राम के वन गमन के बाद उनकी वस्तओु ंको देखकर मांकौशल्या कैसा अनभु व करती हैं - raam ke van gaman ke baad unakee vastaou nko dekhakar maankaushalya kaisa anabhu va karatee hain

राम के वन-गमन के बाद उनकी वस्तुओं को देखकर माँ कौशल्या कैसा अनुभव करती हैं? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

राम के वन-गमन जाने के बाद माँ उनकी वस्तुएँ देखकर भाव-विभोर हो जाती हैं। उनका स्नेह आँसुओं के रूप में आँखों से छलक पड़ता है। उन्हें राजभवन में तथा राम के भवन में राम ही दिखाई देते हैं। उनकी आँखें हर स्थान पर राम को देखती हैं और जब उन्हें इस बात का स्मरण आता है कि राम उनके पास नहीं हैं, वह चौदह वर्षों के लिए उनसे दूर चले गए है, तो वे चित्र के समान चकित और स्तब्ध रह जाती हैं। राम से जूड़ी वस्तु को नेत्रों से लगा लेती हैं। वह इतनी व्याकुल हो जाती हैं कि उन्हें स्वयं की भी सुध नहीं रहती हैं। पुत्र के कष्टों का भान करते हुए वे और भी दुखी हो जाती हैं।

निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
 

(क) 'कभी-कभी जो लोग ऊपर से बेहया दिखते हैं, उनकी जड़ें काफ़ी गहरी पैठी रहती हैं। ये भी पाषाण की छाती फाड़कर न जाने किस अतर गह्वर से अपना भोग्य खींच लाते हैं।'
 

(ख) 'रूप व्यक्ति-सत्य है, नाम समाज-सत्य। नाम उस पद को कहते हैं जिस पर समाज की मुहर लगी होती है। आधुनिक शिक्षित लोग जिसे 'सोशल सैक्शन' कहा करते हैं। मेरा मन नाम के लिए व्याकुल है, समाज द्वारा स्वीकृत, इतिहास द्वारा प्रमाणित, समष्टि-मानव की चित्त-गंगा में स्नात!'
 

(ग) 'रूप की तो बात ही क्या है! बलिहारी है इस मादक शोभा की। चारों ओर कुपित यमराज के दारुण निःश्वास के समान धधकती लू में यह हरा भी है और भरा भी है, दुर्जन के चित्त से भी अधिक कठोर पाषाण की कारा में रुद्ध अज्ञात जलस्रोत से बरबस रस खींचकर सरस बना हुआ है।'
 

(घ) हृदयेनापराजितः! कितना विशाल वह हृदय होगा जो सुख से, दुख से, प्रिय से, अप्रिय से विचलति न होता होगा! कुटज को देखकर रोमांच हो आता है। कहाँ से मिलती है यह अकुतोभया वृत्ति, अपराजित स्वभाव, अविचल जीवन दृष्टि!'

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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने उन स्थानों को विकसित करने का निर्णय लिया है, जहां राम के पैर पड़े थे. भूपेश सरकार राम वन गमन पथ को विकसित करने की महत्वकांक्षी योजना पर काम कर रही है. जानिए क्या है राम वन गमन पथ.

रायपुर: अयोध्या में भगवान श्री राम के बहुप्रतीक्षित मंदिर के शिलान्यास के बाद छत्तीसगढ़ यानी श्रीराम के ननिहाल में राम वन गमन पथ बनाने को लेकर राज्य सरकार बड़ा काम करने जा रही है. राज्य को दक्षिण कौशल राज्य भी कहा जाता है, इस लिहाज से छत्तीसगढ़ मां कौशल्या की भूमि है. प्रदेश सरकार ने मां कौशल्या के ऐतिहासिक मंदिर को भव्य तरीके से बनाने का प्लान तैयार कर रखा है. साथ ही कोरिया से लेकर सुकमा तक श्री राम वन गमन पथ मार्ग को बनाने का शंखनाद कर दिया है.

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राम वन पथ गमन

पहले चरण में 9 स्थानों को किया गया चिन्हित

पर्यटन विभाग ने इतिहासकारों से चर्चा कर विभिन्न शोध और प्राचीन मान्यताओं के आधार पर छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ के लिए 75 स्थानों को चिन्हित किया है. प्रथम चरण में जिन 9 स्थानों का चयन किया गया है. उनमें ये स्थान शामिल हैं.

  • सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया)
  • रामगढ़ (सरगुजा)
  • शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा)
  • तुरतुरिया (बलौदाबाजार)
  • चंदखुरी (रायपुर)
  • राजिम (गरियाबंद)
  • सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी)
  • जगदलपुर (बस्तर)
  • रामाराम (सुकमा)

रिसर्चर डॉक्टर हेमु यदु ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि उनकी पूरी टीम ने छत्तीसगढ़ में 24 ऋषि आश्रमों में जा जाकर, 20 नदियों के संगम और करीब 124 स्थानों पर इसका अध्ययन किया. डॉक्टर हेमु यदु ने इस अध्ययन पर एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम है 'छत्तीसगढ़ पर्यटन में राम वन गमन पथ'. इस अध्ययन के आधार पर ही छत्तीसगढ़ में राम वन गमन को लेकर उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसे पुरातत्व विभाग को सौंपा है. इस पुस्तक में 75 स्थानों का उल्लेख है जिसमें से 51 स्थानों को डेवलप करने का सरकार ने निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि चंदखुरी में माता कौशल्या के ऐतिहासिक मंदिर को भव्यता के साथ तैयार करना हमारे इतिहास को संजोने की दिशा में बेहद सुखद कदम है.मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद सीएम हाउस में बैठक लेकर राम वन गमन पथ के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए काम शुरू करने के निर्देश दिए हैं. जिस पर कार्य जारी है.

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रिसर्चर हेमु यदु

वनवास से जुड़ी कथाओं की मिलेगी जानकारी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना का प्रेजेंटेशन देखकर ही इसे फाइनल किया. फाइनल किए गए प्रोजेक्ट के मुताबिक राम वन गमन पथ में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को यात्रा के दौरान पग-पग पर भगवान श्रीराम के दर्शन से जुड़े तथ्य देखने को मिलेंगे. मार्ग के किनारे जगह-जगह संकेतक, तीर्थ और पर्यटन स्थलों की जानकारी, भगवान श्रीराम के वनवास से जुड़ी कथाएं देखने और सुनने को मिलेगी.

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राम वन गमन पथ का मैप

राम वन गमन पथ

राम वन गमन पथ के मुख्य मार्ग सहित कुल 2 हजार 260 किलोमीटर की लंबाई तक यह पथ राममय होगा. इस मार्ग के किनारे जगह-जगह भगवान श्रीराम के वनवास से जुड़ी कथाएं भी प्रदर्शित की जाएंगी. राम वन गमन पथ के दोनों ओर विभिन्न प्रजातियों के लाखों पौधे लगाए जाएंगे ताकि यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं और पर्यटकों के दिलो-दिमाग में प्रभु श्री राम के वनवास का एहसास बना रहे.

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राम वन गमन पथ

पढ़ें- शिवरीनारायण: राम वन गमन पथ की कवायद शुरू, राम कथा में सीएम ने कहा छत्तीसगढ़ की संस्कृति में बसे हैं भगवान राम

137 करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना पर कार्य शुरू करने के आदेश मिल चुके हैं. इसकी शुरुआत रायपुर के पास मां कौशल्या मंदिर चंदखुरी से हो रही है. चंदखुरी भगवान राम का ननिहाल है. यहां माता कौशल्या का प्राचीन मंदिर है, जो सातवीं शताब्दी का है. माता कौशल्या मंदिर का डेवलपमेंट करने के लिए 154 करोड़ की योजना तैयार की गई है.

कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका से राम वन गमन पथ की शुरुआत होती है और सुकमा जिले के रामाराम में यह खत्म होती है. इस बीच की दूरी करीब 1400 किलोमीटर है. मंत्री चौबे का कहना है कि प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल में 1400 किलोमीटर की पदयात्रा छत्तीसगढ़ में पूरी की थी.

भव्य होगा राम वन गमन पथ का निर्माण

राम वन गमन पथ पर पहले चरण में जिन 9 स्थानों का चयन किया गया है, उन सभी में आकर्षक लैंडस्केप तैयार किया जाएगा. सभी स्थानों पर पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विकास सर्वोच्च प्राथमिकता के तहत किया जा रहा है. राम वन गमन परिपथ में कोरिया से लेकर सुकमा तक 100 किलोमीटर तक सूचनात्मक स्वागत द्वार स्थापित किए जाएंगे. यात्रियों को इससे पता चल सकेगा कि वे वन गमन के लिए सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं या नहीं. सभी पर्यटन केंद्रों में विशेष साज-सज्जा वाले पर्यटक सूचना केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे.

राम वन गमन पथ का रूट मैप तैयार कर सभी विभागों को भी दिया गया है. चंदखुरी, शिवरीनारायण, तुरतुरिया और राजिम के लिए परियोजना की रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है. शिवरीनारायण ब्रिज के ऊपर लेजर लाइट शो का भी इंतजाम किया जा रहा है.

राम के वन गमन के बाद उनकी वस्तुओं को देखकर मां कौशल्या कैसे अनुभव करती है?

माता कौशल्या राम से हुए वियोग के कारण दुखी और आहत है। वे राम की वस्तुएँ को देखकर स्वयं को बहलाने का प्रयास करती हैं। उनका दुख कम होने के स्थान पर बढ़ता चला जाता हैं। परन्तु जब राम के वनवासी जीवन का स्मरण करती हैं, तो हैरानी से भरी हुई चित्र के समान स्थिर हो जाती हैं।

राम ने वन गमन को क्या कहा था?

प्रश्न-17 राम ने वन गमन को क्या कहा? उत्तर- राम ने वन गमन को भाग्यवश आया उलटफेर कहा । प्रश्न-18 लक्ष्मण किस बात से सहमत नहीं थे और वह उसे क्या समझते थे? उत्तर- लक्ष्मण इस बात से सहमत नहीं थे कि वन गमन भाग्यवश आया उलटफेर है ।

राम के वन जाने की बात सुनकर माता कौशल्या ने राम से क्या कहा?

कौशल्या का मन था कि राम को रोक लें। वनजाने दें। राजगद्दी छोड़ दें पर वह अयोध्या में रहें। कौशल्या ने राम को विदा करते हुए कहा जाओ पुत्र।

कौशल्या ने राम को क्या आशीर्वाद दिया?

कौशल्या भी राम के साथ वन जाना चाहती थी, किंतु राम ने उन्हें मना कर दिया और समझाया कि इस समय पिता को सहारे की आवश्यकता है। अंततः कौशल्या ने राम को गले लगाया और आशीर्वाद देते हुए कहा-'जाओ पुत्र, दसो दिशाएँ तुम्हारे लिए मंगलकारी हों। मैं तुम्हारे लौटने तक इंतजार करूंगी। '