रुद्री नवागांव जंगल सत्याग्रह के नेता - rudree navaagaanv jangal satyaagrah ke neta

रुद्री नवागांव का जंगल सत्याग्रह आजादी के आंदोलन के दौरान अंग्रेजों का कानून तोड़ने वाले आंदोलनों में से प्रमुख है। इस आंदोलन में अंग्रेजों ने गोली चलाई थी। जिसमें धमतरी के डूबान क्षेत्र के ग्राम लमकेनी निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी युवक मींधु कुम्हार गोली लगने से घायल हो गए थे। 25 सितंबर 1930 को सेंट्रल जेल रायपुर में ही इलाज के दौरान 25 सितंबर 1930 को मींधु कुम्हार ने दम तोड़ दिया। इतिहासकारों के मुताबिक पुराने धमतरी तहसील के गट्टासिल्ली का जंगल सत्याग्रह 22 अगस्त 1930 को समाप्त हुआ। इसके बाद धमतरी से लगे ग्राम नवागांव(बेन्द्रानवागांव) में उस समय के जागरूक लोगों ने जंगल सत्याग्रह किया। तब अंग्रेजों ने जंगल को आरक्षित कर लोगों के घुसने पर पाबंदी लगा दी थी। लोग अपनी जरूरत के लिए लकड़ी, फल, वनोपज तो क्या घास भी नहीं काट सकते। नवागांव सत्याग्रह उस समय के धमतरी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नारायण राव मेघावाले व नत्थुजी जगताप के नेतृत्व में शुरू किया गया था। लेकिन उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। अंग्रेजों ने धारा 144 लागू कर दी। इसके बाद आंदोलन की कमांड डॉ. शोभाराम देवांगन ने संभाल ली। योजना के मुताबिक जंगल में घुसकर घास काटने के लिए 5-5 लोगों का ग्रुप बनाया गया था। बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव भी इस आंदोलन से जुड़े थे। 16 सितंबर 1930 को धारा 144 तोड़कर भीड़ की शक्ल में लोग रुद्री नवागांव पहुंचे। उस समय के अंग्रेज तहसीलदार एसवी बरेट भी भारी संख्या में पुलिस बल के साथ वहां मौजूद थे। अंग्रेज पुलिस और लोगों के बीच झूमाझटकी होने लगी। इसी दौरान एक पुलिस कांस्टेबल को चोट लग गई। जिसे आधार बनाकर पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया। देखते ही देखते गोली भी चलने लगी। गोली लगने से मींधु कुम्हार घायल हो गया। एक गोली उसके सीने में तथा दूसरी गोली पैर में लगी थी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और सेंट्रल जेल रायपुर भेज दिया। सेंट्रल जेल रायपुर में ही इलाज के दौरान 25 सितंबर 1930 को मींधु कुम्हार ने दम तोड़ दिया। 25 सितंबर को मींधु कुम्हार की पुण्यतिथि के अवसर पर देश के कोने कोने में अमर शहीद मिंघु कुम्हार जी के बलिदान दिवस को मनाया जाकर मिंघु कुम्हार जी के बलिदान से अनभिज्ञ समाज व देश के लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचानी चाहिए।

सन् 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जंगल सत्याग्रह छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से बड़े पैमाने पर अलग -अलग क्षेत्रों में शुरू हुए। ये जंगल सत्याग्रह सविनय अवज्ञा आंदोलन का हिस्सा थे , जिसमें स्थानीय लोगो द्वारा वन कानून का उल्लंघन किया गया।  किन्तु 5 मार्च 1931 के गांधी -इरविन समझौते के तहत् सविनय अवज्ञा आंदोलन के स्थगन के साथ -ही छत्तीसगढ़ के ये जंगल सत्याग्रह सीमित होते गए। 

छत्तीसगढ़ में जंगल सत्याग्रह -

गट्टासिल्ली -

  • तिथि - जून 1930 
  • स्थान - धमतरी 
  • नेतृत्वकर्ता - नारायणराव मेघावाले , छोटेलाल श्रीवास्तव , नत्थूजी जगताप 

मोहबना पोंड़ी  -

  •  तिथि - 24 जुलाई 1930 
  • स्थान - बालोद 
  • नेतृत्वकर्ता - नरसिंह प्रसाद अग्रवाल 
  • विशेष - 1930 ई. पोंड़ी ग्राम में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध जुलूस एवं नारे लगाने का कार्य , नरसिंह प्रसाद अग्रवाल के नेतृत्व में किया गया था। 
घोंघाडीह - 

  • तिथि -  जुलाई 1930 
  • नेतृत्वकर्ता  - अजीत रावत ,मुकुंदा ,संसारी , लटी , पंचम  

रूद्री नवागांव -

  • तिथि - 22 अगस्त 1930 
  • स्थान - धमतरी 
  • नेतृत्वकर्ता - बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव , नारायणराव मेघावाले 
  • विशेष - 22 अगस्त 1930 को रूद्री - नवागांव जंगल सत्याग्रह में पुलिस द्वारा लाठी चार्ज और गोली चलने से सिंधु कुमार तथा रलू  की मृत्यु हो गई। 

    रुद्री नवागांव का जंगल सत्याग्रह में अंग्रेजों का काला कानून तोड़ने पर अंग्रेज पुलिस ने गोली चला दी। गोली लगने से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मींधू कुम्हार शहीद हो गए। ग्राम बेंद्रानवागांव में 25 सितंबर को कुंभकार समाज और ग्रामीणों ने उनकी पुण्यतिथि मनाई। इस अवसर पर भंडारा कर पूरी का भी वितरण किया गया।

    कुंभकार समाज के गीतेश प्रतापति ने बताया कि धमतरी तहसील के डूबान क्षेत्र के ग्राम लमकेनी निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी युवक मींधू कुम्हार रूद्री नवागांव जंगल सत्याग्रह के नायक है। अंग्रेजों ने जंगल को आरक्षित कर लोगों के घुसने पर पाबंदी लगा दी थी। लोग अपनी जरूरत के लिए लकड़ी, फल, वनोपज तो क्या घास भी नहीं काट सकते। तब उस समय के नेता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नारायण राव मेघावाले व नत्थूजी जगताप के नेतृत्व में रूद्री जंगल सत्याग्रह किया गया। अंग्रेजों ने धारा 144 लागू कर दी और इसके बाद आंदोलन की कमान डॉ. शोभाराम देवांगन ने संभाल ली। योजना के मुताबिक जंगल में घुसकर घास काटने के लिए 5-5 लोगों का ग्रुप बनाया गया था। बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव भी इस आंदोलन से जुड़े थे। 16 सितंबर 1930 को धारा 144 तोड़कर भीड़ की शक्ल में लोग रुद्री नवागांव पहुंची। उस समय के अंग्रेज तहसीलदार एसवी बरेट भी भारी संख्या में पुलिस बल के साथ वहां मौजूद थे। अंग्रेज पुलिस और लोगों के बीच झूमाझटकी होने लगी। इसी दौरान एक पुलिस कांस्टेबल को चोट लग गई। जिसे आधार बनाकर पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया। देखते ही देखते गोली भी चलने लगी। गोली लगने से मींधु कुम्हार घायल हो गए। एक गोली उसके सीने में तथा दूसरी गोली पैर में लगी थी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और सेंट्रल जेल रायपुर भेज दिया। सेंट्रल जेल रायपुर में ठीक से इलाज नहीं किया और 25 सितंबर 1930 को उन्होंने दम तोड़ दिया।

    जंगल सत्याग्रह का नेता कौन था?

    सही उत्तर ​गंजन सिंह कोरकू है। गंजन सिंह कोरकू ने मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में जंगल सत्याग्रह का नेतृत्व किया।

    जंगल सत्याग्रह कब हुआ था?

    1930 में जब जंगल सत्याग्रह आंदोलन शुरू हुआ तो उसमें भी अंग्रेजों की खिलाफत करने लगे।

    जंगल सत्याग्रह क्या था वर्णन?

    उत्तर : दुरिया जंगल संघर्ष आन्दोलन था जो जंगल सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है | 1930 में महात्मा गाँधी के आह्वान पर मध्य भारत के बैतूल जिले से जंगल सत्याग्रह की शुरुआत हुई थी. जिसके बाद पूरे देश के वनवासी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ इस जंगल सत्याग्रह में शामिल हुए थे.

    1930 में छत्तीसगढ़ में कौन सा आंदोलन हुआ था?

    पोड़ी – सीपत जंगल सत्याग्रह ( बिलासपुर – जुलाई 1930 ) यह सत्याग्रह 1 जुलाई 1930 में बिलासपुर के सीपत तहसील के पोड़ी नामक गाँव में हुआ था, इस आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता रामाधार दुबे थे ।