सब जीवन बीता जाता है समय भागता है प्रतिक्षण में, बुल्ले, नहर, हवा के झोंके, वंशी को बस बज जाने दो, सब जीवन बीता जाता है ,जयशंकर प्रसाद
हिन्दी साहित्य के विकास और खड़ी बोली तथा भाषा के विकास में जयशंकर प्रसाद जी को योगदान अविस्मर्णीय है इस लेख में जयशंकर जी कविता आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ | इस कविता में जयशंकर प्रसाद जी समय के महत्त्व को बताने का प्रयास कर रहें हैं , कवि यह महसूस कर रहा है कि समय निरंतर गतिमान है और अपने प्रवाह में निर्वाध्य रूप से बह रहा है| प्रसाद जी कि यह कविता हमें यह सूचित कर रही है कि प्रकृति की हर घटना अपने समय से हो रही है और हम समय के साथ नहीं चल रहे हैं | कवि की यह लालसा है कि वह गुनगुनता रहे …..| आइये इस कविता को पढ़ते हैं और आनंद का अनुभव करते हैं…. “सब-जीवन-बीता-जाता-है” सबजीवन बीता जाता है, समय भागता है प्रतिक्षण में, बुल्ले,
नहर, हवा के झोंके, वंशी को बस बज जाने दो, सब जीवन बीता जाता है….. जयशंकर प्रसाद यह भी पढ़ें – भगवान के डाकिये —
सब जीवन बीता जाता है / जयशंकर प्रसादCHANDER सब जीवन बीता जाता है समय भागता है प्रतिक्षण में, बुल्ले, नहर, हवा के झोंके, वंशी को बस बज जाने दो, सब जीवन बीता जाता है. Community content is available under CC-BY-SA unless otherwise noted. Sab Jeevan Bita Jata Hai - Jaishankar prasad II सब जीवन बीता जाता है -जयशंकर प्रसाद सब जीवन बीता जाता है -जयशंकर प्रसाद सब जीवन बीता जाता है धूप छाँह के खेल सदॄश सब जीवन बीता जाता है समय भागता है प्रतिक्षण में, नव-अतीत के तुषार-कण में, हमें लगा कर भविष्य-रण में, आप कहाँ छिप जाता है सब जीवन बीता जाता है बुल्ले, नहर, हवा के झोंके, मेघ और बिजली के टोंके, किसका साहस है कुछ रोके, जीवन का वह नाता है सब जीवन बीता जाता है वंशी को बस बज जाने दो, मीठी मीड़ों को आने दो, आँख बंद करके गाने दो जो कुछ हमको आता है Sab Jeevan Bita Jata Hai - Jaishankar prasad II सब जीवन बीता जाता है -जयशंकर प्रसाद Read More:
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