भारत की लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्था में सबसे प्रतिष्ठित पद राष्ट्रपति का है। लेकिन, पिछले कुछ दिनों में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जिस तरह से राजनीति हो रही है, उससे इस पद की गरिमा कम हुई है। राष्ट्रपति की अपनी कोई विशिष्ट विचारधारा नहीं होती, वह तो समय एवं परिस्थितियों के अनुसार, जो बात देश के हित में हो, वही उसकी विचारधारा और सिद्धांत बन जाती है। Show देश की राजनीति और राजनेताओं के लिये कुछ शब्द बेहद संवेदनशील और सियासी नफे-नुकसान की दृष्टि से लोकप्रिय हैं, जैसे कि दलित, गाय, हिंदू, सेक्युलर, अल्पसंख्यक वगैरह। इन शब्दों को उछालकर खूब राजनीति होती है। राष्ट्रपति के पद की गरिमा तभी बची रह सकती है, जब हम इसका राजनीतिकरण होने से रोक सकें। कैसे इस पद की गरिमा को क्षति पहुँचाई जा रही है, यह देखने से पहले बात करते हैं कि कैसे चुना जाता है राष्ट्रपति? कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव?
क्या है एकल संक्रमणीय मत पद्धति
राष्ट्रपति की शक्तियाँ
1. यह संघ की कार्यपालिका शक्ति (राज्यों की नहीं) होती है, जो उसमें निहित होती है।
राष्ट्रपति पद की गरिमा का सवाल
निष्कर्ष
राष्ट्रपति का पद कौन से देश से लिया गया है?राष्ट्रपति का पद ब्रिटेन से लिया गया है।
भारत के राष्ट्रपति को पद की शपथ कौन दिलाता है?इस अर्थ में, राष्ट्रपति भारतीय संविधान के अभिभावक के रूप में शपथ लेते हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके अनुपस्थिति में सर्वोच्च न्यायलय के वरिष्ठ न्यायाधीश द्वारा शपथ लेता है। Q.
भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन है?भारत के प्रथम राष्ट्रपति के महत्वपूर्ण तथ्य
भारत के प्रथम राष्ट्रपति के पद पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की संवैधानिक नियुक्ति 26 जनवरी 1950 को हुई। इसके बाद 13 मई 1952 को उन्हें भारत के राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गयी।
भारत में राष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होता है?Dileep Vishwakarma. राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना भारत में कोई भी कानून लागू नहीं हो सकता है. भारत के एकमात्र राष्ट्रपति थे, जिन्होंने दो कार्यकालों तक राष्ट्रपति पद पर कार्य किया. वे संविधान सभा के अध्यक्ष भी थे और भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के प्रमुख नेता.
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