नमक मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? - namak maarch aur savinay avagya aandolan kya hai?

नमक मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? - namak maarch aur savinay avagya aandolan kya hai?

  • 1/7

महात्‍मा गांधी ने देश के आम नागरिकों को एक मंच पर लाकर अंग्रेजी सत्‍ता के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी थी. वो हर काम को बड़ी ही शांति और सादगी से करना पसंद करते थे. यहां तक क‍ि आजादी की लड़ाई भी उन्होंने बिना किसी तलवार और बंदूक के लड़ी. जान‍िए- 12 मार्च से शुरू हुई इस यात्रा ने अंग्रेजी सत्‍ता के सामने क्‍या संदेश दिया. 

नमक मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? - namak maarch aur savinay avagya aandolan kya hai?

  • 2/7

दांडी मार्च को नमक मार्च या दांडी सत्याग्रह के रूप में भी इतिहास में जगह मिली है. साल 1930 में अंग्रेज सरकार ने जब नमक पर कर लगा दिया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के ख‍िलाफ आंदोलन छेड़ा. ये ऐतिहासिक सत्याग्रह गांधी समेत 78 लोगों के द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गांव दांडी तक पैदल यात्रा (390किलोमीटर) की. 12 मार्च को शुरू हुई ये यात्रा 6 अप्रैल 1930 को नमक हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून भंग करने का आह्वान क‍िया.

नमक मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? - namak maarch aur savinay avagya aandolan kya hai?

  • 3/7

भारत में अंग्रेजों के शासन काल के वक्‍त नमक उत्पादन और विक्रय के ऊपर बड़ी मात्रा में कर लगा दिया था. नमक जीवन के लिए जरूरी चीज होने के कारण भारतवासियों को इस कानून से मुक्त करने और अपना अधिकार दिलवाने हेतु ये सविनय अवज्ञा का कार्यक्रम आयोजित किया था.

नमक मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? - namak maarch aur savinay avagya aandolan kya hai?

  • 4/7

कानून भंग करने के बाद सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की लाठियां खाई थीं लेकिन पीछे नहीं मुड़े थे. 1930 में गांधी जी ने इस आंदोलन का चालू किया. इस आंदोलन में लोगों ने गांधी के साथ पैदल यात्रा की और जो नमक पर कर लगाया था उसका विरोध किया गया. इस आंदोलन में कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. इनमें सी. राजगोपालचारी, पंडित नेहरू जैसे आंदोलनकारी शामिल थे.

नमक मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? - namak maarch aur savinay avagya aandolan kya hai?

  • 5/7

ये आंदोलन पूरे एक साल तक चला और 1931 को गांधी-इरविन के बीच हुए समझौते से खत्म हो गया. इसी आन्दोलन से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इस आंदोलन ने संपूर्ण देश में अंग्रेजों के खिलाफ व्यापक जन संघर्ष को जन्म दिया था. गांधीजी के साथ सरोजनी नायडू ने भी नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया.

नमक मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? - namak maarch aur savinay avagya aandolan kya hai?

  • 6/7

24 दिन में 340 किलोमीटर चले स्वतंत्रता सेनानी दांडी पहुंचे और सवेरे 6:30 पर नमक कानून तोड़ा. इसमें 8,000 भारतीयों को नमक सत्याग्रह के दौरान जेल में डाल दिया गया था. सत्याग्रह आगे भी जारी रहा और एक साल बाद महात्मा गांधी की रिहाई के साथ खत्म हुआ. 

नमक मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? - namak maarch aur savinay avagya aandolan kya hai?

  • 7/7

गांधी जी ने आज के दिन नमक हाथ में लेकर कहा था कि इसके साथ मैं ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला रहा हूं. इस आंदोलन ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर और जेम्स बेवल जैसे दिग्गजों को प्ररित किया.

Free

10 Questions 10 Marks 6 Mins

Last updated on Oct 19, 2022

The Application Links for the DSSSB TGT will remain open from 19th October 2022 to 18th November 2022. Candidates should apply between these dates. The Delhi Subordinate Services Selection Board (DSSSB) released DSSSB TGT notification for Computer Science subject for which a total number of 106 vacancies have been released. The candidates can apply from 19th October 2022 to 18th November 2022. Before applying for the recruitment, go through the details of DSSSB TGT Eligibility Criteria and make sure that you are meeting the eligibility. Earlier, the board has released 354 vacancies for the Special Education Teacher post. The selection of the DSSSB TGT is based on the Written Test which will be held for 200 marks.

नमक यात्रा और सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है?

नमक सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कर के खिलाफ एक विशाल सविनय अवज्ञा आंदोलन था। गांधी के बाद 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से गुजरात के एक तटीय गांव दांडी तक लोगों का एक बड़ा समूह आया। दांडी पहुंचकर उन्होंने खारे पानी से नमक निकालकर नमक कानून तोड़ा।

सविनय अवज्ञा आंदोलन दांडी मार्च क्या है?

दांडी यात्रा या नमक सत्याग्रह, महात्मा गांधी के नेतृत्व में औपनिवेशिक भारत में अहिंसक सविनय अवज्ञा का एक कार्य था। चौबीस दिवसीय मार्च 12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक ब्रिटिश नमक एकाधिकार के खिलाफ कर प्रतिरोध और अहिंसक विरोध के प्रत्यक्ष कार्रवाई अभियान के रूप में चला।

नमक आंदोलन से आप क्या समझते हैं?

इस आंदोलन का नाम था नमक आंदोलन। यह 12 मार्च से 6 अप्रैल 1930 के बीच गांधीजी ने जब नमक पर लगाए जाने वाले विरोध पर नया सत्याग्रह चलाया वह Namak Andolan के नाम से प्रचलित हुआ। Namak Andolan लगातार 24 दिनों तक चला था। यह आंदोलन अहमदाबाद साबरमती आश्रम से दांडी गुजरात में 400 किलोमीटर तक चलाया गया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन और दांडी मार्च में क्या अंतर है?

दांडी मार्च के विषय में: दांडी की तर्ज पर भारतीय राष्ट्रवादियों द्वारा बंबई और कराची जैसे तटीय शहरों में नमक बनाने हेतु भीड़ का नेतृत्व किया गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन संपूर्ण देश में फैल गया, जल्द ही लाखों भारतीय इसमें शामिल हो गए। ब्रिटिश अधिकारियों ने 60,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया।