Home » Class 10 Hindi » NCERT Solutions for Class X Chhitij Part 2 Hindi Chapter 2- Tulsidas Show छितिज भाग -2 तुलसीदास प्रश्न 1 :परशुराम के क्रोध करनेपर लक्ष्मण ने धनुष केटूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क
दिए? प्रश्न 2:परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए। प्रश्न 3: लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए। प्रश्न 4: परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए – प्रश्न 5: लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई? प्रश्न 6: साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए। प्रश्न 7: भाव स्पष्ट कीजिए – (क) बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी|| पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू|| (ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं|| देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना|| (ग) गाधिसू नु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ। अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ|| उत्तर: पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू|| प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई हैं। उक्त पंक्तियों में लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम जी के बोले हुए अपशब्दों का प्रतिउत्तर दिया गया है। भाव – भाव यह है कि लक्ष्मण जी मुस्कराते हुए मधुर वाणी में परशुराम पर व्यंग्य कसते हुए कहते हैं कि हे मुनि आप अपने अभिमान के वश में हैं। मैं इस संसार का श्रेष्ठ योद्धा हूँ। आप मुझे बार-बार अपना फरसा दिखाकर डरा रहे हैं। आपको देखकर तो ऐसा लगता है मानो फूँक से पहाड़ उड़ाने का प्रयास कर रहे हों। अर्थात् जिस तरह एक फूँक से पहाड़ नहीं उड़ सकता उसी प्रकार मुझे बालक समझने की भूल मत किजिए कि मैं आपके इस फरसे को देखकर डर जाऊँगा। (ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं|| देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना|| प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई हैं। उक्त पंक्तियों में लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम जी के बोले हुए अपशब्दों का प्रतिउत्तर दिया गया है। भाव– भाव यह है कि लक्ष्मण जी अपनी वीरता और अभिमान का परिचय देते हुए कहते हैं कि हम भी कोई कुम्हड़बतिया नहीं है जो किसी की भी तर्जनी देखकर मुरझा जाएँ। मैंने फरसे और धनुष-बाण को अच्छी तरह से देख लिया है। इसलिए ये सब आपसे अभिमान सहित कह रहा हूँ। अर्थात् हम कोमल पुष्पों की भाँति नहीं हैं जो ज़रा से छूने मात्र से ही मुरझा जाते हैं। हम बालक अवश्य हैं परन्तु फरसे और धनुष-बाण हमने भी बहुत देखे हैं इसलिए हमें नादान बालक समझने का प्रयास न करें। (ग) गाधिसू नु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ। अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ|| प्रसंग– प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई हैं। उक्त पंक्तियाँ में परशुराम जी द्वारा बोले गए वचनों को सुनकर विश्वामित्र मन ही मन परशुराम जी की बुद्धि और समझ पर तरस खाते हैं। भाव– भाव यह है कि विश्वामित्र अपने हृदय में मुस्कुराते हुए परशुराम की बुद्धि पर तरस खाते हुए मन ही मन कहते हैं कि गधि-पुत्र अर्थात् परशुराम जी को चारों ओर हरा ही हरा दिखाई दे रहा है तभी तो वह दशरथ पुत्रों को (राम व लक्ष्मण) साधारण क्षत्रिय बालकों की तरह ही ले रहे हैं। जिन्हें ये गन्ने की खाँड़ समझ रहे हैं वे तो लोहे से बनी तलवार (खड़ग) की भाँति हैं। अर्थात् वे भगवान विष्णु के रुप राम व लक्ष्मण को साधारण मानव बालकों की भाँति ले रहे हैं। वे ये नहीं जानते कि जिन्हें वह गन्ने की खाँड़ की तरह कमज़ोर समझ रहे हैं पल भर में वे इनको अपने फरसे से काट डालेंगे। यह नहीं जानते कि ये लोहे से बनी तलवार की भाँति हैं। इस समय परशुराम की स्थिति सावन के अंधे की भाँति हो गई है। जिन्हें चारों ओर हरा ही हरा दिखाई दे रहा है अर्थात् उनकी समझ अभी क्रोध व अहंकार के वश में है। प्रश्न 8: पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए। प्रश्न 9: इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए। अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ|| प्रश्न 10: निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए – बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु|| अनुप्रास अलंकार – उक्त पंक्ति में ‘ब’ वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है, इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार है। (2) उपमा अलंकार – कोटि कुलिस सम बचनु में उपमा अलंकार है। क्योंकि परशुराम जी के एक-एक वचनों को वज्र के समान बताया गया है। (ग)तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा|| (1) उत्प्रेक्षा अलंकार – ‘काल हाँक जनु लावा’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है। यहाँ जनु उत्प्रेक्षा का वाचक शब्द है। (2) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार – ‘बार-बार’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। क्योंकि बार शब्द की दो बार आवृत्ति हुई पर अर्थ भिन्नता नहीं है। (घ)लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु। बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु|| (1) उपमा अलंकार (i) उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु में उपमा अलंकार है (ii) जल सम बचन में भी उपमा अलंकार है क्योंकि भगवान राम के मधुर वचन जल के समान कार्य रहे हैं। (2) रुपक अलंकार – रघुकुलभानु में रुपक अलंकार है यहाँ श्री राम को रघुकुल का सूर्य कहा गया है। श्री राम के गुणों की समानता सूर्य से की गई है। प्रश्न 11:अवधी भाषा आज किन-किन क्षेत्रों में बोली जाती है? परशुराम के क्रोध का कारण क्या था?सीता स्वयंवर में शिव-धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते हुए श्रीराम द्वारा शिव-धनुष के टूट जाने के कारण परशुराम क्रोधित हुए।
परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए राम ने उनसे क्या कहा?सीता स्वयंवर के समय शिवजी के धनुष को श्री राम ने तोड़ दिया था जिस कारण परशुराम क्रोध से भर उठे थे। उनके क्रोध को शाँत करने के लिए राम ने उनसे बिना किसी हर्ष या विषाद के कहा था कि हे नाथ! शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला कोई उन का ही दास होगा।
परशुराम के क्रोधित होने पर राम ने क्या उत्तर दिया?परशुराम के क्रोध करने पर श्री राम ने धीरज से काम लिया। उन्होंने नम्रता पूर्ण वचनों का सहारा लेकर परशुराम के क्रोध को शांत करने का प्रयास किया। परशुराम जी क्रोधी स्वभाव के थे। श्री राम उनके क्रोध पर शीतल जल के समान शब्दों व आचरण का आश्रय ले रहे थे।
लक्ष्मण ने परशुराम का विरोध क्यों किया?उत्तर: परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कई तर्क दिए। उन्होंने कहा कि वह तो बड़ा ही पुराना धनुष था जो श्रीराम के छूने से ही टूट गया। उन्होंने कहा कि बचपन में खेल खेल में उन्होंने कई धनुष तोड़े थे इसलिए एक टूटे धनुष के लिए इतना क्रोध करना उचित नहीं है।
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