सीएनटी एक्ट में कौन कौन से जाति आते हैं? - seeenatee ekt mein kaun kaun se jaati aate hain?

Publish Date: Fri, 02 Mar 2012 02:02 AM (IST)Updated Date: Fri, 02 Mar 2012 07:35 AM (IST)

रांची : झारखंड की सिर्फ 51 पिछड़ी जातियों की जमीन ही छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) के दायरे में आएगी। इस प्रकृति की भूमि अगड़े नहीं खरीद सकते। ऐसी भूमि की खरीद-बिक्री इन्हीं जातियों के बीच हो सकेगी। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इससे संबंधित अधिसूचना गुरुवार को जारी कर दी है। इससे इतर अनुसूची एक और अनुसूची दो में शामिल 103 पिछड़ी जातियों को सीएनटी से बाहर रखा गया है, जिसकी जमीन की खरीद-बिक्री किसी भी जाति के बीच हो सकती है।

सीएनटी के दायरे में इनकी जमीन

बारी, बानपर, बेदिया, बेलदार, भटियारा, भेरियार, बिंद, चीक (मुस्लिम), डफाली (मुस्लिम), धानुक, धोबी (मुस्लिम), गोरही, हजाम, कहार, कसाब (कसाई-मुस्लिम), केवट, खटिक, माली (मालाकार), धुनिया (मुस्लिम), मल्लाह (सुरहिया के साथ), मदारी (मुस्लिम), मेहतर (लालबेगी, हलखोर एवं भंगी (मुस्लिम), मिरियासीम (मुस्लिम), नट (मुस्लिम), नोनिया (मुस्लिम), तामरिया (मुस्लिम), शिखर, तांती (तंतवा), तुरहास, भार, भुइंहार, धनवार, गुलगुलिया, कवार, खेतौरी, कुर्मी (महतो), मंझवार, कल्लार (मलहोर), प्रधान, तामरिया, भुइयां, अगरिया, बागदी (धनबाद), भास्कर (पालमू), कैवर्त (धनबाद), करोरा (सिंहभूम), मौलिक (धनबाद), बहिरा (धनबाद व रांची), पांडो (रांची), पंगनिया (रांची), सौंफा/सउआ (सिंहभूम)।

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इनकी जमीन सीएनटी से बाहर

कपरिया, कानू, कलंदर, कोछ, कादर, कोरक, केवर्त, खटवा, खंगर, खेलटा, खतवे, गोड़ी (छावी), गंगाई (नगेश), गंगोता, गंधर्व, गौड़ (मगदा गौड़, महाकुड़, गोप, ग्वाला,(प. एवं पूर्वी सिंहभूम एवं सरायकेला-खरसावां), चांय, चपौता, चंद्रवंशी (कहार), टिकुलहार, ढेकारू, तांती (तंतवा), तियर, थारू, धामिन, धीमर, नइया, नाई, नामशुाद्र, पांडी, पाल (भेड़िहार, गड़ेरी), शेखरा, बागदी-बागती (बागची), मंगर, मदार, मारकंडे, मौरियारी, राजधोबी, राजभर, रंगवा, सौटा (सौता), अधोरी, अबदल, भाट (मुस्लिम), मोरशिकार (मुस्लिम), साई (शेख, जुलहा, अंसारी), अमात, चुड़ीहार (मुस्लिम), प्रजापति (कुम्हार), राइन या कुजरा (मुस्लिम), सोय, ठकुरई (मुस्लिम), नागर, शेरशहवादी, बलखो (मुस्लिम), अदरखी, छिपी, तिलि (एकादश व द्वादश तिलि, एकादश व द्वादश तेली), इदरीशी (दजी, मुस्लिम) सेकलगर (मुस्लिम), लेट, कुनाई, पुष्पनामित, झोरा, बागाल (खंडवाल), सिंदुरिया, खैरा, कागजी, कमार (लोहार, कर्मकार), कुशवाहा (कोइरी), कोस्ता, गद्दी, घटवार, चनउ, जदुपतिया, जोगी (जुगी), तमोली, तेली, देवहार, नालबंद (मुस्लिम), परथा, बढ़ई (बड़ई), बनिया (सुढ़ी, हलवाई, मैरा, मोदक रोनियार, पनसारी, मोदी, कसेरा, केसरवानी, ठठेरा, कलवार, कलाल, एराकी एवं ब्याहुत कलवार, जायसवाल, जैशवार, पटवा, कमलापुरी, वैश्य, बनिया, माहुरी, बगी वैश्य, वैश्व, बर्नवाल, अग्रहरी वैश्य, पोद्दार, कसोधन, गंधवनिक, ओमर, उमर वैश्य), मुकरी (मुस्लिम), यादव (ग्वाला, अहीर, गोप, घासी, मेहर, सदगोप), राजवंशी (रिसिया या पोलिया), रंगरेज (मुस्लिम), रउतिया, लहेड़ी, शिवहरि, सोनार (सुवर्णवनिक), सूत्रधार, सुकियार, ईसाई धर्मावलंबी (हरिजन), ईसाई धर्मावलंबी (अन्य पिछ़ड़ी जाति), भाट ईसाई धर्मावलंबी (हिंदू), दंागी, कुल्हैया, वैरागी ईसाई धर्मावलंबी (वैष्णव),पाईक, लक्ष्मी नारायण गोला, चासा, कयाली ।

(नोट : कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग की ओर से जारी पिछड़े वर्ग की सूची पर आधारित।)

विधि विभाग का मंतव्य

'बिहार शिड्यूल एरियाज रेगुलेशन' में लिस्ट आफ बैकवर्ड क्लासेज के संदर्भ में निर्गत अधिसूचना संख्या ए./टि.-3043/61-5423-आर, दिनांक 23 जून 1962 में अंकित जातियां ही धारा-46 (1)(बी) के प्रावधानों के अंतर्गत प्रवर्तनीय है। उक्त सूची के अतिरिक्त अन्य जातियों पर धारा-46 (1)(बी) लागू नहीं होता है।

सीएनटी : कब, क्या हुआ

- आदिवासी जमीन की रक्षा के लिए 1908 से प्रभावी हुआ सीएनटी।

- 1962 में सीएनटी में शामिल की गई अनुसूचित जातियां व पिछड़ी जातियां।

- 1962 से 1969 के बीच बंद रही सीएनटी में शामिल अनुसूचित जातियों व पिछड़ी जातियों की जमीन की रजिस्ट्री अगड़े के बीच।

- मार्च 1970 में तत्कालीन निबंधक महानिरीक्षक ने 1962 में सीएनटी में जोड़ी गई अनुसूचित जातियों व पिछड़ी जातियों को यह कहकर विलोपित कर दिया कि इसकी संबद्धता बिहार काश्तकारी अधिनियम से है। इसके बाद के वर्षो में इन जातियों की जमीन की खरीद-बिक्री अगड़े के बीच होने लगी।

- 2008 में चाईबासा के डीसी ने सीएनटी में शामिल अनुसूचित जाति व पिछड़ी जातियों के संदर्भ में राजस्व विभाग से मंतव्य मांगा। राजस्व ने विधि विभाग को भेजा।

- इस बीच 4 दिसंबर 2010 को तत्कालीन राजस्व सचिव ने एक आदेश निकालकर सीएनटी एक्ट में दर्ज प्रावधान का हवाला देते हुए अनुसूचित जाति व पिछडे़ वर्ग की जमीन की खरीद-बिक्री अगड़े के बीच प्रतिबंध लगा दिया।

- काफी हो-हंगामे के बाद 11 दिसंबर को सरकार ने इसे तकनीकी भूल बताते हुए आदेश को रद कर दिया।

- बाद में इस मामले को आदिवासी नेता सालखन मुर्मू ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इस मामले में हाईकोर्ट ने सीएनटी में दर्ज प्रावधानों को लागू रखने का आदेश दिया। आदेश के बाद निबंधन कार्यालयों ने पिछड़ी जातियों की रजिस्ट्री बंद कर दी थी। इस बीच उपायुक्तों ने पिछड़ी जातियों के संदर्भ में राजस्व विभाग से मंतव्य मांगा था।

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सीएनटी एक्ट से बचने के लिए जाति बदल जमीन की खरीद-बिक्री कर रहे

डीबी स्टार जमशेदपुर

झारखंड में सीएनटी एक्ट के प्रभावी होने के बाद जमीन की खरीद-बिक्री जाति बदल कर की जा रही है। इस तरह का एक मामला डीसी अमित कुमार के संज्ञान में आया है। डीसी ने मामले की जांच का आदेश दिया है। जमशेदपुर अंचल के कीताडीह निवासी दिनेश कुमार सिंह उर्फ दिनेश कुमार ने जाति बदल कर जमीन की खरीदारी की है। इस संबंध में जिला कांग्रेस के पूर्व सचिव रमन खां ने डीसी अमित कुमार व सिटी एसपी प्रभात कुमार से शिकायत की है।

शिकायत पत्र के साथ जमीन की खरीदारी से जुड़े दो सेल डीड और जमशेदपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी कार्यालय की ओर जारी दिनेश कुमार सिंह को जारी जाति प्रमाणपत्र व सीएनटी एक्ट के संबंध में सरकार की ओर से जारी जातियों की सूची की छायाप्रति संलग्न की है। प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) कार्यालय की ओर से दिनेश कुमार सिंह, पिता कलेक्टर सिंह की जाति के संबंध में 31 मार्च 1990 को पत्रांक संख्या 9235 के तहत जाति प्रमाण जारी किया गया है। इसमें स्पष्ट रूप से ‘कहार’ लिखा गया है। कहार जाति झारखंड में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 की धारा -46 ( बी) के अंतर्गत अनुसूचित है। सीएनटी की सूचीबद्ध जाति में शामिल है। ऐसी स्थिति में कहार जाति के सदस्यों की जमीन की खरीद-बिक्री के पूर्व सक्षम प्राधिकार की पूर्वानुमति आवश्यक है। जमशेदपुर अवर निबंधन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक निबंधन विभाग के आईजी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अगर जाति के साथ फर्जीवाड़ा कर जमीन अथवा मकान की खरीद-बिक्री करता है तो सेल डीड को रद्द कर दिया जाएगा। साथ ही संबंधित व्यक्ति के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान है।

एक सेल डीड में कहार तो दूसरे में बन गए राजपूत
शिकायत पत्र में कहा गया है- 2011 में सीएनटी की धारा 46- में पिछड़ी जाति से संबंधित प्रावधान झारखंड हाईकोर्ट का आदेश लागू होने से पूर्व दिनेश कुमार सिंह की प|ी उर्मिला देवी ने चंद्रवंशी कहार जाति बनकर निबंधित केवाला (9468, दिनांक 2 नवंबर 2010) को जमीन की खरीदारी की। सीएनटी के अंतर्गत पिछड़ी जाति से संबंधित प्रावधान राज्य में सख्ती से लागू होने के बाद दिनेश कुमार सिंह ने खुद को राजपूत बताकर निबंधित केवाला (सेल डीड) संख्या 3758 के तहत 16 जून 2012 को जमीन की खरीदारी की है, जबकि वे कहार जाति से संबंधित हैं। ऐसा इसलिए ताकि जमीन बिक्री के समय उन्हें पूर्वानुमति की आवश्यकता नहीं पड़े।

डीबी स्टार जमशेदपुर

झारखंड में सीएनटी एक्ट के प्रभावी होने के बाद जमीन की खरीद-बिक्री जाति बदल कर की जा रही है। इस तरह का एक मामला डीसी अमित कुमार के संज्ञान में आया है। डीसी ने मामले की जांच का आदेश दिया है। जमशेदपुर अंचल के कीताडीह निवासी दिनेश कुमार सिंह उर्फ दिनेश कुमार ने जाति बदल कर जमीन की खरीदारी की है। इस संबंध में जिला कांग्रेस के पूर्व सचिव रमन खां ने डीसी अमित कुमार व सिटी एसपी प्रभात कुमार से शिकायत की है।

शिकायत पत्र के साथ जमीन की खरीदारी से जुड़े दो सेल डीड और जमशेदपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी कार्यालय की ओर जारी दिनेश कुमार सिंह को जारी जाति प्रमाणपत्र व सीएनटी एक्ट के संबंध में सरकार की ओर से जारी जातियों की सूची की छायाप्रति संलग्न की है। प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) कार्यालय की ओर से दिनेश कुमार सिंह, पिता कलेक्टर सिंह की जाति के संबंध में 31 मार्च 1990 को पत्रांक संख्या 9235 के तहत जाति प्रमाण जारी किया गया है। इसमें स्पष्ट रूप से ‘कहार’ लिखा गया है। कहार जाति झारखंड में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 की धारा -46 ( बी) के अंतर्गत अनुसूचित है। सीएनटी की सूचीबद्ध जाति में शामिल है। ऐसी स्थिति में कहार जाति के सदस्यों की जमीन की खरीद-बिक्री के पूर्व सक्षम प्राधिकार की पूर्वानुमति आवश्यक है। जमशेदपुर अवर निबंधन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक निबंधन विभाग के आईजी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अगर जाति के साथ फर्जीवाड़ा कर जमीन अथवा मकान की खरीद-बिक्री करता है तो सेल डीड को रद्द कर दिया जाएगा। साथ ही संबंधित व्यक्ति के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान है।

कितने जाति CNT अधिनियम झारखंड में देखते हैं?

रांची : झारखंड की सिर्फ 51 पिछड़ी जातियों की जमीन ही छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) के दायरे में आएगी। इस प्रकृति की भूमि अगड़े नहीं खरीद सकते। ऐसी भूमि की खरीद-बिक्री इन्हीं जातियों के बीच हो सकेगी।

झारखंड में सीएनटी का मतलब क्या है?

पुराने छोटानागपुर इलाके में आदिवासियों की और संथाल परगना क्षेत्र के गैर आदिवासियों की वर्षों पुरानी मांग जल्द पूरी होगी। छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) में जमीन की खरीद-बिक्री के लिए थाना क्षेत्र का दायरा बढ़ेगा, वहीं संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम में गैर-आदिवासी भी अपनी जमीन की खरीद-बिक्री कर सकेंगे।

झारखंड में ओबीसी में कौन कौन सी जाति आती है?

इन जातियों को शामिल करने का भेजा जा रहा प्रस्ताव.
कुड़मी.
माहिस्य.
मगदा -गौड़ महाकुड़ /गोप, ग्वाला.
चंद्रवंशी/ रवानी.

एसपीटी एक्ट के तहत भूमि हस्तांतरण किसकी अनुमति से संभव है?

सीएनटी/एसपीटी एक्ट जबतक रहेगा। तब तक उद्योग के लिए जमीन उपलब्ध कराना संभव नहीं है। सीएनटी एक्ट के धारा 46 के तहत आदिवासी, पिछडा वर्ग एवं हरिजनों की भूमि पर अधिकारों का संरक्षण जिला उपायुक्त का है। इनके अनुमति के बिना जमीनों का हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।