत प्रवासी समाजबंधु शामिल होते हैं। शोभायात्रा से लेकर कई धार्मिक आयोजन होते हैं, लेकिन कभी कोई विवाद नहीं होता। सामाजिक सहयोग से शानदार छात्रावास तैयार किया।

लखमीदास मंदिर

कालंद्रीगांव में नवनिर्मित भक्त लखमीदास लक्ष्मी नारायण मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 28 मई को होगी। तीन दिवसीय महोत्सव को लेकर चढ़ावों की बड़ी-बड़ी बोलियां बोली गई। इसमें माली समाज के हरेक व्यक्ति ने अपनी सहभागिता निभाई।

शनिधाम मंदिर

कालंद्रीगांव में नवनिर्मित शनि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव। सिरोही और जालोर जिले के घांची समाजबंधुओं ने मिलकर यह मंदिर बनवाया। प्रतिष्ठा के लिए चढा़वे की बड़ी बोलियां बोलकर धन जुटाया। 19 मई से शुरू हो रहे चार दिवसीय महोत्सव में समाजबंधु शरीक होंगे।

सामाजिक जाजम पर अब शिक्षा, प्रतिभाओं के विकास, सामूहिक विवाह के आयोजन, बालिकाओं के कल्याण, स्कूल, अस्पताल, धर्मशाला और अन्य सामाजिक भवन के निर्माण जैसे निर्णय होने लगे हैं। इसके अलावा प्रतिष्ठा महोत्सव, वार्षिकोत्सव, मेले और सामाजिक सम्मेलन जैसे आयोजन भी होते हैं। इन सभी के माध्यम से आपसी सहयोग एकता का संदेश दिया जाता है।

सिरोही. घांची समाज की ओर से हुई शनिधाम की प्रतिष्ठा के दौरान चर्चा करते समाज के लोग। फाइल फोटो।

सामाजिक सहयोग से आप क्या समझते हैं?

किस प्रकार से व्यक्ति एक दूसरे से सहयोग, प्रतियोगिता तथा संघर्ष करते हैं तथा उसे वे क्या रूप देते हैं? 2022-23 समाज का बोध सहयोग, प्रतियोगिता तथा संघर्ष होते हैं। यह सब कुछ सामाजिक संरचना तथा स्तरीकरण व्यवस्था में व्यक्तियों एवं समूह की स्थिति पर निर्भर करता है।

सहयोग से आप क्या समझते?

सहयोग (अंग्रेजी: Collaboration) का अर्थ दो या अधिक व्यक्तियों या संस्थाओं का मिलकर काम करना है। सहयोग की प्रक्रिया में ज्ञान का बारंबार तथा सभी दिशाओं में आदान-प्रदान होता है। यह एक समान लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में उठाया गया बुद्धि विषयक कार्य है। यह जरूरी नहीं है कि सहयोग के लिये नेतृत्व की आवश्यक होता है।

सहयोग का समाज में क्या महत्व है?

सहयोग का महत्व - मानव जीवन की सुरक्षा, उन्नति तथा विकास के लिए सहयोग आवश्यक प्रक्रिया है। इसका महत्व जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हैं। 1. सामाजिक क्षेत्र - सहयोग से सामाजिक गुण विकसित होते हैं।

सहयोग से आप क्या समझते हैं इसके प्रमुख स्वरूपों का वर्णन कीजिए?

एक साथ मिलकर कार्य करना अनौपचारिक एवं घनिष्ठ भावानात्मक संबंधों के बीच अंतःक्रिया से इस तरह का सहयोग पनपता है। इस प्रकार के सहयोग मे हम उन सभी कार्यों को सम्मिलित करते है जहाँ लोग निश्चित रूप मे एक ही उद्देश्य की पूर्ति के लिए असमान कार्य करते है। श्रम विभाजन एवं विशेषीकरण की स्थिति अप्रत्यक्ष सहयोग को निर्मित करती है।